RBSE Solutions for Class 12 Political Science Chapter 17 भारत के संविधान की विशेषताएँ

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Rajasthan Board RBSE Class 12 Political Science Chapter 17 भारत के संविधान की विशेषताएँ

RBSE Class 12 Political Science Chapter 17 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न

RBSE Class 12 Political Science Chapter 17 बहुंचयनात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय संविधान को संविधान सभा द्वारा अंगीकार किया गया
(अ) 1 मई 1947
(ब) 9 दिसम्बर 1946
(स) 26 नवम्बर 1949
(द) 26 जनवरी 1950

प्रश्न 2.
भारत के संविधान में अनुच्छेद हैं
(अ) 150
(ब) 395
(स) 360
(द) 147

प्रश्न 3.
नीति निर्देशक तत्व किस देश के संविधान से लिए गए हैं
(अ) इंग्लैण्ड
(ब) फ्रांस
(स) आयरलैण्ड
(द) ऑस्ट्रेलिया

प्रश्न 4.
राज्यों में संवैधानिक संकट उत्पन्न होने पर राष्ट्रपति शासन संविधान के किस अनुच्छेद के तहत लगाया जाता है?
(अ) अनुच्छेद 352
(ब) अनुच्छेद 356
(स) अनुच्छेद 362

प्रश्न 5.
42वें संविधान संशोधन द्वारा प्रस्तावना में किन शब्दों को जोड़ा गया है
(अ) गणराज्य
(ब) समाजवादी, पंथ निरपेक्ष तथा अखण्डता को
(स) लोकतंत्र
(द) बन्धुत्व

प्रश्न 6.
भारत की संविधान की प्रस्तावना में प्रयुक्त “हम भारत के लोग” वाक्यांश से तात्पर्य है
(अ) संविधान सभा के सदस्य।
(ब) प्रारूप समिति के सदस्य
(स) स्वतंत्रता सेनानी
(द) संविधान को स्वीकार करने वाले भारत के नागरिक

प्रश्न 7.
प्रस्तावना न्याय का स्वरूप है
(अ) सामाजिक न्याय
(ब) आर्थिक न्याय
(स) राजनीतिक न्याय
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
1. (स), 2. (ब), 3. (स), 4. (ब), 5. (ब), 6. (द), 7. (द)।

RBSE Class 12 Political Science Chapter 17 अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय संविधान के निर्माण में कितना समय लगा?
उत्तर:
भारतीय संविधान के निर्माण में 2 वर्ष 11 माह व 18 दिन लगे।

प्रश्न 2.
भारतीय संविधान में कितनी अनुसूचियाँ हैं?
उत्तर:
भारतीय संविधान में 12 अनुसूचियाँ हैं।

प्रश्न 3.
भारत के संविधान की प्रस्तावना से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
भारत के संविधान की प्रस्तावना एक ऐसा प्रलेख है जिसके अंतर्गत संविधान के मौलिक उद्देश्यों व लक्ष्यों को दर्शाया गया है। इसे संविधान की आत्मा भी कहा जाता है।

प्रश्न 4.
संविधान में अब तक कितने संशोधन किये जा चुके हैं?
उत्तर:
संविधान में अब तक 101 संशोधन किये जा चुके हैं।

प्रश्न 5.
“प्रस्तावना संविधान की प्रेरणा और प्राण है” क्यों?
उत्तर:
प्रस्तावना को संविधान की प्रेरणा व प्राण इसलिए कहा जाता है क्योंकि प्रस्तावना संपूर्ण संविधान की आधारशिला है जिस पर संविधान टिका हुआ है। इसके अभाव में संविधान का कोई महत्व नहीं है।

प्रश्न 6.
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति किसके द्वारा की जाती है?
उत्तर:
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 7.
देश के किसी हिस्से में सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में किस अनुच्छेद के तहत आपातकाल लागू किया जाता है?
उत्तर:
देश के किसी हिस्से में सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल लागू किया जाता है।

प्रश्न 8.
प्रस्तावना में समाजवाद शब्द किस सांविधानिक संशोधन द्वारा जोड़ा गया है?
उत्तर:
प्रस्तावना में समाजवाद शब्द 42 वें सांविधानिक संशोधन के द्वारा जोड़ा गया है।

RBSE Class 12 Political Science Chapter 17 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत के संविधान की कोई पाँच विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
भारतीय संविधान की विशेषताएँ- भारतीय संविधान की पाँच विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  1. सम्प्रभुता सम्पन्न संविधान -भारत का संविधान प्रभुसत्ता पर आधारित संविधान है। यह भारतीय जनता द्वारा निर्मित है तथा अंतिम शक्ति भारतीय जनता को प्रदान की गई है।
  2. कठोरता व लचीलेपन का मिश्रण – भारतीय संविधान कठोरता व लचीलापन का मिश्रण है अर्थात इसमें देश की परिस्थितियों में बदलाव के साथ ही संवैधानिक संशोधन किया जा सकता है।
  3.  विश्वशांति का समर्थक – भारतीय संविधान विश्व शांति का समर्थक है। इसीकारण उसने पंचशील व गुटनिरपेक्ष नीति का समर्थन किया है।
  4.  विलक्षण दस्तावेज – भारतीय संविधान एक विलक्षण दस्तावेज है जिसमें आधारभूत मूल्यों व सर्वोच्च आकाक्षाओं को स्थान दिया गया है।
  5. स्वतंत्र न्यायपालिका – संविधान में प्रजातंत्र की रक्षा व जनता के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए स्वतंत्र न्यायपालिका की व्यवस्था की गई है।

प्रश्न 2.
संविधान में वयस्क मताधिकार से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
संविधान में वयस्क मताधिकार से तात्पर्य-वयस्क मताधिकार के तात्पर्य को निम्न आधारों पर स्पष्ट किया जा सकता है

  1. वयस्क मताधिकार के लिए यह आवश्यक है कि व्यक्ति भारत का नागरिक हो।
  2. किसी भी व्यक्ति की जिसकी आयु 18 वर्ष है या वह यह आयु पूरी कर चुका है उसे मताधिकार प्रदान किया गया है।
  3. देश में महिला व पुरुष दोनों को ही समान रूप से मताधिकार करने का हक प्रदान किया गया है।
  4. कोई भी व्यक्ति चाहे किसी भी जाति,धर्म या लिंग का हो उसे मत देने का अधिकार प्राप्त है।
  5. वयस्क मताधिकार की आयु पहले 21 वर्ष थी जो 61 वे संविधान संशोधन द्वारा घटाकर 18 वर्ष कर दी गई ।।

प्रश्न 3.
पंथनिरपेक्ष राज्य से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
पंथ निरपेक्ष राज्य से अभिप्राय-श्री वेंकटरमन के अनुसार-पंथ निरपेक्ष राज्य न तो धार्मिक है न अधार्मिक, न धर्म विरोधी है बल्कि धार्मिक कार्यों व सिद्धातों से सर्वथा पृथक है। धार्मिक मामलों में सदा तटस्थ है। प्रत्येक व्यक्ति को अपना धर्म चुनने व उसका पालन करने का अधिकार है।” भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 के अनुसार धर्म के क्षेत्र में प्रत्येक नागरिक को स्वतंत्रता प्रदान की गई है।

धर्म के आधार पर किसी भी नागरिक से भेदभाव नहीं किया जा सकता तथा राज्य का अपना कोई धर्म नहीं होता। वह तो सर्वधर्म समभाव पर आधारित व्यवस्था है। धार्मिक मामलों में राज्य ने एक तटस्थ दृष्टिकोण को अपनाया है, न तो किसी धर्म विशेष को राज्य ने स्वयं का धर्म माना है न ही किसी समुदाय विशेष को धार्मिक प्रश्रय दिया गया है। 42 वें संविधान संशोधन द्वारा संविधान में “पंथ निरपेक्ष” शब्द को जोड़ा गया है।

प्रश्न 4.
प्रस्तावना को लिखिए।
उत्तर:
प्रस्तावना – भारतीय संविधान की प्रस्तावना’ निम्नलिखित है
“हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथ निरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय विचार अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समानता प्राप्त करने के लिए तथा उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ई. (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, सम्वत् 2006 विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।”

