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Board | UP Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Pedagogy |
Chapter | Chapter 8 |
Chapter Name | Indian Educationist: Mahatma Gandhi (भारतीय शिक्षाशास्त्री-महात्मा गांधी) |
Category | UP Board Solutions |
UP Board Solutions for Class 12 Pedagogy Chapter 8 Indian Educationist: Mahatma Gandhi (भारतीय शिक्षाशास्त्री-महात्मा गांधी)
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1
महात्मा गाँधी के शिक्षा-दर्शन के आधारभूत सिद्धान्त क्या हैं? गाँधी जी के अनुसार शिक्षा के अर्थ एवं उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए।
या
महात्मा गाँधी के अनुसार शिक्षा के उद्देश्यों की विवेचना कीजिए।
उत्तर
महात्मा गाँधी एक प्रमुख राजनीतिज्ञ, दार्शनिक एवं समाज-सुधारक होने के साथ-साथ महान् शिक्षाशास्त्री भी थे। डॉ० पटेल के अनुसार, “गाँधी जी के शिक्षा सम्बन्धी विचारों से यह स्पष्ट है, कि वे पूर्व में शिक्षा सिद्धान्त एवं व्यवहार के प्रारम्भिक बिन्दु हैं।” महात्मा गाँधी ने अपने लेखों एवं भाषणों में अपने शैक्षिक विचारों को व्यक्त किया है। वे शिक्षा को राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं नैतिक प्रगति का आधार मानते थे। गाँधी जी का शिक्षा दर्शन उनके जीवन दर्शन पर आधारित है। गाँधी जी का विचार है कि शिक्षा के द्वारा सत्य, अहिंसा, सेवा, आत्मनिर्भरता आदि को प्राप्त किया जा सकता है। डॉ० पटेल के अनुसार, “गाँधी जी ने उन महान् शिक्षकों एवं उपदेशकों की गौरवपूर्ण मण्डली में अनोखा स्थान प्राप्त किया है, जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र को नवज्योति दी है।”
गाँधी जी के शिक्षा-दर्शन के आधारभूत सिद्धान्त
गाँधी जी ने जिन शिक्षा सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया, उनका विवेचन इस प्रकार है
- साक्षरता स्वयं में शिक्षा नहीं है।
- शिक्षा स्वावलम्बी होनी चाहिए।
- शिक्षा को बालकों की समस्त शक्तियों तथा उनमें निहित गुणों का विकास करना चाहिए।
- शिक्षा किसी दस्तकारी अथवा हस्तकार्य के द्वारा दी जानी चाहिए, जिससे बालकों को | व्यावहारिक बनाया जा सके।
- शिक्षा सह-सम्बन्ध के सिद्धान्त पर आधारित होनी चाहिए।
- शिक्षा द्वारा व्यक्ति के व्यक्तित्व-शरीर, मस्तिष्क तथा हृदय का सर्वांगीण विकास होना चाहिए।
- शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो उत्तम एवं उपयोगी नागरिकों के निर्माण में सहायक हो।
- शिक्षा का जीवन की वास्तविक परिस्थितियों से तथा मौलिक एवं सामाजिक वातावरण से सम्बन्ध होना चाहिए।
- सारे देश में सात वर्ष (7 से 14 वर्ष) तक शिक्षा निःशुल्क होनी चाहिए।
- शिक्षा मातृभाषा के माध्यम से दी जानी चाहिए।
- शिक्षा में प्रयोग, कार्य तथा खोज का स्थान होना चाहिए।
- शिक्षा को बेरोजगारी से बालकों की सुरक्षा करनी चाहिए।
शिक्षा का अर्थ
गाँधी जी ने शिक्षा का अर्थ स्पष्ट करते हुए लिखा है “शिक्षा से मेरा अभिप्राय बालक एवं मनुष्य के शरीर, मस्तिष्क और आत्मा में निहित सर्वोत्तम गुणों के सर्वांगीण विकास से है।” गाँधी जी शिक्षा के द्वारा बालक के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करना चाहते थे। उनका मत था“सच्ची शिक्षा वही है जो बालकों की आध्यात्मिक, मानसिक एवं शारीरिक शक्तियों को व्यक्त और प्रोत्साहित करे।” स्पष्ट है कि गाँधी जी ने शिक्षा के व्यापक अर्थ को स्वीकार किया है।
शिक्षा के उद्देश्य
गाँधी जी ने शिक्षा के दो प्रकार के उद्देश्यों का उल्लेख किया है। ये उद्देश्य हैं-शिक्षा के तात्कालिक उद्देश्य तथा शिक्षा का सर्वोच्च उद्देश्य। शिक्षा के इन दोनों उद्देश्यों का सामान्य परिचय निम्नवर्णित है
1. शिक्षा के तात्कालिक उद्देश्य
गाँधी जी ने शिक्षा के निम्नांकित तात्कालिक उद्देश्य बताये हैं
(i) जीविकोपार्जन का उद्देश्य-गाँधी जी के अनुसार शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति को जीविकोपार्जन के योग्य बनाना है, जिससे वह आत्मनिर्भर हो सके और समाज पर भार न रहे।
(ii) सामंजस्यपूर्ण व्यक्तित्व के विकास का उद्देश्य-गाँधी जी के अनुसार शिक्षा का उद्देश्य बालक की शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्तियों का विकास करना है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि शिक्षा द्वारा बालक की समस्त शक्तियों का सामंजस्यपूर्ण विकास होना चाहिए।
(iii) सांस्कृतिक उद्देश्य-गाँधी जी ने सांस्कृतिक विकास को भी शिक्षा का एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य माना है। उन्होंने संस्कृति को जीवन का आधार माना और इस बात पर बल दिया कि मानव के प्रत्येक व्यवहार पर संस्कृति की छाप होनी चाहिए।
(iv) चारित्रिक विकास का उद्देश्य-गाँधी जी चरित्र-निर्माण के उद्देश्य को बहुत ही महत्त्वपूर्ण मानते थे। चरित्र के अन्तर्गत उन्होंने साहस, बल, सविचार, नि:स्वार्थ, सहयोग, सहिष्णुता, सत्यता आदि गुणों को सम्मिलित किया है। शिक्षा द्वारा वे इन गुणों का विकास करना चाहते थे।
(v) मुक्ति का उद्देश्य-गाँधी जी के अनुसार शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति को सांसारिक बन्धनों से मुक्त करना है और उसकी आत्मा को उत्तम जीवन की ओर उठाना है। वे शिक्षा द्वारा व्यक्ति कोआध्यात्मिक स्वतन्त्रता देना चाहते थे, जिससे कि आत्मा का विकास सम्भव हो सके।
2. शिक्षा का सर्वोच्च उद्देश्य
गाँधी जी ने शिक्षा का सर्वोच्च उद्देश्य आत्मानुभूति एवं ईश्वर की प्राप्ति बतलाया है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए आध्यात्मिक स्वतन्त्रता आवश्यक है। अतः शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो आत्मानुभूति की प्राप्ति अथवा अन्तिम वास्तविकता जानने में व्यक्ति की सहायता करे।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1
गाँधी जी के अनुसार शिक्षा के पाठ्यक्रम का सामान्य विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर
गाँधी जी का विचार था कि शिक्षा का पाठ्यक्रम ऐसा होना चाहिए जो केवल बौद्धिक विकास ही न करे, वरन् बालकों का सामाजिक एवं भौतिक वातावरण से सामंजस्य स्थापित करे, जिससे कि विद्यार्थी समाज के उपयोगी अंग बन सकें और आत्मनिर्भर रह सकें। इस दृष्टि से गाँधी जी ने किसी हस्तकार्य या दस्तकारी के माध्यम से शिक्षा देने का सुझाव रखा और क्रियाप्रधान पाठ्यक्रम की योजना बनायी। उन्होंने शिक्षा के पाठ्यक्रम में निम्नांकित को सम्मिलित किया
- हस्तकौशल-बागवानी, कृषि कार्य, मिट्टी का काम, काष्ठ शिल्प, चर्म शिल्प और धातु शिल्प आदि।
- भाषाएँ-मातृभाषा, प्रादेशिक भाषा, राष्ट्रभाषा।
- सामाजिक विषय-इतिहास, भूगोल और नागरिकशास्त्र आदि।
- सामान्य विज्ञान-विभिन्न वैज्ञानिक विषय, गृह विज्ञान, स्वास्थ्य विज्ञान आदि।
- शारीरिक शिक्षा-खेलकूद, व्यायाम, ड्रिल आदि।
- गणित-अंकगणित, बीजगणित, रेखागणित, नाप-तौल आदि।
- कला-चित्रकला, प्रकृति चित्रण तथा संगीत आदि।
- चारित्रिक शिक्षा-नैतिक तथा समाज सेवा कार्य आदि।
प्रश्न 2
गाँधी जी के अनुसार मुख्य शिक्षण-विधियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
महात्मा गाँधी द्वारा बतायी गयी शिक्षण विधियाँ निम्नलिखित हैं-”
- मनोवैज्ञानिक विधि-इस विधि के अनुसार बालक को लिखने से पहले पढ़ना और अक्षर ज्ञान से पहले चित्रकला सिखानी चाहिए, जिससे उसका समुचित विकास हो सके।
- क्रिया विधि-गाँधी जी ने पुस्तकीय, शिक्षा का विरोध किया और क्रिया द्वारा सीखने पर बल दिया। वे बालकों के हाथों और मस्तिष्क दोनों की एक साथ सक्रिय बनाना चाहते थे। वह किसी हस्तकला के माध्यम से शिक्षा देना चाहते थे, क्योंकि इससे बालकों को क्रिया द्वारा सीखने के अधिक अवसर प्राप्त होते हैं।
- सह-सम्बन्धविधि-गाँधी जी ने सह-सम्बन्ध विधि को स्वीकार करते हुए किसी हस्तकला को केन्द्र बनाकर उसी के माध्यम से सभी विषयों की शिक्षा देने का समर्थन किया है।
- अनुकरण विधि-गाँधी जी ने अनुकरण विधि का भी समर्थन किया है। उनका कहना है कि बालक अपने माता-पिता व शिक्षकों आदि के क्रिया-कलापों का अनुकरण करके भी बहुत कुछ सीख सकते हैं।
- अनुभव विधि-गाँधी जी का मत था कि अपने अनुभव से प्राप्त किया हुआ ज्ञान अधिक स्थायी होता है। इस प्रकार प्राप्त किए हुए ज्ञान का बालक अपने व्यावहारिक जीवन में सफलतापूर्वक प्रयोग कर सकते हैं।
- मौखिक विधि-नये तथ्यों को प्रदान करने के लिए गाँधी जी ने मौखिक विधि के प्रयोग को आवश्यक बताया है। इसके अन्तर्गत प्रश्नोत्तर विधि, व्याख्यान, कहानी, वाद-विवाद, निर्देश आदि सम्मिलित
- संगीत विधि-गाँधी जी ने शारीरिक ड्रिल तथा हस्तकला कौशल की शिक्षा में अंगों के संचालन को लयबद्ध करने और क्रिया में बालकों की रुचि उत्पन्न करने के लिए संगीत का प्रयोग बहुत उपयोगी बताया है।
प्रश्न 3
शिक्षा के क्षेत्र में गाँधी जी के योगदान का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
शिक्षा के क्षेत्र में गाँधी जी के योगदान को निम्नवत् स्पष्ट किया जा सकता है|
- शिक्षा के नवीन सिद्धान्त व प्रयोग-गाँधी जी ने शिक्षा के सिद्धान्तों एवं प्रयोगों में नवीन विचारधारा का समावेश किया। उन्होंने बेसिक शिक्षा योजना में अपने शैक्षिक विचारों का प्रयोग किया और चरित्र, ज्ञान एवं क्रिया के विकास के सिद्धान्त खोज निकाले।
- भारतीय विचारकों पर प्रभाव-गाँधी जी के शिक्षा सम्बन्धी विचारों से न केवल जनसाधारण, अपितु बौद्धिक वर्ग भी प्रभावित हुए बिना न रह सका। परिणामस्वरूप भारतीय विचारक वर्ग यथार्थवादी दृष्टिकोण अपनाने लगा, जिसका दिग्दर्शन भारतीय शिक्षा के बदलते हुए स्वरूप में किया जा सकता है।
- राष्ट्रीय शिक्षा में योगदान-गाँधी जी ने राष्ट्रीय शिक्षा का समर्थन किया और बेसिक शिक्षा योजना को राष्ट्रीय शिक्षा का आधार बनाया।
- जनसाधारण की शिक्षा-गाँधी जी ने प्रौढ़ शिक्षा, ग्रामीण शिक्षा, समाज-सुधार की शिक्षा आदि आन्दोलनों का सूत्रपात करके जनसाधारण की शिक्षा को व्यावहारिक रूप प्रदान किया।
अन्त में हम कह सकते हैं कि महात्मा गाँधी एक उच्चकोटि के शिक्षाशास्त्री थे और उनके विचार मौलिक थे। हुमायूँ कबीर के शब्दों में, “गाँधी जी की राष्ट्र को बहुत-सी देनों में से नवीन शिक्षा के प्रयोग की देन सर्वोत्तम है।”
प्रश्न4
गाँधी जी की शैक्षिक विचारधारा वर्तमान शिक्षा-व्यवस्था में कितनी प्रासंगिक है?
