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यूपी बोर्ड कक्षा 12 Pedagogy के सभी प्रश्न के उत्तर को विस्तार से समझाया गया है जिससे स्टूडेंट को आसानी से समझ आ जाये | सभी प्रश्न उत्तर Latest UP board Class 12 Pedagogy syllabus के आधार पर बताये गए है | यह सोलूशन्स को हिंदी मेडिअम के स्टूडेंट्स को ध्यान में रख कर बनाये गए है |
Board | UP Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Pedagogy |
Chapter | Chapter 14 |
Chapter Name | Problem of Educational Standard (शैक्षिक स्तर की समस्या) |
Category | UP Board Solutions |
UP Board Solutions for Class 12 Pedagogy Chapter 14 Problem of Educational Standard (शैक्षिक स्तर की समस्या)
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1
शैक्षिक स्तर से आप क्या समझते हैं। भारत में शैक्षिक स्तर के निम्न होने के कारण तथा इस समस्या के समाधान के उपायों का उल्लेख कीजिए।
या
शैक्षिक स्तर से आप क्या समझते हैं? भारतीय शिक्षा व्यवस्था में शैक्षिक स्तर के ह्रास के कारणों को स्पष्ट कीजिए। [2016]
या
ऐसा कहा जाता है कि “भारत में शैक्षिक स्तर लगातार गिरता जा रहा है। आप इस कथन से कहाँ तक सहमत हैं? सविस्तार लिखिए। [2014]
या
शैक्षिक स्तर के पतन के क्या कारण हैं ? शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए सुझाव दीजिए। [2007, 11]
या
शैक्षिक स्तर से आप क्या समझते हैं ? भारत में शिक्षा के स्तर में गिरावट के कारण बताइए। [2008, 10]
या
भारत में शैक्षिक स्तर के निम्न होने के मुख्य कारण क्या हैं? [2007, 08, 11]
उत्तर :
शैक्षिक स्तर का अर्थ
मनोवैज्ञानिक रूप से एक अवस्था विशेष के बालकों के लिए पाठ्यक्रम निर्धारित करने को शैक्षिक स्तर कहा जाता है। यह ध्यान रखा जाता है कि बालक उसका ज्ञान इस प्रकार प्राप्त कर लें कि उस स्तर की सैद्धान्तिक और प्रयोगात्मक दोनों परीक्षाओं में सफलता प्राप्त कर सकें और प्राप्त किये हुए ज्ञान का अपने जीवन में प्रयोग कर सकें। समय-समय पर किये गये सर्वेक्षण एवं परीक्षणों द्वारा ज्ञात हुआ है कि हमारे देश में शैक्षिक स्तर सामान्य से निम्न है। नगरीय क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण तथा दूर-दराज के क्षेत्रों में बालक-बालिकाओं को शैक्षिक स्तर पर्याप्त निम्न है। शैक्षिक स्तर को निम्न होना अपने आप में एक गम्भीर समस्या है। इससे शिक्षा के क्षेत्र में अपव्यय तथा अवरोधन की समस्या भी प्रबल है।
शैक्षिक स्तर के निम्न होने के कारण
वर्तमान में प्रतिवर्ष अनुत्तीर्ण छात्रों की संख्या में निरन्तर वृद्धि होती जा रही है। सन् 1992 की बोर्ड की हाईस्कूल परीक्षा में मात्र 13 प्रतिशत विद्यार्थी उत्तीर्ण हो सके। इसके साथ ही उत्तीर्ण छात्रों में प्राप्त किये हुए ज्ञान को व्यवहार में प्रयोग करने की क्षमता भी घटती जाती है। यह शैक्षिक स्तर की एक महत्वपूर्ण समस्या है। शैक्षिक स्तर गिरने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं।
1. शिक्षण पद्धति तथा शिक्षकों की अयोग्यता :