प्रश्न 5.
संविधान में आपातकालीन उपबंधों से संबंधित अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर:
संविधान में आपातकालीन उपबन्धों से सम्बन्धित अनुच्छेद – भारतीय संविधान के भाग 18 में राष्ट्रपति के संकटकालीन प्रावधानों का वर्णन किया गया है, जो निम्नलिखित हैं

  1. अनुच्छेद 382 के अनुसार यदि राष्ट्रपति को विश्वास हो जाए कि युद्ध, बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के कारण भारत की सुरक्षा खतरे में है तो समस्त देश में या देश के किसी एक भाग में वह आपात स्थिति की घोषणा कर सकता है।
  2. अनुच्छेद 356 के अनुसार यदि राष्ट्रपति को राज्य के राज्यापाल या किसी अन्य साधन द्वारा सूचना मिलने पर यह विश्वास हो जाए कि उस राज्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसमें राज्य का शासन संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार नहीं चलाया जा सकता है तो राष्ट्रपति आपातकाल की घोषणा कर सकता है।
  3. अनुच्छेद 360 के अनुसार यदि राष्ट्रपति को विश्वास हो जाए की ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसके कारण भारत या,इसके किसी भाग की वित्तीय स्थिरता संकट में है तो वह उस समय वित्तीय संकट की घोषणा कर सकता है।

प्रश्न 6.
“भारतीय संविधान कठोरता व लचीलेपन का मिश्रण है।” इस पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
संवैधानिक संशोधन के लिए भारतीय संविधान में संशोधन विधि अनुच्छेद 368 में दी गई है। संविधान में संशोधन व्यवस्था कुछ भागों के सम्बन्ध में कठोर तो कुछ में लचीली रखी गई है। संविधान में कठोरता का समावेश संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान व लचीलेपन का समावेश ब्रिटेन के संविधान से किया गया है। भारतीय संविधान में संशोधन की तीन विधियाँ हैं

  1. संविधान के कुछ भागों में संसद के दोनों सदनों के साधारण बहुमत से संशोधन किया जा सकता है; जैसे-राज्यों का पुनर्गठन, राज्यों में विधान परिषद की स्थापना या समाप्ति। यह विधि संविधान के लचीलेपन को दर्शाती है।
  2.  भारत के संविधान के कुछ अनुच्छेदों को संशोधित करने के लिए संसद के दोनों सदनों के पूर्ण बहुमत एवं उपस्थित सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है। संविधान के भाग 3 एवं 4 के अनुच्छेद इस श्रेणी में आते हैं।
  3. संविधान के कुछ अनुच्छेदों में संशोधन के लिए संसद के दोनों सदनों के पूर्ण बहुमत, उपस्थित सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत एवं आधे राज्यों के विधानसभाओं के समर्थन की आवश्यकता होती है। राष्ट्रपति की निर्वाचन की पद्धति, केन्द्र एवं राज्यों के बीच शक्ति विभाजन आदि इस श्रेणी में आते हैं। उक्त विधियाँ संविधान की कठोरता को दर्शाती हैं।

प्रश्न 7.
लोकतंत्रात्मक गणराज्य से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
लोकतंत्रात्मक गणराज्य से अभिप्राय – लोकतंत्रात्मक गणराज्य का अभिप्राय है- भारत में जनता या लोग शासन सत्ता के अन्तिम स्त्रोत हैं। सरकार लोगों की, लोगों के द्वारा और लोगों के लिये है। भारत में राजसत्ता का प्रयोग जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि करते हैं और वे जनता के प्रति उत्तरदायी होते हैं।

संविधान सभी को सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक न्याय का आश्वासन देता है। गणराज्य से अभिप्राय है कि भारत में राष्ट्राध्यक्ष या सर्वोच्च शक्ति का निर्वाचन अप्रत्यक्ष रूप से पाँच वर्ष के लिये होता है। भारत के सभी सार्वजनिक पद बिना किसी भेदभाव के सभी के लिये खुले हैं। भारत में कोई विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग नहीं है।

प्रश्न 8.
प्रस्तावना में प्रयुक्त समाजवाद शब्द की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
समाजवाद – समाजवाद शब्द को 42 वें संशोधन द्वारा जोड़ा गया है। प्रस्तावना में समाजवाद शब्द को सम्मिलित करके उसे और अधिक स्पष्ट किया गया है। इसमें समाज के कमजोर और पिछड़े वर्गों के जीवन स्तर को ऊँचा उठाने और आर्थिक विषमता को दूर करने का प्रयास करने के लिए मिश्रित अर्थव्यवस्था को अपनाया है। वस्तुत:

  1.  इस शब्द का उल्लेख भारतीय जनता की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए किया गया
  2. समाज में निर्धनता के निवारण हेतु इस शब्द का प्रयोग किया गया।
  3. राष्ट्र की संपत्ति सभी वर्गों एवं व्यक्तियों के हितों की पूर्ति को व्यवस्थित ढंग से प्रयोग करने पर बल देता है।

अत: समाजवादी शब्द समाज से संबंधित अवधारणा है जो समस्त व्यक्तियों के विकास के लिए मार्ग प्रशस्त करता है।

RBSE Class 12 Political Science Chapter 17 निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय संविधान की मुख्य विशेषताओं का विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारतीय संविधान की मुख्य विशेषताएँ – भारतीय संविधान की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1. विश्व का सबसे विशाल संविधान:
भारत का संविधान विश्व के सभी संविधानों से विशाल संविधान है। वर्तमान में सांविधानिक संशोधनों के पश्चात् इसमें 395 अनुच्छेद, 22 भाग व 12 अनुसूचियाँ हैं जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान में 7, कनाडा के संविधान में 147, ऑस्ट्रेलिया के संविधान में 128, दक्षिण अफ्रीका के संविधान में 153 तथा स्विटजरलैंड के संविधान में 195 की अनुच्छेद हैं।

2. लिखित एवं निर्मित संविधान:
भारत का संविधान संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और स्विट्जरलैंड के संविधान की तरह की एक लिखित एवं निर्मित संविधान है। भारत के संविधान का अधिकांश भाग लिपिबद्ध है तथा इसमें परम्पराओं का भाग बहुत कम है। इसका निर्माण संविधान सभा द्वारा किया गया है। इसके निर्माण में 2 वर्ष 11 महीने एवं 18 दिन का समय लगा।

3. सम्पूर्ण प्रभुता सम्पन्न संविधान:
भारत का संविधान लोकप्रिय प्रभुसत्ता पर आधारित संविधान है अर्थात् यह भारतीय जनता द्वारा निर्मित है। इस संविधान द्वारा अन्तिम शक्ति भारतीय जनता को प्रदान की गई है। संविधान की प्रस्तावना में कहा गया है कि हम भारत के लोग इस संविधान को अंगीकृत अधिनियमित व आत्मार्पित करते हैं अर्थात् भारतीय जनता ही इसकी निर्माता है। जनता ने स्वयं की इच्छा से इसे अंगीकृत, अधिनियमित वे आत्मार्पित किया है। इसे किसी अन्य सत्ता द्वारा थोपा नहीं गया है।

4. संविधान की प्रस्तावना:
भारतीय संविधान की मौलिक प्रस्तावना तथा लक्ष्यों को संविधान की प्रस्तावना में दर्शाया गया है। डॉ. के. एम मुंशी ने इसे संविधान की राजनीतिक कुंडली कहा है। इसे संविधान की आत्मा भी कहा जाता है। प्रस्तावना में राष्ट्र की एकता एवं व्यक्ति की गरिमा पर बल दिया गया है।

5. संसदीय शासन व्यवस्था:
भारतीय संविधान में संसदात्मक शासन व्यवस्था को अपनाया गया है। इसके अन्तर्गत संसद सम्पूर्ण राजनीतिक व्यवस्था की धुरी है। मंत्रिमंडल अर्थात् कार्यपालिका सामूहिक रूप से व्यवस्थापिका अर्थात् लोकसभा के प्रति प्रत्यक्ष रूप से उत्तरदायी है और देश के राष्ट्राध्यक्ष अर्थात् राष्ट्रपति का पद नाममात्र की कार्यपालिका का प्रतीक है।

