RBSE Solutions for Class 9 Sanskrit सरसा Chapter 11 पर्यावरणस्य महत्त्वम्

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Rajasthan Board RBSE Class 9 Sanskrit सरसा Chapter 11 पर्यावरणस्य महत्त्वम्

RBSE Class 9 Sanskrit सरसा Chapter 11 पाठ्य-पुस्तकस्य अभ्यास प्रश्नोत्तराणि

1. अधोलिखितान् प्रश्नान् एकेन पदेन उत्तरत –

(क) कः जीवमात्रस्य संरक्षणाय प्रयत्नं करोति?
(ख) कति तत्त्वानि पर्यावरणस्य सर्जनं कुर्वन्ति?
(ग) अद्य नानाविधैः किं दूषितं भवति?
(घ) स्वस्थजीवनस्य आधारं किम्?
(छ) सर्वत्र कां पालयाम:?
(च) वयम् केषां रक्षां कुर्याम्?
उत्तराणि:
(क) मानवः
(ख) पञ्च
(ग) पर्यावरणं
(घ) स्वस्थं पर्यावरणम्
(ङ) स्वच्छताम्
(च) जलस्रोतानाम्।

2. अधोलिखित प्रश्नान् पूर्णवाक्येन उत्तरत –

(क) विश्वः कथं सुखीसम्पन्नश्चे भविष्यति।
उत्तरम्:
यदि वयम् पर्यावरणस्य महत्त्वं आवश्यकतां च संस्मृत्य तस्य संरक्षणाय प्रयत्नं करिष्यामः, तदा विश्व: सुखी सम्पन्नश्च भविष्यति।

(ख) वयम् कस्य निक्षेपणं सावधान्या कुर्यामः?
उत्तरम्:
वयम् अपशिष्टपदार्थानाम् अवकराणाम् वा निक्षेपणं सावधान्या कुर्याम?

(ग) तापमाने वृद्धेः कारणात् किं भवति?
उत्तरम्:
अस्मान् परितः एतादृशं वातानाम् आवरणं अस्ति यत् प्रकृतेः उष्मं पर्यावरणात् बहिर्गन्तुम्, अवरोधयति। इदं तापमाने वृद्धेः कारणत् भवति।

(घ)प्रदूषणस्य कानि स्वरूपाणि?
उत्तरम्:
प्रदूषणस्य अनेकानि स्वरूपाणि यथा जलप्रदूषणं, वायुप्रदूषणं ध्वनिप्रदूषणं च।

(ङ) कथं भवति पर्यावरणप्रदूषणम्?
उत्तरम्:
प्राकृतिक पदार्थानां असंतुलितोपभोगेन दोहनेन च पर्यावरणप्रदूषणं भवति।

(च) अद्य कस्य आवश्यकता वर्तते?
उत्तरम्:
अद्य स्वस्थस्वच्छपर्यावरणस्य आवश्यकता वर्तते।

3. निम्नांकितवाक्येषु कर्तृपदं क्रियापदं च लिखत।

(क) अद्य मानवः अल्पलाभाय वृक्षाणां कर्तनं करोति।
(ख) पर्यावरणम्’ इति शब्देन वयं सर्वे परिचिताः स्मः।
(ग) पर्यावरणप्रदूषणेन च भवन्ति अनेकाः समस्याः।
(घ) तेषु प्रयासेषु वयमपि सहभागिनः भवेम।
(ड) विश्वः सुखी सम्पन्नः च भविष्यति।
(च) सर्वकारेण महान्तः प्रयासाः क्रियन्ते।
उत्तराणि:
कर्तृ पदं           क्रिया पदं
(क) मानवः       करोति
(ख) वयं           परिचिताः स्मः
(ग) समस्याः      भवन्ति
(घ) वयम्          भवेम
(ङ) विश्वः          भविष्यति
(च) सर्वकारेण   क्रियन्ते

4. रिक्तस्थानानि नदीशब्दस्य निर्दिष्टरूपानुसारेण पूरयत।

(क) ……………….. पेयजलयुक्ताः भवन्ति। (प्रथमा, बहुवचनम्)
(ख) जनाः ………………….. मलिनां कुर्वन्ति। (द्वितीया, एकवचन)
(ग) मलिनतायाः कारणात् …………………. जलम् अपेयं भवति। (षष्ठी, बहुवचन)
(घ) ……………………….. सह अन्यानि जलस्रोतानि स्वच्छानि भवेयुः। (तृतीया, बहुवचन)
(ड) ……………… अपशिष्ट पदार्थानाम् क्षेपणं न उचितम्। (सप्तमी, बहुवचन)
उत्तराणि:
(क) नद्यः
(ख) नदीम्
(ग) नदीनाम्
(घ) नदीभिः
(ड) नदीषु

