Rupak Alankar in Hindi: हेलो स्टूडेंट्स, आज हम इस आर्टिकल में रूपक अलंकार क्या होता है? (Rupak Alankar) के बारे में पढ़ेंगे | यह हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण टॉपिक है जिसे हर एक विद्यार्थी को जानना जरूरी है |
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Rupak Alankar in Hindi
जहां किन्हीं दो व्यक्ति या वस्तुओं में इतनी समानता हो कि दोनों में अंतर करना मुश्किल हो जाए वहां रूपक अलंकार होता है।
रूपक अलंकार किसे कहते है?
रूपक का अर्थ है – रूप लेना अर्थात जहां उपमेय उपमान का रूप धारण कर ले वहां रूपक अलंकार होता है।
अथवा
जहां उसमेय का उपमान से भेद रहित आरोप किया गया हो वहां रूपक अलंकार होता है।
रूपक अलंकार का उदाहरण-
उदित उदयगिरि मंच पर, रघुवर बाल पतंग।
विकसे संत-सरोज सब, हरषे लोचन- भृंग॥
प्रस्तुत दोहे में ‘उदयगिरि’ पर मंच’ का, ‘रघुवर’ पर ‘बाल-पतंग’ (सूर्य) का, ‘संतों’ पर ‘सरोज’ का एवं ‘लोचनों’ पर ‘भृंगों’ (भौरों) का अभेद आरोप होने से रूपक अलंकार है।
विषय-वारि मन-मीन भिन्न नहि,
होत कबहुँ पल एक।
इसे भी पढ़े: उपमा अलंकार क्या होता है?
इस काव्य-पंक्ति में ‘विषय’ पर ‘वारिका और ‘मन’ पर ‘मीन’ (मछली) का अभेद-आरोप होने से यहाँ रूपक का सौन्दर्य है।
‘मन-सागर, मनसा लहरि, बूड़े-बहे अनेक।’
प्रस्तुत पंक्ति में मन पर सागर का और मनसा (इच्छा) पर लहर का आरोप होने से रूपक है।
सिर झूका तूने नियति की मान ली यह बात
स्वयं ही मुझा गया तेरा हृदय-जलजात॥
अन्य उदाहरण
मैया मैं तो चन्द्र-खिलौना लैहों।
(यहाँ ‘चन्द्रमा’ (उपमेय) में ‘खिलौना’ (उपमान) का आरोप है।
चरण-कमल बंदी हरिराई।
(यहाँ ‘हरि के चरणों’ (उपमेय) में ‘कमल’ उपमान का आरोप है)
सब प्राणियों के मत्तमनोमयूर अहानचा रहा।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।
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