UP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi विज्ञान आधारित निबन्ध

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BoardUP Board
ClassClass 12
SubjectSahityik Hindi
ChapterChapter 10
Chapter Nameविज्ञान आधारित निबन्ध
CategoryUP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi विज्ञान आधारित निबन्ध

1. विज्ञान के बढ़ते कदम (2018, 16, 15)
अन्य शीर्षक विज्ञान और मानव जीवन (2018), विज्ञान : वरदान या अभिशाप (2017), विज्ञान की प्रगति और विश्वशान्ति (2015), जीवन में विज्ञान का महत्त्व (2014), विज्ञान की उपलब्धियाँ (2010)
संकेत बिन्दु वरदान के रूप में विज्ञान, विज्ञान के विषय में भ्रान्ति, मानवीय व्यस्तता, विज्ञान का दुरुपयोग, उपसंहार।

वरदान के रूप में विज्ञान हम अपने आस-पास मानव निर्मित जिन चीज़ों को देखते हैं, उनमें से अधिकाधिक चीजें विज्ञान के बल पर ही आकार पाने में सफल हो पाई हैं। विज्ञान ने मानव जीवन को सुखद व सुगम बना दिया है। पहले लम्बी दूरी की। यात्रा करना मनुष्य के लिए अत्यन्त कष्टदायी होता था। अब विज्ञान ने मनुष्य की हर प्रकार की यात्रा को सुखमय बना दिया है।

सड़कों पर दौड़ती मोटरगाड़ियाँ एवं रेलवे स्टेशनों व एयरपोर्ट पर लोगों की भीड़ इसके प्रमाण हैं। पहले मनुष्य के पास मनोरंजन के लिए विशेष साधन उपलब्ध नहीं थे। अब उसके पास मनोरंजन के हर प्रकार के साधन उपलब्ध हैं। रेडियो, टेपरिकॉर्डर से आगे बढ़कर अब एल सी डी, वी सी डी, डी वी डी एवं डी टी एच का जमाना आ गया है। यही नहीं मनुष्य विज्ञान की सहायता से शारीरिक कमजोरियों एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं से पार पाने में अब पहले से कहीं अधिक सक्षम हो गया है|

और यह सब सम्भव हुआ चिकित्सा क्षेत्र में आई वैज्ञानिक प्रगति से। अब ऐसी असाध्य बीमारियों का इलाज भी सम्भव है, जिन्हें पहले लाइलाज समझा जाता था। अब टीबी सहित कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी को प्रारम्भिक स्तर पर ही खत्म करना सम्भव हुआ है। आज हर हाथ में मोबाइल का दिखना भी विज्ञान के वरदान का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है।

विज्ञान के विषय में भ्रान्ति कुछ लोग कहते हैं कि विज्ञान ने आदमी को मशीन बना दिया है, किन्तु यह कहना उचित नहीं है। मशीनों का आविष्कार मनुष्य ने अपनी सुख-सुविधा के लिए किया है। यदि मशीनें नहीं होतीं, तो मनुष्य इतनी तेजी से प्रगति नहीं कर पाता एवं उसका जीवन तमाम तरह के झंझावातों के बीच ही गुम होकर रह जाता। मशीनों से मनुष्य को लाभ हुआ है।

यदि उसे भौतिक सुख-सुविधाएँ प्राप्त हो रही हैं, तो उसमें मशीनों का योगदान प्रमुख है। मशीनों को कार्यान्वित करने के लिए मनुष्य को उन्हें परिचालित करना पड़ता है। इस कार्य में उसे अधिक नहीं परिश्रम करना पड़ता। यदि कोई व्यक्ति मशीन के बिना कार्य करे तो उसे अधिक परिश्रम करने की आवश्यकता पड़ेगी।

इस दृष्टि से देखा जाए तो मशीनों के कारण मनुष्य का जीवन यन्त्रवत् नहीं हुआ | है, बल्कि उसके लिए हर प्रकार का कार्य करना सरल हो गया है। यह विज्ञान का ही | वरदान है कि अब डेबिट-क्रेडिट कार्ड के रूप में लोगों के पर्स में प्लास्टिक मनी आ गई है एवं वह जब भी चाहे, जहाँ भी चाहे रुपये निकाल सकता है। रुपये निकालने के लिए अब बैंकों में घण्टों लाइन में लगने की जरूरत ही नहीं!