आज की दोषपूर्ण शिक्षा पद्धति और शिक्षकों की अयोग्यता के कारण ही शिक्षा का स्तर बहुत गिर गया है।
2. कम वेतन एवं सुविधाएँ :
शैक्षिक स्तर गिरने का एक मुख्य कारण यह है कि अध्यापकों को वेतन बहुत कम मिलता है और उन्हें सुविधाएँ भी कम मिलती हैं। आर्थिक संकट के कारण वे ट्यूशन करते हैं और अपनी कक्षाओं में अध्ययन के प्रति उदासीन रहते हैं।
3. शिक्षा संगठन दोषपूर्ण :
दोषपूर्ण शिक्षा संगठन के कारण भी शैक्षिक स्तर को ऊँचा नहीं उठाया जा सकता है। कक्षाओं में विद्यार्थियों की संख्या इतनी अधिक रहती है कि शिक्षक न तो ठीक से अनुशासन रख पाता है और न सभी छात्रों से व्यक्तिगत सम्पर्क ही रख पाता है। परिणामस्वरूप शिक्षक अध्ययन कार्य को एक भार समझ लेता है और शिक्षा के स्तर पर कोई ध्यान नहीं देता।
4. प्रबन्ध समितियों का अनुचित हस्तक्षेप :
प्रबन्ध समितियाँ शिक्षा संस्थाओं के कार्यों में अनुचित हस्तक्षेप व अध्यापकों का शोषण करती हैं, जिससे शिक्षक सदा मानसिक अशान्ति से ग्रस्त रहने हैं और पूरी कर्तव्यपरायणता से कार्य नहीं करते।
5. पाठ्यक्रम निर्धारण में शिक्षकों की उपेक्षा :
पाठ्यक्रम का निर्धारण करते समय शिक्षकों की पूर्णरूप से उपेक्षा की जाती है। पाठ्यक्रम का निर्धारण वे व्यक्ति करते हैं, जो शिक्षा के सिद्धान्तों एवं शिक्षण पद्धति तथा शिक्षकों की शिक्षण प्रणालियों से अनभिज्ञ होते हैं। कभी-कभी पाठ्यक्रम इतना अयोग्यता विस्तृत बना दिया जाता है कि शिक्षक किसी-न-किसी प्रकार पाठ्यक्रम को पूरा कर पाते हैं परन्तु शिक्षा के स्तर पर ध्यान नहीं दे पाते।
6. दोषपूर्ण परीक्षा प्रणाली :
वर्तमान परीक्षा प्रणाली भी हस्तक्षेप अत्यन्त दोषपूर्ण है। अध्यापकों को इतनी अधिक संख्या में उत्तर-पुस्तिकाएँ जाँचने को दी जाती हैं कि छात्रों के कार्य का सही की उपेक्षा तरीके से मूल्यांकन नहीं हो पाता है।
7. परीक्षा में अनुचित साधनों का प्रयोग :
शिक्षकों की उदासीनता और विद्यालयी वातावरण के कारण सत्र के प्रारम्भ में छात्र पढ़ाई में बिल्कुल ध्यान नहीं देते और परीक्षा के समय के अनुचित साधनों का प्रयोग करके उत्तीर्ण होने की चेष्टा करते हैं। परीक्षा में नकल करने की प्रवृत्ति ने शिक्षा के स्तर को अत्यधिक गिरा दिया है।
8. अनुशासनहीनता :
आजकल छात्रों में अनुशासनहीनता भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। हड़ताल व विद्यालय की तालाबन्दी एक आम बात हो गयी है। इस कारण छात्र अपना ध्यान अध्ययन कार्य पर केन्द्रित नहीं कर पाते हैं।
9. समाज का दूषित वातावरण :
आज के समाज में व्याप्त दलबन्दी, जातिवाद, सम्प्रदायवाद आदि ने विद्यालय के वार्तावरण को भी दूषित कर दिया है, जिसका कुप्रभाव छात्रों के अध्ययन पर पड़ता हैं।
10. विद्यालयों में शैक्षिक सुविधाओं का अभाव :
बहुत – से विद्यालयों में भवनों तथा शैक्षिक सामग्री का अभाव पाया जाता है, परिणामस्वरूप अध्यापन कार्य सुचारु रूप से नहीं चल पाता है।
11. राजनीतिक गतिविधियाँ :
विभिन्न राजनीतिक दल अपने निहित स्वार्थों के लिए शिक्षण-संस्थाओं में भी विभिन्न प्रकार की राजनीतिक गतिविधियाँ सक्रिय रखते हैं। छात्र-संघ के चुनावों के अवसर पर ये गतिविधियाँ अधिक बढ़ जाती हैं। इन परिस्थितियों में छात्रों की शिक्षा सुचारु रूप से नहीं चल पाती तथा शैक्षिक स्तर निम्न हो जाता है।
समस्याओं का समाधान
शैक्षिक स्तर के निम्न होने की समस्या का समाधान करने और शैक्षिक स्तर को ऊँचा उठाने के लिए सरकार को निम्नलिखित उपाय करने चाहिए
- पूर्व : प्राथमिक और प्राथमिक कक्षाओं से ही शिक्षा के स्तर को ऊँचा उठाने का प्रयास किया जाए।
- शिक्षा के संगठन और प्रशासन को चुस्त और व्यवस्थित किया जाए।
- विद्यालयों में प्रबन्धकों का अनुचित हस्तक्षेप बन्द किया जाए और शिक्षा का राष्ट्रीयकरण कर दिया जाए।
- शिक्षकों को समय पर उचित वेतन दिया जाए और अन्य आवश्यक सुविधाएँ प्रदान की जाएँ।
- पाठ्यक्रम को वैज्ञानिक और व्यवस्थित रूप दिया जाए।
- शिक्षकों की ट्युशनबाजी की प्रवृत्ति पर रोक लगाई जाए।
- विद्यार्थी को प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद ही कक्षा में प्रवेश दिया जाए।
- पाठ्यक्रम सम्बन्धी गैस पेपर्स व कुंजियों आदि पर रोक लगाई जाए।
- छात्रों के हित के लिए निर्देश एवं परामर्श केन्द्रों की स्थापना की जाए।
- परीक्षा और मूल्यांकन प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन किया जाए।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1
भारत में शैक्षिक स्तर के निम्ने होने के मुख्य कारण क्या हैं? [2007, 08, 11]
या
आप कैसे कह सकते हैं कि भारत में शिक्षा के स्तर में गिरावट है? यदि हाँ तो उसके कारणों का उल्लेख कीजिए। [2008]
उत्तर :
वर्तमान समय में विभिन्न स्तर के विद्यालयों में शिक्षा का स्तर निरन्तर गिर रहा है। आज कोई भी छात्र ज्ञान प्राप्ति करने के लिए नहीं बल्कि डिग्री प्राप्त करने के लिए पढ़ रहा है। आज ज्ञान-प्राप्त के प्रति कोई भी ईमानदार नहीं है। कम-से-कम श्रम द्वारा परीक्षा में उत्तीर्ण होना ही अभीष्ट है। इस स्थिति में हम निश्चित रूप से कह सकते हैं कि शिक्षा के स्तर में गिरावट आई है। शिक्षा के प्रति दृष्टिकोण बदल गया है। शिक्षा के स्तर में गिरावट के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं।
- समाज व समुदाय का दूषित वातावरण; जैसे–दलबन्दी, सम्प्रदायवाद, जातिवाद आदि। हमें यह सदैव ध्यान में रखना चाहिए कि विद्यालय वृहत् सामाजिक व्यवस्था के अंग हैं। यदि समाज का वातावरण ही ठीक नहीं है तो विद्यालय इससे अधिक देर तक बचे नहीं रह सकते हैं।
- विद्यालयों में छात्रों की भीड़ अत्यधिक बढ़ती जा रही है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी यह निम्न शैक्षिक स्तर हेतु एक प्रमुख कारण है।
- आज विद्यालयों में वांछित सुविधाओं एवं साधनों का पर्याप्त अभाव हो चुका है। प्रयोगात्मक विषयों में प्रयोगशाला सम्बन्धी सुविधाओं का नितान्त अभाव ही है। यह भी शैक्षिक स्तर के निम्न होने का एक कारण है।
- छात्रों की हड़तालों व गुटबन्दी तथा राजनीतिज्ञों के हस्तक्षेप के कारण भी पढ़ने-पढ़ाने में बाधा उत्पन्न होती है तथा शैक्षिक स्तर निम्न हो जाता है।
- शिक्षा के प्रति छात्रों में अनुचित धारणाओं का निरन्तर विकास हो रहा है। इससे भी शैक्षिक स्तर निम्न हो रहा है।
- मूल्यांकन प्रणाली दोषपूर्ण है।
- परीक्षा में बढ़ती हुई नकल की प्रवृत्ति भी इसका एक प्रमुख कारण है।
- अध्यापकों का शोषण एवं सही निर्देशन का अभाव, शैक्षिक स्तर के उन्नयन के मार्ग में एक अन्य बाधा है।
प्रश्न 2
शैक्षिक स्तर के उन्नयत व सुधार के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए? [2007, 08, 10, 11]
उत्तर :
भारत में शिक्षा के स्तर विशेष रूप से प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा के स्तर को ऊँचा उठाने व उसमें सुधार लाने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं
- पूर्व : प्राथमिक व प्राथमिक कक्षाओं से ही शिक्षा के स्तर में सुधार के प्रयत्न किए जाएँ। अगर इस स्तर पर शिक्षार्थी अनुशासित हो जाए और शिक्षा के महत्त्व को समझ ले तो अगले स्तरों पर शिक्षा का स्तर अपने आप ही अच्छा हो जाएगा।
- शिक्षा की दिशा एवं व्यवस्था पहले से ही निश्चित की जाए।
- पाठ्यक्रम सुसंगठित एवं छात्र/छात्राओं के लिए उपयोगी हो।
- विद्यालयों में छात्रों की बढ़ती हुई संख्या पर नियन्त्रण रखा जाए तथा आवश्यकतानुसार नए विद्यालय खोले जाएँ।
- अध्यापकों को उचित वेतन तथा सुविधाएँ प्रदान की जाएँ। उनकी सभी उचित माँगों पर सहानुभूति से विचार किया जाना चाहिए।
- परीक्षा या मूल्यांकन प्रणाली में सुधार हो। प्रश्न-पत्रों में वस्तुनिष्ठ ढंग के प्रश्न सम्मिलित किए जाएँ, विद्यालय में ही परीक्षा ली जाएं तथा शिक्षार्थियों के सामूहिक अभिलेख रखे जाएँ।
- पर्याप्त संख्या में निर्देशन एवं परामर्श केन्द्र खोले जाएँ, जहाँ छात्रों की योग्यता एवं अभिरुचि की जाँच हो और तदनुकूल उन्हें शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था की जाए।
- समाज के लोगों तथा छात्रों की धारणा शिक्षा के प्रति अच्छी हो।
- राज्य एवं समाज के द्वारा शिक्षा के अच्छे अवसर प्रदान किए जाएँ।
- समय-समय पर गोष्ठियों, सेमिनार आदि का आयोजन किया जाए।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1
आपके विचारानुसार शिक्षा के स्तर को ऊँचा उठाना क्यों आवश्यक है?
उत्तर :
विभिन्न कारणों से हमारे देश में शिक्षा का स्तर सामान्य से निम्न है; अतः शिक्षा के स्तर को , ऊँचा उठाना अति आवश्यक है। वास्तव में देश की प्रगति एवं व्यक्तिगत कुशलता में वृद्धि करने के लिए शिक्षा के सामान्य स्तर को उन्नत करना अनिवार्य है। शिक्षा के स्तर को ऊँचा उठाकर ही देश के शोध एवं अनुसन्धान कार्यों को सफल बनाया जा सकता है। शिक्षा के स्तर को ऊँचा उठाकरे ही औद्योगिक एवं व्यावसायिक क्षेत्र में योग्य एवं कुशल व्यक्ति एवं कार्यकर्ता उपलब्ध कराये जा सकते हैं। वर्तमान प्रतिस्पर्धा के युग में हर प्रकार की प्रगति एवं सफलता के लिए शिक्षा के सामान्य स्तर को ऊँचा उठाना अति आवश्यक है।
निश्चित उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1
राष्ट्र की प्रगति के उद्देश्य से शिक्षा का सामान्य स्तर कैसा होना चाहिए?
उत्तर :
राष्ट्र की प्रगति के उद्देश्य से शिक्षा का सामान्य स्तर ऊँचा होना चाहिए।
प्रश्न 2
शैक्षिक स्तर के निम्न होने के चार मुख्य कारणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
- शिक्षा-संगठन का दोषपूर्ण होना
- दोषपूर्ण शिक्षा-प्रणाली
- अनुशासनहीनता तथा
- विद्यालयों में शैक्षिक सुविधाओं का अभाव।
प्रश्न 3
हमारे देश में किस स्तर की शिक्षा को अनिवार्य एवं निःशुल्क बनाने का संकल्प लिया गया है ?
उत्तर :
हमारे देश में प्राथमिक स्तर की शिक्षा को अनिवार्य एवं नि:शुल्क बनाने का संकल्प लिया गया है।
प्रश्न 4
शिक्षा के स्तर से क्या आशय है?
उत्तर :
शिक्षा के स्तर को साधारण अर्थ यह है कि सामान्य छात्र जिस कक्षा या स्तर के हों, उनके ज्ञान का स्तर लगभग वही होना चाहिए जो निर्धारित शैक्षिक पाठ्यचर्या के अनुकूल हो।
प्रश्न 5
देश एवं समाज की प्रगति के उद्देश्य से शिक्षा का सामान्य स्तर कैसा होना चाहिए ?
उत्तर :
देश एवं समाज की प्रगति के उद्देश्य से शिक्षा का सामान्य स्तर सामान्य या सामान्य से ऊँचा होना चाहिए।
प्रश्न 6
शैक्षिक स्तर को उन्नत बनाने के लिए प्रत्येक जिले में कौन-से विद्यालय स्थापित किये गये हैं?
उत्तर :
शैक्षिक स्तर को उन्नत बनाने के लिए प्रत्येक जिले में नवोदय विद्यालय स्थापित किये गये हैं।
प्रश्न 7
निम्नलिखित कथन सत्य हैं या असत्य
- हमारे देश के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर सामान्य से उच्च है।
- शिक्षा के स्तर के निम्न होने का एक मुख्य कारण अनुसेनहीनता भी है।
उत्तर :
- असत्य
- सत्य
बहुविकल्पीय प्रश्न
निम्नलिखित प्रश्नों में दिये गये विकल्पों में से सही विकल्प का चुनाव कीजिए
प्रश्न 1
हमारे देश में शिक्षा का स्तर है
(क) सामान्य
(ख) सामान्य से उच्च
(ग) सामान्य से निम्न
(घ) अस्पष्ट
उत्तर :
(ग) सामान्य से निम्न
प्रश्न 2
भारत सरकार ने किस प्रकार की शिक्षा को अनिवार्य बनाने का प्रयास किया है ?
(क) प्राथमिक शिक्षा
(ख) तकनीकी शिक्षा
(ग) प्रौढ़ शिक्षा
(घ) कम्प्यूटर शिक्षा
उत्तर :
(क) प्राथमिक शिक्षा
प्रश्न 3
निम्न शैक्षिक स्तर के लिए जिम्मेदार कारण हैं
(क) दोषपूर्ण अनुशासन व्यवस्था
(ख) शैक्षिक सुविधाओं की कमी
(ग) मूल्यांकन प्रणाली का दोषपूर्ण होना
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर :
(घ) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 4
शैक्षिक स्तर के निम्न होने के कारण हैं
(क) प्रत्येक कक्षा में छात्रों की संख्या का अधिक होना
(ख) अनुशासन व्यवस्था का दोषपूर्ण होना
(ग) मूल्यांकन प्रणाली का दोषपूर्ण होना
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर :
(घ) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 5
शैक्षिक स्तर के उन्नयन व सुधार के उपाय हैं
(क) अनुशासन व्यवस्था को सुचारु बनाना
(ख) पाठ्यक्रम को उपयोगी एवं व्यावहारिक बनाना
(ग) अध्यापकों द्वारा अधिक शैक्षिक प्रयास करना
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर :
(घ) उपर्युक्त सभी
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