वर्नियर कैलीपर्स तथा स्क्रूगेज

: किसी भी उपकरण द्वारा मापी जा सकने वाली छोटी से छोटी राशि को ही उस उपकरण का अल्पतमांक कहते है।  जैसे मान लीजिये हमारे द्वारा लाइन खींचने वाले स्केल द्वारा 0.1 cm की छोटी राशि को मापने के लिए लाइन खिंची होती है और हम इससे छोटी राशि को इसके द्वारा नहीं माप सकते अत: अल्पतमांक की परिभाषा के अनुसार हमारे स्केल की अल्पतमांक 0.1 cm है।

साधारण पैमाने से छोटी दूरियों का मापन करना मुश्किल होता है अत: छोटी दूरी को मापने के लिए फ़्रांस के एक वैज्ञानिक पियरे वर्नियर ने एक पैमाना बनाया जिसे वर्नियर कैलिपर्स कहते है।

वर्नियर कैलिपर्स पैमने में मुख्य पैमाने के साथ एक सरकने वाला पैमाना लगा होता है , वर्नियर कैलीपर्स पैमाने की सहायता से किसी भी वस्तु की आन्तरिक व बाह्य दूरी को बिना किसी त्रुटि के मापा जा सकता है।  अर्थात इस पैमाने से मापी गयी दुरी में बहुत कम त्रुटि होती है। किसी भी वर्नियर कैलीपर्स पैमाने का अल्पतमांक 0.10 mm है। जो की साधारण पैमाने से बहुत कम है।
वर्नियर कैलीपर्स की सहायता से निम्न दूरियों को आसानी से मापा जा सकता है –

  • बाहरी दुरी : जैसे किसी वस्तु की लम्बाई आदि।
  • आन्तरिक दुरी : जैसे किसी गोले का व्यास
  • गहराई : जैसे किसी छिद्र की ऊँचाई आदि।

कार्यविधि (working)

वर्नियर कैलीपर्स पैमाने में दो स्केल होते है , दोनों को ठीक से पढ़कर अन्तिम मान प्राप्त होता है।

पहला स्केल : मैन स्केल (मुख्य पैमाना) – इसका मान शून्य से जो पहले प्राप्त होता है , वह होता है।

दूसरा स्केल : वर्नियर पैमाना – वह मान जहाँ दोनों स्केल की लाइन एक दूसरे के ऊपर आ जाती है।

जैसे किसी वस्तु के मापन पर हमें स्केल पर निम्न मान प्राप्त होता है।

मुख्य पैमाने को पढने के लिए , शून्य से पूर्व का मान लिखते है , जैसे यहाँ 0 से पूर्व 2.1 दिख रहा है अत: 2.1 मुख्य पैमाने का मान है।

वर्नियर स्केल में दोनों पैमानों की लाइन एक दूसरे पर आनी चाहिए , यह मान हम वर्नियर स्केल पर पढ़ते है , दोनों लाइन 3 पर ऊपर आ रही है अर्थात एक दूसरे पर अध्यारोपित हो रही है।

मुख्य पैमाने का अल्पतमांक 0.1 cm होता है तथा वर्नियर पैमाने का अल्पतमांक 0.01 होता है।

अत: हमारे द्वारा प्राप्त मान निम्न है –

मुख्य पैमाना :  2.1 cm

वर्नियर पैमाना : 0.03 cm

अत: वस्तु का शुद्ध मापन : 2.1 + 0.03 = 2.13 cm

स्क्रूगेज (screw gauge)

स्क्रुगेज भी वर्नियर कैलीपर्स की तरह होता है , इसका प्रयोग और भी अधिक छोटी वस्तु के मापन के लिए किया जाता है जैसे तार के व्यास का मापन आदि।

स्क्रूगेज में भी दो पैमाने लगे होते है –

पहले पैमाने को प्रमुख पैमाना कहते है।

दूसरा पैमाना क=घूमता है इसे वर्नियर पैमाना कहते है।

कार्यविधि (working)

स्क्रूगेज की सहायता से मापन निम्न प्रकार करते है –

मान लीजिये हम किसी तार का व्यास ज्ञात कर रहे है और हमें पैमाने पर निम्न मान प्राप्त होते है –

पहले मापन पर प्रमुख पैमाने पर देखते है तो हमें 5 प्राप्त हो रहा है और इसके नीचे वाले पैमाने पर एक लाइन अधिक दिख रही है अत: पहले मापन में हमें 5 mm और एक लाइन अधिक निकली है अत: 0.5 mm है अत: प्रथम मापन में कुल 5.5 mm प्राप्त हो रहा है।

द्वितीय मापन में वर्नियर कैलीपर्स स्केल को देखते है जहाँ हमें 28 लाइन पर प्रमुख लाइन पर मेल दिख रहा है अत: वर्नियर पैमाने का माप हमें 0.28 mm  प्राप्त हो रहा है।

अत: कुल माप = 5 + 0.5 + 0.28 = 5.78 mm

स्क्रूगेज का अल्पतमांक = 0.01 mm होता है।

स्क्रूगेज पैमाने को पेंचमापी भी कहते है।

स्क्रूगेज या पेंचमापी का अल्पतमांक = चूड़ी अन्तराल / वृत्ताकार पैमाने पर भागों की कुल संख्या

Remark:

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