RBSE Solutions for Class 12 Sociology Chapter 9 जनसंचार, सामाजिक परिवर्तन एवं सामाजिक आन्दोलन

हेलो स्टूडेंट्स, यहां हमने राजस्थान बोर्ड Class 12 Sociology Chapter 9 जनसंचार, सामाजिक परिवर्तन एवं सामाजिक आन्दोलन सॉल्यूशंस को दिया हैं। यह solutions स्टूडेंट के परीक्षा में बहुत सहायक होंगे | Student RBSE solutions for Class 12 Sociology Chapter 9 जनसंचार, सामाजिक परिवर्तन एवं सामाजिक आन्दोलन pdf Download करे| RBSE solutions for Class 12 Sociology Chapter 9 जनसंचार, सामाजिक परिवर्तन एवं सामाजिक आन्दोलन notes will help you.

राजस्थान बोर्ड कक्षा 12 Sociology के सभी प्रश्न के उत्तर को विस्तार से समझाया गया है जिससे स्टूडेंट को आसानी से समझ आ जाये | सभी प्रश्न उत्तर Latest Rajasthan board Class 12 Sociology syllabus के आधार पर बताये गए है | यह सोलूशन्स को हिंदी मेडिअम के स्टूडेंट्स को ध्यान में रख कर बनाये है |

Rajasthan Board RBSE Class 12 Sociology Chapter 9 जनसंचार, सामाजिक परिवर्तन एवं सामाजिक आन्दोलन

RBSE Class 12 Sociology Chapter 9 अभ्यासार्थ प्रश्न

RBSE Class 12 Sociology Chapter 9 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न में कौन – सी इकाई जनसंचार से संबंधित है –
(अ) समय
(ब) संदेश
(स) संस्था
(द) समुदाय
उत्तरमाला:
(ब) संदेश

प्रश्न 2.
निम्न में से कौन – सा तत्व सामाजिक आंदोलन से संबंधित नहीं है –
(अ) विचारधारा
(ब) चमत्कारी नेतृत्व
(स) संरचना
(द) संगठन
उत्तरमाला:
(स) संरचना

प्रश्न 3.
सीताराम दास कौन से आंदोलन से जुड़े थे?
(अ) बिजौलिया
(ब) भगत
(स) खेजड़ली
(द) आर्य समाज
उत्तरमाला:
(अ) बिजौलिया

प्रश्न 4.
भगत आंदोलन का केन्द्र क्या था?
(अ) टाटगढ़
(ब) मानगढ़
(स) खेजड़ली
(द) बिजौलिया
उत्तरमाला:
(ब) मानगढ़

RBSE Class 12 Sociology Chapter 9 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जनसंचार का अर्थ क्या है?
उत्तर:
जब कोई संदेश या समाचार किसी माध्यम से आमजन तक पहुँचाया जाता है, तो इसे जनसंचार कहा जाता है।

प्रश्न 2.
जनसंचार की प्रमुख इकाइयों के नाम लिखिए।
उत्तर:
जनसंचार की प्रमुख तीन इकाइयाँ हैं – स्रोत, संदेश तथा लक्ष्य।

प्रश्न 3.
संदेश का अर्थ बताइए।
उत्तर:
संदेश जनसंचार की वह इकाई है जो प्रतीकात्मक हो सकता है अथवा उसका प्रयोग भाषा के रूप में भी हो सकता है।

प्रश्न 4.
सामजिक आंदोलन का अर्थ बताइए।
उत्तर:
समाज में जब कोई समूह या अनेक लोग इच्छित परिवर्तन लाने के लिए सामूहिक प्रयास करते हैं तो इसे सामाजिक आंदोलन कहा जाता है।

प्रश्न 5.
सामाजिक आंदोलन के किन्हीं दो तत्त्वों को बताइए।
उत्तर:
विचारधारा एवं स्रोत सामाजिक आंदोलन के दो तत्त्व हैं।

प्रश्न 6.
बिजौलिया किसान आंदोलन कब प्रारंभ हुआ?
उत्तर:
बिजौलिया किसान आंदोलन की शुरुआत सन् 1899 के समय पड़े महा अकाल के कारण हुई थी।

प्रश्न 7.
भगत आंदोलन का संचालन किसने किया था?
उत्तर:
भगत आंदोलन का संचालन गोविंद गुरु ने किया था, जो बंजारा समुदाय के थे।

प्रश्न 8.
खेजड़ली आंदोलन का प्रमुख कारण क्या था?
उत्तर:
खेजड़ी के हरे वृक्षों की वृहद् स्तर पर कटाई करने से रोकना ही इस आंदोलन के होने का प्रमुख कारण था।

प्रश्न 9.
ब्रह्म समाज की स्थापना किसने की थी?
उत्तर:
1828 में ब्रह्म समाज की स्थापना राजा राममोहन राय ने की थी।

प्रश्न 10.
स्वामी विवेकानंद ने किस संस्था की स्थापना की?
उत्तर:
स्वामी विवेकानंद ने 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी।

RBSE Class 12 Sociology Chapter 9 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जनसंचार एवं सामाजिक परिवर्तन को समझाइए।
उत्तर:
जनसंचार:
यह एक माध्यम है जिसके द्वारा संदेश, सूचना एवं विचार आम लोगों तक पहुँचते हैं, इसी के प्रभाव से लोगों को समस्त सूचनाएं व जानकारी उपलब्ध होती हैं तथा लोग सामाजिक आंदोलन के प्रति जागरूक होते हैं। जब समाज में व्यक्तियों का समूह आंदोलन करता है तो समाज बदलाव या परिवर्तन दृष्टिगोचर होते हैं।

सामाजिक परिवर्तन:
जब समाज के सदस्य जागरूक होकर समाज में व्याप्त किसी समस्या के निदान के लिए एकत्रित होकर क्रांति या आंदोलन करते हैं, तो समाज में सामाजिक परिवर्तन होता है। जनसंचार के साधनों से; जैसे – रेडियो, टी.वी., समाचार – पत्र व इंटरनेट आदि साधनों के माध्यम से परिवर्तन समाज में दिखायी देता है।

प्रश्न 2.
जनसंचार का महत्त्व बताइए।
उत्तर:
जनसंचार का महत्त्व:

  1. जागरूकता पैदा करने में सहायक:
    जनसंचार के साधनों के माध्यम से लोगों में जागरूकता व चेतना का प्रसार हुआ है। इससे उन्हें अपने अधिकारों व कर्तव्यों के विषय में भी जानकारी प्राप्त हुई है।
  2. सामाजिक परिवर्तन में सहायक:
    संचार के साधनों के द्वारा ही लोगों को परिवर्तन लाने की प्रेरणा मिली। इन्हीं साधनों को आधार बनाकर उन्होंने अन्य लोगों तक विचारों का प्रसार किया, जिससे समाज में सामाजिक परिवर्तन को बल मिला।
  3. राष्ट्रीय एकता में वृद्धि:
    समस्त नागरिकों में राष्ट्रभक्ति की भावना को जागृत करने में संचार साधनों ने अपनी अहं भूमिका का निर्वाह किया है। इससे लोगों को संगठित होने का प्रोत्साहन भी मिला है।

प्रश्न 3.
जनसंचार के संरचनात्मक पक्ष को समझाइए।
उत्तर:
समाज में जनसमूह के विचारों, क्रियाओं, अंतक्रियाओं तथा व्यवहारों को प्रभावित कर देना, उनमें परिवर्तन लाने के लिए उन तक पहुँचा देना ही जनसंचार है जो कि क्रमशः तीन इकाइयों से निर्मित होता है। जनसंचार के संरचनात्मक पक्ष को निम्न प्रकार से समझ सकते हैं –
RBSE Solutions for Class 12 Sociology Chapter 9 जनसंचार, सामाजिक परिवर्तन एवं सामाजिक आन्दोलन 1