मानवीय व्यस्तता यद्यपि, मशीन का आविष्कार मनुष्य ने अपने कार्यों को आसान करने के लिए किया था, किन्तु कोई भी मशीन मनुष्य के बिना अधूरी है। जैसे-जैसे मनुष्य वैज्ञानिक प्रगति करता जा रहा है, उसकी मशीनों पर निर्भरता भी बढ़ती जा रही हैं। फलतः मशीनों को चलाने के लिए उसे यन्त्रवत् उसके साथ व्यस्त राहना पड़ता है। आधुनिक मनुष्य भौतिक सुख-सुविधाओं को प्राथमिकता देता है, इसके लिए वह दिन रात परिश्रम करता है।

वह चाहता है कि उसके पास गाड़ी, बंगला, ऐशोआराम की सभी चीजें हों। इसके लिए वह अपने सुख चैन को भी त्यागकर काम में व्यस्त रहता। इस काम के चक्कर में उसने अपनी जीवनशैली अत्यन्त व्यस्त बना ली है। खासकर शहर के लोगों में यह प्रवृत्ति सामान्यतः दिखाई देती है। मनुष्य ने अपने लिए रोबोट का भी आविष्कार कर लिया, फिर भी उसकी आवश्यकता कम नहीं हुई है। वह दिन-रात अन्तरिक्ष के रहस्यों को जानने के लिए परिश्रम कर रहा है।

विज्ञान का दुरुपयोग कहते हैं दुनिया की किसी भी चीज़ का दुरुपयोग बुरा ‘ होता है। विज्ञान के मामलों में भी ऐसा ही है। विज्ञान का यदि दुरुपयोग किया जाए, तो इसका परिणाम भी बुरा ही होगा। इस दृष्टिकोण से देखा जाए तो विज्ञान का सहयोग मनुष्य के लिए एक अभिशाप के रूप में सामने आया है। विज्ञान की सहायता से मानव ने घातक हथियारों का आविष्कार किया। ये हथियार पूरी मानव सभ्यता का विनाश करने में सक्षम हैं।

द्वितीय विश्वयुद्ध के समय परमाणु बमों के प्रयोग से मानव को जो क्षति हुई, उसकी पूर्ति असम्भव है। विज्ञान की सहायता से मनुष्य ने मशीनों का आविष्कार अपने सुख-चैन के लिए किया, किन्तु अफसोस की बात यह है कि मशीनों के साथ-साथ वह भी मशीन होता जा रहा है एवं उसकी जीवन-शैली भी अत्यन्त व्यस्त हो गई है। विज्ञान की सहायता से मशीनों के आविष्कार के बाद छोटे-छोटे एवं सामान्य कार्यों के लिए भी मशीनों पर निर्भरता बढ़ी है।

परिणामस्वरूप जो कार्य पहले मानव द्वारा किया जाते थे, वे अब मशीनों से पूर्ण किए जाते हैं। यही कारण है कि बेरोजगारी में वृद्धि हुई है। मशीनों के प्रयोग एवं पर्यावरण के दोहन के कारण पर्यावरण सन्तुलन बिगड़ गया है तथा प्रदूषण के कारण मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। यही नहीं, विज्ञान की सहायता से प्रगति के लिए मनुष्य ने पृथ्वी पर मौजूद संसाधनों का व्यापक रूप से दोहन किया है, जिसके कारण उसके लिए ऊर्जा-संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

उपसंहार विज्ञान के दुरुपयोग के कारण यह मनुष्य के लिए विध्वंसक अवश्य लगा है, किन्तु इसमें कोई सन्देह नहीं कि इसके कारण ही मनुष्य का जीवन सुखमय हो सका है और आज हम जो प्रगति एवं विकास की बहार देख रहे हैं, वह विज्ञान के बल पर ही सम्भव हुआ है। इस तरह विज्ञान मानव के लिए सृजनात्मक ही साबित हुआ है। | विज्ञान के दुरुपयोग के लिए विज्ञान को नहीं, बल्कि मनुष्य को दोषी ठहराया जाना चाहिए।

विज्ञान कभी नहीं कहता कि उसका दुरुपयोग किया जाए। इस तरह आज तक विज्ञान की सहायता से तैयार हथियारों के दुरुपयोग के लिए विज्ञान को विध्वंसात्मक कहना विज्ञान के साथ अन्याय करने के बराबर है। विज्ञान को अभिशाप बनाने के लिए मनुष्य दोषी है। अन्ततः देखा जाए तो विज्ञान मनुष्य के लिए वरदान है।

2. मनोरंजन के आधुनिक साधन (2017, 14)

अन्य शीर्षक मनोरंजन के हाई-टेक साधन, मनोरंजन के अत्याधुनिक स्वरूप।।
संकेत बिन्दु भूमिका, टेलीविजन, रेडियो, कम्प्यूटर एवं इण्टरनेट, सिनेमा, उपसंहार।।

भूमिका एक समय था, जब मनोरंजन के लिए लोग शिकार खेला करते थे। सभ्यता में विकास के बाद अन्य खेल लोगों के मनोरंजन के साधन बने। आज भी खेल मनोरंजन के प्रमुख साधन हैं, किन्तु आजकल खेलों को प्रत्यक्ष रूप से देखने के बजाय किसी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से इन्हें देखने वालों की संख्या बढ़ी है। इस समय टेलीविजन, रेडियो तथा इण्टरनेट एवं कम्प्यूटर मनोरंजन के प्रमुख एवं हाई-टेक साधन हैं।

टेलीविजन टेलीविजन आजकल लोगों के मनोरंजन का एक प्रमुख साधन बन चुका है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि टेलीविजन पर हर आयु वर्ग के लोगों के लिए कार्यक्रम मौजूद हैं।

गृहिणियाँ भोजन बनाने वाले कार्यक्रमों सहित सास बहुओं पर आधारित टी.वी. शो देख सकती हैं। बच्चे कार्टून कार्यक्रम सहित तमाम तरह के गीत-संगीत पर आधारित रियलिटी शो देख सकते हैं। पुरुष न्यूज चैनलों के साथ-साथ क्रिकेट मैचों का प्रसारण देख सकते हैं। बुजुर्ग लोग समाचारों, धारावाहिकों के अलावा धार्मिक चैनलों पर सत्संग एवं प्रवचन आदि का आनन्द ले सकते हैं।

रेडियो आधुनिक काल में रेडियो मनोरंजन का एक प्रमुख साधन बनकर उभरा है। रेडियो पर गीत-संगीत के अलावा सजीव क्रिकेट कमेटरी श्रोताओं को आनन्दित तो करती ही है, जब से एफ.एम. चैनलों का पदार्पण भारत में हुआ है, रेडियो की उपयोगिता और बढ़ गई है।

आजकल हम लोगों को मोबाइल फोन के माध्यम से विभिन्न एफ.एम, स्टेशनों को सुनते देखते हैं। रेडियो मिर्ची, रेड एफ.एम., रेडियो सिटी, रेडियो म्याऊ इत्यादि चर्चित एफ.एम. स्टेशन हैं। ये श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन कर रहे हैं। आज एफ.एम. प्रसारण दुनियाभर में रेडियो प्रसारण का पसन्दीदा माध्यम बन चुका है।

इसका एक कारण इससे उच्च गुणवत्ता युक्त स्टीरियोफोनिक आवाज की प्राप्ति भी है। शुरुआत में इस प्रसारण की देशभर में कवरेज केवल 30% थी, किन्तु अब इसकी कवरेज बढ़कर 60% से अधिक तक जा पहुंची है।

कम्प्युटर एवं इण्टरनेट आधुनिक मनोरंजन के साधनों में कम्प्यूटर एवं इण्टरनेट का स्थान अग्रणी है। भारतीय युवाओं में इनका प्रयोग तेजी से बढ़ी है। इण्टरनेट को तो कोई जादू, कोई विज्ञान का चमत्कार, तो कोई ज्ञान का सागर कहता हैं।

आप इसे जो भी कहिए, किन्तु इस बात में कोई सन्देह नहीं कि सूचना क्रान्ति की देन यह इण्टरनेट न केवल मानव के लिए अति उपयोगी साबित हुआ है, बल्कि संचार में गति एवं विविधता के माध्यम से इसने दुनिया को बिल्कुल बदल कर रख दिया है।

इण्टरनेट ने सरकार, व्यापार और शिक्षा को नए अवसर दिए हैं। सरकारें अपने प्रशासनिक कार्यों के संचालन, विभिन्न कर प्रणाली, प्रबन्धन और सूचनाओं के प्रसारण जैसे अनेकानेक कार्यों के लिए इण्टरनेट का उपयोग करती हैं। कुछ वर्ष पहले तक इण्टरनेट व्यापार और वाणिज्य में प्रभावी नहीं था, लेकिन आज सभी तरह के विपणन और व्यापारिक लेन-देन इसके माध्यम से सम्भव हैं।

इण्टरनेट पर आज पत्र-पत्रिकाएँ प्रकाशित हो रही हैं, रेडियो के चैनल उपलब्ध हैं और टेलीविज़न के लगभग सभी चैनल भी मौजूद हैं। इण्टरनेट के माध्यम से मीडिया हाउस ध्वनि और दृश्य दोनों माध्यम के द्वारा ताजातरीन खबरें और मौसम सम्बन्धी जानकारियाँ हम तक आसानी से पहुंचा रहे हैं।
नेता हो या अभिनेता, विद्यार्थी हो या शिक्षक, पाठक हो या लेखक, वैज्ञानिक हो या चिन्तक सबके लिए इण्टरनेट उपयोगी साबित हो रहा है।

सिनेमा बात मनोरंजन के आधुनिक साधनों की हो या पूर्व साधनों की, यह सिनेमा के बिना अधूरी है। सिनेमा पहले भी लोगों के मनोरंजन का एक शक्तिशाली माध्यम था, आज भी है।

आज पारिवारिक एवं हास्य से भरपूर फिल्में दर्शकों का स्वस्थ मनोरंजन कर रही हैं। एक व्यक्ति तनावपूर्ण वातावरण से निकलने एवं मनोरंजन के लिए सिनेमा का रुख करता है, हालाँकि वर्तमान समय में बहुत सी फिल्में हिंसा एवं अश्लीलता का भौण्डा प्रदर्शन भी करती हैं, किन्तु इन जैसी खामियों को दरकिनार कर दें, तो सिनेमा दर्शकों का स्वस्थ मनोरंजन ही करते हैं।

उपसंहार इस प्रकार देखा जाए तो मनोरंजन के इन सभी हाई-टेक साधनों से न सिर्फ हमारा मनोरंजन होता है, बल्कि ये हमारे ज्ञान का विस्तार करने में भी सहायक हैं। इनकी सहायता से हम कठिन से कठिन विषयों को भी बड़ी सुगमता के साथ कम समय में ही ठीक प्रकार से समझ लेते हैं।

अतः हमें जीवन की एकरसता दूर करने व मानसिक स्फूर्ति प्रदान करने हेतु | मनोरंजन के तौर पर सीमित प्रयोग के साथ-साथ इन साधनों का प्रयोग अपने ज्ञान-विज्ञान को परिष्कृत किए जाने में करना चाहिए, तभी हम इनका अधिकाधिक लाभ लेकर अपने समाज तथा देश को उन्नत बना सकेंगे।

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