5. (क) भागेन सह (ख) भागस्य उचितं मेलनं कृत्वा लिखत।

 क भाग                      ख भाग
(च) जीवविनाशेन           (ट) प्रदूषणम्
(छ) पर्यावरणस्य रक्षा      (ठ) अनेका: समस्याः
(ज) असन्तुलितोपभोगेन  (ड) तापमान: वर्धते।
(झ) पर्यावरणप्रदूषणेन    (ढ) जैविकसन्तुलनम्।
(ज) हरितगृहप्रभावेण      (ण) धर्मसम्मता
उत्तराणि:
(च) – (ढ)
(छ) – (ण)
(ज) – (ट)
(झ) – (ठ)
(ज) – (ड)

6. निम्नांकितपदेषु सन्धिविच्छेदं कृत्वा संधेः नामापि लिखत –

(क) उपयोगेनैव
(ख) वर्धमानोऽस्ति
(ग) जलस्यापि
(घ) सौरोर्जा
(ड.) इत्यपि
उत्तराणि:
(क) उपयोगेन + एव = वृद्धि सन्धि
(ख) वर्धमानः + अस्ति = विसर्ग सन्धि
(ग) जलस्य + अपि = दीर्घ सन्धि
(घ) सौर + ऊर्जा = गुण सन्धि
(ङ) इति + अपि = यण् सन्धि।

7. अधोलिखितपदानां प्रयोगं स्वरचितवाक्येषु कुर्वन्तु।

(क) सुरक्षितम्
(ख) समस्याः
(ग) प्रदूषणम्
(घ) सृष्टिः
(ङ) महत्त्वम्।
उत्तराणि:
(क) सुरक्षितम् – यदि पर्यावरणं स्वच्छं तर्हि अस्माकं जीवनमपि सुरक्षितम् अस्ति।
(ख) समस्याः–पर्यावरणस्य प्रदूषणेन अनेकाः समस्या: जायन्ते।
(ग) प्रदूषणम् – ध्वनिविस्तारकयन्त्रः ध्वनिप्रदूषणम् करोति।
(घ) सृष्टिः–ईश्वरस्य सृष्टिः रम्या अस्ति।
(ड) महत्त्वम् – जलस्य जीवने अति महत्त्वं वर्तते।

8. (क)पर्यावरणसंरक्षणम् इति विषयं स्वीकृत्य अष्टवाक्येषु लघुनिबन्धं लिखत।
उत्तरम्:

  1. पर्यावरणस्य संरक्षणाय वयं प्राकृतिकपदार्थानाम् दोहनं न कुर्याम।
  2. वयम् अपशिष्टानाम् निस्तारणं सावधान्या कुर्याम।
  3. सार्वजनिक स्थानेषु प्रदूषणं न कुर्याम।
  4. प्लास्टिकस्यूतानाम् प्रयोगं न कुर्याम।
  5. पर्यावरणसंरक्षणं हेतुः जनजाग्रतिः कुर्याम।
  6. नदीजलाशयान् दूषितं न कुर्याम।
  7. विद्यालयेषु स्वच्छतायाः प्रयत्नं कुर्याम।
  8. ध्वनिविस्तारकयन्त्रस्य प्रयोगं अवरुद्धं कुर्याम।

(ख) पर्यावरणप्रदूषणस्य पञ्चकारणानि लिखत।
उत्तरम्:

  1. अपशिष्टानां वस्तूनाम् अनिस्तारणम्।
  2. ध्वनिविस्तारकयन्त्रस्य प्रयोगम्।
  3. हरितगृहप्रभावेण तापमाने वृद्धिः।
  4. जलीयजीवानां विनाशेन जैविक असन्तुलनम्।
  5. प्राकृतिक जलस्रोतानां असुरक्षा अस्वच्छता च।

RBSE Class 9 Sanskrit सरसा Chapter 11 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तराणि

अधोलिखितान् प्रश्नान् संस्कृतभाषया पूर्णवाक्येन उत्तरत।

प्रश्न 1.
किम् इदम् पर्यावरणम्?
उत्तरम्:
अस्मान् परितः यत् किमपि दृश्येत अनुभूयते वा तत् पर्यावरणम्।

प्रश्न 2.
पर्यावरणस्य घटकाः के सन्ति?
उत्तरम्:
मृद्-जल-वायु-खग-वनस्पति-कीटपतंगा जीवाणवः च पर्यावरणस्य घटकाः सन्ति।

प्रश्न 3.
स्वस्थ जीवनस्य आधारः किम् भवति?
उत्तरम्:
स्वस्थं पर्यावरणमेव स्वस्थ जीवनस्य आधारः भवति।

प्रश्न 4.
तापमाने वृद्धेः कारणात् किं भवति?
उत्तरम्:
तापमाने वृद्धेः कारणात् अनेकेषां जीवानां प्रजात्यः विनष्टाः।

प्रश्न 5.
अद्य कस्य आवश्यकता वर्तते?
उत्तरम्:
अद्य स्वस्थं स्वच्छं च पर्यावरणस्य आवश्यकता वर्तते।

प्रश्न 6.
किं धर्म सम्मतम् अस्ति?
उत्तरम्:
पर्यावरणस्य रक्षा धर्म सम्मृतमस्ति।

प्रश्न 7.
‘पर्यावरणस्य रक्षा धर्म सम्मतमेवास्ति’ इति के प्रतिपादयन्ति?
उत्तरम्:
‘पर्यावरणस्य रक्षा धर्म सम्मतमेवास्ति’ इति अस्माकं ऋषयः प्रतिपादयन्ति।

प्रश्न 8.
अस्माकं कामना का अस्ति?
उत्तरम्:
अस्माकं कामना अस्ति यत् सर्वे भवन्ति सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः।

प्रश्न 9.
पर्यावरणस्य महत्त्वं आवश्यकतां च संस्मृत्य किं करणीयम्?
उत्तरम्:
पर्यावरणस्यावश्यकता महत्त्वं च संस्मृत्य सर्वे: तस्य संरक्षणाय प्रयत्नं करणीयम्।

प्रश्न 10.
जैविक असन्तुलनं कदा वर्धते?
उत्तरम्:
तापमाने वृद्धे जैविक असन्तुलनं वर्धते।

स्थूलाक्षर पदानि आधृत्य प्रश्न निर्माणं कुरुत –

प्रश्न 1.
अद्य मानवः स्वल्पलाभाये वृक्षाणां कर्तनं करोति।
उत्तरम्:
अद्य मानवः किमर्थं वृक्षाणां कर्तनं करोति?

प्रश्न 2.
नागरिका: पर्यावरणस्य संरक्षणार्थं यत्नं कुर्युः।
उत्तरम्:
नागरिकाः कस्य संरक्षणार्थं यत्नं कुर्युः?

प्रश्न 3.
फलानां फलकानि प्रदूषणं प्रसारयन्ति।
उत्तरम्:
कानि प्रदूषणं प्रसारयन्ति?

प्रश्न 4.
हरितगृहप्रभावेण संसारस्ये औसत तापमान: वर्धते।
उत्तरम्:
केन संसारस्य औसत तापमान: वर्धते?

प्रश्न 5.
तेन जलीयजीवानां विनाशं भवति।
उत्तरम्:
तेन केषां विनाशं भवति?

पाठ परिचय

प्रस्तुत पाठ पर्यावरण विषय को स्वीकार करके लिखा गया है। लघु निबन्ध के रूप में लिखे गये इस पाठ में जीवमात्र के कल्याण के लिये स्वच्छ पर्यावरण का महत्त्व वर्णित है।

शब्दार्थ एवं हिन्दी-अनुवाद

1. ‘पर्यावरणम्’ इति शब्देन ……………………………….. सुरक्षितं तिष्ठति।

शब्दार्थाः-परितः = चारों ओर। अस्मान् = हमको। अनुभूयते = अनुभव किया जाता है। तत् = वह। मृद् = मिट्टी खग = पक्षी। घटकाः = अंग। संरक्षणाय = रक्षा के लिए। संवर्धनाय = पालन-पोषण करने हेतु। उपयोगेनैव = उपयोग से ही।

हिन्दी-अनुवाद-पर्यावरण शब्द से हम सभी परिचित हैं। हमारे चारों ओर जो कुछ भी दिखाई देता है या अनुभव किया जाता है वह पर्यावरण का अंश है। मिट्टी, जलवायु, पेड़-पौधे, कीट-पतंगे और जीवाणु पर्यावरण के घटक हैं। सम्पूर्ण प्रकृति जीवमात्र की सुरक्षा और उसके पालन-पोषण का प्रयत्न करती है। प्रकृति के मध्य में पृथिवी, जल, अग्नि, वायु और आकाश पर्यावरण का सृजन और संरक्षण करते हैं। इनके सन्तुलित और शान्तरूप उपयोग से ही जीवन सुरक्षित रह सकता है।

2. स्वस्थं पर्यावरणमेव ……………………………….. प्रदूषणम् प्रसारयन्ति।

शब्दार्था:-दोहनेन = दोहन करने से। विकृतं = विकार युक्त। अपशिष्टः = बचे हुए। अपघटनं = निस्तारणं हेतु अक्षमः। उपानहौ = जूते। कमरबन्धः = बेल्ट। धनस्यूतः = मनीबैग। फलकानि = छिलके।