  1. स्रोत: जनसंचार में स्रोत प्रथम इकाई है तथा इसे किसी विचार, संदेश या समाचार का उत्पत्ति स्थल कहते हैं।
  2. संदेश: ये अनेक रूप में हो सकता है; जैसे – भाषा या कथन के रूप में।
  3. लक्ष्य: यह जनसंचार की वह इकाई है, जिसके लिए संदेश प्रेषित किया जाता है।

प्रश्न 4.
बिजौलिया आंदोलन का स्रोत क्या था? समझाइए।
उत्तर:
बिजौलिया आंदोलन के स्रोतों को निम्नलिखित तथ्यों के माध्यम से समझा सकते हैं –

  1. राजस्थान के किसान आंदोलन या बिजौलिया आंदोलन का आरंभ 1899 में पड़े महा अकाल के कारण हुई थी।
  2. अकाल से राजस्थान में मेवाड़ क्षेत्र के भीलवाड़ा जिले के बिजौलिया के किसानों पर संकट के बादल मंडराने लगे।
  3. ब्रिटिश शासकों के पास सत्ता थी व शासन व्यवस्था का संचालन जागीर प्रथा से हो रहा था।
  4. प्राकृतिक प्रकोप तथा ठेकेदारों द्वारा भारी लगान वसूली और शोषण हुआ जिससे लोगों का पलायन प्रारंभ हुआ।

इसी आधार पर बिजौलिया क्षेत्र से पलायन के बाद शेष बचे किसानों ने शोषण और भारी लगान के विरोध में विद्रोह कर दिया, यही बिजौलिया आंदोलन का मुख्य स्रोत रहा।

प्रश्न 5.
बिजौलिया किसान आंदोलन के परिणाम पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
बिजौलिया किसान आंदोलन के परिणाम:

  • किसान आंदोलन का परिणाम किसानों के लिए अनुकूल रहा।
  • इस आंदोलन से किसानों की अनेक मांगें स्वीकार कर ली गई थीं।
  • किसानों ने 84 प्रकार के कर वसूले जा रहे थे। उनमें से 35 लागतें माफ कर दी गयीं।
  • शोषण करने वाले अनेक अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया।
  • किसानों को जमींदारों के शोषण, दमन तथा लगान के बढ़ते बोझ से काफी राहत मिली।

प्रश्न 6.
भगत आंदोलन की पृष्ठभूमि बताइए।
उत्तर:
भगत आंदोलन की पृष्ठभूमि:

  1. के. एस. सिंह एक प्रसिद्ध मानवशास्त्री हैं। उन्होंने कालखंड के आधार पर पहला खंड 1795 से 1860 तक बताया। जोकि जनजातीय आंदोलन की पृष्ठभूमि तैयार करने वाला था अर्थात् इसी से भारत में ब्रिटिश शासन की स्थापना हुई थी।
    के. एस. सिंह के अनुसार दूसरा खंड 1860 से 1920 तक का है। इस अवधि में भारत में उपनिवेशवाद की जड़ें बहुत मजबूत हो गयीं।
  2. तीसरे खंड में ब्रिटिश शासन के समय 1920 से लेकर स्वतंत्रता प्राप्ति तक जो नीतियाँ क्रियान्वित हुईं, उनसे जनजातीय समुदाय में शोषण का विरोध हुआ।

प्रश्न 7.
भगत आंदोलन के प्रमुख उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
भगत आंदोलन के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं –

  1. आंदोलन का केन्द्र:
    बिंदु जनजातीय समुदाय विशेष रूप से भील जनजाति था। इस आंदोलन का प्रथम उद्देश्य था – जनजातीय समुदाय का धार्मिक एवं सांस्कृतिक उत्थान।
  2. दूसरा उद्देश्य:
    ब्रिटिश शासकों एवं स्थानीय शासकों द्वारा किये जा रहे शोषण, दमन एवं बेगार के विरुद्ध आंदोलन करना था।
    जनजातीय समुदाय के लोगों को राहत पहुँचाना। भगत आंदोलन को सशक्त बनाने के लिये गांव के स्तर पर सामाजिक धार्मिक संगठन की स्थापना करना भी इसका एक अहम् उद्देश्य था। बेट बेगार से मुक्ति दिलाना भी एक महत्वपूर्ण उद्देश्य था।

प्रश्न 8.
खेजड़ली आंदोलन क्यों हुआ? कारण समझाइए।
उत्तर:
खेजड़ली आंदोलन सन् 1730 में इसी गांव में हुआ था। आंदोलन को प्रथम चिपको आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है। खेजड़ी के हरे वृक्षों को कटने से बचाने के लिए इस आंदोलन की अग्रणी एक साहसी महिला थी। उनका नाम अमृता देवी था। खेजड़ली आंदोलन के होने का एक मुख्य कारण यह था कि, अमृता देवी को ज्ञात हुआ कि जोधपुर महाराज के यहाँ से अनेक लोग खेजड़ली गांव में आ गये थे।

वे एक विशेष प्रयोजन से इस गांव में आए थे। उनका उद्देश्य था खेजड़ी के हरे वृक्षों की वृहद् स्तर पर कटाई करना। हरे वृक्षों को काटकर उनकी लकड़ियों को चूना बनाने के लिए काम में उपयोग करना था तथा साथ ही यह चूना जोधपुर महाराज द्वारा एक नया महल निर्मित करने के लिए तैयार करना भी था। यही अहम् कारण था। इस आंदोलन का जिसे बचाने के लिए अनेक लोगों ने अपने प्राण न्यौछावर कर दिये।

प्रश्न 9.
खेजड़ली आंदोलन का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
हरे वृक्षों को बचाने के लिए अनेक लोगों ने अपने प्राण त्याग दिये। इस संपूर्ण घटना को सुनकर जोधपुर के तत्कालीन महाराज अभय सिंह ने अपने ही अधिकारियों द्वारा किये गए कृत्य के प्रति अफसोस प्रकट किया तथा ताम्रपत्र पर एक आदेश जारी किया –

  1. विश्नोई गांवों की राजस्व सीमाओं के अंदर सभी प्रकार के हरे वृक्षों की कटाई एवं जानवरों के शिकार को कठोरता से प्रतिबंधित किया गया।
  2. यह भी आदेशित किया गया कि यदि भूल से कोई व्यक्ति उपर्युक्त आदेश का उल्लंघन करता है तो उसे राज्य द्वारा गंभीर रूप से दंड दिया जाएगा।
  3. इस प्रकार के घटनाक्रम के प्रभाव से शासक परिवार के किसी भी सदस्य ने विश्नोई गांवों में व उनके आस – पास के गांवों में कोई भी शिकार नहीं किया।

प्रश्न 10.
आर्य समाज की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
आर्य समाज की मुख्य विशेषताएँ:

  1. मानव – मानव के बीच बंधुत्व की भावना को विकसित करना।
  2. स्त्री – पुरुष के मध्य पायी जाने वाली असमानता को दूर करना।
  3. बहुदेववाद एवं मूर्ति पूजा का विरोध करना।
  4. बाल विवाह तथा जाति प्रथा का विरोध करना।
  5. स्त्रियों में शिक्षा का प्रसार करना।
  6. ‘शुद्धि आंदोलन’ द्वारा धर्म परिवर्तन कर लेने वाले हिंदुओं को पुनः हिंदू धर्म में लाना।
  7. सामाजिक, धार्मिक एवं राष्ट्रीय एकता को स्थापित करना।
  8. समस्त नागरिकों के प्रति प्रेम तथा स्नेह की भावना का विकास करना।

प्रश्न 11.
रामकृष्ण मिशन की स्थापना के उद्देश्य समझाइए।
उत्तर:
रामकृष्ण मिशन की स्थापना 1897 में स्वामी विवेकानंद के द्वारा की गयी थी, इसके उद्देश्य निम्नलिखित हैं –

  1. जाति प्रथा का विरोध करना तथा ब्राह्मणों के अधिकारवाद का विरोध करना।
  2. मानवतावादी विचारों से जनकल्याण के कार्यक्रमों का संचालन करना।
  3. छुआछूत जैसी समस्या का विरोध करना।
  4. जन – सामान्य के जीवन में यूरोप और अमेरिका के अंधे अनुकरण का विरोध करना।
  5. ‘बहुजन हिताय: बहुजन सुखायः’ के आदर्श पर आधारित मानव सेवा के कार्य करना।

