UP Board Solutions for Class 4 Hindi Kalrav Chapter 9 सरकस

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UP Board Solutions for Class 4 Hindi Kalrav Chapter 9 सरकस

सरकस शब्दार्थ

कौतूहल – जिज्ञासा
स्वच्छंद = स्वतंत्र
नाहर = सिंह
मनुज = मनुष्य
भय-विस्मय = डर और आश्चर्य
सिंही का जना हुआ है = शेरनी ने जन्म दिया है।

होकर ………………………………………….. अनोखे।

संदर्भ – यह पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘कलरव’ के ‘सरकस’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता ‘राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त’ हैं। इसमें कवि ने सरकस के दृश्यों का वर्णन किया है।

भावार्थ – अपनी जिज्ञासा को शांत करने के उद्देश्य से मैं एक दिन सरकस देखने चला गया। सरकस में अनेक करतब और व्यायाम क्रीड़ाएँ देखीं।

एक बड़ा-सा ……………………………………… बोली।

भावार्थ – थोड़ी देर में एक बड़ा-सा बंदर घेरे में आया। उसने फुर्ती से लैंप जलाया। फिर उसने कुर्सी पर बैठकर किताब खोली और पढ़ने लाग। इतनी देर में मैना ने आकर निम्न प्रकार कहा।

हाजिर है ………………………………………….. उसको फेरा।

भावार्थ – मैना आकर बंदर से बोली कि हुजूर आपका घोड़ा आ गया। बंदर ने चौंककर एक कोड़ा उठा लिया। इतनी देर में एक छोटा घोड़ा आया। बंदर ने उस पर चढ़कर उसे दूसरी तरफ को मोड़ दिया।

एक मनुष्य …………………………………………. बड़ाई।

भावार्थ – अंत में सरकस के घेरे में एक आदमी आया, जो एक शेर को पकड़े हुए था। मैंने मनुष्य और शेर की लड़ाई देखी और मनुष्य की निम्न प्रकार से प्रशंसा की।

कहीं साहसी ……………………………………. भोला।

भावार्थ – मनुष्य और शेर की लड़ाई के विषय में कवि प्रशंसा करते हुए कहता है, “साहसी मनुष्य भी कहीं किसी से डरता है भला! वह तो शेर को भी अपने वश में कर लेता है। तब मेरा एक मित्र बोला कि तुम नादान हो। फिर उसने असली तथ्य की तरफ ध्यान दिलाया।”

यह सिंही ………………………………………….. रहा है।

भावार्थ – इस शेर को जन्म तो शेरनी ने दिया है, परंतु बाह्य वातावरण में इसका लालन-पालन पिंजरे में हुआ है। इस कारण वह अभी गीदड़ बना हुआ है। वह शेर की तरह स्वतंत्र जीवन जीकर बड़ा नहीं हुआ।

छोटे से …………………………………………. दया है।

भावार्थ – मनुष्य ने शेर को जंगल में एक छोटे बच्चे के रूप में पकड़ा। उसे मार-पीटकर प्रशिक्षण दिया और अनेक कार्य/करतब सिखाए। गुलामी का जीवन जीते-जीते वह अपने अस्तित्व को भूल गया है और मनुष्य से डरने लगा हैं। शेर के इस दयनीय रूप को देखकर मुझे इस पर दया आती है।

सरकस अभ्यास प्रश्न

भाव बोध

प्रश्न १.
उत्तर दो
(क) कवि सरकस में क्यों गया?
उत्तर:
कवि सरकस में अपनी जिज्ञासा को शांत करने गया।

(ख) कवि ने सरकस में क्या-क्या देखा?
उत्तर:
कवि ने सरकस में कलाबाजों के अनेक करतब, व्यायाम आदि क्रियाएँ देखीं। उसने बंदर, मैना, घोड़ा (बछेड़ा) और शेर आदि के करतब देखे।

(ग) सरकस के शेर को देखकर कवि के मन में क्या भाव उत्पन्न हुआ?
उत्तर:
सरकस के शेर को देखकर कवि के हृदय में यह विचार पैदा हुआ कि गुलामी में लालन-पालन से शेर गीदड़ बन गया और उसमें शेर जैसे गुण विकसित नहीं हो पाए।

