RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण

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Rajasthan Board RBSE Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण

RBSE Class 12 Physics Chapter 9 पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उत्तर

RBSE Class 12 Physics Chapter 9 बहुचयनात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
एक चालक छड़ नियत वेग से चुम्बकीय क्षेत्र B में गतिशील है। इसके दोनों सिरों के मध्य प्रेरित वि. वा. बल उत्पन्न होगा यदि
(अ) v और B समान्तर हो।
(ब) v और B परस्पर लम्बवत् हो
(स) v और B विपरीत दिशा में हो
(द) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(ब) v और B परस्पर लम्बवत् हो

प्रश्न 2.
एक वर्गाकार लूप जिसके प्रत्येक भुजा की लम्बाई x है, अपने एक विकर्ण के सापेक्ष कोणीय वेग ω से लम्बवत् चुम्बकीय क्षेत्र में चित्रानुसार घूर्णन कर रहा है। यदि इसमें घेरों की संख्या 20 हो तो किसी क्षण इस लूप से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स का मान होगा-
(अ) 20 Bx
(ब) 10 Bx2
(स) 20 Bx2 cos ωt
(द) 40 Bx2.
उत्तर:
(स) 20 Bx2 cos ωt
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण Te Bo Q 2
(स) दिया N = 20
A = x2
तब φB NBA cos ωt
ε = Blv = 0.01 × 0.50 × 4V
= 0.02 V

प्रश्न 3.
चुम्बकीय फ्लक्स और प्रतिरोध का अनुपात का मात्रक निम्न में से किस राशि के मात्रक के समान होगा-
(अ) आवेश
(ब) विभवान्तर
(स) धारा
(द) चुम्बकीय क्षेत्र।
उत्तर:
(अ) आवेश

प्रश्न 4.
विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के प्रेरित वि, वा, बल का मान केवल निर्भर करता है-
(अ) चालक के प्रतिरोध पर
(ब) चुम्बकीय क्षेत्र के मान पर।
(स) चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के सापेक्ष चालक के झुकाव पर
(द) सम्बद्ध फ्लक्स के परिवर्तन की दर पर।
उत्तर:
(द) सम्बद्ध फ्लक्स के परिवर्तन की दर पर।

प्रश्न 5.
जब एक दण्ड चुम्बक को कुण्डली के अन्दर प्रविष्ट कराया जाता है तो कुण्डली में प्रेरित वि, वा, बल निम्न में से किस पर निर्भर नहीं करता।
(अ) चुम्बक का वेग
(ब) कुण्डली में घेरों की संख्या
(स) चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण
(द) कुण्डली के तार का विशिष्ट प्रतिरोध।
उत्तर:
(द) कुण्डली के तार का विशिष्ट प्रतिरोध।

प्रश्न 6.
एक ताँबे के तार की कुण्डली को एक समान चुम्बकीय क्षेत्र में क्षेत्र के समान्तर गतिशील होने पर प्रेरित विद्युत धारा का मान होगा-
(अ) अनन्त
(ब) शून्य
(स) चुम्बकीय क्षेत्र के बराबर
(द) कुण्डली अनुप्रस्थ काट के क्षेत्र के बराबर ।
उत्तर:
(ब) शून्य

प्रश्न 7.
लेंज का नियम देता है-
(अ) प्रेरित धारा का परिमाण
(ब) प्रेरित वि. वा. बल का परिमाण
(स) प्रेरित धारा की दिशा
(द) प्रेरित धारा का परिमाण और दिशा दोनों।
उत्तर:
(स) प्रेरित धारा की दिशा

प्रश्न 8.
एक 50 सेमी लम्बी लोहे की रॉड 4. ms-1 के वेग से एक चुम्बकीय क्षेत्र B = 0.01 T में चलाई जाती है। उत्पन्न विद्युत वाहक बल होगा-
(अ) 0.01 V
(ब) 0.02 V
(स) 0.03 V
(द) 0.04 V
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण Te Bo Q 8
उत्तर:
(ब) 0.02 V
ε = Blv = 0.01 × 0.50 × 4V
= 0.02 V

प्रश्न 9.
धातु की एक चकती अपनी अक्ष के सापेक्ष घुमाई जाती है यदि चुम्बकीय क्षेत्र समरूप तथा घूर्णन अक्ष के अनुदिश हो तो व्यास AB के दोनों सिरों के मध्य विभवान्तर होगा।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण Te Bo Q 9
(अ) शून्य
(ब) केन्द्र और परिधि के विभवान्तर का आधा
(स) केन्द्र और परिधि के विभवान्तर का दुगुना
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(स) केन्द्र और परिधि के विभवान्तर का दुगुना

प्रश्न 10.
चुम्बकीय क्षेत्र B में एक चालक तार दायीं ओर चल रहा है उसमें प्रेरित विद्युत धारा की दिशा चित्रानुसार से तो चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा सेगी।
(अ) कागज़ के तल में बायीं ओर
(व) कागज के तल में दायीं और
(स) कागज के तल के लम्बवत् नीचे की ओर ।
उत्तर:
(स) कागज के तल के लम्बवत् नीचे की ओर ।

प्रश्न 11.
एक विद्युत संचरण लाइन में धारा उत्तर की ओर प्रवाहित हो रही हैं। यदि पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र को नगण्य मान लिया जाए तो इस विद्युत लाइन के ऊपर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा होगी-
(अ) पूर्व की ओर
(ब) पश्चिम की ओर
(स) उत्तर की और
(द) दक्षिण की ओर।
उत्तर:
(अ) पूर्व की ओर

प्रश्न 12.
समरूप चुम्बकीय क्षेत्र में घूर्णन करती हुई किसी कुण्डली में प्रेरित वि. वा. बल तथा सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स के मध्य कलान्तर होगा-
(अ) [latex]frac{pi}{4}[/latex]
(ब) [latex]frac{pi}{2}[/latex]
(स) [latex]frac{pi}{3}[/latex]
(द) π
उत्तर:
(ब) [latex]frac{pi}{2}[/latex]

प्रश्न 13.
यदि 2 × 10-3 स्वप्रेरण गुणांक वाली कुण्डली में धारा 0.1s में एक समान रूप से 1A तक बढ़ती है तो प्रेरित वि. वा. बल का परिमाण होगा-
(अ) 2V
(ब) 0.2 V
(स) 0.02 V
(द) शुन्य
उत्तर:
(स) 0.02 V
(स) दिया है L = 2 × 10-3 H
dt = 0.1s
dI = 1A
प्रेरित वि. वा. बल ε = [latex]-frac{mathrm{L} d I}{d t}[/latex]
= 2 × [latex]10^{-3} frac{(0-1)}{0 cdot 1}[/latex]
ε = 0.02V

प्रश्न 14.
100 घेरों वाली उस कुण्डली का स्वप्रेरण गुणांक कितना होगा यदि इसमें 5A की धारा 5 × 103 मैक्सवेल का चुम्बकीय फ्लक्स उत्पन्न करे।
(अ) 0.5 × 10-3H
(ब) 2 × 10-3H
(स) शून्य
(द) 10-3H.
उत्तर:
(द) 10-3H.
(द) दिया है N = 100 फेरे
I = 5A
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण Te Bo Q 14

प्रश्न 15.
एक कुण्डली के लम्बवत् गुजरने वाला चुम्बकीय फ्लक्स φ= 10t2 + 5t + 1 समय के साथ परिवर्तित होता है यहाँ t s में तथा φ mWb में है तो t = 5s पर कुण्डली में प्रेरित वि. वा. बल होगा।
(अ) 1 V
(ब) 0.105 V
(स) 2v
(द) 0 V
उत्तर:
(ब) 0.105 V
(ब) दिया है φ = 10t2 + 5t + 1
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण Te Bo Q 15
ε = (20t + 5)mV
ε = (20t + 5) × 10-3V
t = 5s पर
ε = (20 × 5 + 5) × 10-3
ε = 0.105V.

RBSE Class 12 Physics Chapter 9 अति लघूत्तरात्गक प्रश्न

प्रश्न 1.
यदि किसी प्रेरकत्व में धारा का मान दुगुना कर दिया जाए तो संग्रहीत ऊर्जा कितने गुना हो जाएगी ?
उत्तर:
किसी कुण्डली में संग्रहीत चुम्बकीय ऊर्जा
U = [latex]frac{1}{2} mathrm{LI}^{2}[/latex]
यदि धारा का मान दुगुना कर दिया जाए तो
U’ = [latex]frac{1}{2} mathrm{L}(2 mathrm{I})^{2}=4 times frac{1}{2} mathrm{LI}^{2}[/latex]
U’ =4U
अतः संग्रहीत ऊर्जा का मान चार गुना होगा।

प्रश्न 2.
किसी विद्युत परिपञ्च को अचानक तोड़ने पर उस स्थान पर चिंगारी अपन क्यों होती है ?
उत्तर:
विद्युत परिपथ को अचानक तोड़ने पर परिपथ से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स का मान शून्य हो जाता है जिससे प्रेरित धारा कौं प्रबलता बढ़ जाती है। इस कारण चिंगारी उत्पन्न होने लगती है।

प्रश्न 3.
दो कुण्डलियों के मध्य अन्योन्य प्रेरण गुणांक किस प्रकार बढ़ाया जा सकता है ?
उत्तर:

  1. कुण्डलियों में फेरों की संख्या
  2. कुण्डलियों का क्षेत्रफल बाकर अन्योन्य प्रेरण गुणांक का मान बढ़ाया जा सकता हैं।

प्रश्न 4.
एक कुण्डली के फेरों की संख्या तनी ही रखकर उसका अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल दुगुना कर देने पर स्वप्रेरकत्व का मान कितना होगा ?
उत्तर:
कुण्डली का स्वप्रेरकत्व
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण Very Short Q 4
अत: स्वप्रेरकत्व [latex]sqrt{2}[/latex] गुना बढ़ जाएँगा।

प्रश्न 5.
घारामापी के क्रोड में भंवर मारा के प्रभाव को किस प्रकार कम किया जा सकता है ?
उत्तर:
धारामापी में ताँबे की फ्रेम पर तार को लपेटकर कुण्डली बनायी जाती है। जिससे चुम्बकीय क्षेत्र में घूर्णन करने से इसमें मैंवर धाराएँ उत्पन्न होती हैं जो विद्युत चुम्बकीय अवमंदन के कारण कुण्डली को शीघ्र साम्यावस्था में ले जाती है।

प्रश्न 6.
एक धातु और दूसरा अधातु का सिक्का एक ही ