यहां हमने यूपी बोर्ड कक्षा 6वीं की इतिहास एनसीईआरटी सॉल्यूशंस को दिया हैं। यह solutions स्टूडेंट के परीक्षा में बहुत सहायक होंगे | Student up board solutions for Class 6 History Chapter 3 नदी घाटी की सभ्यता – हड़प्पा सभ्यता pdf Download करे| up board solutions for Class 6 History Chapter 3 नदी घाटी की सभ्यता – हड़प्पा सभ्यता notes will help you. NCERT Solutions for Class 6 History Chapter 3 नदी घाटी की सभ्यता – हड़प्पा सभ्यता pdf download, up board solutions for Class 6 history.
यूपी बोर्ड कक्षा 6 history के सभी प्रश्न के उत्तर को विस्तार से समझाया गया है जिससे स्टूडेंट को आसानी से समझ आ जाये | सभी प्रश्न उत्तर Latest UP board Class 6 history syllabus के आधार पर बताये गए है | यह सोलूशन्स को हिंदी मेडिअम के स्टूडेंट्स को ध्यान में रख कर बनाये गए है |
अभ्यास
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में सही विकल्प पर सही का निशान (✓) लगाइए :
(अ) सिन्धु घाटी की सभ्यता थी –
(क) ग्रामीण सभ्यता
(ख) नगरीय सभ्यता (✓)
(ग) अर्द्धनगरीय सभ्यता
(ब) मोहनजोदड़ो के नगर बसे थे –
(क) आजकल के गाँवों की तरह
(ख) टेढ़ी-मेढ़ी गलियों में
(ग) एक निश्चित योजना के अनुसार (✓)
प्रश्न 2.
रिक्त स्थान भरिए –
(क) मोहनजोदड़ो का अर्थ मृतकों का टीला है।
(ख) रोपड़ भारत के पंजाब राज्य में, कालीबंगा राजस्थान राज्य में है।
(ग) व्यापार इराक और सिन्धु घाटी के शहरों के बीच होता था।
प्रश्न 3.
सही जोड़े बनाइए (मिलाकर) –
प्रश्न 4.
प्रश्नों के उत्तर लिखिए –
(क) कांसे की बनी नर्तकी की मूर्ति कहाँ से प्राप्त हुई है?
उत्तर :
कांसे की बनी नर्तकी की मूर्ति हड़प्पाकालीन नगर मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुई है।
(ख) हड़प्पा के लोगों का विदेश व्यापार किस देश के साथ होता था?
उत्तर :
हड़प्पा के लोगों का विदेश व्यापार मेसोपोटामिया इराक) के साथ होता था।
(ग) मगज का अविष्कार सर्वप्रथम कहाँ हुआ?
उत्तर :
कागज का आविष्कार सर्वप्रथम चीन में हुआ।
(घ) कौन सी सभ्यता नील नदी का वरदान’ नाम से प्रसिद्ध है?
उत्तर :
मिस्र सभ्यता नील नदी का वरदान’ नाम से प्रसिद्ध है।
प्रश्न 5.
मानचित्र देखकर हड़प्पा कालीन पुरास्थलों की सूची बनाइए।
उत्तर :
स्वयं करें। संकेत- मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, लोथल आदि
प्रश्न 6.
टिप्पणी लिखिए –
उत्तर :
हड़प्पा कालीन नगर निर्माण योजना – हड़प्पा कालीन नगरों का निर्माण एक निश्चित योजना के आधार पर किया गया था। सड़कें चौड़ी थीं तथा वे छोटी-छोटी सड़कों एवं गलियों से जुड़ी थीं। सड़कें पूर्व से पश्चिम की ओर तथा उत्तर से दक्षिण की ओर जाती थीं। सड़कों के किनारे पक्की नालियाँ बनी थीं। हर घर की नाली बड़े नालों से मिल जाती थी। हर नाली में हल्की सी ढाल होती थी। ताकि पानी आसानी से बह सके। इससे पता चलता है कि इस सभ्यता के लोग सफाई और स्वच्छता के प्रति जागरूक थे।
हड़प्पा कालीन व्यापार – हड़प्पा के नगरों से पत्थर, हाथी दाँत, धातु एवं मिट्टी की बनी वस्तुएँ मिली हैं। कुछ विद्वान सोचते हैं कि ये वास्तव में व्यापारियों की मुहरें थीं। ये विभिन्न आकार की हैं। इन मुहरों पर आदमी की आकृतियाँ, कुछ पर जानवरों की, पौधों की और कुछ पर बर्तनों की आकृतियाँ बनी हुई हैं। व्यापारी जब एक जगह से दूसरी जगह सामान भेजते थे तो सामान बाँधकर उस पर गीली मिट्टी छापते होंगे और गीली मिट्टी पर अपनी मुहर से छाप बना देते होंगे ताकि उनके सामान की पहचान बनी रह सके। तौल और नाप के लिए बटखरे और पैमाने का प्रयोग करते थे। ऐसी मुहरें दूसरे देशों में भी पाई गई हैं- खासकर मेसोपोटामिया (इराक) में लगता है कि उन दिनों इराक और हड़प्पा के नगरों के बीच व्यापार होता था।