वास्तविक शक्तियों का प्रयोग मंत्रिमंडल द्वारा किया जाता है। इसी प्रकार भारत के राज्यों में भी संसदीय शासन प्रणाली अपनायी है। जहाँ राज्यपाल राज्य का सांविधानिक प्रमुख होता है।

6. मौलिक अधिकार एवं कर्त्तव्य:
भारतीय संविधान के भाग – 3में मूल अधिकारों की व्यवस्था की गयी है।
मूल अधिकार व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास के लिए आवश्यक अधिकारों को कहते हैं। भारतीय संविधान में मूल रूप से ऐसे 7 अधिकारों का प्रावधान किया गया था ये हैं–

  1. समानता का अधिकार
  2. स्वतंत्रता का अधिकार
  3. शोषण के विरुद्ध अधिकार
  4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
  5. शिक्षा एवं संस्कृति का अधिकार
  6. सम्पत्ति का अधिकार और
  7.  संवैधानिक उपचारों का अधिकार

बाद में 44वें संविधान संशोधन के द्वारा सम्पत्ति के अधिकार को मूल – अधिकारों की श्रेणी से निकाल दिया गया। 42वें संविधान संशोधन 1976 द्वारा भारत के संविधान में नागरिकों के दस मूल कर्तव्यों का समावेश किया गया है, जिसमें संविधान का पालन करना, भारत की प्रभुता, एकता तथा अखण्डता की रक्षा, भारत की संस्कृति की रक्षा आदि प्रमुख हैं। 86वें संविधान संशोधन 2002 द्वारा 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने सम्बनधी 11वाँ मूल कर्त्तव्य जोड़ा गया है।

7. राज्य के नीति:
निर्देशक तत्व – आयरलैंड के संविधान से प्रेरित होकर तैयार किए गए राज्य के नीति-निर्देशक तत्व भारतीय संविधान की एक अनोखी विशेषता हैं। संविधान के भाग – 4 में अनुच्छेद 36 से अनुच्छेद 51 के अन्तर्गत इनका समावेश किया गया है। सामाजिक, आर्थिक विकास तथा न्याय व समता के उद्देश्यों को सामने रखते हुए निर्देशक तत्व सरकार के लिए प्रेरणा का कार्य करते हैं।

8. समाजवादी राज्य:
42वें संविधान संशोधन 1976 द्वारा भारत को समाजवादी गणराज्य घोषित किया गया है। यद्यपि मूल संविधान में यह शब्द नहीं था। प्रस्तावना में यह शब्द भारतीय राज व्यवस्था को एक नई दिशा दिये जाने की भावना को दृष्टिगत रखकर जोड़ा गया है।

9. वयस्क मताधिकार
हमारे देश के संविधान में 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने वाले प्रत्येक नागरिक को समान रूप से मताधिकार प्रदान किया गया है। यद्यपि मूल संविधान में यह आयु 21 वर्ष थी किन्तु संविधान में 61वें संशोधन द्वारा आयु सीमा 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई है।

10. पंथ-निरपेक्ष राज्य :
42वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा प्रस्तावना में ‘पंथ निरपेक्षता’ शब्द जोड़ा गया है, लेकिन इसकी परिभाषा का प्रयास नहीं किया गया है। पंथ निरपेक्षता से आशय यह है कि धार्मिक मामलों में राज्य का दृष्टिकोण तटस्थ है। यह न तो किसी धर्म विशेष को राज्य का धर्म मानता है और न ही किसी समुदाय विशेष को धार्मिक संरक्षण देता है। यह धर्म के क्षेत्र में प्रत्येक नागरिक को स्वतंत्रता प्रदान करता है। राज्य की दृष्टि में सभी धर्म समान है।

11. स्वतंत्र न्यायपालिका:
संघीय शासन में संविधान की व्याख्या, केन्द्र और राज्यों के विवादों को हल करने के लिए स्वतंत्र न्यायापालिका होनी चाहिए। भारत में भी स्वतंत्र न्यायपालिका है। सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों की व्यवस्था भी इसी आधार पर की गई है।

12. अन्य विशेषताएँ –

  1.  विलक्षण दस्तावेज,
  2. एकात्मक व संघात्मक अद्भुत संयोग,
  3. कठोरता व लचीलेपन का मिश्रण,
  4.  न्यायिक पुनरावलोकन व संसदीय सम्प्रभुता का समन्वय,
  5. विश्वशांति का समर्थक,
  6. आपतकालीन उपबन्ध,
  7. एकल नागरिकता,
  8. लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना का आदर्श
  9. अल्पसंख्यक एवं पिछड़े वर्गों के कल्याण की विशेष व्यवस्था।

प्रश्न 2.
‘भारतीय संविधान की विशेषताएँ भारत को विश्व के सफलतम लोकतंत्रों में से एक बनाने में सहायक ‘ सिद्ध हुई हैं। इस कथन की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारतीय संविधान की विशेषताएँ, भारत को विश्व के सफलतम लोकतंत्रों में से एक बनाने में सहायक सिद्ध हुई हैं। यह निम्न बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया जा सकता है।

(1) जनता का शासन: शासन की एक प्रणाली के रूप में लोकतंत्र सम्पूर्ण जनता का शासन होता है। हमारे संविधान ने हमें जनता का शासन प्रदान किया है। जनता का अर्थ सम्पूर्ण जनसमूह एवं प्रत्येक व्यक्ति से है। यह किसी विशेष नस्ल, भाषा, संस्कृति आदि से सम्बन्धित वर्ग का शासन नहीं होता है।

(3) संसदीय शासन व्यवस्था: हमारे संविधान ने लोकतंत्र को सफल बनाने के लिए संसदीय शासन व्यवस्था प्रदान की है। इस प्रणाली में कार्यपालिका व्यवस्थापिका के प्रति सामूहिक रूप में उत्तरदायी होती है। इस व्यवस्था में प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद का नेतृत्व करता है। राष्ट्रपति देश का सांविधानिक प्रमुख होता है। इस शासन व्यवस्था को राज्यों में भी अपनाया गया है।

(4) मौलिक अधिकार व कर्त्तव्य: भारतीय संविधान ने नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए मौलिक अधिकार प्रदान किए हैं। इनके साथ-साथ ही नागरिकों के कर्तव्य भी निर्धारित किए हैं जो कि सफल लोकतंत्र के लिए आवश्यक हैं।

(5) नीति निर्देशक तत्वों का समावेश: भारतीय संविधान में लोक कल्याणकारी राज्य के लिए नीति – निर्देशक तत्व बताए गए हैं। ये सरकारों के पथ – प्रदर्शन की भूमिका का निर्वहन करते हैं।

(6) जन कल्याणकारी भावना: संविधान में सरकार का प्रत्येक कार्य जनता के कल्याण की दृष्टि को ध्यान में रखकर जोड़ा गया है। लोकतंत्र में शासन जनता के प्रति उत्तरदायी रहता है। वह जन-कल्याण की भावना रखता है।

(7) कार्यकुशल शासन: हमारे संविधान ने हमें लोकतंत्र के रूप में सर्वाधिक कार्यकुशल शासन प्रदान किया है। सरकार का प्रत्येक कार्य काफी सोच विचार कर जनहित में किया जाता है।

(8) नैतिक शिक्षा का साधन: लोकतांत्रिक शासन व्यक्ति को नैतिक शिक्षा प्रदान करता है। लोकतंत्र में व्यक्ति परिवार की संकीर्ण सीमाओं से बाहर निकलकर सार्वजनिक हित तक विस्तृत हो जाता है और वह साथी नागरिकों के साथ सहयोग, सहिष्णुता, उदारता व सहानुभूति का व्यवहार करने लगता है।

(9) देश भक्ति की शिक्षा-भारतीय संविधान ने लोकतंत्र के माध्यम से राष्ट्र: प्रेम की भावना का विकास किया है। लोकतंत्र में राज्य को किसी शासक वर्ग की सम्पत्ति नहीं माना जाता है। इसमें जनता में राष्ट्र के प्रति प्रेम व अपनत्व की भावना का विकास होता है।