RBSE Class 12 Sociology Chapter 9 निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जनसंचार के अवधारणात्मक पक्ष को समझाते हुए इसकी संरचना की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
जनसंचार का अवधारणात्मक पक्ष:
समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से जनसंचार एक सामाजिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा सूचनाओं, संदेशों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाया जाता है।

लारसेन के अनुसार – किसी अवैयक्तिक साधन से अपेक्षाकृत बहुत से जनों को एक ही समय में किसी संदेश का प्रेषण जनसंचार कहलाता है। ये सभी अवैयक्तिक साधन तकनीक (प्रेस, रेडियो, सिनेमा व टी.वी.) से सीधे ही अपने श्रोताओं, पाठकों और दर्शकों को अपना संदेश देते हैं। ये संदेश नियमित भी होते हैं तथा तात्कालिक भी।

जनसंचार साधनों के लिए तीन बातें आवश्यक व महत्त्वपूर्ण हैं –

  1. दिये जाने वाले संदेश के प्रति लोगों का ध्यान आकृष्ट हो।
  2. अपेक्षा के अनुसार ही लोग संदेश को ग्रहण करें।
  3. लोग उस संदेश के बारे में अपनी प्रतिक्रिया देने में सक्षम हों।
  4. जनसंचार की अवधारणात्मक विवेचना से यह स्पष्ट है कि जनसंचार एक महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है, इससे आम लोगों को वैचारिक रूप से प्रभावित किया जा सकता है। उनकी मनोवृत्तियों एवं व्यवहारों में भी परिवर्तन की अपेक्षा की जा सकती है।

जनसंचार की संरचना:
जनसंचार के संरचनात्मक पक्ष को इसके तीन महत्त्वपूर्ण इकाइयों के माध्यम से समझा जा सकता है –

  1. प्रथम इकाई ‘स्रोत:
    जनसंचार की प्रथम इकाई स्रोत के रूप में होती है। स्रोत से तात्पर्य विचार की उत्पत्ति, घटना का घटित होना अथवा प्रकटीकरण है। जैसे – राजनेता का भाषण व कोई अवांछनीय कृत्य करना आदि सब जनसंचार के स्रोत कहे जाते है, जो किसी विचार, संदेश व समाचार का उत्पत्ति स्थल है। यही जनसंचार की प्रथम इकाई है।
  2. दूसरी इकाई ‘संदेश:
    जनसंचार संरचना की दूसरी इकाई है ‘संदेश’ जो कि प्रतीकात्मक हो सकता है या किसी भाषा के रूप में हो सकता है इसे ‘विषय – वस्तु’ भी कहते हैं। इसके साथ ही यह कथन अथवा प्रत्यक्ष घटित होने वाली घटना भी हो सकती है। जैसे हिंसा के लिए उकसाना, अभद्र व्यवहार या अराजकता फैलाना आदि। ये सभी उदाहरण एक संदेश के रूप में हैं अर्थात् जनसंचार संरचना की दूसरी इकाई है।
  3. तीसरी इकाई ‘लक्ष्य’:
    जनसंचार की तीसरी इकाई ‘लक्ष्य’ है। ‘लक्ष्य’ से तात्पर्य उस जनसमूह से है, जिसके लिए संदेश प्रेषित किया जाता है तथा साथ ही विचार उत्पन्न भी किये जाते हैं।
    जनसमूह के विचारों, क्रियाओं व अंतक्रियाओं और व्यवहारों को प्रभावित कर देना, उनमें परिवर्तन लाने के लिए उन तक पहुँचा – देना ही जनसंचार है जो कि क्रमशः तीन इकाइयों से निर्मित होता है।

प्रश्न 2.
सामाजिक आंदोलन के प्रमुख तत्वों का वर्णन करिए।
उत्तर:
सामाजिक आंदोलन के प्रमुख तत्त्वों का विवेचन निम्न प्रकार से है –

  1. विचारधारा:
    सामाजिक आंदोलन का एक ठोस व मजबूत आधार विचारधारा होती है। यह विचारधारा ही सामाजिक आंदोलन की परिस्थिति को समझने में सहायता करती है व उसकी पूर्ण रूपरेखा भी प्रस्तुत करती है। विचारधारा के आधार पर ही सामाजिक आंदोलन के उद्देश्यों एवं उन्हें प्राप्त करने के तरीकों को प्रस्तुत किया जाता है।
  2. चमत्कारी नेतृत्व:
    सामाजिक आंदोलन की विचारधारा को प्रभावी तरीके से आम लोगों तक संप्रेषित करने के लिए चमत्कारी नेतृत्व एक महत्वपूर्ण तत्व है। नेतृत्व के अभाव में कोई भी आंदोलन सफल नहीं हो सकता है। आंदोलन के उद्देश्य के अनुसार अधिक से अधिक लोगों को साथ लेकर आगे बढ़ना नेतृत्व पर ही निर्भर करता है।
  3. कटिबद्ध अनुयायी:
    नेतृत्व को मान्यता प्रदान करने वाले अनुयायी ही सामाजिक आंदोलन को सफल बनाते हैं। अनुयियों के कारण सभी प्रकार के अवरोध आंदोलनों में दूर करने से सामूहिक प्रयास सफल हो जाते हैं।
  4. संगठन:
    संगठन को सामाजिक आंदोलन का केन्द्रीय तत्व कह सकते हैं। इसके माध्यम से आंदोलन के उद्देश्य की ओर व्यूह – रचना के अनुसार आगे बढ़ते हैं। संगठन के अभाव में आंदोलन दिशाहीन होकर कमजोर पड़ जाता है।
  5. व्यूह – रचना:
    व्यूह योजना एक प्रकार से संपूर्ण आंदोलन को चरणबद्ध तरीके से संचालित करने की योजना है। संक्षेप में सामाजिक आंदोलन की व्यूह – रचना सामाजिक आंदोलन की धुरी होती है। इसी के इर्द – गिर्द नेतृत्व एवं अनुयायी अपनी योग्यता एवं क्षमताओं का प्रदर्शन करते रहते हैं।

अतः उपरोक्त आंदोलन के तत्वों से आंदोलन को एक नवीन दिशा मिलती है, जिससे आंदोलन सफल होता है।

प्रश्न 3.
बिजौलिया किसान आंदोलन के घटनाक्रम की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
बिजौलिया किसान आंदोलन के जनक ‘विजय सिंह पथिक’ थे। उनका नाम भूपसिंह गुर्जर था। इनसे पूर्व बिजौलिया के एक साधु सीताराम दास ने बिजौलिया किसान आंदोलन का नेतृत्व किया था। विजय सिंह पथिक ने 1916 में बिजौलिया पहुँचकर वहाँ पर आंदोलन की कमान संभाल ली। उन्होंने बिजौलिया के किसानों को एकजुट कर तत्कालीन सामंती व्यवस्था के विरुद्ध जनचेतना जागृत की। माणिक्यलाल वर्मा भी पथिक के संपर्क में आये तथा बिजौलिया में सामंती शोषण एवं उत्पीड़न के विरोध में किसानों को जागरूक किया।
बिजौलिया किसान आंदोलन के घटनाक्रम को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से स्पष्ट कर सकते हैं, जो निम्नलिखित हैं –