हिन्दी-अनुवाद-स्वस्थ पर्यावरण ही स्वस्थ जीवन का आधार होता है। प्राकृतिक पदार्थों या तत्त्वों के असन्तुलित उपभोग और दोहन से पर्यावरण प्रदूषण होता है। असन्तुलित पर्यावरण मनुष्य के स्वास्थ्य को विकारयुक्त और रोगयुक्त कर देता है। पर्यावरण के प्रदूषण से अनेक समस्याएँ (पैदा) हो जाती हैं। हमारे दैनिक जीवन में अनेक व्यर्थ के बचे हुए पदार्थों का उत्पादन होता रहता है। इनमें से अनेक ऐसे होते हैं। जिनका प्रकृति में विघटन नहीं होता (अर्थात् वे हमेशा उसी स्थिति में रहते हैं।)। जैसे—प्लास्टिक की वस्तुएँ, चमड़े का सामान जैसे-जूते, बेल्ट, बैग आदि और रसोई में उपयोग करने के बाद बची हुई चायपत्ती, फलों और सब्जियों के छिलके आदि भी प्रदूषण फैलाते हैं।

3. अद्य नानाविधैः ……………………………….. विलुप्ततां प्राप्स्यति।

शब्दार्थाः-नानाविधैः = अनेक प्रकार से। दूषितं = दूषणयुक्त। वर्धमानः = बढ़ता हुआ। परितः = चारों ओर। वातानाम् = वायु का। बहिर्गन्तुम् = बाहर निकलने के लिए। अवरोधयति = बाधित करता है। उष्णता = गर्मी। विलुप्तता प्राप्स्यति = नष्ट हो जायेगा।

हिन्दी-अनुवाद-आज अनेक प्रकार से पर्यावरण दूषित होता है। जैसे जल-वायु-ध्वनि आदि के प्रदूषण के प्रभाव से प्राणियों का जीवनचक्र प्रभावित होता है। हरित गैस के प्रभाव से आज संसार का औसत तापमान बढ़ा है। हमारे चारों ओर वायु का इस प्रकार का आवरण है जो प्रकृति की ऊष्मा को पर्यावरण से बाहर जाने से रोकता है। इससे प्रकृति का तापमान बढ़ता है। तापमान में वृद्धि के कारण अनेक जीवों की प्रजातियाँ विनष्ट हो गयी हैं। नदियों और समुद्रों के जल की उष्णता भी बढ़ गयी है जिससे जल में रहने वाले जीवों का विनाश होता है। इससे जैविक असन्तुलन बढ़ता है। प्राकृतिक चक्र भी दुष्प्रभावित होता है। यदि हम अब भी नहीं जागे तो एक दिन सृष्टि ही विलुप्त हो जायेगी।

4. अतः अद्य स्वस्थं ……………………………….. सफला भविष्यति।

शब्दार्थाः-प्रतिपादितवन्तः = प्रतिपादन किया। निक्षेपणं = समाप्त। सौरोर्जायाः = सौर ऊर्जा का। वायूर्जायाः = वायु ऊर्जा का। नदी तडागवापीनाम् = नदियों, तालाबों और बावड़ियों की। अवरुद्धं = अवरोधित करते हैं। संस्मृत्य = याद करके। तर्हि = तो।

हिन्दी-अनुवाद-अतः आज स्वस्थ और स्वच्छ पर्यावरण की आवश्यकता है। पर्यावरण की रक्षा धर्मसम्मत ही है। ऐसा हमारे ऋषियों ने प्रतिपादित किया है। यह आवश्यक है कि हम अपना जीवन सन्तुलित करें। प्रकृति के संसाधनों का संरक्षण करें। अपशिष्ट पदार्थों का (कचरे का) निस्तारण सावधानीपूर्वक करें। आज प्रदूषण के निवारण के लिए सरकार के द्वारा महान् प्रयास किये जा रहे हैं। उन प्रयासों में हम भी सहभागी होते हैं। अधिकाधिक वृक्षारोपण और उनकी सुरक्षा करते हैं। प्राकृतिक जलस्रोतों की सुरक्षा करते हैं। इस प्रकार से सौर ऊर्जा और वायु ऊर्जा का उपयोग करते हैं। सर्वत्र स्वच्छता का पालन करते हैं। जीवमात्र की सुरक्षा करते हैं। नदी, तालाब और वापियों की स्वच्छता स्थापित करते हैं। ध्वनिविस्तारक यन्त्र के उपयोग को रोकते हैं और (यदि) पर्यावरण के महत्त्व की आवश्यकता को स्मरण करके हम उसके संरक्षण का प्रयत्न करेंगे तो विश्व सुखी और सम्पन्न होगा। तभी हमारी ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः (सभी सुखी हो सभी निरोगी हों) की कामना सफल होगी।