(10) समानता व स्वतंत्रता पर आधारित शासन: हमारे संविधान ने हमें व्यक्ति की समता व स्वतंत्रता पर आधारित शासन प्रदान किया है। यह शासन व्यक्तियों में जाति, धर्म, भाषा व लिंग आदि के आधार पर भेदभाव नहीं करता है अपितु सभी व्यक्तियों के लिए विधि की समानता तथा विधि के समान संरक्षण में विश्वास करता है।

(11) स्वतंत्र व निष्पक्ष न्यायपालिका की स्थापना: हमारे संविधान ने लोकतांत्रिक शासन प्रणाली के अन्तर्गत स्वतंत्र व निष्पक्ष न्यायपालिका की स्थापना की है। यह जनता को कार्यपालिका व व्यवस्थापिका के अत्याचार से बचाती है और व्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करती है। यह शासन से उसकी संवैधानिक मर्यादा का पालन कराती है।

(12) विश्वशान्ति का समर्थन: ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के सिद्धान्त को अपनाते हुए भारतीय संविधान ने विश्वशांति का समर्थन किया है। भारत न तो किसी देश की सीमा के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना चाहता है और न ही किसी देश के हस्तक्षेप को सहन करता है। भारत सरकार को इसी भावना के कारण पंचशील व गुटनिरपेक्षता की नीति को अपनाया है।

(13) अल्पसंख्यक व पिछड़े वर्गों के कल्याण की विशेष व्यवस्था: हमारे संविधान ने अल्पसंख्यकों के धार्मिक, भाषायी और सांस्कृतिक हितों की रक्षा के लिए विशेष व्यवस्था की है। साथ ही अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए लोकसभा, विधानसभाओं व राजकीय सेवाओं में आरक्षण प्रदान किया जाता है।

(14) पंथ निरपेक्ष राज्य: भारतीय संविधान ने धर्म के क्षेत्र में प्रत्येक नागरिक को स्वतंत्रता प्रदान की है। धार्मिक मामलों में राज्य ने एक तटस्थ दृष्टिकोण अपनाया है, न तो किसी धर्म विशेष को राज्य-धर्म माना है और न ही किसी समुदाय विशेष को धृार्मिक संरक्षण प्रदान किया है। धर्म के आधार पर किसी भी नागरिक से भेदभाव नहीं किया जा सकता है। राज्य का कोई आधिकारिक धर्म नहीं है।

अतः निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि भारतीय संविधान की इन विशेषताओं ने भारत को विश्व का सफलतम लोकतंत्र बनाने में अत्यधिक सहायता की है।

प्रश्न 3.
‘संविधान की प्रस्तावना भारतीय संविधान का सार है।’ समझाइए।
उत्तर:
भारतीय संविधान की एक प्रमुख विशेषता उसकी प्रस्तावना या उद्देशिका है। प्रस्तावना उन सर्वोच्च मूल्यों और दार्शनिक आधार तत्वों को अभिव्यक्त करती है, जिस पर हमारा पूरा संविधान आधारित है। प्रस्तावना के अनुसार जन प्रभुसत्ता एवं पंथ निरपेक्षता पर आधारित समाजवादी, लोकतंत्रात्मक गणराज्य के माध्यम से भारतीय संविधान न्याय, स्वतंत्रता, समता, बंधुत्व, व्यक्ति की गरिमा एवं राष्ट्र की एकता व अखण्डता के लक्ष्यों को अर्जित करना चाहता है।

(1) संविधान की प्रस्तावना में वर्णित ‘हम भारत के लोग इन शब्दों में तीन बातें निहित हैं –

  • संविधान द्वारा अंतिम सत्ता जनता में निहित की गई है,
  • संविधान के निर्माता जनता के प्रतिनिधि थे,
  • भारतीय संविधान भारतीय जनता की इच्छा का परिणाम है।

(2) भारतीय संविधान की प्रस्तावना में भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न समाजवादी, पंथ निरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य घोषित किया गया है। इसका अर्थ यह है कि भारत 26 जनवरी 1950 से भारत की अधिराज्य की स्थिति समाप्त हो गयी है।

(3) संविधान की प्रस्तावना में वे उद्देश्य सन्निहित हैं जिन्हें संविधान स्थापित करना चाहता है और आगे बढ़ना चाहता है। इसके अनुसार न्याय, स्वतंत्रता, समता व बंधुत्व संविधान के मूल उद्देश्य हैं।

(4) संविधान की प्रस्तावना में देश में सभी नागरिकों को न्याय का आश्वासन दिया गया है। न्याय को स्वतंत्रता, समानता व बंधुत्व की अपेक्षा अधिक उच्च स्थान प्रदान किया गया है।

(5) प्रस्तावना में न्याय को तीन रूपों में परिभाषित किया गया है – सामाजिक न्याय, आर्थिक न्याय एवं राजनीतिक न्याय सामाजिक और आर्थिक न्याय को राजनीतिक न्याय से उच्चतर स्थान प्रदान किया गया है।

(6) भारतीय संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित स्वतंत्रता शब्द का अभिप्राय केवल नियंत्रण या आधिपत्य का अभाव ही नहीं अपितु यह विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म एवं उपासना की स्वतंत्रता के अधिकार की सकारात्मक संकल्पना है।।

(7) समानता से तात्पर्य है कि देश के सभी नागरिक विधि की नजर में समान हैं तथा उन्हें विधि के द्वारा समान संरक्षण प्राप्त है। सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के चुनाव प्रक्रिया व शासन की प्रक्रिया में भाग लेने हेतु समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त हैं।

(8) प्रस्तावना में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता एवं अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बंधुता की भावना बढ़ाने के लिए संकल्प लिया गया है। निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि प्रस्तावना में संविधान के मूलभूत आदर्शों को दर्शाया गया है। यह भारतीय संविधान का सार है

RBSE Class 12 Political Science Chapter 17 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 12 Political Science Chapter 17 बहुंचयनात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय संविधान के किस भाग को डॉ. के. एम. मुंशी ने संविधान की राजनीतिक कुंडली कहा है?
(अ) प्रस्तावना
(ब) मूल अधिकार
(स) नीति निर्देशक तत्व
(द) मूल कर्तव्य

प्रश्न 2.
भारतीय संविधान के कितने भाग हैं
(अ) 20
(ब) 22
(स) 25
(द) 29

प्रश्न 3.
संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान में अनुच्छेदों की संख्या है
(अ) 20
(ब) 27
(स) 25
(द) 7

प्रश्न 4.
भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषता है
(अ) विश्व का विशालतम संविधान
(ब) लिखित व निर्मित संविधान
(स) विलक्षण दस्तावेज
(द) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 5.
सम्पत्ति का अधिकार है
(अ) कानूनी अधिकार
(ब) मूल अधिकार
(स) नीति निर्देशक तत्व
(द) मूल कर्तव्य

प्रश्न 6.
मूल अधिकारों का वर्णन संविधान के किस अनुच्छेद में किया गया है
(अ) 10 – 15
(ब) 12 – 35
(स) 12-40
(द) 12 – 36

प्रश्न 7.
वर्तमान में मूल अधिकारों की संख्या है
(अ) 7
(ब) 6
(स) 5
(द) 9

प्रश्न 8.
किस संविधान संशोधन द्वारा 1976 में भारत को समाजवादी गणराज्य घोषित किया गया था?
(अ) 42वें
(ब) 47वें
(स) 76वें
(द) 101वें

प्रश्न 9.
संविधान के किस भाग में नीति निर्देशक तत्वों का वर्णन किया गया है?
(अ) भाग 2
(ब) भाग 3
(स) भाग 4
(द) भाग 5

प्रश्न 10.
भारत में मताधिकार की न्यूनतम आयु निर्धारित की गयी है
(अ) 20 वर्ष
(ब) 21 वर्ष
(स) 19 वर्ष
(द) 18 वर्ष।

प्रश्न 11.
किस अनुच्छेद के अनुसार वित्तीय संकट उत्पन्न होने पर संपूर्ण देश या किसी भाग में आपातकाल लागू किया जा
सकता है?
(अ) अनुच्छेद 352
(ब) अनुच्छेद 356
(स) अनुच्छेद 357
(द) अनुच्छेद 360

प्रश्न 12.
पंथ निरपेक्ष राज्य से आशय है
(अ) धर्म का सम्मान करना
(ब) राज्य का धर्मविहीन होना
(स) धार्मिक मामलों में तटस्थ रहना
(द) इसमें से कोई नहीं।

प्रश्न 13.
संविधान में विश्व शांति व सुरक्षा सम्बन्धी प्रावधान किस अध्याय में हैं?
(अ) नीति निर्देशक तत्व में
(ब) मौलिक अधिकार में
(स) आपातकालीन प्रावधानों में
(द) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 14.
संविधान को वह प्रावधान जो राष्ट्र की एकता का परिचायक है
(अ) एकल नागरिकता
(ब) मूल कर्त्तव्य
(स) नीति निर्देशक तत्व
(द) मूल अधिकार

उत्तर:
1. (अ), 2. (ब), 3. (द), 4. (द), 5. (अ), 6. (ब), 7. (ब), 8. (अ), 9. (स),
10. (द), 11. (स), | 12. (द), 13. (अ), 14. (अ)

RBSE Class 12 Political Science Chapter 17 अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
किस देश के संविधान को जीवंत संविधान का दर्जा दिया गया है?
उत्तर:
भारत के संविधान को।

प्रश्न 2.
भारतीय संविधान की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  1. विश्व का सबसे विशाल संविधान,
  2. संसदीय शासन व्यवस्था।

प्रश्न 3.
भारतीय संविधान द्वारा अंतिम शक्ति किसके हाथ में निहित की गयी है?
उत्तर:
भारतीय जनता के हाथ में।।

प्रश्न 4.
प्रस्तावना को किस विद्वान ने संविधान की राजनीतिक कुंडली कहा है?
उत्तर:
डॉ. के. एम. मुंशी ने प्रस्तावना को संविधान की राजनीतिक कुडली कहा है।

प्रश्न 5.
भारतीय संविधान में कितने भाग हैं?
उत्तर:
भारतीय संविधान में कुल 22 भाग हैं।

प्रश्न 6.
101वाँ संवैधानिक संशोधन किससे संबंधित है?
उत्तर:
संविधान का 101वाँ संशोधन वस्तु व सेवा कर से संबंधित है।

प्रश्न 7.
विश्व का सबसे विशाल संविधान किस देश का है?
उत्तर:
भारत का

प्रश्न 8.
दक्षिण अफ्रीका के संविधान में कितने अनुच्छेद हैं।
उत्तर:
153 अनुच्छेद।

प्रश्न 9.
संविधान में नागरिकों को कुल कितने मूल अधिकार प्रदान किये गये हैं?
उत्तर:
छः मूल अधिकार।

प्रश्न 10.
संविधान द्वारा प्रदत्त किन्हीं दो मौलिक अधिकारों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. समता का अधिकार,
  2.  शोषण के विरुद्ध अधिकार।

प्रश्न 11.
वर्तमान में मूल कर्तव्यों की संख्या कितनी है?
उत्तर:
वर्तमान में मूल कर्तव्यों की संख्या ग्यारह है।

प्रश्न 12.
नीति निर्देशक तत्व किस संविधान से लिए गए हैं?
उत्तर:
नीति निर्देशक तत्व आयरलैंड के संविधान से लिए गए हैं।

प्रश्न 13.
किस संविधान संशोधन द्वारा 21 वर्ष की आयु को घटाकर 18 वर्ष कर दिया गया?
उत्तर:
संविधान में 61वें संशोधन द्वारा 21 वर्ष की आयु सीमा को घटाकर 18 वर्ष कर दिया गया।

प्रश्न 14.
संविधान में संघ शब्द के लिए किस शब्द का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर:
संविधान में संघ शब्द के लिए ‘union of states’ शब्द का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 15.
अवशिष्ट शक्तियाँ किसके पास होती हैं?
उत्तर:
अवशिष्ट शक्तियाँ केन्द्र के पास होती हैं।

प्रश्न 16.
भारतीय संविधान में संशोधन विधि किस अनुच्छेद में दी गई है?
उत्तर:
संविधान में संशोधन विधि अनुच्छेद 368 में दी गई है।

प्रश्न 17.
भारतीय संविधान में कठोरता व लचीलेपन को किन देशों के संविधान से लिया गया है?
उत्तर:
भारतीय संविधान में कठोरता व लचीलेपन को क्रमशः संयुक्त राज्य अमेरिका व ब्रिटेन के संविधान से लिया गया है।

प्रश्न 18.
“भारतीय संविधान अधिक कठोर तथा अधिक लचीले के मध्य एक अच्छा संतुलन स्थापित करता है।” यह किस विद्वान का कथन है?
उत्तर:
डॉ. ह्वीयर का।

प्रश्न 19.
हमारे संविधान में किसे सर्वोच्च स्थान प्राप्त है?
उत्तर:
हमारे संविधान में संसद को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है।

प्रश्न 20.
नीति निर्देशक तत्वों में अनुच्छेद 5 के अनुसार राज्य का क्या कर्त्तव्य है?
उत्तर:
राज्य अन्तर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा तथा राष्ट्रों के मध्य न्यायपूर्ण व सम्मानजनक सम्बन्धों की स्थापना करे

प्रश्न 21.
संविधान के किस भाग में आपातकालीन उपबन्धों का उल्लेख किया गया है?
उत्तर:
संविधान के भाग -18 में। प्रश्न 22. भारतीय संविधान द्वारा किस प्रकार के शासन की व्यवस्था की गई है?
उत्तर:
संघात्मक शासन की।

प्रश्न 23.
भारत में किस प्रकार की नागरिकता का प्रावधान है।
उत्तर:
एकल नागरिकता का।

प्रश्न 24.
अनुसूचित जातियों के आरक्षण की व्यवस्था किस अनुच्छेद में की गई है?
उत्तर:
अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था अनुच्छेद 330 में की गई है।

प्रश्न 25.
अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए सरकारी (केन्द्र) सेवाओं में कितने प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई है?
उत्तर:
पिछड़ा वर्ग लिए केन्द्र सरकार की सेवाओं में 27 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई है।

प्रश्न 26.
42वें संविधान संशोधन द्वारा प्रस्तावना में कौन – से शब्द जोड़े गए हैं?
उत्तर:
42वे संविधान संशोधन द्वारा प्रस्तावना में समाजवाद, पंथनिरपेक्षता व अखण्डता शब्द जोड़े गए हैं।

प्रश्न 27.
व्यवस्थापिका के प्रति मंत्रिपरिषद का सामूहिक उत्तरदायित्व भारतीय संविधान की किस विशेषता को । प्रदर्शित करता है।
उत्तर:
संसदीय शासन व्यवस्था को।

प्रश्न 28.
किन्हीं दो बिन्दुओं को लिखिए जिनके द्वारा भारतीय संविधान राजनीतिक न्याय के आदर्श को मूर्त रूप प्रदान करता है।
उत्तर:

  1. वयस्क मताधिकार,
  2. सांविधानिक उपचारों का अधिकार।

प्रश्न 29.
भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था को क्यों अपनाया गया है?
उत्तर:
समाज में आर्थिक विषमता को दूर करने के लिए मिश्रित अर्थव्यवस्था को अपनाया गया है।

प्रश्न 30.
बंधुत्व का आदर्श कितने आधारों पर टिका है?
उत्तर:
बंधुत्व का आदर्श दो आधारों-राष्ट्र की एकता व व्यक्ति की गरिमा पर टिका है।

प्रश्न 31.
कार्यपालिका के आदेशों को कौन अवैध घोषित कर सकता है?
उत्तर:
सर्वोच्च न्यायालय कार्यपालिका के आदेशों को अवैध घोषित कर सकता है।

प्रश्न 32.
राज्यपाल की नियुक्ति कौन करता है?
उत्तर:
राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है

RBSE Class 12 Political Science Chapter 17 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय संविधान अन्य देशों के संविधानों से श्रेष्ठ है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारतीय संविधान में विश्व की प्रायः सभी शासन प्रणालियों एवं संविधानों के गुणों को अपनाकर उसे उनसे श्रेष्ठ बनाने का प्रयास किया गया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने विश्व के सभी प्रमुख संविधानों का अध्ययन कर उनके उपयोगी तत्वों को अपनी आवश्यकतानुसार अपनाने तथा उनके दोषों से बचने का प्रयास किया है।

भारतीय संविधान में ब्रिटेन की संसदात्मक पद्धाति के मूल तत्व, संयुक्त राज्य अमेरिका की अध्यक्षात्मक पद्धति के उपयोगी तत्व, आयरिश संविधान से राज्य के नीति – निर्देशक तत्व, कनाडा के संविधान से भारतीय यूनियन की प्रेरणा लेकर भारतीय संविधान को जनोपयोगी बनाया गया है। इस प्रकार भारतीय संविधान अन्य संविधानों से श्रेष्ठ संविधान है।

प्रश्न 2.
सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न लोकतंत्रात्मक राज्य की विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत किसी अन्य देश या किसी बाहरी नियन्त्रण से पूर्णतया मुक्त है एवं अपने आन्तरिक मामलों में किसी का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं करता है। साथ ही साथ भारत में प्रजातान्त्रिक शासन व्यवस्था को अपनाया गया है जिसका आशय यह है कि शासन संचालन की सम्पूर्ण शक्ति जनता में निहित है। जनता अपनी इस शक्ति का प्रयोग अपने द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से करती है। इसके लिए संविधान द्वारा नागरिकों को वयस्क मताधिकार दिया गया है।

प्रश्न 3.
“भारत का संविधान विश्व का सबसे विशाल संविधान है।” कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत का संविधान विश्व का सबसे विशाल संविधान है। जहाँ संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान में 07 अनुच्छेद, कनाडा के संविधान में 147 अनुच्छेद, ऑस्ट्रेलिया के संविधान में 128 अनुच्छेद व दक्षिण अफ्रीका के संविधान में 153 अनुच्छेद हैं। वहीं हमारा संविधान व्यापक व विस्तृत संविधान है। इसमें 395 अनुच्छेद, 22 भाग, 12 अनुसूचियाँ व 05 परिशिष्ट हैं।

इसमें अब तक 101 संशोधन हो चुके हैं और संशोधन की यह प्रक्रिया आवश्यकता पड़ने पर आगे भी जारी रहेगी। इस कारण भी इसका स्वरूप विशाल हो जाता है। हमारा संविधान संघात्मक है। इसमें संघ व राज्यों के बीच सम्बन्धों का बहुत व्यापक वर्णन किया गया है। संविधान के एक अध्याय में तो राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों का ही उल्लेख है जो अधिकांश देशों के संविधान में नहीं है। संविधान की इसी विशालती को लेकर हरिविष्णु कामथ ने कहा था कि “हमें इस बात का गर्व है कि हमारा संविधान विश्व का सबसे विशाल संविधान है।” .

प्रश्न 4.
भारत में संसदीय शासन व्यवस्था को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में संसदीय शासन व्यवस्था-संसदीय शासन में कार्यपालिका का दोहरा रूप पाया जाता है। भारत में राष्ट्रपति केवल संवैधानिक अध्यक्ष के रूप में शासक है, यद्यपि संविधान के द्वारा कार्यपालिका सम्बन्धी समस्त शक्तियाँ राष्ट्रपति में निहित हैं, परन्तु वह उनका प्रयोग मन्त्रिमण्डल के माध्यम से ही करता है। प्रधानमंत्री संसद के निम्न सदन में बहुमत दल का नेता होता हें वह अपने मन्त्रिमण्डल का गठन संसद के दोनों सदनों में से करता है।

मन्त्रिमडल के समस्त सदस्य सामूहिक उत्तरदायित्व के सिद्धान्त पर अपना कार्य करते हैं तथा व्यवस्थापिका के प्रति भी उनका उत्तरदायित्व सामूहिक ही होता है। संसद का विश्वास समाप्त होने पर मंत्रिमण्डल को त्यागपत्र देना पड़ता है। इस व्यवस्था में प्रधानमंत्री ही मंत्रिमण्डल का नेतृत्व करता है भारत में संसदीय व्यवस्था को केन्द्र के साथ राज्यों में भी अपनाया गया है। जहाँ राज्यपाल सांविधानिक प्रमुख होता है

प्रश्न 5.
भारतीय संविधान में वर्णित मौलिक अधिकार एवं मूल कर्तव्यों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
भारतीय संविधान में वर्णित मौलिक अधिकार-मानवोचित जीवन एवं व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास के लिए वर्तमान में भारत के संविधान में नागरिकों को छः मौलिक अधिकार प्रदान किये गये हैं। ये हैं-

  1. समानता का अधिकार,
  2. स्वतंत्रता का अधिकार,
  3. शोषण के विरुद्ध अधिकार,
  4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार,
  5. संस्कृति एवं शिक्षा सम्बन्धी अधिकार,
  6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार।

ये सभी अधिकार वाद योग्य हैं। इनका हनन होने पर नागरिक न्यायालय में शरण की सकते हैं। मूल कर्त्तव्य-42वे संविधान संशोधन 1976 के द्वारा नागरिकों के दस मूल कर्तव्य निर्धारित किये गये हैं। इनमें प्रमुख हैं-संविधान का पालन करना, भारत की प्रभुता, एकता एवं अखण्डता की रक्षा करना। समान भातृत्व का भाव रखना। प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करना तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना आदि। 186वें संविधान संशोधन 2002 द्वारा 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने सम्बन्धी 11वाँ मूल कर्त्तव्य जोड़ा गया है।

प्रश्न 6.
भारतीय संविधान में नीति निर्देशक तत्वों को क्यों स्थान दिया गया है?
उत्तर:
वर्तमान समय में राज्य को एक आवश्यक बुराई न मानकर लोक कल्याणकारी राज्य के रूप में स्वीकार किया जाता है। हमारे देश के संविधान निर्माता इस बात से भलीभाँति परिचित थे कि भारत में आर्थिक, सामाजिक एवं प्रशासनिक विषमतायें गम्भीर रूप से विद्यमान हैं, जिनके बने रहने से सामान्य नागरिकों के लिए अधिकारों का कोई मूल्य नहीं होगा।

संविधान द्वारा ऐसी व्यवस्था करना आवश्यक था जिससे सरकार किसी भी दल की क्यों न हो। व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करना सभी का समान उद्देश्य रहे। राज्य के नीति-निर्देशक तत्व इसी उद्देश्य की पूर्ति में एक प्रयास के रूप में स्वीकार किये जाते हैं। आयरलैण्ड के संविधान से प्रेरित होकर हमारे संविधान के भाग-4 में नीति-निर्देशक तत्वों की व्याख्या की गई।

प्रश्न 7.
भारतीय संविधान में एकात्मक शासन के कौन-कौन से तत्व पाए जाते हैं?
उत्तर:
संविधान निर्माताओं के सामने सबसे बड़ी समस्या देश की एकता एवं अखण्डता को लेकर थी। इसलिए उन्होंने संघीय सरकार को शक्तिशाली बनाया। हमारे संविधान में निम्नलिखित कारक एकात्मक शासन से सम्बन्धित हैं

  1. भारत में सम्पूर्ण देश के लिए एक ही संविधान है।
  2. अवशिष्ट विषयों पर कानून निर्माण का अधिकार संघीय सरकार को है।
  3. भारत में इकहरी नागरिकता है।
  4. समस्त भारत में एकीकृत न्याय व्यवस्था पायी जाती है।
  5. संसद राज्यों का पुनर्गठन करने की शक्ति रखती है।

प्रश्न 8.
भारतीय संविधान में संघात्मक शासन के कौन-कौन से तत्व पाए जाते हैं?
उत्तर:
भारत एक संघात्मक राज्य है। संविधान में संघ शब्द के स्थान पर यूनियन ऑफ स्टेट्स’ शब्द का प्रयोग किया गया है। संविधान के पहले अनुच्छेद में ही कहा गया है कि भारत राज्यों का एकक होगा, जिसे प्रचलन में राज्यों का संघ भी कहा जाता है। भारतीय संविधान में संघात्मक शासन के निम्नलिखित तत्व पाये जाते हैं-

  1. केन्द्र व राज्यों के मध्य शक्तियों का विभाजन
  2.  निष्पक्ष व स्वतंत्र न्यायपालिका,
  3. संविधान की सर्वोच्चता
  4. एकल नागरिकता,
  5. केन्द्रीय व्यवस्थापिका में राज्यों का सदन – राज्यसभा,
  6. राज्यपाल का पद,
  7. एकात्मकता का प्रभुत्व।

प्रश्न 9.
भारत में न्यायिक स्वतंत्रता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कौन-कौन से प्रावधान किए गए हैं?
अथवा
भारत में स्वतंत्र न्यायपालिका पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
न्यायपालिका की स्वतंत्रता: भारत में न्यायिक स्वतंत्रता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निम्न व्यवस्थाएँ की गई हैं।
(1) भारत के राष्ट्रपति द्वारा सर्वोच्च एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाती है। कदाचार में लिप्त पाए जाने पर उन्हें संसद में महाभियोग द्वारा ही पद से हटाया जा सकता है।

(2) न्यायाधीशों को पर्याप्त वेतन एवं वेतन सम्बन्धी संरक्षण प्राप्त है।

(3) कार्यपालिका के आदेश एवं व्यवस्थापिका के कानून यदि सांविधानिक प्रावधानों के प्रतिकूल हैं तो न्यायालय उन्हें अवैध घोषित कर सकता है।

(4) नागरिकों के मूल अधिकारों की रक्षा के लिए अनुच्छेद 32 के अन्तर्गत पुनरावलोकन द्वारा बन्दी प्रत्यक्षीकरण अधिकार पृच्छा जैसे लेखों को न्यायालय जारी कर सकता है।

प्रश्न 10.
भारतीय संविधान में न्यायिक पुनरावलोकन एवं संसदीय सम्प्रभुता के सिद्धान्तों का किस प्रकार समन्वय किया गया है?
उत्तर:
भारतीय संविधान में न्यायिक पुनरावलोकन के सिद्धान्त व संसदीय सम्प्रभुता के मध्य मार्ग को अपनाया गया है। यथा –

  1. हमारे संविधान में ससंद को सर्वोच्च बनाया गया है।
  2. संसद को नियंत्रित करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय को संविधान की व्याख्या करने का अधिकार प्रदान किया गया है।
  3.  न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय कार्यपालिका के उन आदेशों एवं संसद द्वारा निर्मित उन कानूनों को अवैध घोषित कर सकता है, जो संविधान की भावना के अनुरूप न हो।
  4.  पिछले कुछ वर्षों में न्यायिक सक्रियता के कारण न्यायपालिका की शक्ति में पर्याप्त वृद्धि हुई है।

प्रश्न 11.
संविधान में अल्पसंख्यक एवं पिछड़े वर्गों ने कल्याण के लिए क्या प्रावधान किए गए हैं?
अथवा
संविधान में अल्पसंख्यक व पिछड़े वर्गों की सुरक्षा के लिए क्या विशेष व्यवस्था की गई है?
उत्तर:
अल्पसंख्यक / पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए किए गए प्रावधान / व्यवस्था – भारतीय संविधान में अल्पसंख्यक एवं पिछड़े वर्गों के कल्याण हेतु किए गए प्रमुख प्रावधान/ व्यवस्था निम्नलिखित हैं

  1. संविधान में अल्पसंख्यकों के धार्मिक, भाषायी तथा सांस्कृतिक हितों की रक्षा के लिये विशेष व्यवस्था की गई है।
  2. संविधान द्वारा अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचति जनजातियों के क्षेत्रों के नागरिकों को सार्वजनिक सेवाओं, विधानमण्डलों और अन्य क्षेत्रों में प्रतिनिधित्व के लिए आरक्षण प्रदान किया गया है।
  3. संविधान के भाग 16 के अनुच्छेद 330 से लेकर 342 तक विशेष प्रावधान किये गये हैं।
  4. संविधान के अनुच्छेद 330 व 332 के तहत अनुसूचित जातियों व अनुसूचित जनजातियों को लोकसभा व विधान सभाओं में आरक्षण प्रदान किया गया है। यह व्यवस्था 25 जनवरी 2020 तक बढ़ा दी गई है।
  5. अनुच्छेद 335 में अनुसूचित जातियों व जनजातियों के लिए सरकारी सेवाओं में आरक्षण के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है।
  6. अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए केन्द्र सरकार की सेवाओं में सितम्बर 1993 से 27 प्रतिशत आरक्षण लागू किया गया।

प्रश्न 12.
भारतीय संविधान की प्रस्तावना / उद्देशिका के विवरणात्मक भाग को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारतीय संविधान की प्रस्तावना / उद्देशिका का विवरणात्मक भाग-भारतीय संविधान की प्रस्तावना/उद्देशिका के विवरणात्मक भाग को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया गया है

  1. सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक न्याय – सामाजिक न्याय का अर्थ है कि सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के समानता प्राप्त हो। आर्थिक न्याय का अर्थ है कि राज्य अपनी नीति का संचालन इस प्रकार करें कि समान रूप से सभी नागरिकों को आजीविका के साधन प्राप्त करने का अधिकार हो । राजनीतिक न्याय का अभिप्राय है कि सभी नागरिकों को राजनीतिक गतिविधियों में समान और स्वतंत्र रूप से भाग लेने का अवसर प्राप्त हो ।
  2. स्वतंत्रता, समानता और भ्रातृत्व – भारत के संविधान में नागरिकों को विचार अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म व उपासना की स्वतंत्रता दी गई है। देश के सभी नागरिकों को प्रगति के समान अवसर प्राप्त होंगे एवं बंधुत्व की भावना को सुनिश्चित करने की भी प्रतिज्ञा ली गई है।
  3. एकता एवं अखण्डता – प्रस्तावना में व्यक्ति की गरिमा एवं राष्ट्र की एकता व अखण्डता को सुस्पष्ट एवं सुनिश्चित किया गया है।

प्रश्न 13
भारतीय संविधान की प्रस्तावना की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
भारतीय संविधान की प्रस्तावना की प्रमुख विशेषताएँ-भारतीय संविधान की प्रस्तावना की प्रमुख विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं

  1. ‘हम भारत के लोग’ से तात्पर्य है कि संविधान भारत की जनता का, जनता द्वारा एवं जनता के लिए है।
  2. समाजवादी एवं पंथनिरपेक्ष से तात्पर्य है कि भारत में समाजवादी समाज की स्थापना की जायेगी एवं इसका स्वरूप धर्मनिरपेक्ष होगा अर्थात् सभी धर्मों के लोगों के यहाँ पर समान अधिकार होंगे। राज्य का अपना कोई धर्म नहीं होगा।
  3. संविधान का उद्देश्य भारत राज्य को सम्पूर्ण प्रभुता सम्पन्न, लोकतान्त्रिक गणराज्य बनाना है।
  4.  गणराज्य शब्द इस बात का द्योतक है कि भारत का राष्ट्राध्यक्ष निर्वाचित व्यक्ति होगा।

प्रश्न 14.
भारतीय संविधान की प्रस्तावना का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर:
भारत के संविधान की प्रस्तावना का मूल्यांकन:

भारतीय संविधान की प्रस्तावना का मूल्यांकन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया गया है

  1. न्याय योग्य या वाद योग्य नहीं – भारत के संविधान की प्रस्तावना के शब्द अधिक पवित्र होते हुए भी उन्हें न्याय योग्य स्थिति प्राप्त नहीं है। यह केवल संविधान के आदर्शों वे आकांक्षाओं को बताती है।
  2. संविधान की कुंजी – भारतीय संविधान की प्रस्तावना हमारे संविधान को उत्कृष्ट स्वरूप प्रदान करती है। इसमें भारतीय संविधान के मौलिक उद्देश्यों व लक्ष्यों को दर्शाया गया है डॉ. के एम. मुन्शी ने इसे संविधान की राजनीतिक कुंडली कहा है। इसके महत्व के देखते हुए इसे संविधान की आत्मा भी कहा जाता है। आज तक अंकित इस प्रकार के लेखों में यह सबसे श्रेष्ठ है। यह संविधान की कुंजी तथा संविधान का सबसे श्रेष्ठ अंग है।