  1. ब्रिटिश शासनकाल में जागीर प्रथा का प्रचलन व सामंत शाही चरम पर थी। आंदोलन के घटनाक्रम में प्रकृतिक प्रकोप के साथ ठिकानेदारों द्वारा किसानों का शोषण करना प्रमुख था। किसानों में जागृति उत्पन्न कर उन्हें संगठित करने के प्रयास हुए।
  2. विजय सिंह पथिक ने प्रत्येक गांव में किसान पंचायत की शाखाएँ खोली।
  3. किसान पंचायतों के माध्यम से भूमिकर अधिभार एवं किसानों को बेगार से मुक्त करवाना आंदोलन का प्रमुख उद्देश्य था।
  4. किसान पंचायतों ने भूमिकर देने से मना कर दिया। इस तरह से यह किसान आंदोलन अन्य क्षेत्रों के किसानों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गया।
  5. साहूकार किसानों का शोषण कर रहे थे क्योंकि साहूकारों को जमींदारों का सहयोग व संरक्षण मिल रहा था, परंतु किसान आंदोलन निरंतर सशक्त होता रहा।
  6. विजय सिंह पथिक के प्रयासों से 1920 में अजमेर में ‘राजस्थान सेवा संघ’ की स्थापना हुई। इससे आंदोलन की गति में तीव्रता आ गयी।
  7. ब्रिटिश सरकार किसान आंदोलन के अग्रणी नेताओं और संगठन से वार्ता को तैयार हो गयी तथा वार्ता के लिए राजस्थान के ए. जी. जी., हालैण्ड को नियुक्त किया।
  8. ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधि ने किसान पंचायत बोर्ड और राजस्थान सेवा संघ से वार्ता की। शीघ्र ही दोनों पक्षों में समझौता हो गया व किसानों की अभूतपूर्व विजय हुई।

प्रश्न 4.
खेजड़ली आंदोलन की घटना का वर्णन कीजिए। इससे क्या संदेश मिला समझाइए?
उत्तर:
खेजड़ली आंदोलन को प्रथम चिपको आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है। खेजड़ी के वृक्षों को बचाने के लिए साहसी महिला अमृता देवी ने अपने प्राणों की आहुति भी दी थी। अमृतादेवी की दृढ़ता व साहस की घटना से इस आंदोलन की शुरुआत हुई। खेजड़ी के हरे वृक्ष से लिपट कर स्वयं का सिर कटवाने वाली सशक्त महिला की प्रेरणा से विश्नोई समुदाय के 294 पुरुषों और 69 महिलाओं ने अर्थात् विश्नोई समुदाय के कुल 363 सदस्यों ने अपने जीवन का बलिदान कर दिया।

प्रमुख घटनाक्रम:
खेजड़ली आंदोलन की सबसे प्रमुख घटना सिंतबर 1730 में घटित हुई। इतिहास के अनुसार भारतीय पंचांग में भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की दसवीं तिथि पर्यावरण सुरक्षा के लिए बलिदान की तिथि मानी जाती है। इस तिथि को अमृता देवी को ज्ञात हुआ कि जोधपुर महाराजा के यहाँ से अनेक लोग विशेष प्रयोजन से आए थे। प्रयोजन था खेजड़ी के हरे वृक्षों की वृहद् स्तर पर कटाई करना। हरे वृक्षों को काटकर उनकी लकड़ियों को चूना बनाने के लिए काम में लेना। यह चूना जोधपुर महाराजा द्वारा एक नया महत्व निर्मित करने के लिए तैयार करना था। खेजड़ी के वृक्ष सहज रूप से उपलब्ध थे।

यद्यपि यह क्षेत्र रेगिस्तान का ही एक भाग था। लेकिन खेजड़ी के असंख्य वृक्षों के कारण इस क्षेत्र में बहुत हरियाली थी। अमृता देवी ने दृढ़ निश्चय कर लिया कि किसी भी परिस्थितियों में खेजड़ी के एक भी हरे वृक्ष को नहीं कटने देगी। इसके बदले उसे अपना बलिदान भी देना है तो वह तैयार है। अमृता देवी ने अपने जीवन का सर्वोच्च मूल्य के अनुसार अपना बलिदान देना स्वीकार किया।

उसके साथ उनकी तीनों बेटियों ने भी अपने प्राणों की आहुति दे दी। अमृता देवी व उनकी बेटियों के बलिदान का समाचार जंगल में आग के समान फैल गया। समुदाय के 83 गाँवों में सूचना हो गई। सभी ने एक साथ मिलकर सामूहिक कार्यवाही का निर्णय लिया। अब तक कुल 294 पुरुष और 69 महिलाएँ शहीद हो चुके थे। ये सभी विश्नोई समुदाय के थे। बूढ़े, प्रौढ़, युवतियाँ, विवाहित, अविवाहित व अमीर – गरीब सभी का प्रतिनिधित्व हो गया। खेजड़ली गांव के आंदोलन से बलिदान, त्याग, साहस व संगठित एकता का संदेश मिलता है।

RBSE Class 12 Sociology Chapter 9 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

RBSE Class 12 Sociology Chapter 9 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
जनसंचार क्या है?
(अ) माध्यम
(ब) साधन
(स) स्रोत
(द) सभी
उत्तरमाला:
(द) सभी

प्रश्न 2.
संपर्क कैसा होता है?
(अ) प्रत्यक्ष
(ब) अप्रत्यक्ष
(स) दोनों
(द) कोई भी नहीं
उत्तरमाला:
(स) दोनों

प्रश्न 3.
जनंसचार की गति किस स्तर की है?
(अ) वैश्विक
(ब) क्षेत्रीय
(स) मानवीय
(द) कोई भी नहीं
उत्तरमाला:
(अ) वैश्विक

प्रश्न 4.
जनसंचार संबंधित है –
(अ) आंदोलन
(ब) परिवर्तन
(स) जागरूकता
(द) सभी
उत्तरमाला:
(द) सभी

प्रश्न 5.
“जनसंचार के साधन लोगों की मनोवृत्तियों व मूल्यों को प्रभावित करते हैं।” यह कथन किसका है?
(अ) लारसेन
(ब) सीमेल
(स) कर्वे
(द) पेज
उत्तरमाला:
(ब) सीमेल

प्रश्न 6.
जनसंचार की संरचना का निर्माण कितनी इकाइयों से होता है?
(अ) चार
(ब) सात
(स) ग्यारह
(द) विभिन्न इकाई
उत्तरमाला:
(द) विभिन्न इकाई

प्रश्न 7.
जनसंचार का विकसित रूप किस सदी में तीव्र हुआ?
(अ) 21वीं सदी
(ब) 19वीं सदी
(स) 18वीं सदी
(द) 17वीं सदी
उत्तरमाला:
(अ) 21वीं सदी

प्रश्न 8.
सामाजिक आंदोलन का केन्द्रीय तत्त्व है –
(अ) विरोध
(ब) संगठन
(स) योजना
(द) कोई भी नहीं
उत्तरमाला:
(ब) संगठन

प्रश्न 9.
सामाजिक परिवर्तन है –
(अ) सार्वभौमिक
(ब) अवश्यंभावी
(स) दोनों
(द) कोई भी नहीं
उत्तरमाला:
(स) दोनों

प्रश्न 10.
बिजौलिया आंदोलन था –
(अ) किसान
(ब) मजदूर
(स) जाति
(द) सामंतवादी
उत्तरमाला:
(अ) किसान

प्रश्न 11.
पथिक ने बिजौलिया आंदोलन की कमान कब संभाली?
(अ) 1915
(ब) 1916
(स) 1917
(द) 1918
उत्तरमाला:
(ब) 1916

प्रश्न 12.
किसानों से कितने प्रकार के कर वसूल किए जा रहे थे?
(अ) 82
(ब) 83
(स) 84
(द) 88
उत्तरमाला:
(स) 84

प्रश्न 13.
पथिक को जेल से कब रिहा किया?
(अ) 1926
(ब) 1927
(स) 1928
(द) 1929
उत्तरमाला:
(ब) 1927

प्रश्न 14.
भगत आंदोलन संबंधित था –
(अ) भील
(ब) मीणा
(स) कूकी
(द) खासी
उत्तरमाला:
(अ) भील

प्रश्न 15.
संप किसका नाम है?
(अ) समुदाय
(ब) जाति
(स) गांव
(द) सभा
उत्तरमाला:
(द) सभा

