हेलो स्टूडेंट इस लेख में हम उपसर्ग के बारे में पढ़ेंगे, कि उपसर्ग की परिभाषा, उपसर्ग के भेद कितने होते है | इसलिए इस लेख को अंत तक पढ़े | Upsarg in Hindi में पढ़े |
Upsarg Kise Kahate Hain
उपसर्ग शब्द ‘उप’ तथा ‘सर्ग’ शब्द से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है समीप आकर नया शब्द बनाना | अर्थात जो शब्दांश शब्दों के आदि (शुरुआत) में जुड़कर उनके अर्थ में कुछ विशेषता लाते हैं, उपसर्ग कहलाते हैं |
उपसर्ग की परिभाषा – Upsarg Ki Paribhasha:
जो सार्थक शब्दों से पहले जुड़कर उनके अर्थ को बदल देते हैं या उनकी विशेषता प्रकट करते हैं उन्हें उपसर्ग कहते हैं |
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उपसर्ग हिंदी व्याकरण का बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। जब कोई शब्दांश किसी भी मूल शब्द के आगे जुड़ता है और उसके अर्थ में पूरी तरीके से परिवर्तन ला देता है, तो इसे हम उपसर्ग कहते हैं। आइए हम इसे एक उदाहरण के जरिए और भी विस्तार से समझने का प्रयत्न करते हैं।
Upsarg Examples in Hindi
उदाहरण: योग एक सार्थक शब्द है, जिसका हिंदी अर्थ साधना है। यदि सार्थक शब्द योग के पहले “प्र” उपसर्ग जोड़ने पर हमें एक नया शब्द “प्रयोग” प्राप्त होता है। प्रयोग का हिंदी अर्थ “इस्तेमाल करना” होता है।
उपसर्ग के भेद – Upsarg ke kitne prakar hote hain
1. संस्कृत उपसर्ग
2. हिन्दी उपसर्ग
3. फारसी उपसर्ग
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1. संस्कृत उपसर्ग – Upsarg in Sanskrit
उपसर्ग उदाहरण
प्र प्रगति, प्रारम्भिक, प्रबल, प्रसन्न सम
सम संस्था, सम्मान, संगति, संस्कार, सम्पूर्ण
अव अवगुण, अवनति, अवतरण
निर निर्बल, निर्जन, निर्धन, निर्माण |
दुस दुष्कर्म, दुष्चरित्र, दुस्साहस
दुर दुर्दशा, दुर्जन, दुर्गम
नि निवारण, नियुक्त, निधन
अधि अधिकर, अधिपति, अध्यक्ष
अति अत्युत्तम, अत्यन्त, अतिकाल, अत्याचार
सु सुडौल, सुअवसर, सुगम
उत उत्थान, उत्पन्न, उद्धार, उत्कर्ष, उन्मुक्त, उत्तम
अभि अभ्यास, अभिमुख, अभयागत, अभिमान
प्रति प्रत्यक्ष, प्रतिकूल, प्रत्येक |
परि परिजन, परिक्रमा, परिपूर्ण
उप उपकार, उपमान, उपमन्त्री, उपयोग
सु स्वच्छ, स्वागत, सुकर्म, सुकर
सत् सद्भावना, सत्पुरूष, सत्कर्म,
सत सद्गति, सज्जन, सत्संग
अधः अधोपतन, अधोगति, अधोमुखी, अधस्थल
अप अपमान , अपयश, अपहरण, अपराध, अपकर्ष
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2. हिंदी के उपसर्ग – Hindi ke Upsarg :
उपसर्ग | अर्थ | उपसर्ग से बने शब्द |
---|---|---|
अन | निषेध अर्थ में | अनमोल, अलग, अनजान, अनकहा, अनदेखा इत्यादि। |
अध् | आधे अर्थ में | अधजला, अधखिला, अधपका, अधकचरा, अधकच्चा, अधमरा इत्यादि। |
उन | एक कम | उनतीस, उनचास, उनसठ, इत्यादि। |
भर | पूरा ,ठीक | भरपेट, भरपूर, भरदिन इत्यादि। |