उत्तर
गाँधी जी ने अपनी शैक्षिक विचारधारा उस समय प्रस्तुत की थी जब भारत में ब्रिटिशु-शासन था तथा ब्रिटिश शासन के कुछ निहित उद्देश्यों के लिए ही शिक्षा-व्यवस्था की गयी थी। आज देश की परिस्थितियाँ काफी बदल गयी हैं। इस स्थिति में गाँधी जी की शैक्षिक विचारधारा कुछ क्षेत्रों में तो आज भी महत्त्वपूर्ण मानी जाती है, जब कि कुछ पक्षों का अब कोई व्यावहारिक महत्त्व नहीं है। सर्वप्रथम अनिवार्य एवं नि:शुल्क प्राथमिक शिक्षा की धारणा आज भी उतनी ही महत्त्वपूर्ण है। इसी प्रकार स्त्री-शिक्षा तथा प्रौढ़ शिक्षा को प्रोत्साहन देने की बात भी समान रूप से महत्त्वपूर्ण मानी जा रही है।
गाँधी जी के आत्मानुशासन की धारणा भी हर किसी को मान्य है। शिक्षा के माध्यम से बालक के सर्वांगीण विकास की मान्यता भी उचित है। इससे भिन्न गाँधी जी द्वारा हस्तकलाओं को दी जाने वाली अतिरिक्त मान्यता आज की परिस्थितियों में प्रासंगिक नहीं मानी जाती। बेसिक शिक्षा प्रणाली में शिक्षा के खर्च के लिए बालकों द्वारा निर्मित वस्तुओं की बिक्री की बात कही गयी थी। यह अव्यावहारिक तथा अप्रासंगिक है। इसी प्रकार आज विज्ञान की शिक्षा की अत्यधिक आवश्यकता है, जब कि गाँधी जी की विचारधारा में यह मान्यता नहीं थी। इस प्रकार स्पष्ट है कि वर्तमान शिक्षा-व्यवस्था में गाँधी जी की शैक्षिक विचारधारा एक सीमित रूप में ही प्रासंगिक है।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1
गाँधी जी की अनुशासन सम्बन्धी मान्यता का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
गाँधी जी जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अनुशासन को विशेष महत्त्वपूर्ण एवं आवश्यक मानते थे। शिक्षा के क्षेत्र में विद्यार्थियों के लिए भी वे अनुशासन को अति आवश्यक मानते थे परन्तु वे अनुशासन स्थापित करने के लिए हर प्रकार के दण्ड के विरुद्ध थे, अर्थात् वे दमनात्मक अनुशासन के विरुद्ध थे। गाँधी जी आत्मानुशासन के समर्थक थे। अनुशासन को बनाये रखने के उपायों का उल्लेख करते हुए गाँधी जी कहते थे कि यदि विद्यार्थियों को क्रियाशील एवं व्यस्त रखा जाए तो अनुशासनहीनता की समस्या ही नहीं उठती। यही कारण था कि उन्होंने बेसिक शिक्षा-प्रणाली में क्रियाओं को अधिक महत्त्व दिया है।
प्रश्न 2
गाँधी जी के अनुसार शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षक के आवश्यक गुणों एवं भूमिका का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
गाँधी जी का कथन था कि शिक्षा की बहुत कुछ सफलता शिक्षकों पर निर्भर है। अत: शिक्षक ऐसे होने चाहिए जो मानवीय गुणों से युक्त हों, बालकों की जिज्ञासा और उत्सुकता को बढ़ाएँ और उनकी भावनाओं, रुचियों और आवश्यकताओं का मार्गदर्शन करें तथा उनकी चिन्ताओं व समस्याओं को सुलझाएँ। उन्हें स्थानीय परिस्थितियों का पूर्ण ज्ञान हो जिससे कि वे स्थानीय व्यवसायों, हस्तकार्यों एवं उद्योग-धन्धों की शिक्षा के लिए उनका सफलतापूर्वक उपयोग कर सकें। गाँधी जी के अनुसार शिक्षकों को बालकों का विश्वासपात्र बन जाना चाहिए और उन्हें अपने उत्तरदायित्वों को पूर्णरूप से निभाने का प्रयास करना चाहिए।
प्रश्न 3
स्त्री-शिक्षा के विषय में गाँधी जी के विचारों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