प्रश्न 16.
ब्रिटिश शासकों के समक्ष कितने सूत्र का मांगपत्र रखा?
(अ) 30 सूत्रीय
(ब) 32 सूत्रीय
(स) 33 सूत्रीय
(द) 35 सूत्रीय
उत्तरमाला:
(स) 33 सूत्रीय

प्रश्न 17.
भगत आंदोलन का स्थल ………. था।
(अ) मानगढ़
(ब) भानगढ़
(स) टाटगढ़
(द) सूरजगढ़
उत्तरमाला:
(अ) मानगढ़

प्रश्न 18.
गोविंद गुरु किस जेल में रहे थे?
(अ) फैजाबाद
(ब) हैदराबाद
(स) फिरोजाबाद
(द) फरीदाबाद
उत्तरमाला:
(ब) हैदराबाद

प्रश्न 19.
चिपको आंदोलन में कितनी महिलाएँ शहीद हो गयीं?
(अ) 68
(ब) 70
(स) 69
(द) 72
उत्तरमाला:
(स) 69

प्रश्न 20.
प्रार्थना समाज की स्थापना कहाँ हुई?
(अ) मुंबई
(ब) कोलकाता
(स) दिल्ली
(द) मद्रास
उत्तरमाला:
(अ) मुंबई

RBSE Class 12 Sociology Chapter 9 अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
क्या जनसंचार एक सामाजिक प्रक्रिया है?
उत्तर:
समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से जनसंचार एक सामाजिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा सूचनाओं, संदेशों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाया जाता है।

प्रश्न 2.
अवैयक्तिक साधना किसे कहते हैं?
उत्तर:
ये साधन सीधे ही अपने श्रोताओं व पाठकों को अपना संदेश देते हैं; जैसे – सिनेमा, टी.वी. तथा प्रेस आदि।

प्रश्न 3.
जनसंचार की इकाई स्रोत के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
राजनेता का भाषण तथा भड़काऊ बयान आदि स्रोत के उदाहरण हैं।

प्रश्न 4.
जनसंचार का सबसे सशक्त माध्यम आज कौन – सा है?
उत्तर:
जनसंचार का सबसे सशक्त माध्यम ‘इंटरनेट’ है।

प्रश्न 5.
प्रिंट मीडिया किसे कहते हैं?
उत्तर:
जहाँ छापेखाने या प्रेस के द्वारा संदेश, सूचना एवं विचार को पुस्तकों, पत्रिकाओं एवं समाचार पत्रों के माध्यम से आम जनों तक पहुँचाया जाता है, उसे प्रिंट मीडिया कहते हैं।

प्रश्न 6.
सांस्कृतिक परिवर्तन का आधार क्या है?
उत्तर:
मानवीय क्रियाएँ एवं अंतक्रियाएँ ही सामाजिक परिवर्तन का आधार होती है।

प्रश्न 7.
संचार के महत्त्व को किस आधार पर समझा जाता है?
उत्तर:
संचार के महत्त्व को देश, काल व परिस्थिति के आधार पर समझा जाता है।

प्रश्न 8.
प्रचलित समाज व्यवस्था किससे प्रभावित होती है?
उत्तर:
सामूहिक प्रयास से प्रचलित समाज व्यवस्था प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होती है।

प्रश्न 9.
बिजौलिया किसान आंदोलन के जनक कौन थे?
उत्तर:
बिजौलिया किसान आंदोलन के जनक ‘विजय सिंह पथिक’ थे, उनका वास्तविक नाम भूपसिंह गुर्जर था।

प्रश्न 10.
पथिक किस किले में नजरबंद थे?
उत्तर:
पथिक ‘टाटगढ़ के किले में नजरबंद थे।

प्रश्न 11.
बिजौलिया किसान आंदोलन की शुरुआत किसने की थी?
उत्तर:
बिजौलिया किसान आंदोलन की शुरुआत ‘सीताराम दास’ ने की थी।

प्रश्न 12.
माणिक्यलाल वर्मा कौन थे?
उत्तर:
किसान आंदोलन में माणिक्यलाल वर्मा पथिक के संपर्क में आये तथा बिजौलिया में सामंती शोषण एवं उत्पीडन के विरोध में किसानों को जागरूक किया।

प्रश्न 13.
के. एस. सिंह कौन है?
उत्तर:
के. एस. सिंह एक प्रसिद्ध मानवशास्त्री हैं।

प्रश्न 14.
भगत आंदोलन क्यों प्रारंभ हुआ?
उत्तर:
भगत आंदोलन तत्कालीन सामाजिक, राजनैतिक परिस्थितियों के कारण प्रारंभ हुआ था।

प्रश्न 15.
गोविंद गुरु किस समुदाय से संबंध रखते थे?
उत्तर:
गोविंद गुरु बंजारा समुदाय के थे।

प्रश्न 16.
धूणी किसे कहा जाता है?
उत्तर:
गोविंद गुरु ने जनजातीय समुदाय के लोगों को हवन करना सिखाया, जिसे धूणी कहा जाता था।

प्रश्न 17.
धूणी की स्थापना कहाँ पर की गयी थी?
उत्तर:
गोविंद गुरु ने मानगढ़ की पहाड़ी पर मुख्य धूणी की स्थापना की थी।

प्रश्न 18.
गोविंद गुरु को किन – किन नामों से जाना जाता था?
उत्तर:
गोविंद गुरु को भगत, सामान्य भील, उजला भील तथा भगत भील आदि नामों से जाना जाता था।

प्रश्न 19.
मैला भील किसे कहा जाता था?
उत्तर:
जो नियमित स्नान नहीं करता, मांसाहारी भोजन तथा जो हवन नहीं करता है। उसे मैला भील कहा जाता है।

प्रश्न 20.
भगत आंदोलन कहाँ तक फैला था?
उत्तर:
यह आंदोलन राजस्थान के दक्षिणी क्षेत्र, विशेष रूप से बांसवाड़ा, डूंगरपुर तथा कुशलगढ़ तक सीमित था।

प्रश्न 21.
गोविंद गुरु की मृत्यु कब तथा कहाँ पर हुई?
उत्तर:
गोविंद गुरु अपने जीवनकाल के अंतिम दौर में गुजरात के कम्बोई में लिम्बड़ी के पास रहे तथा सन् 1931 में उनकी मृत्यु हो गई।

प्रश्न 22.
पर्यावरणीय आंदोलन किससे संबंधित आंदोलन थे?
उत्तर:
वे आंदोलन जो प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकारों से संबंधित थे, उन्हें पर्यावरणीय आंदोलन कहा जाता है।

प्रश्न 23.
खेजड़ी क्या है?
उत्तर:
खेजड़ी एक वृक्ष का नाम है, और इसी के आधार पर गांव का नाम खेजड़ली पड़ा व आंदोलन भी हुआ है।

प्रश्न 24.
किस समुदाय के सदस्यों का जीवन बलिदान हुआ था, खेजड़ली आंदोलन में?
उत्तर:
विश्नोई समुदाय के कुल 363 सदस्यों ने अपने जीवन का बलिदान कर दिया।

प्रश्न 25.
प्रार्थना समाज की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
प्रार्थना समाज की दो विशेषताएँ:

  1. नारी शिक्षा का प्रचार करना।
  2. विधवा विवाह का समर्थन प्रदान करना।

RBSE Class 12 Sociology Chapter 9 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जनसंचार के साधन किस प्रकार से व्यक्ति के मूल्यों व मनोवृत्तियों को प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
जनसंचार के साधन व्यक्ति के मूल्यों तथा मनोवृत्तियों को प्रभावित करते हैं, जो इस प्रकार से हैं –

  1. मूल्यों में बदलाव से व्यक्ति को सही व गलत के विषय में जानकारी प्राप्त होती है।
  2. इन साधनों के प्रभाव से व्यक्ति को समाज के स्वीकृत मानदंडों के बारे में ज्ञात होता है।
  3. इन साधनों के विकास के परिणामस्वरूप लोगों की मनोवृत्ति या आचार – विचार में भी बदलाव देखने को मिलता है।
  4. इन साधनों के विकास से लोगों में चेतना का विकास भी होता है।