दु | बुरा, हीन, विशेष | दुबला, दुर्जन, दुर्बल, दुकाल इत्यादि। |
नि | आभाव, विशेष | निगोड़ा, निडर, निकम्मा इत्यादि। |
अ | अभाव, निषेध | अछूता, अथाह, अटल |
क | बुरा, हीन | कपूत, कचोट |
कु | बुरा | कुचाल, कुचैला, कुचक्र |
अव | हीन, निषेध | औगुन, औघर, औसर, औसान |
भर | पूरा | भरपेट, भरपूर, भरसक, भरमार |
सु | अच्छा | सुडौल, सुजान, सुघड़, सुफल |
पर | दूसरा, बाद का | परलोक, परोपकार, परसर्ग, परहित |
बिन | बिना, निषेध | बिनब्याहा, बिनबादल, बिनपाए, बिनजाने |
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3. फारसी के उपसर्ग – Farsi Ke Upsarg :
उपसर्ग | अर्थ | उपसर्ग से बने शब्द |
---|---|---|
ला | बिना | लाचार, लाजवाब, लापरवाह, लापता इत्यादि। |
बद | बुरा | बदसूरत, बदनाम, बददिमाग, बदमाश, बदकिस्मत इत्यादि। |
बे | बिना | बेकाम, बेअसर, बेरहम, बेईमान, बेरहम इत्यादि। |
कम | थोड़ा, हीन | कमसिन, कामखयाल, कमज़ोर, कमदिमाग, कमजात, इत्यादि। |
ग़ैर | के बिना, निषेध | गैरकानूनी, गैरजरूरी, ग़ैर हाज़िर, गैर सरकारी, इत्यादि। |
खुश | श्रेष्ठता के अर्थ में | खुशनुमा, खुशगवार, खुशमिज़ाज, खुशबू, खुशदिल, खुशहाल इत्यादि। |
ना | अभाव | नाराज, नालायक, नादनामुमकिन, नादान, नापसन्द, नादान इत्यादि। |
अल | निश्र्चित | अलबत्ता, अलगरज आदि। |
बर | ऊपर, पर, बाहर | बरखास्त, बरदाश्त, बरवक्त इत्यादि। |
बिल | के साथ | बिलआखिर, बिलकुल, बिलवजह |
हम | बराबर, समान | हमउम्र, हमदर्दी, हमपेशा इत्यादि। |
दर | में | दरअसल, दरहक़ीक़त |
फिल/फी | में प्रति | फिलहाल, फीआदमी |
ब | और, अनुसार | बनाम, बदौलत, बदस्तूर, बगैर |
बा | सहित | बाकायदा, बाइज्जत, बाअदब, बामौक़ा |
सर | मुख्य | सरताज, सरदार, सरपंच, सरकार |
बिला | बिना | बिलावजह, बिलाशक |
हर | प्रत्येक | हरदिन हरसाल हरएक हरबार |
Upsarg in Hindi Video
FAQs
उपसर्ग क्या है परिभाषा?
“उपसर्ग उस शब्दांश या अव्यय को कहते है, जो किसी शब्द के पहले आकर उसका विशेष अर्थ प्रकट करता है।”[1] तात्पर्य यह है की जो शब्दांश किसी शब्द के पूर्व (पहले) जुड़ते हैं, उन्हें उपसर्ग कहते हैं। उपसर्ग दो शब्दों- उप + सर्ग के योग से बना है। जिसमें ‘उप’ का अर्थ है- समीप, पास या निकट और ‘सर्ग’ का अर्थ है सृष्टि करना।
वि का उपसर्ग क्या है?
वि
विदेश, विलाप, वियोग, विपक्षउपसर्ग का दूसरा नाम क्या है?
संस्कृत एवं संस्कृत से उत्पन्न भाषाओं में उस अव्यय या शब्द को उपसर्ग (prefix) कहते हैं जो कुछ शब्दों के आरंभ में लगकर उनके अर्थों का विस्तार करता अथवा उनमें कोई विशेषता उत्पन्न करता है।
सुप्रसिद्ध में कितने उपसर्ग है?
उपसर्ग संख्या में २२ हैं, जो अग्रलिखित हैं – प्र, परा, अप, सम्, अनु, अव, निस्, निर्, दुस्, दुर्, वि, आङ्, नि, अधि, अपि, अति, सु, उत्, अभि, प्रति, परि तथा उप।
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