आग्नेय शैलों की संरचना

आग्नेय शैलों की संरचना  :

शैलो की क्षेत्रीय अवस्था को संरचना कहते है।  आग्नेय शैलों की निम्नलिखित संरचना होती है –
1. flow structures : कभी कभी आग्नेय शैल समान्तर अथवा अंशीय समान्तर बेंड अथवा structure दिखाती है जिसका कारण है – मैग्मा अथवा लावा के शीतलन एवं क्रिस्टलन के दौरान प्रवाह होना।  इस प्रवाह की संरचना को फ्लो संरचना कहते है।
2. Reaction Rims : आग्नेय शैल के निर्माण के दौरान नये बने खनिज एवं मैग्मा में क्रिया होती है।  यदि यह क्रिया पूर्ण हो जाती है , नए बने खनिज पूर्णत: अदृश्य हो जाते है।  दूसरी ओर यदि ये क्रिया पूर्ण नहीं होती है तो तीव्र नाशी खनिज कणों के चारो ओर क्रिया उत्पाद आवृति रूप से प्राप्त होते है।  क्रिया उत्पादों का यह जोन जो खनिज कणों की सतह के पास प्राप्त होता है “reaction rim” कहा जाता है।  यह रिम दो प्रकार की होती है –

  • coronas (ताप) : यह rim प्राथमिक मैग्नेटिक क्रियाओ के द्वारा बनती है।  इस एरिये में मिलने वाले मिनरल को 5 carn मिनरल कहते है।
  • Kelyphitic borders : ये द्वितीय प्रक्रिया जैसे की metamorphism के दौरान विकसित होते है।

3. Xenolithic structures :

जब मैग्मा भू पृष्ठ की ओर उठता है तो इसमें असंगत शैल कण मिल जाते है।  यदि वे संगृहीत नहीं हो पाते है तो वे आग्नेय शैलो में फंसे रह जाते है और ये गठन में विभिन्नता उत्पन्न कर देता है इस प्रकार असंगत शैल के फंसे हुए कण जिनोलिथस कहे जाते है और यह संरचना जिनोलिथ संरचना कहलाती है। उदाहरण – Xenolith का सही उदाहरण diamond है।

4. Vesicular structure :

भू गर्भस्थ मैग्मा में कुछ गैसे दाब पर घुली रहती है।  लावा के बहिर्वेधी उद्गार पर इन गैसों के निकलने से गुहिकाएं एवं बुदबुदों के आकार के गर्त बन जाते है।  इन्हें स्फोटगर्त (vesicles) कहते है।  कई बार ये स्फोटगर्त बेलनाकार या नालवत गुहिकाओं के रूप में होते है।  इन गर्तो पर उत्तरजात खनिजों (जिओलाइट इत्यादि) के द्वारा भरण पर वातामक बनते है।  इस प्रकार के बहिर्वेधी उद्गार को वातामकी शैल कहते है।

5. Pegmatitic structure :

यदि ये मिश्रित खनिज कण आकार में कुछ सिमित सेंटीमीटर के हो तो ऐसे शैल को pegmatitic structure कहते है।
यह संरचना एक बड़ी व अनियमित प्रकार के क्रिस्टलन को दर्शाती है।
सारांश में यह कहा जा सकता है की आग्नेय शैलों गठन एवं संरचना शैलो के निर्माण की प्रक्रिया को बताते है।

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