(घ) पिंजड़े में बंद जानवरों-पक्षियों के मन में क्या-क्या विचार उठते होंगे?
उत्तर:
पिंजड़ों में बंद जानवरों/पक्षियों के मन में स्वतंत्र जीवन जीने के विचार उठते होंगे।

प्रश्न २.
नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट करो
(क) ‘होकर कौतूहल के बस में, गया एक दिन मैं सरकस में।’
(ख) ‘कहीं साहसी जन डरता है, नर नाहर को वश करता है।’
(ग) ‘यह सिंही का जना हुआ है, किंतु स्यार यह बना हुआ है।’
नोट – विद्यार्थी इन पंक्तियों के भाव स्पष्ट हेतु इसी पाठ का भावार्थ पढ़ें।

प्रश्न ३.
इनके समानार्थी शब्द लिखो (समानार्थी शब्द लिखकर )
बन्दर – वानर
शेर – सिंह
तोता – शुक
स्वच्छन्द – स्वतन्त्र
मित्र – दोस्त
लड़ाई – युद्ध
स्यार – गीदड़
जन – लोग।

प्रश्न ४.
विलोम शब्द लिखो (विलोम शब्द लिखकर)- .
साहसी – कायर
स्वतन्त्र – परतन्त्र
प्रसन्नता – अप्रसन्नता
दयालु – निर्दय

प्रश्न ५.
कविता की पंक्तियाँ पूरी करो (पंक्तियाँ पूरी करके)
यह पिंजड़े में बंद रहा है, कभी नहीं स्वच्छन्द रहा है।
छोटे से यह पकड़ा आया, मार-मारकर गया सिखाया।

प्रश्न ६.
कविता की दो पंक्तियों का अर्थ दिया जा रहा है। कविता की उन पंक्तियों को ढूँढकर लिखो
गुलामी की रोटियाँ खा-खाकर यह अपनी वीरता तथा पराक्रम की बात भूल गया है। इसे नहीं पता कि मैं शेर हूँ। इसकी दशा पर मुझे दया आ रही है।
उत्तर:
अपने को भी भूल गया है, आती इस पर मुझे दया है।

प्रश्न ७.
दिए गए उदाहरण को पढ़ो और ऐसे तीन वाक्य तुम भी बनाओ जिनमें ‘सा’ का प्रयोग हो।

  • अभिमन्यु-सा वीर बालक बनो।
  • लड़का बन्दर-सा चंचल है।

उत्तर:
(१) कालिदास-सा महान कवि बनो।
(२) बीरबल-सा बुद्धिमान बनो।
(३) श्री कृष्ण-सा नीतिपरक बनो।

प्रश्न ८.
इस कविता में आए तुकांत शब्दों की गिनती करो।
उत्तर:
बस में-सरकस में, आया-जलाया, घोड़ा-कोड़ा, बछेरा-फेरा, आया-लाया-सिखाया, लड़ाई-बड़ाई. डरता है-करता है, बोला-भोला, गया है-दया है।

(ख) ऐसे दस तुकांत शब्द लिखो, जो तुम्हें अच्छे लगते हों।
नोट – विद्यार्थी अपनी इच्छानुसार तुकांत शब्द लिखें।

तुम्हारी कलम से

तमने भी कभी सरकस देखा होगा। सरकस देखने का अपना अनुभव लिखो।
नोट – विद्यार्थी स्वयं लिखें।

अब करने की बारी

प्रत्येक खाने में दिए गए अक्षरों से प्रारंभ होने वाले तुम कितने शब्द सोच सकते हो? उनकी सूची बनाओ। यदि प्रत्येक खाने में दस शब्द लिखते हो तो ‘अच्छा’ यदि बीस शब्द तो ‘बहुत अच्छा’ यदि बीस से ज्यादा तो ‘उत्कृष्ट’। उदाहरण देखो (उत्तर लिखकर)
UP Board Solutions for Class 4 Hindi Kalrav Chapter 9 सरकस 1

UP Board Solutions for Class 4 Hindi Kalrav Chapter 9 सरकस 1

कितना सीखा – २

प्रश्न १.
निम्नलिखित प्रश्नों का मौखिक उत्तर दो(क) वनदेवी ने अंत में राजा से क्या अनुरोध किया और क्यों?
उत्तर:
वनदेवी ने राजा से कहा कि मेरे शरीर को तीन हिस्सों में काटना। ऐसा इसलिए; ताकि उसकी छाया में उगे देवदार के नन्हे पौधे बचे रहें।

(ख) अभिमन्यु ने चक्रव्यूह तोड़ने की कला सीखने के विषय में युधिष्ठिर को क्या बताया?
उत्तर:
अभिमन्यु ने युधिष्ठिर को बताया कि चक्रव्यूह तोड़ने की कला उसने माँ के पेट में ही सीख ली थी; केवल आखिरी द्वार तोड़ना उसे नहीं आता।

(ग) किस आधार पर कह सकते हो कि अभिमन्यु सच्चा वीरपुत्र और साहसी था?
उत्तर:
अभिमन्यु के युद्धकौशल के आधार पर कहा जा सकता है कि वह सच्चा वीरपुत्र और साहसी था।

(घ) तेनालीराम एक बुद्धिमान व्यक्ति था, यह किस घटना से पता चलता है?
उत्तर:
तेनालीराम ने मुरझाए फूल तोड़ डाले। बाग में कम फूल होने पर राजा ने पूछताछ की। तेनालीराम ने कहा कि मैं आपके आदेश का पालन कर रहा हूँ। इस घटना से पता चलता है कि वह बुद्धिमान व्यक्ति था।

(ङ) ‘हाँ में हाँ’ लोक-कथा से क्या संदेश मिलता है?
उत्तर:
हाँ में हाँ’ लोक-कथा से संदेश मिलता है कि चापलूस नहीं होना चाहिए। हम सबको इस प्रवृत्ति से बचना चाहिए।

(च) सरकस के शेर को देखकर कवि और उसके दोस्त के बीच क्या बातचीत हुई?
उत्तर:
सरकस के शेर को देखकर कवि ने शेर को भी वश में करने वाले मानव की प्रशंसा की, तो उसके मित्र ने शेर के पिंजरे में पलने और प्रताड़ित किए जाने के कारण दब्बू और कायर बन जाने की बात कही।

प्रश्न २.
अधूरी पंक्तियाँ पूरी करो (पंक्तियाँ पूरी करके)
एक बड़ा-सा बंदर आया, उसने झटपट लैंप जलाया।
डट कुर्सी पर पुस्तक खोली, आ तब तक मैना यों बोली।

प्रश्न ३.
नीचे दी गई पंक्तियों का भाव स्पष्ट करो
(क) कहीं साहसी जन डरता है, नर नाहर को वश करता है।
(ख) यह सिंही का जना हुआ है, किंतु स्यार यह बना हुआ है।
नोट – विद्यार्थी पंक्तियों के भाव स्पष्ट हेतु पाठ ६ का भावार्थ पढ़ें।

प्रश्न ४.
नीचे दिए गए शब्दों का अपने वाक्यों में प्रयोग करो (प्रयोग करके)
मेजबान – कोलंबो में आयोजित खेलों में मेजबान श्रीलंका विजयी बना।
पर्यावरण – पर्यावरण प्रदूषण आज की विकट समस्या है।
वीरपुत्र – वीरपुत्र युद्ध से नहीं भागते।
प्रतीक्षा – किसी की प्रतीक्षा करना बहुत अखरता है।

प्रश्न ५.
कोष्ठक में दिए गए सर्वनामों में से चुनकर वाक्य पूरा करो (पूरा करके)(वह, उसका, तुम, तुम्हारे)
(क) उसका घर मेरे घर के पास है।
(ख) वह प्रतिदिन व्यायाम करता है।
(ग) तुम्हारे पिता जी का क्या नाम है?
(घ) मुझे विश्वास है कि तुम जरूर आओगे।

प्रश्न ६.
(क) दिए गए शब्दों का विशेषण/क्रिया विशेषण के रूप में प्रयोग करते हुए एक-एक वाक्य बनाओ (वाक्य बनाकर )
वीर – वीर पुरुष युद्ध में पीठ नहीं दिखाते।
धीरे – धीरे – धीरे-धीरे बाढ़ का पानी घटने लगा।
सुंदर – विद्यार्थी के लिए सुंदर लेख जरूरी है।
फूट – फूटकर – श्रवण के माता-पिता फूट-फूटकर रोने लगे।

(ख) एक-एक वाक्य की रचना करो जिसमें, अल्प विराम, पूर्ण विराम तथा प्रश्नवाचक चिह्न का प्रयोग हुआ हो।
उत्तर:
चोर आया, छत पर चढ़ा और फिर भाग गया।
मुझे शोरगुल सुनना पसंद नहीं है। क्या वह अच्छा लड़का नहीं है?

प्रश्न ७.
क्या होता यदि
(क) पिता की अनुपस्थिति में अभिमन्यु युद्धभूमि में न जाता?
उत्तर:
यदि अभिमन्यु युद्धभूमि में न जाता, तो पांडव युद्ध में हारे हुए माने जाते।

(ख) राजा अपने महल के चारों ओर पेड़-पौधे न लगवाता?
उत्तर:
राजा अपने महल के चारों ओर पेड़-पौधे न लगवाता, तो वायु-प्रदूषण हो जाता।

प्रश्न ८.
अपने क्षेत्र में प्रचलित कोई लोककथा सुनाओ।
नोट – विद्यार्थी स्वयं सुनाएँ।

प्रश्न ९.
शब्दों में लगे उपसर्ग को उनके सामने लिखो
शब्द – उपसर्ग
प्रहार –  प्र
विहार – वि
आहार – आ
अनुपस्थित – अन्
निरुत्साहित – निः

प्रश्न १०.
पेड़-पौधे हमारे लिए उपयोगी हैं, विषय पर एक अनुच्छेद में अपने विचार लिखो।
उत्तर:
पेड़-पौधे जीवधारियों के जीवनरक्षक हैं। ये फल-फूल, चारा, लकड़ी/ईंधन देते हैं। वृक्ष वर्षा कराने में सहायक होते हैं। वे पर्यावरण-संतुलित रखने में भी सहायक होते हैं। वृक्ष भूमि-कटाव रोकते हैं। वृक्षों से प्राकृतिक सौंदर्य में वृद्धि होती है। इस प्रकार, हम देखते हैं कि पेड़-पौधे हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं।

अपने आप – २

सत्यवादी हरिश्चन्द्र 

सत्यवादी हरिश्चन्द्र पाठ का सारांश

प्राचीनकाल में सत्यवादी, दानी और परोपकारी राजा हरिश्चन्द्र हुए। मुनि विश्वामित्र ने उनकी दानशीलता की परीक्षा लेनी चाही। उन्होंने सपने में उनका सारा राज-पाट माँग लिया। अगले दिन उन्होंने दक्षिणा में एक हजार स्वर्ण-मुद्राएँ माँगीं। हरिश्चन्द्र ने दक्षिणा चुकाने के लिए स्वयं को बेचने का निर्णय लिया।

एक ब्राह्मण ने पाँच सौ मुद्राओं में तारामती और रोहित को खरीद लिया। कालू ने पाँच सौ मुद्राओं में हरिश्चन्द्र को खरीद लिया। तारामती घरेलू काम करती थी। रोहित फूल-पत्तियाँ और लकड़ी लाता था। हरिश्चन्द्र श्मशान में शव दाह के लिए कर वसूलते थे। एक दिन सर्प के डसने से रोहित की मृत्यु हो गई। तारामती अंत्येष्टि के लिए उसे श्मशान ले गई। हरिश्चन्द्र ने सत्य और धैर्य न छोड़ते हुए शवदाह हेतु तारामती से कर माँगा। रानी के पास कुछ भी नहीं था। विवश होकर उसने आधी साड़ी फाड़कर कर देने की तत्परता दिखाई। तभी विश्वामित्र और देवतागण प्रकट हो गए। उन्होंने हरिश्चन्द्र और तारामती के धैर्य, दानशीलता और न्याय की प्रशंसा करते हुए उन पर पुष्पवर्षा की। रोहित जी उठा और हरिश्चन्द्र का राज्य वापस मिल गया। सत्यवादी हरिश्चन्द्र दानी राजा के रूप में सदा अमर हो गए।

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