परिनालिका की परिभाषा क्या है :
जब किसी चीनी मिट्टी से बनी बेलनाकार नलिका जिसकी लम्बाई अधिक हो तथा त्रिज्या बहुत कम हो , पर ताँबे का तार लपेटा जाता है इस व्यवस्था को परिनालिका कहते है।
चीनी मिट्टी की बेलनाकार आकृति पर फेरे पास पास लपेटे जाते है अर्थात फेरों के मध्य जगह नहीं छोड़ी जाती है।
ऊपर दिखाया गया चित्र परिनालिका का है इसमें आप देख सकते है की एक चीनी मिट्टी की बनी हुई बेलनाकार आकृति पर तांबे का तार लम्बाई के अनुदिश लपेटा हुआ है।
जब किसी परिनालिका का सोलेनोइड में धारा I प्रवाहित की जाती है तो चित्रानुसार इसमें चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। इस चुंबकीय क्षेत्र की दिशा समान होती है |
तथा बाहर के बिन्दुओ पर चुंबकीय क्षेत्र एक दूसरे का विरोध करते है यही कारण है की बाहरी बिंदुओं पर चुम्बकीय क्षेत्र का मान तुलनात्मक कम होता है।
ताम्बे के फेरे जितने ज्यादा पास पास होते है चुम्बकीय क्षेत्र बढ़ता जाता है , किसी भी आदर्श परिनालिका के अंदर चुम्बकीय क्षेत्र सभी जगह समान माना जाता है तथा परिनालिका का बाहर शून्य माना जाता है।
Remark:
दोस्तों अगर आपको इस Topic के समझने में कही भी कोई परेशांनी हो रही हो तो आप Comment करके हमे बता सकते है | इस टॉपिक के expert हमारे टीम मेंबर आपको जरूर solution प्रदान करेंगे|
यदि आपको https://hindilearning.in वेबसाइट में दी गयी जानकारी से लाभ मिला हो तो आप अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कर सकते है |