प्रश्न 2.
सामाजिक परिवर्तन किसे कहते हैं?
उत्तर:
समाज में होने वाले परिवर्तन को सामाजिक परिवर्तन कहते हैं अर्थात् जब किसी भी सामाजिक घटना में किसी भी प्रकार का अंतर उसकी भूत अवस्था से वर्तमान अवस्था में होता है, तो इस अंतर को सामाजिक परिवर्तन कहा जाता है।

सामाजिक परिवर्तन समाज से संबंधित होता है तथा समाज सामाजिक संगठन, सामाजिक ढांचे तथा सामाजिक संबंधों का मिला हुआ रूप है। अतः समाज के इन सभी भागों में परिवर्तन को सामाजिक परिवर्तन कहा जाता है।

सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया सार्वभौमिक है। संसार के सभी देशों में सामाजिक परिवर्तन होता है। यह परिवर्तन सभी कालों में होता आया है। परिवर्तन की यह प्रक्रिया विश्व के सभी समाजों में क्रियाशील रहती है।

प्रश्न 3.
सामाजिक परिवर्तन एवं सांस्कृतिक परिवर्तन में भेद कीजिए।
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 12 Sociology Chapter 9 जनसंचार, सामाजिक परिवर्तन एवं सामाजिक आन्दोलन 2

प्रश्न 4.
प्रिंट मीडिया की विशेषता बताइए।
उत्तर:
प्रिंट मीडिया की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं –

  1. लिखित रूप में सूचनाओं की प्राप्ति:
    प्रिंट मीडिया के द्वारा लोगों को समस्त जानकारी या सूचनाएँ लिखित रूप में प्राप्त हो जाती हैं, जिसमें उन्हें समस्त जानकारी आसानी से उपलब्ध हो जाती है।
  2. समस्त गतिविधियों की जानकारी:
    प्रिंट मीडिया के द्वारा समाज के समस्त नागरिकों को समस्त क्षेत्रों की जानकारी व विभिन्न गतिविधियों के विषय में तथ्य प्राप्त होते हैं जिससे उनमें जागरूकता का विकास होता है।

प्रश्न 5.
इंटरनेट के दो लाभ बताइए।
उत्तर:
इंटरनेट के दो लाभ:

  1. देश – विदेश की जानकारी: इससे लोगों को देश – विदेश को जानकारी आसानी से बहुत जल्द उपलब्ध हो जाती है।
  2. कम समय में काम का होना: इससे लोगों के समस्त काम कुछ मिनटों में ही पूरा हो जाते हैं। इससे गणना भी आसानी से हो जाती है।

प्रश्न 6.
सामाजिक आंदोलन का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
किसी भी समाज में सामाजिक आंदोलन का प्रारंभ तब होता है, जब वहाँ के लोग वर्तमान स्थिति से असंतुष्ट हों, व उसमें परिवर्तन लाना चाहते हों। अनेक बार सामाजिक आंदोलन किसी परिवर्तन का विरोध करने के लिए भी किये जाते हैं। सामाजिक आंदोलन के पीछे कोई विचारधारा अवश्य होती है। किसी भी आंदोलन का प्रभाव पहले असंगठित रूप में होता है तथा धीरे – धीरे उसमें व्यवस्था व संगठन पैदा हो जाता है।

सामाजिक आंदोलन में प्रारंभिक समाजशास्त्रियों की रुचि परिवर्तन के एक प्रयास के रूप में ही रही, जबकि वर्तमान समाजशास्त्री सामाजिक आंदोलन को परिवर्तन उत्पन्न करने या उसे रोकने के प्रयास के रूप में देखते हैं। अतः सामाजिक आंदोलन एक सामूहिक प्रयास है जिसका उद्देश्य समाज अथवा संस्कृति में कोई आंशिक अथवा पूर्ण परिवर्तन लाना अथवा परिवर्तन का विरोध करना होता है।

प्रश्न 7.
सामाजिक आंदोलन का महत्त्व बताइए।
उत्तर:
सामाजिक आंदोलन का महत्व:

  1. परिवर्तन का सूचक:
    सामाजिक आंदोलन समाज में परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण सूचक या द्योतक है। इससे समाज में गतिशीलता पायी जाती है तथा समाज को एक नवीन दिशा की प्राप्ति होती है जिसके आधार पर समाज विकास के मार्ग पर अग्रसर होता है।
  2. कुरीतियों का अन्त:
    सामाजिक आंदोलनों के परिणामस्वरूप समाज में व्याप्त अनेक सामाजिक कुरीतियों; जैसे बाल – विवाह, सती प्रथा व विधवा विवाह पर प्रतिबंध आदि का समाज में अंत हुआ है।

प्रश्न 8.
सामाजिक आन्दोलन में व्यूह – रचना का क्या महत्व है?
उत्तर:
सामाजिक आन्दोलन में व्यूह-रचना का महत्व:

  1. चरणबद्ध योजना का संचालन:
    व्यूह – रचना से आन्दोलन में समस्त गतिविधियों का संचालन योजनाबद्ध तरीके से होता है जिससे संपूर्ण आन्दोलन एक निश्चित दिशा में अग्रसर होता है।
  2. उद्देश्य प्राप्ति में सहायक:
    व्यूह – रचना के माध्यम से आन्दोलन में उद्देश्य प्राप्ति की सम्भावना में वृद्धि होती है जिससे सदस्यों को उद्देश्य प्राप्ति में आसानी होती है। इससे लोगों में संगठनों की भावना का भी विकास होता है।

प्रश्न 9.
भगत आन्दोलन के स्रोत की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भगत आन्दोलन को दो महत्वपूर्ण स्रोतों के आधार पर समझाया जा सकता है –

  1. पहला स्रोत सामाजिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य से महत्त्वपूर्ण है। इसका तात्पर्य है जनजातीय समुदाय के लोगों का उद्धार करना। राजस्थान और गुजरात की सीमा पर जो जनजातीय समुदाय के लोग हैं उनका सामाजिक धार्मिक एवं सांस्कृतिक दृष्टिकोण से उद्धार करना। गलत आदतों की मुक्ति और धार्मिक – सांस्कृतिक उत्थान को बढ़ाना। सभी प्रकार के व्यसनों से मुक्ति और केवल शाकाहार अपनानां।
  2. भगत आंदोलन का दूसरा स्रोत ब्रिटिश शासन की दमनकारी नीतियाँ तथा स्थानीय शासकों द्वारा शोषण। दक्षिण राजस्थान के बांसवाड़ा, डूंगरपुर और कुशलगढ़ क्षेत्र के जनजातीय समुदाय विशेष रूप से भील जनजातीय के लोगों में अपने शोषण, दमन और बेगार के विरोध में सामूहिक चेतना की जागृति, विरोध एवं आंदोलन करना।

प्रश्न 10.
अल्पसंख्यक समुदाओं में हुए समाज सुधार आंदोलन पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
भारत में मुसलमानों में आधुनिक शिक्षा का प्रचार – प्रसार करने तथा विश्व – बंधुत्व की भावना को उजागर करने के लिए आंदोलन हुए। इनमें अहमदिया आंदोलन, अलीगढ़ आंदोलन व सर महमूद इकबाल द्वारा शुरू किया गया आंदोलन और शेख अब्दुल हामिल शाह का आंदोलन प्रमुख है।

भारत में पारसी समुदाय के निर्धन लोगों तथा महिलाओं को शिक्षित करने में सहायता के लिए चलाए गए कार्यक्रम आंदोलन के रूप में ही थे। इसमें ‘पारसी पंचायत’ प्रमुख है। इसके माध्यम से पारसी समुदाय के जटिल सामाजिक रीति – रिवाजों में सुधार लाने के प्रयत्न होते रहे हैं।

सिक्ख समुदाय में गुरुद्वारे के माध्यम से सामाजिक धार्मिक सुधार के अनेक कार्यक्रम संचालित हुए जो समाज सुधार आंदोलन के रूप में ही थे।