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1. अधोलिखितान् प्रश्नान् एकेन पदेन उत्तरत –

(क) कः जीवमात्रस्य संरक्षणाय प्रयत्नं करोति?
(ख) कति तत्त्वानि पर्यावरणस्य सर्जनं कुर्वन्ति?
(ग) अद्य नानाविधैः किं दूषितं भवति?
(घ) स्वस्थजीवनस्य आधारं किम्?
(छ) सर्वत्र कां पालयाम:?
(च) वयम् केषां रक्षां कुर्याम्?
उत्तराणि:
(क) मानवः
(ख) पञ्च
(ग) पर्यावरणं
(घ) स्वस्थं पर्यावरणम्
(ङ) स्वच्छताम्
(च) जलस्रोतानाम्।

2. अधोलिखित प्रश्नान् पूर्णवाक्येन उत्तरत –

(क) विश्वः कथं सुखीसम्पन्नश्चे भविष्यति।
उत्तरम्:
यदि वयम् पर्यावरणस्य महत्त्वं आवश्यकतां च संस्मृत्य तस्य संरक्षणाय प्रयत्नं करिष्यामः, तदा विश्व: सुखी सम्पन्नश्च भविष्यति।

(ख) वयम् कस्य निक्षेपणं सावधान्या कुर्यामः?
उत्तरम्:
वयम् अपशिष्टपदार्थानाम् अवकराणाम् वा निक्षेपणं सावधान्या कुर्याम?

(ग) तापमाने वृद्धेः कारणात् किं भवति?
उत्तरम्:
अस्मान् परितः एतादृशं वातानाम् आवरणं अस्ति यत् प्रकृतेः उष्मं पर्यावरणात् बहिर्गन्तुम्, अवरोधयति। इदं तापमाने वृद्धेः कारणत् भवति।

(घ)प्रदूषणस्य कानि स्वरूपाणि?
उत्तरम्:
प्रदूषणस्य अनेकानि स्वरूपाणि यथा जलप्रदूषणं, वायुप्रदूषणं ध्वनिप्रदूषणं च।

(ङ) कथं भवति पर्यावरणप्रदूषणम्?
उत्तरम्:
प्राकृतिक पदार्थानां असंतुलितोपभोगेन दोहनेन च पर्यावरणप्रदूषणं भवति।

(च) अद्य कस्य आवश्यकता वर्तते?
उत्तरम्:
अद्य स्वस्थस्वच्छपर्यावरणस्य आवश्यकता वर्तते।

3. निम्नांकितवाक्येषु कर्तृपदं क्रियापदं च लिखत।

(क) अद्य मानवः अल्पलाभाय वृक्षाणां कर्तनं करोति।
(ख) पर्यावरणम्’ इति शब्देन वयं सर्वे परिचिताः स्मः।
(ग) पर्यावरणप्रदूषणेन च भवन्ति अनेकाः समस्याः।
(घ) तेषु प्रयासेषु वयमपि सहभागिनः भवेम।
(ड) विश्वः सुखी सम्पन्नः च भविष्यति।
(च) सर्वकारेण महान्तः प्रयासाः क्रियन्ते।
उत्तराणि:
कर्तृ पदं           क्रिया पदं
(क) मानवः       करोति
(ख) वयं           परिचिताः स्मः
(ग) समस्याः      भवन्ति
(घ) वयम्          भवेम
(ङ) विश्वः          भविष्यति
(च) सर्वकारेण   क्रियन्ते

4. रिक्तस्थानानि नदीशब्दस्य निर्दिष्टरूपानुसारेण पूरयत।

(क) ……………….. पेयजलयुक्ताः भवन्ति। (प्रथमा, बहुवचनम्)
(ख) जनाः ………………….. मलिनां कुर्वन्ति। (द्वितीया, एकवचन)
(ग) मलिनतायाः कारणात् …………………. जलम् अपेयं भवति। (षष्ठी, बहुवचन)
(घ) ……………………….. सह अन्यानि जलस्रोतानि स्वच्छानि भवेयुः। (तृतीया, बहुवचन)
(ड) ……………… अपशिष्ट पदार्थानाम् क्षेपणं न उचितम्। (सप्तमी, बहुवचन)
उत्तराणि:
(क) नद्यः
(ख) नदीम्
(ग) नदीनाम्
(घ) नदीभिः
(ड) नदीषु

5. (क) भागेन सह (ख) भागस्य उचितं मेलनं कृत्वा लिखत।

 क भाग                      ख भाग
(च) जीवविनाशेन           (ट) प्रदूषणम्
(छ) पर्यावरणस्य रक्षा      (ठ) अनेका: समस्याः
(ज) असन्तुलितोपभोगेन  (ड) तापमान: वर्धते।
(झ) पर्यावरणप्रदूषणेन    (ढ) जैविकसन्तुलनम्।
(ज) हरितगृहप्रभावेण      (ण) धर्मसम्मता
उत्तराणि:
(च) – (ढ)
(छ) – (ण)
(ज) – (ट)
(झ) – (ठ)
(ज) – (ड)

6. निम्नांकितपदेषु सन्धिविच्छेदं कृत्वा संधेः नामापि लिखत –

(क) उपयोगेनैव
(ख) वर्धमानोऽस्ति
(ग) जलस्यापि
(घ) सौरोर्जा
(ड.) इत्यपि
उत्तराणि:
(क) उपयोगेन + एव = वृद्धि सन्धि
(ख) वर्धमानः + अस्ति = विसर्ग सन्धि
(ग) जलस्य + अपि = दीर्घ सन्धि
(घ) सौर + ऊर्जा = गुण सन्धि
(ङ) इति + अपि = यण् सन्धि।

7. अधोलिखितपदानां प्रयोगं स्वरचितवाक्येषु कुर्वन्तु।

(क) सुरक्षितम्
(ख) समस्याः
(ग) प्रदूषणम्
(घ) सृष्टिः
(ङ) महत्त्वम्।
उत्तराणि:
(क) सुरक्षितम् – यदि पर्यावरणं स्वच्छं तर्हि अस्माकं जीवनमपि सुरक्षितम् अस्ति।
(ख) समस्याः–पर्यावरणस्य प्रदूषणेन अनेकाः समस्या: जायन्ते।
(ग) प्रदूषणम् – ध्वनिविस्तारकयन्त्रः ध्वनिप्रदूषणम् करोति।
(घ) सृष्टिः–ईश्वरस्य सृष्टिः रम्या अस्ति।
(ड) महत्त्वम् – जलस्य जीवने अति महत्त्वं वर्तते।

8. (क)पर्यावरणसंरक्षणम् इति विषयं स्वीकृत्य अष्टवाक्येषु लघुनिबन्धं लिखत।
उत्तरम्:

  1. पर्यावरणस्य संरक्षणाय वयं प्राकृतिकपदार्थानाम् दोहनं न कुर्याम।
  2. वयम् अपशिष्टानाम् निस्तारणं सावधान्या कुर्याम।
  3. सार्वजनिक स्थानेषु प्रदूषणं न कुर्याम।
  4. प्लास्टिकस्यूतानाम् प्रयोगं न कुर्याम।
  5. पर्यावरणसंरक्षणं हेतुः जनजाग्रतिः कुर्याम।
  6. नदीजलाशयान् दूषितं न कुर्याम।
  7. विद्यालयेषु स्वच्छतायाः प्रयत्नं कुर्याम।
  8. ध्वनिविस्तारकयन्त्रस्य प्रयोगं अवरुद्धं कुर्याम।

(ख) पर्यावरणप्रदूषणस्य पञ्चकारणानि लिखत।
उत्तरम्:

  1. अपशिष्टानां वस्तूनाम् अनिस्तारणम्।
  2. ध्वनिविस्तारकयन्त्रस्य प्रयोगम्।
  3. हरितगृहप्रभावेण तापमाने वृद्धिः।
  4. जलीयजीवानां विनाशेन जैविक असन्तुलनम्।
  5. प्राकृतिक जलस्रोतानां असुरक्षा अस्वच्छता च।

RBSE Class 9 Sanskrit सरसा Chapter 11 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तराणि

अधोलिखितान् प्रश्नान् संस्कृतभाषया पूर्णवाक्येन उत्तरत।

प्रश्न 1.
किम् इदम् पर्यावरणम्?
उत्तरम्:
अस्मान् परितः यत् किमपि दृश्येत अनुभूयते वा तत् पर्यावरणम्।

प्रश्न 2.
पर्यावरणस्य घटकाः के सन्ति?
उत्तरम्:
मृद्-जल-वायु-खग-वनस्पति-कीटपतंगा जीवाणवः च पर्यावरणस्य घटकाः सन्ति।

प्रश्न 3.
स्वस्थ जीवनस्य आधारः किम् भवति?
उत्तरम्:
स्वस्थं पर्यावरणमेव स्वस्थ जीवनस्य आधारः भवति।

प्रश्न 4.
तापमाने वृद्धेः कारणात् किं भवति?
उत्तरम्:
तापमाने वृद्धेः कारणात् अनेकेषां जीवानां प्रजात्यः विनष्टाः।

प्रश्न 5.
अद्य कस्य आवश्यकता वर्तते?
उत्तरम्:
अद्य स्वस्थं स्वच्छं च पर्यावरणस्य आवश्यकता वर्तते।

प्रश्न 6.
किं धर्म सम्मतम् अस्ति?
उत्तरम्:
पर्यावरणस्य रक्षा धर्म सम्मृतमस्ति।

प्रश्न 7.
‘पर्यावरणस्य रक्षा धर्म सम्मतमेवास्ति’ इति के प्रतिपादयन्ति?
उत्तरम्:
‘पर्यावरणस्य रक्षा धर्म सम्मतमेवास्ति’ इति अस्माकं ऋषयः प्रतिपादयन्ति।

प्रश्न 8.
अस्माकं कामना का अस्ति?
उत्तरम्:
अस्माकं कामना अस्ति यत् सर्वे भवन्ति सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः।

प्रश्न 9.
पर्यावरणस्य महत्त्वं आवश्यकतां च संस्मृत्य किं करणीयम्?
उत्तरम्:
पर्यावरणस्यावश्यकता महत्त्वं च संस्मृत्य सर्वे: तस्य संरक्षणाय प्रयत्नं करणीयम्।

प्रश्न 10.
जैविक असन्तुलनं कदा वर्धते?
उत्तरम्:
तापमाने वृद्धे जैविक असन्तुलनं वर्धते।

स्थूलाक्षर पदानि आधृत्य प्रश्न निर्माणं कुरुत –

प्रश्न 1.
अद्य मानवः स्वल्पलाभाये वृक्षाणां कर्तनं करोति।
उत्तरम्:
अद्य मानवः किमर्थं वृक्षाणां कर्तनं करोति?

प्रश्न 2.
नागरिका: पर्यावरणस्य संरक्षणार्थं यत्नं कुर्युः।
उत्तरम्:
नागरिकाः कस्य संरक्षणार्थं यत्नं कुर्युः?

प्रश्न 3.
फलानां फलकानि प्रदूषणं प्रसारयन्ति।
उत्तरम्:
कानि प्रदूषणं प्रसारयन्ति?

प्रश्न 4.
हरितगृहप्रभावेण संसारस्ये औसत तापमान: वर्धते।
उत्तरम्:
केन संसारस्य औसत तापमान: वर्धते?

प्रश्न 5.
तेन जलीयजीवानां विनाशं भवति।
उत्तरम्:
तेन केषां विनाशं भवति?

पाठ परिचय

प्रस्तुत पाठ पर्यावरण विषय को स्वीकार करके लिखा गया है। लघु निबन्ध के रूप में लिखे गये इस पाठ में जीवमात्र के कल्याण के लिये स्वच्छ पर्यावरण का महत्त्व वर्णित है।

शब्दार्थ एवं हिन्दी-अनुवाद

1. ‘पर्यावरणम्’ इति शब्देन ……………………………….. सुरक्षितं तिष्ठति।

शब्दार्थाः-परितः = चारों ओर। अस्मान् = हमको। अनुभूयते = अनुभव किया जाता है। तत् = वह। मृद् = मिट्टी खग = पक्षी। घटकाः = अंग। संरक्षणाय = रक्षा के लिए। संवर्धनाय = पालन-पोषण करने हेतु। उपयोगेनैव = उपयोग से ही।

हिन्दी-अनुवाद-पर्यावरण शब्द से हम सभी परिचित हैं। हमारे चारों ओर जो कुछ भी दिखाई देता है या अनुभव किया जाता है वह पर्यावरण का अंश है। मिट्टी, जलवायु, पेड़-पौधे, कीट-पतंगे और जीवाणु पर्यावरण के घटक हैं। सम्पूर्ण प्रकृति जीवमात्र की सुरक्षा और उसके पालन-पोषण का प्रयत्न करती है। प्रकृति के मध्य में पृथिवी, जल, अग्नि, वायु और आकाश पर्यावरण का सृजन और संरक्षण करते हैं। इनके सन्तुलित और शान्तरूप उपयोग से ही जीवन सुरक्षित रह सकता है।

2. स्वस्थं पर्यावरणमेव ……………………………….. प्रदूषणम् प्रसारयन्ति।

शब्दार्था:-दोहनेन = दोहन करने से। विकृतं = विकार युक्त। अपशिष्टः = बचे हुए। अपघटनं = निस्तारणं हेतु अक्षमः। उपानहौ = जूते। कमरबन्धः = बेल्ट। धनस्यूतः = मनीबैग। फलकानि = छिलके।

हिन्दी-अनुवाद-स्वस्थ पर्यावरण ही स्वस्थ जीवन का आधार होता है। प्राकृतिक पदार्थों या तत्त्वों के असन्तुलित उपभोग और दोहन से पर्यावरण प्रदूषण होता है। असन्तुलित पर्यावरण मनुष्य के स्वास्थ्य को विकारयुक्त और रोगयुक्त कर देता है। पर्यावरण के प्रदूषण से अनेक समस्याएँ (पैदा) हो जाती हैं। हमारे दैनिक जीवन में अनेक व्यर्थ के बचे हुए पदार्थों का उत्पादन होता रहता है। इनमें से अनेक ऐसे होते हैं। जिनका प्रकृति में विघटन नहीं होता (अर्थात् वे हमेशा उसी स्थिति में रहते हैं।)। जैसे—प्लास्टिक की वस्तुएँ, चमड़े का सामान जैसे-जूते, बेल्ट, बैग आदि और रसोई में उपयोग करने के बाद बची हुई चायपत्ती, फलों और सब्जियों के छिलके आदि भी प्रदूषण फैलाते हैं।

3. अद्य नानाविधैः ……………………………….. विलुप्ततां प्राप्स्यति।

शब्दार्थाः-नानाविधैः = अनेक प्रकार से। दूषितं = दूषणयुक्त। वर्धमानः = बढ़ता हुआ। परितः = चारों ओर। वातानाम् = वायु का। बहिर्गन्तुम् = बाहर निकलने के लिए। अवरोधयति = बाधित करता है। उष्णता = गर्मी। विलुप्तता प्राप्स्यति = नष्ट हो जायेगा।

हिन्दी-अनुवाद-आज अनेक प्रकार से पर्यावरण दूषित होता है। जैसे जल-वायु-ध्वनि आदि के प्रदूषण के प्रभाव से प्राणियों का जीवनचक्र प्रभावित होता है। हरित गैस के प्रभाव से आज संसार का औसत तापमान बढ़ा है। हमारे चारों ओर वायु का इस प्रकार का आवरण है जो प्रकृति की ऊष्मा को पर्यावरण से बाहर जाने से रोकता है। इससे प्रकृति का तापमान बढ़ता है। तापमान में वृद्धि के कारण अनेक जीवों की प्रजातियाँ विनष्ट हो गयी हैं। नदियों और समुद्रों के जल की उष्णता भी बढ़ गयी है जिससे जल में रहने वाले जीवों का विनाश होता है। इससे जैविक असन्तुलन बढ़ता है। प्राकृतिक चक्र भी दुष्प्रभावित होता है। यदि हम अब भी नहीं जागे तो एक दिन सृष्टि ही विलुप्त हो जायेगी।

4. अतः अद्य स्वस्थं ……………………………….. सफला भविष्यति।

शब्दार्थाः-प्रतिपादितवन्तः = प्रतिपादन किया। निक्षेपणं = समाप्त। सौरोर्जायाः = सौर ऊर्जा का। वायूर्जायाः = वायु ऊर्जा का। नदी तडागवापीनाम् = नदियों, तालाबों और बावड़ियों की। अवरुद्धं = अवरोधित करते हैं। संस्मृत्य = याद करके। तर्हि = तो।

हिन्दी-अनुवाद-अतः आज स्वस्थ और स्वच्छ पर्यावरण की आवश्यकता है। पर्यावरण की रक्षा धर्मसम्मत ही है। ऐसा हमारे ऋषियों ने प्रतिपादित किया है। यह आवश्यक है कि हम अपना जीवन सन्तुलित करें। प्रकृति के संसाधनों का संरक्षण करें। अपशिष्ट पदार्थों का (कचरे का) निस्तारण सावधानीपूर्वक करें। आज प्रदूषण के निवारण के लिए सरकार के द्वारा महान् प्रयास किये जा रहे हैं। उन प्रयासों में हम भी सहभागी होते हैं। अधिकाधिक वृक्षारोपण और उनकी सुरक्षा करते हैं। प्राकृतिक जलस्रोतों की सुरक्षा करते हैं। इस प्रकार से सौर ऊर्जा और वायु ऊर्जा का उपयोग करते हैं। सर्वत्र स्वच्छता का पालन करते हैं। जीवमात्र की सुरक्षा करते हैं। नदी, तालाब और वापियों की स्वच्छता स्थापित करते हैं। ध्वनिविस्तारक यन्त्र के उपयोग को रोकते हैं और (यदि) पर्यावरण के महत्त्व की आवश्यकता को स्मरण करके हम उसके संरक्षण का प्रयत्न करेंगे तो विश्व सुखी और सम्पन्न होगा। तभी हमारी ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः (सभी सुखी हो सभी निरोगी हों) की कामना सफल होगी।

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