रिवेट पोवर परिकल्पना | जैव विविधता की क्षति

Rivet popper hypothesis in hindi रिवेट पोवर परिकल्पना :-

स्टैनफोर्ड के  पारिस्थितिकविद पॉल एहरलिक ने यह परिकल्पना दी जिसमें उन्होंने वायुयान को परितंत्र कहा और वायुयान में लगे कीलक ( रिवेट )  की तुलना जातियों से की उनके अनुसार अगर वायुयान में लगे रिवेटो को उसमें बैठे यात्री घर ले जाएं तो वायुयान उड़ने योग्य नहीं रह पाएगा इस परिकल्पना में रिवेट ले जाने को पारितंत्र में जातियों के लुप्त होने के रूप में समझाया गया है |

यदि यात्री रिवेट ले जाते रहे ( जातियां लुप्त होती रहे) तो वायुयान ( परितंत्र) नहीं चल पाएगा ,  वायुयान के पंखों का रिवेट का महत्व मुख्य जातियों की तरह ही होता है तथा इनके बिना वायुयान पारितंत्र बिल्कुल भी नहीं चल पाता |

प्रश्न 1 :  यदि पृथ्वी पर 20000 चिट्ठी जातियों के स्थान पर केवल 15000 ही रहे तो हमारा जीवन किस प्रकार प्रभावित होगा ?

उत्तर :  उन पदार्थों की मात्रा ज्यादा हो जाएगी जिन्हें कुछ विशिष्ट चींटी जातियां ही खाती है इससे खाद्य श्रंखला में विघ्न उत्पन्न होगा और हमारा जीवन प्रभावित होगा |

प्रश्न 2 :  पृथ्वी पर चीटियों ,  बिटिल (भृंग ) ,  मत्स्य ,  और ऑर्किड की कितनी जातियां हैं ?

उत्तर :  20000 चीटियां की जातियां ,  300000 भृंग ,  28000 मत्स्य जातियां है |

जैव विविधता की क्षति (Biodiversity damage in hindi ) :

IUCN (International Union for Conservation of Nature and Natural Resources) की लाल सूची ( विलुप्त प्राणियों की सूची) के 2004 के आंकड़ों के अनुसार पिछले 500 वर्षों में 784 जातियां ( 338 कशेरुकी ,  359 अकशेरुकी ,  व 87 पादप जातियां) विलुप्त हो चुकी है |

नई विलुप्त जातियों में मौरीसस की ढोढो , रूस की स्टेलर समुद्री गाय ,  अफ्रीका की कवेगा , ऑस्ट्रेलिया की थाइलेसिन , जावा व केस्वियन के  बाघ विलुप्ति के कगार पर है |

विश्व की 15500 से भी अधिक जातियां विलुप्ति के कगार पर है ,  इस समय 12% पक्षी ,  33% स्तनधारी ,  32 प्रतिशत उभयचर व 31 प्रतिशत आवृत्तबीजी पादप जातियां विलुप्त हो चुकी है |

जातियों का विलुप्त होना जातीय विलोपन कहलाता है पृथ्वी की उत्पत्ति से लेकर अब तक पांच बार जातियों का विलोपन हो चुका है मानव क्रियाकलापों के कारण 6 विलोपन 100 से 1000 गुना तेजी से हो रहा है |

Remark:

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