गाँधी जी का विचार था कि भारतीय समाज के उत्थान, विकास एवं प्रगति के लिए स्त्रियों की दशा को सुधारना आवश्यक है। इसके लिए स्त्रियों को ऐसी शिक्षा देनी चाहिए जिससे स्त्रियाँ अपने कर्तव्यों और अधिकारों से परिचित हो जाएँ। इसके लिए वे स्त्रियों को गृह विज्ञान, पाक-शास्त्र, गृह परिचर्या, बाल मनोविज्ञान, स्वास्थ्य व सफाई के नियम आदि तथा सामान्य शिक्षा प्रदान करने के पक्ष में थे। वे स्त्रियों को सामाजिक कार्यों के लिए भी शिक्षा देना चाहते थे।
प्रश्न 4
प्रौढ़-शिक्षा के विषय में गाँधी जी के विचारों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
गाँधी जी प्रौढ़-शिक्षा की व्यवस्था को आवश्यक मानते थे। वे प्रौढ़-शिक्षा के द्वारा भारतीयों को इसे योग्य बनाना चाहते थे, जिससे वे समाज के साथ अपना समायोजन कर सकें। गाँधी जी ने प्रौढ़-शिक्षा का एक विस्तृत कार्यक्रम बनाया, जिसके द्वारा उन्होंने प्रौढ़ों के ज्ञान, स्वास्थ्य, अर्थ, संस्कृति एवं सामाजिकता का विकास करने का प्रयास किया। प्रौढ़-शिक्षा के पाठ्यक्रम में उन्होंने साक्षरता प्रसार, सफाई, स्वास्थ्य-रक्षा, समाज-कल्याण, व्यवसाय, उद्योग, पारिवारिक बातें, संस्कृति, नैतिकता आदि को सम्मिलित किया।
प्रश्न 5
धार्मिक शिक्षा तथा राष्ट्रीय शिक्षा के विषय में गाँधी जी के विचारों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
गाँधी जी के अनुसार व्यक्ति के अन्दर सब गुणों एवं मूल्यों को विकास करना ही उसे धार्मिक शिक्षा देना है। धार्मिक शिक्षा के अन्तर्गत गाँधी जी ने सार्वभौमिक धर्म के सिद्धान्तों एवं उपदेशों का ज्ञान तथा सत्य, अहिंसा और प्रेम की शिक्षा को सम्मिलित किया था। गाँधी जी का मत था कि राष्ट्रीय शिक्षा के माध्यम से ऐसी शिक्षा देनी चाहिए जो राष्ट्रीय भावना, देशप्रेम एवं जागरूकता की भावना का विकास करे। इसके लिए उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा की एक योजना का भी निर्माण किया, जो बेसिक शिक्षा के नाम से विख्यात है।
निश्चित उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1
गाँधी जी के अनुसार शिक्षा का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
गाँधी जी के अनुसार व्यक्ति के शरीर, मस्तिष्क और आत्मा में निहित सर्वोत्तम गुणों का सर्वांगीण विकास ही शिक्षा है।
प्रश्न 2
गाँधी जी के अनुसार शिक्षा का सर्वोच्च उद्देश्य क्या है?
या
गाँधी जी की शिक्षा प्रणाली में शिक्षा का अन्तिम उद्देश्य क्या है?
उत्तर
गाँधी जी के अनुसार शिक्षा का सर्वोच्च उद्देश्य आत्मानुभूति तथा ईश्वर की प्राप्ति है।
प्रश्न 3
जन-शिक्षा के विषय के गाँधी जी का क्या विचार था?
उत्तर
गाँधी जी जन-शिक्षा के प्रबल समर्थक थे, उनके अनुसार प्रत्येक व्यक्ति का शिक्षित होना | अनिवार्य है।
प्रश्न4
गाँधी जी के शिक्षा-दर्शन पर आधारित शिक्षा-प्रणाली किस नाम से जानी जाती है?
या
महात्मा गाँधी जी ने कौन-सी शिक्षा-पद्धति बनायी थी?
उत्तर
गाँधी जी के शिक्षा-दर्शन पर आधारित शिक्षा-प्रणाली है-बेसिक शिक्षा-प्रणाली।
प्रश्न 5
गाँधी जी किस प्रकार के अनुशासन के विरुद्ध थे तथा उन्होंने किस प्रकार के अनुशासन का समर्थन किया है?
उत्तर
गाँधी जी दमनात्मक अनुशासन के विरुद्ध थे तथा उन्होंने आत्मानुशासन का समर्थन किया
प्रश्न 6
गाँधी जी के अनुसार छात्रों को अनुशासित रखने का सर्वोत्तम उपाय क्या है?
उत्तर
गाँधी जी के अनुसार छात्रों को अनुशासित रखने का सर्वोत्तम उपाय है उन्हें क्रियाशील रखना।
प्रश्न 7
“महात्मा गाँधी की देश की बहुत-सी देनों में से बेसिक शिक्षा के प्रयोग की देन सर्वोत्तम है।” यह कथन किसका है?
उत्तर
प्रस्तुत कथन हुमायूँ कबीर का है।
प्रश्न8
किस भारतीय शिक्षाशास्त्री ने सत्य और ईश्वर की अनुभूति के लिए अहिंसा को ही एकमात्र साधन समझा?
उत्तर
मोहनदास करमचन्द गांधी ने।
प्रश्न 9
निम्नलिखित कथन सत्य हैं या असत्य
- गाँधी जी के अनुसार साक्षरता स्वयं में शिक्षा नहीं है।
- गाँधी जी का शिक्षा-दर्शन उनके जीवन-दर्शन से सम्बन्धित है।
- गाँधी जी के शैक्षिक-विचार कोरे सैद्धान्तिक थे।
- गाँधी जी शिक्षा में शारीरिक श्रम को विशेष महत्त्व देते थे।
- गाँधी जी स्त्री-शिक्षा के समर्थक नहीं थे।
उत्तर
- सत्य
- सत्य
- असत्य
- सत्य
- असत्य
बहुविकल्पीय प्रश्न
निम्नलिखित प्रश्नों में दिये गये विकल्पों में से सही विकल्प का चुनाव कीजिए
प्रश्न 1
महात्मा गाँधी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
(क) 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबन्दर में
(ख) 10 अक्टूबर, 1891 को बोरीबन्दर में
(ग) 20 अक्टूबर, 1902 को कटक में
(घ) 15 जनवरी, 1904 को पूना में
उत्तर
(क) 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबन्दर में
प्रश्न 2
महात्मा गाँधी द्वारा प्रतिपादित शिक्षा योजना का नाम था
(क) वर्धा योजना
(ख) स्त्री-शिक्षा योजना
(ग) बेसिक शिक्षा योजना
(घ) गुरुकुल योजना
उत्तर
(ग) बेसिक शिक्षा योजना
प्रश्न 3
गाँधी जी द्वारा प्रतिपादित शिक्षा का मुख्य उद्देश्य है
(क) जीविकोपार्जन
(ख) व्यक्तित्व का विकास
(ग) अहिंसा-पालन
(घ) व्यावसायिक विकास
उत्तर
(ख) व्यक्तित्व का विकास
प्रश्न 4
गाँधी जी के अनुसार शिक्षा का माध्यम होना चाहिए
(क) हिन्दी .
(ख) अंग्रेजी
(ग) मातृभाषा
(घ) विदेशी भाषा
उत्तर
(ग) मातृभाषा
प्रश्न 5
गाँधी जी ने किस शिक्षा पर बहुत कम बल दिया?
(क) गणित
(ख) विज्ञान
(ग) हस्तकला
(घ) स्त्री-शिक्षा
उत्तर
(ख) विज्ञान
प्रश्न 6
गाँधी जी शिक्षा द्वारा कैसा समाज स्थापित करना चाहते थे?
(क) अहिंसक समाज
(ख) राज्यरहित समाज
(ग) सर्वोदयी समाज
(घ) रामराज्य
उत्तर
(ग) सर्वोदयी समाज
प्रश्न 7
“सच्ची शिक्षा वही है जो बालकों की आध्यात्मिक, मानसिक एवं शारीरिक शक्तियों कये व्यक्त और प्रोत्साहित करे।” यह कथन किसका है?
(क) रवीन्द्रनाथ टैगोर का
(ख) महात्मा गाँधी का
(ग) एनी बेसेण्ट का
(घ) जवाहरलाल नेहरू का
उत्तर
(ख) महात्मा गाँधी का
प्रश्न 8
निम्न में से कौन एक गाँधी जी की शिक्षा योजना नहीं थी?
(क) बेसिक शिक्षा
(ख) वर्धा योजना
(ग) नई तालीम
(घ) हस्तशिल्प शिक्षा
उत्तर
(ग) नई तालीम
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