प्रश्न 15.
भारत एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी व लोकतांत्रिक गणराज्य है।” इस कथन को सिद्ध कीजिए।
उत्तर:

  1. भारत पूर्ण रूप से प्रभुत्व संपन्न है।अर्थात वह आंतरिक तथा बाहरी दोनों ही क्षेत्रों में स्वतंत्र है। इस पर कोई बाहरी नियत्रंण नहीं है।
  2. भारत में धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना की गयी है। भारत में सभी धर्म समान हैं। राज्य का अपना कोई धर्म नहीं है।
  3. भारत में समाजवादी राज्य की स्थापना के लिए उत्पादन व वितरण के साधनों पर पूरे समाज का अधिकार है।
  4. भारत में लोकतांत्रिक शासन प्रणाली है, क्योंकि यहाँ जनता का शासन है ।
  5. संविधान द्वारा गणराज्य की स्थापना की गयी है। इसमें शासन का प्रधान राष्ट्रपति होता है जो जनता के द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से चुना जाता है। में

RBSE Class 12 Political Science Chapter 17 निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत के संविधान की प्रस्तावना का अर्थ स्पष्ट करते हुए इसके मुख्य तत्वों का विवेचन कीजिए।
अथवा
उद्देशिका की विस्तृत विवेचना कीजिए।
उत्तर:
प्रस्तावना – प्रत्येक संविधान के प्रारम्भ में सामान्यतया एक प्रस्तावना होती है जिसके द्वारा संविधान में मूल उद्देश्यों व लक्ष्यों को स्पष्ट किया जाता है। इसका मुख्य प्रयोजन संविधान निर्माताओं के विचारों एवं उद्देश्यों को स्पष्ट करना होता है, जिससे संविधान की क्रियान्विति एवं उसके पालन में संविधान की मूल भावना का ध्यान रखा जा सके। भारत के संविधान की प्रस्तावना के प्रजातान्त्रिक गणराज्य का एक संक्षिप्त लेकिन सारपूर्ण घोषणा – पत्र है। संविधान के गौरवपूर्ण मूल्यों को संविधान की प्रस्तावना में रखा गया है।

भारत के संविधान की प्रस्तावना – हम भारत के लोग भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतन्त्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए एवं उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिये एवं उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित कराने वाली बन्धुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ई. (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी संवत् 2006 विक्रमी) को एतदद्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं। (इस प्रस्तावना में दिए गए समाजवादी, पंथ निरेपक्ष तथा अखण्डता शब्द 42वें संविधान संशोधन 1976 के द्वारा जोड़े गये हैं।)

प्रस्तावना के प्रमुख तत्वे: प्रस्तावना के प्रमुख तत्वों का विवेचन निम्नलिखित है
(1) हम भारत के लोग – प्रस्तावना के इन शब्दों में तीन बातें निहित हैं-

  1. संविधान द्वारा अन्तिम सत्ता जनता में निहित है,
  2. संविधान के निर्माता जनता के प्रतिनिधि थे,
  3. भारतीय संविधान भारतीय जनता की इच्छा का परिणाम है।

(2) सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतान्त्रिक गणराज्य – ये शब्द भारतीय संविधान की प्रस्तावना के आधार स्तम्भ हैं, जिसका अभिप्राय इस प्रकार है
(i) सम्पूर्ण प्रभुत्व – इसका तात्पर्य यह है कि भारत अपने आंतरिक व बाहरी मामलों में पूर्ण स्वतंत्र है। वह किसी भी दूसरे देश के साथ सम्बन्ध जोड़ सकता है या तोड़ सकता है। यह उसकी इच्छा पर निर्भर है।

(ii) ,समाजवादी – संविधान निर्माता नहीं चाहते थे कि संविधान विचारधारा या वाद विशेष से जुड़ा हो या किसी आर्थिक सिद्धान्त से सीमित हो। इसीलिए मूल प्रस्तावना में समाजवाद शब्द को नहीं जोड़ा गया था, किन्तु सभी नागरिकों को आर्थिक न्याय, प्रतिष्ठा एवं अवसर आदि की समानता दिलाने के संकल्प का वर्णन किया गया था। सन् 1976 में 42वें संविधान संशोधन द्वारा प्रस्तावना में समाजवाद’ शब्द को भी जोड़ दिया गया।

(iii) पंथनिरपेक्षता – भारतीय संविधान में किसी भी एक धर्म को राष्ट्र धर्म घोषित नहीं किया गया है बल्कि सभी धर्मों को समान दर्जा दिया गया है। राज्य धार्मिक मामलों में पूर्णतः तटस्थ रहता है। 42वें संविधान संशोधन द्वारा इस शब्द को प्रस्तावना में जोड़ दिया गया जिससे भावी भारत की धर्मनिरपेक्ष नीति को बल मिला है।

(iv) लोकतन्त्र – इसका अभिप्राय यह है कि भारत में राज्य सत्ता का प्रयोग जनता द्वारा किया जाता है। भारतीय जनता इसका प्रयोग अप्रत्यक्ष रूप से करती है अर्थात् जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि शासन को संचालित करते हैं।
(v) गणराज्य – भारत के राष्ट्रपति वंशानुगत आधार पर मनोनीत न होकर जनता द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होते हैं। इसी कारण भारत को गणराज्य कहते हैं।

3. सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय-प्रस्तावना के अन्तर्गत इन शब्दों के आधार पर संविधान के लक्ष्य का वर्णन किया गया है
(i).सामाजिक न्याय का अर्थ है कि सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के समानता प्राप्त है। व्यक्तियों के मध्य जाति, धर्म, वर्ग, लिंग, नस्ल, सम्पत्ति या अन्य किसी आधार पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।

(ii) .आर्थिक न्याय का अर्थ है कि समाज में अधिक अमीरी और गरीबी न हो। वर्ग भेद न्यूनतम हो एवं प्रत्येक व्यक्ति की न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति की जाये तथा पुरुष व महिलाओं को समान कार्यों के लिए समान वेतन मिले।

(iii) राजनीतिक न्याय का अर्थ है कि सभी नागरिकों को राजनीतिक क्षेत्र में समान और स्वतन्त्र रूप से भाग लेने का अवसर हो । भारतीय संविधानं सांविधानिक उपचारों द्वारा राजनीतिक न्याय के आदर्श को मूर्त रूप प्रदान करता है।

4. स्वतन्त्रता, समानता और बन्धुत्व-

  1. स्वतन्त्रता – भारतीय संविधान में नागरिकों को विचार अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतन्त्रता प्रदान की गई है।
  2. समानता – देश के सभी नागरिकों को प्रतिष्ठा और अवसर की समानता प्रदान की गई है।
  3. बन्धुत्व – प्रस्तावना में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता तथा अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बन्धुता की भावना बढ़ाने के लिए संकल्प लिया गया है।

5. व्यक्ति की गरिम – संविधान के अनुच्छेद 17 में दिये गए मूल अधिकार का उद्देश्य अस्पृश्यता के आचरण का अन्त करना है, जो कि मानव की गरिमा के विरुद्ध है। इसी प्रकार व्यक्ति की गरिमा को बनाये रखने के लिए अनुच्छेद 32 में भी पर्याप्त प्रावधान हैं।

6. राष्ट्र की एकता एवं अखण्डता-हमारे संविधान निर्माता यह चाहते थे कि हमारे नागरिक क्षेत्रीयता, प्रान्तवाद, भाषावाद व सम्प्रदायवाद को महत्व न देकर देश की एकता के भाव को अपनायें। 42वें संविधान संशोधन द्वारा प्रस्तावना में “अखण्डता” शब्द को सम्मिलित किया गया है। इसका मूल भारत की एकता और अखण्डता को सुनिश्चित करना है।

एकता एवं अखण्डता के बिना हम लोकतन्त्र या राष्ट्र की स्वाधीनता तथा नागरिकों के सम्मान की रक्षा नहीं कर सकते हैं। इसलिए अनुच्छेद 51(क) में सभी नागरिकों का यह कर्तव्य है कि वे भारत की सम्प्रभुता, एकता और अखण्डता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण रखें। मिनतियोगी पर

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