हड़प्पा कालीन रहन-सहन – चावल, गेहूँ और जौ हड़प्पा वासियो के मुख्य भोज्य पदार्थ थे। ये लोग सूती एवं ऊनी दोनों प्रकार के वस्त्र पहनते थे। यहाँ के निवासी गेहूँ, जौ, कपास, मटर, तिल और चावल की खेती करते थे। ऊँचे कंधों वाले बैल, गाय, भैंस, बकरी, भेड़, सुअर, हाथी और ऊँटे इनके पालतू पशु थे। हार, कंगन, पाजेब (पायल), बाली, अंगूठी उनके प्रिय आभूषण थे। मनका बनाने का कारखाना चन्हूदड़ों से प्राप्त हुआ है।
हड़प्पा कालीन देवी-देवता – हड़प्पावासी मिट्टी से देवी-देवता की मूर्तियाँ बनाते थे। इस प्रकार की एक मातृदेवी की मूर्ति खुदाई में प्राप्त भी हुई है। इसके अलावा पत्थर के चौकोर पट्टे पर एक आकृति के सिर पर भैंसे के सींग का चित्र भी मिला है। उसके चारों तरफ कई जानवर बने हैं। संभवतः सिंधुवासी इन्हें पशुओं का देवता मानकर पूजते थे। कुछ मुहरों पर पीपल की पत्तियाँ और साँप की आकृतियाँ भी। बनी मिली हैं। शायद वे इनकी भी पूजा करते थे। इतिहासकार मानते हैं कि हड़प्पावासी मातृशक्ति की उपासना, शिव की पूजा, वृक्ष पूजा और पशु-पूजा करते थे।
प्रश्न 7.
सिन्धु घाटी के नगरों के बारे में लोगों को कैसे पता चला? हड़प्पा सभ्यता के नष्ट होने के क्या कारण हो सकते थे?
उत्तर :
सन् 1921 में पुरातत्व विदों ने पंजाब प्रांत में हड़प्पी नामक स्थल की खोज की जिसके अध्ययन से ज्ञात हुआ कि यह एक नगरीय सभ्यता के अवशेष हैं। इसी प्रकार सिंध प्रांत में मोहनजोदड़ो की खोज हुई। जब इन स्थलों की विस्तृत खुदाई हुई तो नीचे दबा हुआ पूरा का पूरा शहर निकल आया। धीरे-धीरे खोज आगे बढ़ी और पता चला कि उस समय कई नगर थे। ये सभी नगर सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों की घाटी में बसे हुए थे। हड़प्पा सभ्यता के नष्ट होने के कई कारण हो सकते हैंबाढ़ या भूकंप, महामारी, आक्रमण, आग या फिर आर्यों का आगमन।
प्रश्न 8.
किस कारण सभी प्राचीन सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारे हुआ? (नदियों से विशेष लाभ क्या थे?)
उत्तर :
खेती के लिए पानी की उपलब्धता ने अधिक अन्न उत्पादन में मदद की। इससे व्यापार को बढ़ावा मिला जिससे नगरों का विकास संभव से सका। व्यापार के लिए जलमार्ग सुलभ था। साथ ही नदी मार्ग से व्यापार सस्ता, आसान तथा सुरक्षित था। नगरीय जीवन में कृषि की अपेक्षा अन्य काम-धंधों – को अधिक महत्व मिला। इन काम-धंधों के लिए कच्चे माल की उपलब्धता तथा उससे निर्मित वस्तुओं ने नगरीय जीवन को और उन्नत बनाया। यही कारण है कि सभी प्राचीन सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारे ही हुआ।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित तालिका पूरी करिए –
प्रश्न 10.
सिन्धु घाटी के नगरों से मिलने वाली मुहरों के बारे में चार मुख्य बातें बताइए।
उत्तर :
सिन्धु घाटी के शहरों से प्राप्त मुहरों पर आदमी, जानवरों, पौधों और बर्तनों की आकृतियाँ बनी हुई हैं। एक मिट्टी की मूर्ति मिली है जो शायद उन लोगों की देवी की मूर्ति थी। एक आकृति के सिर पर भैंस का चित्र है। शायद यह पशुओं का देवता था जो पूजा जाता था। एक मुहर पर पीपल की पत्तियाँ और साँप बने हैं। शायद इनकी भी पूजा होती थी।
प्रोजेक्ट वर्क –
- नदियों से क्या-क्या लाभ होते हैं? अपने प्रदेश की मुख्य नदियों के किनारे बसे नगरों की सूची बनाइए।
- आपके घर में मिट्टी से बनी भिन्न-भिन्न वस्तुओं का प्रयोग होता होगा। उन वस्तुओं की सूची बनाएँ। यह भी पता करें कि इन वस्तुओं को कौन बनाता है?
नोट – विद्यार्थी अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।
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आपके भविष्य के लिए शुभकामनाएं!!