प्रश्न 11.
पर्यावरण आंदोलन की विशेषता बताइए।
उत्तर:
पर्यावरण आंदोलन की विशेषताएँ:

  1. पर्यावरण संरक्षण:
    पर्यावरण आंदोलन की विशेषता यह है कि ये पर्यावरण पर आधारित आंदोलन होते हैं। जिसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण को सुरक्षित रखना व उसे संरक्षण प्रदान करना है।
  2. प्राकृतिक संसाधनों पर बढ़ते हुए दबाव को रोकना:
    इन आंदोलन का संचालन प्राकृतिक संसाधनों पर बढ़ते हुए दबाव को रोकना है। औद्योगीकरण व नगरीकरण की प्रक्रिया के फलस्वरूप प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव बढ़ता गया। इनका अप्रत्याशित दोहन होने लगा। ऐसी दशा में पर्यावरण को बचाना विकास प्रक्रिया के लिए एक पूर्व आवश्यकता बनी।

प्रश्न 12.
खेजड़ली आंदोलन का स्रोत बताइए।
उत्तर:
राजस्थान के जोधपुर शहर के दक्षिण पूर्व में 26 किलोमीटर की दूरी पर खेजड़ली गांव बसा हुआ है। इस गांव का नाम खेजड़ी नामक वृक्ष के आधार पर ही रखा गया था। खेजड़ी के वृक्ष को बहुत पवित्र माना जाता है, इसलिए इस वृक्ष को पुराने समय से ही बहुत आदर भाव से देखा जाता रहा है। 1730 में यह आंदोलन इसी गांव में हुआ था। इसे ‘चिपको आंदोलन’ के नाम से भी जाना जाता है।

खेजड़ी के वृक्षों को बचाने के लिए अमृता देवी ने पहल करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। इस आंदोलन में खेजड़ली क्षेत्र के लोग, जो विश्नोई समुदाय से थे, अमृता देवी के साथ जुड़ गए। खेजड़ली के हरे वृक्ष से लिपट कर स्वयं का सिर कटवाने वाली सशक्त महिला की प्रेरणा से विश्नोई समुदाय के 294 पुरुषों एवं 69 महिलाओं ने अर्थात् विश्नोई समुदाय के कुल 363 सदस्यों ने अपने जीवन का बलिदान कर दिया।

RBSE Class 12 Sociology Chapter 9 निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सामाजिक जीवन में जनसंचार के साधनों पर प्रकाश डालते हुए, उनकी भूमिका की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
आधुनिक युग प्रचार का युग है और आधुनिक समाज, जनसमाज है। जनसमाज में जनता से संपर्क करने और विशाल जनसंख्या तक अपने विचारों को पहुँचाने के लिए जनसंचार के माध्यम उपयोगी होते हैं। जनसंचार के प्रमुख माध्यम निम्नलिखित हैं –
(1) समाचार – पत्र:

  • समाचार – पत्र में नित्य प्रति की स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं की सूचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं।
  • इसमें व्यवसाय, सेवा व विवाह इत्यादि से संबंधित विज्ञापन छपते हैं जिनके आधार पर संबंधित लोगों में पारस्परिक संपर्क होता है।
  • जनता के विचार ‘संपादक के नाम पत्र’ के कॉलम में प्रकाशित होते हैं।
  • संपादकीय (Editorial) समाचार – पत्र का महत्वपूर्ण अंग है क्योंकि उसके माध्यम से स्वयं संपादक अपना विचार जनता तक पहुँचाते हैं व जनता उन पर विचार करती है।

(2) टेलीविजन:

  • स्वाभाविक रूप से व्यक्ति का प्रत्यक्ष दर्शन होने से अधिक प्रभाव पड़ता है।
  • ये मनोरंजन का एक सशक्त साधन है, ज्ञानवर्धन में सहायक है और लोगों के व्यवहार निर्देशन का एक यंत्र भी है।
  • परिवार में अब बातचीत के स्थान पर दृश्य दर्शन बढ़ रहा है और परिवार एक वार्ता – समूह के स्थान पर श्रोता समूह होता जा रहा है।

(3) चलचित्र:

  • यह जनसंचार का सरल अत्यंत प्रभावशाली साधन है।
  • चलचित्रों में संक्षिप्त समाचारों को प्रत्यक्ष दर्शाया जाता है।
  • देश – विदेश की महत्वपूर्ण घटनाएँ, सामाजिक जीवन में होने वाले परिवर्तन आदि चलचित्रों के माध्यम से जनता तक पहुँचते हैं।

(4) इंटरनेट:

  • वर्तमान युग में इंटरनेट जनसंचार का एक बहुत ही शक्तिशाली माध्यम है।
  • लोग इंटरनेट के माध्यम से किसी भी देश के कोने में अन्य लोगों से संपर्क स्थापित कर सकते हैं।
  • आज इंटरनेट जनता की एक शक्तिशाली आवाज है जो संसार के समस्त क्षेत्रों में गूंजती है।

प्रश्न 2.
प्रजातांत्रिक समाजों में प्रेस के महत्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
आधुनिक युग में प्रेस प्रचार का सबसे प्रमुख साधन बना गया है। इसके द्वारा विभिन्न समाचार – पत्रों, पत्रिकाओं, विज्ञापनों, पुस्तकों, इश्तहारों तथा अन्य प्रकार की सामग्री का प्रकाशन होता है।
प्रेस को जनसंचार का सर्वाधिक महत्वपूर्ण साधन कहा जा सकता है, जिसके द्वारा समाचारों, विज्ञापनों, कार्टूनों, लेखों, कहानियों, उपन्यासों, कविताओं और संपादकीय लेखों आदि का प्रकाशन होता है। प्रेस में प्रकाशित सामग्री सुविधा के साथ सर्वसाधारण को उपलब्ध होती है और उनके विचारों और व्यवहारों पर इसका प्रभाव पड़ता है। प्रेस के महत्व को निम्नलिखित आधारों पर स्पष्ट कर सकते हैं –

  1. प्रजातंत्र बहुमत पर आधारित शासन व्यवस्था है। प्रजातंत्र एक बहुदलीय व्यवस्था की है, जिसमें विभिन्न राजनैतिक दल सत्ता प्राप्त करने के लिए चुनाव की राजनीति में भाग लेते हैं। प्रेस सामग्री के माध्यम से राजनैतिक दल जनता तक पहुँचते हैं। संपादकीय लेखों के द्वारा व अपीलों या आकर्षित विज्ञापनों के माध्यम से विशिष्ट प्रत्याशियों को सफल बनाने का आग्रह करते हैं। पोस्टर, बिल्ले एवं दुकानों पर छपे हुए झंडे भी प्रेस की ही देन है।
  2. वर्तमान युग विज्ञापन का युग है। कोई वस्तु तभी अधिक बिकती है जब उसका विज्ञापन अधिक होता है। मासिक पत्रिकायें एवं दैनिक तथा साप्ताहिक समाचार – पत्र इन विज्ञापनों से भरे रहते हैं जिन्हें देखकर व्यक्ति उन वस्तुओं को आवश्यकतानुसार एक बार अवश्य खरीदने के लिए तत्पर हो जाते हैं।
  3. नये विचार और पाश्चात्य परिवार प्रणाली की जानकारी प्रेस के द्वारा मिलती है जिसके फलस्वरूप भारतवर्ष में प्रजातांत्रिक परिवार का विकास हो रहा है जिसमें बच्चों के अधिकारों का ध्यान रखा जाता है और नारी को समानता के स्तर पर ही नहीं बल्कि परिवार स्वामिनी समझा जाता है।
  4. शिक्षा प्रजातंत्र का आधार है। प्रेस शिक्षा प्रसार का मुख्य साधन है। संपूर्ण शिक्षा ही प्रेस पर निर्भर करती है। साक्षरता और स्कूली शिक्षा के प्रसार के अतिरिक्त सामाजिक शिक्षा के विस्तार में भी प्रेस बहुत सहायक सिद्ध हुआ है। प्रेस द्वारा उपलब्ध ज्ञान सामग्री समाज में राजनैतिक चेतना जाग्रत करने तथा लोकतांत्रिक मूल्यों और आचरण प्रतिमानों का प्रसार करने में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है।
  5. धार्मिक क्षेत्र में प्रेस का विशेष योगदान है। जैसे ‘गीता प्रेस गोरखपुर’ के द्वारा हिंदू धर्म पर विशाल धार्मिक साहित्य का प्रकाशन व प्रसार-प्रचार हुआ है। घर – घर में रामायण और गीता पहँचाने का श्रेय गीता प्रेस को ही जाता है। इसी प्रकार से नित्य – प्रति धार्मिक पुरुषों के विचार, प्रवचन आदि छपकर जनता के सामने आते हैं जिनका प्रभाव अनिवार्य रूप से समाज पर पड़ता है।

प्रश्न 3.
अशिक्षित समाज में संचार की समस्या क्या है?
उत्तर:
अशिक्षित समाज में संसार की अनेक समस्याएँ पायी जाती हैं, जिन्हें अनेक आधार पर निम्नलिखित बिंदुओं के द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –

  1. अकेलेपन की भावना:
    जन – समाज के लोग भीड़-भाड़ में आनंद को खोजते हैं। वे मित्रों के साथ या परिवार के साथ पार्क, क्रीड़ा स्थल एवं सिनेमा में जाते हैं। अकेलेपन से बचने के लिए व्यक्ति उपन्यास या पत्रिकाएँ पढ़ता है। किंतु ये समस्त द्वितीयक संपर्क भी उसे भावात्मक घनिष्ठता, सुरक्षा व एकता प्रदान नहीं कर पाते हैं।
  2. अवैयक्तिक संबंध:
    जन – समाज में संचार की दूसरी समस्या लोगों के मध्य पाये जाने वाले संबधों की अवैयक्तिकता है। इन संबंधों में स्थायित्व एवं निरंतरता नहीं होती है।
  3. मानसिक तनाव:
    जन – समाज में व्याप्त उपरोक्त परिस्थितियों के कारण व्यक्ति के अंदर मानसिक तनाव बढ़ते हैं। सफलता के लिए व्यक्ति भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी, दूसरों को हानि सब कुछ करने को तैयार होता है। स्वंतत्रता का सिद्धांत और सामाजिक बंधन एक – दूसरे से संघर्ष करते हैं।
  4. जन – राजनीति:
    जन समाज का सीधा सम्बन्ध राज्य से होता है। राज्य ही व्यक्ति के कार्यों पर नियंत्रण करता है। प्राथमिक समूहों का महत्व कम हो जाने से उसके अधिकारों और कर्तव्यों का निश्चय भी राज्य के द्वारा होता है।
    व्यक्ति के अच्छे – बुरे कार्यों और गतिविधियों से किसी को कोई मतलब नहीं होता है। वह भीड़ की तरह व्यवहार करने लगता है। यही कारण है कि जन – समाज को भ्रमित करना आसान होता है।

प्रश्न 4.
सामाजिक परिवर्तन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
सामाजिक परिवर्तन की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

  1. परिवर्तन समाज का एक मौलिक तत्व है। सभी समाजों में परिवर्तन निश्चय ही होता है। यह संभव है कि प्रत्येक समाज में
  2. परिवर्तन की मात्रा भिन्न हो। परंतु सामाजिक परिवर्तन के न होने की कोई संभावना नहीं होती है। समाज निरंतर परिवर्तनशील रहा है।
  3. सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया सार्वभौमिक है। संसार के सभी देशों में सामाजिक परिर्वतन होता है। यह परिवर्तन सभी कालों में होता आया है।
  4. सामाजिक परिवर्तन को मापना संभव नहीं है। भौतिक वस्तुओं का माप आसान होता है, जबकि अभौतिक वस्तुओं की
  5. प्रकृति गुणात्मक होती है, इस कारण परिवर्तन भी अमूर्त होते हैं तथा अमूर्त तथ्यों का मापन संभव नहीं है।
  6. सामाजिक परिवर्तन अनिश्चित होता है। परिवर्तन का समय, परिवर्तन की दिशा व परिवर्तन के परिणाम सभी कुछ अनिश्चित होते हैं। इस संबध में किसी प्रकार की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है।
  7. परिवर्तन की गति में भिन्नता होती है। कुछ समाजों में परिवर्तन तीव्र होता है तो कहीं पर मंद। समाज में होने वाले परिवर्तन की गति, उस समाज के मूल्यों तथा मान्यताओं पर निर्भर करती है।
  8. सामाजिक परिवर्तन एक व्यक्तिगत परिवर्तन न होकर एक सामुदायिक परिवर्तन को दर्शाता है।
  9. सामाजिक परिवर्तन अनेक तत्वों की अंतक्रिया का परिणाम होती है।
  10. इसका संबंध समाज की संरचना व उसके प्रकार्यों में परिवर्तन से है।

प्रश्न 5.
सामाजिक आंदोलन की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
सामाजिक आंदोलन की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

  1. प्रत्येक सामाजिक आंदोलन का जन्म किसी संकट या समस्या के कारण ही होता है।
  2. किसी भी आंदोलन को सामाजिक आंदोलन उसी समय कहा जाएगा जब उसमें समाज के अनेक व्यक्ति सम्मिलित हों।
  3. प्रत्येक सामाजिक आंदोलन का एक अनौपचारिक संगठन होता है। इस संगठन के द्वारा ही आंदोलन के लक्ष्यों को प्राप्त करने की योजना बनायी जाती है।
  4. सामाजिक आंदोलन में परिवर्तन की एक निश्चित दिशा होती है।
  5. सामाजिक आंदोलन के कुछ निश्चित उद्देश्य होते हैं, जिन्हें पाने के लिए आंदोलन किया जाता है।
  6. प्रत्येक सामाजिक आंदोलन का कोई न कोई नेता अवश्य होता है, उसके अभाव में आंदोलन चल नहीं सकता।
  7. कोई भी आंदोलन एक निर्मित वस्तु नहीं होता वरन् उसका धीरे – धीरे विकास होता है।
  8. सामाजिक आंदोलन के लिए निश्चित योजना बनायी जाती है और विभिन्न चरणों में उसे पूरा करने का सामूहिक प्रयास किया जाता है।
  9. सामजिक आंदोलन की प्रकृति प्रचलित समाज व्यवस्था अथवा संस्कृति में पूर्ण या आंशिक सुधार लाना होता है। जब पुरानी
  10. व्यवस्था में दोष उत्पन्न हो जाते हैं, तो उसमें परिवर्तन एवं सुधार लाना आवश्यक हो जाता है, तब सामाजिक आंदोलन का मार्ग अपनाया जाता है।
  11. प्रत्येक सामाजिक आंदोलन के पीछे एक विचारधारा या वैचारिकी होती है। यह मूल्यों एवं प्रकृति का एक ऐसा योग होता है
  12. जिसमें मानव के भूतकाल के अनुभव निहित होते हैं व इसका प्रयोग वह वर्तमान की किसी घटना की व्याख्या करने अथवा उसे उचित सिद्ध करने के लिए करता है।

All Chapter RBSE Solutions For Class 12 Sociology Hindi Medium

All Subject RBSE Solutions For Class 12 Hindi Medium

Remark:

हम उम्मीद रखते है कि यह RBSE Class 12 Sociology Solutions in Hindi आपकी स्टडी में उपयोगी साबित हुए होंगे | अगर आप लोगो को इससे रिलेटेड कोई भी किसी भी प्रकार का डॉउट हो तो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूंछ सकते है |

यदि इन solutions से आपको हेल्प मिली हो तो आप इन्हे अपने Classmates & Friends के साथ शेयर कर सकते है और HindiLearning.in को सोशल मीडिया में शेयर कर सकते है, जिससे हमारा मोटिवेशन बढ़ेगा और हम आप लोगो के लिए ऐसे ही और मैटेरियल अपलोड कर पाएंगे |

आपके भविष्य के लिए शुभकामनाएं!!

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *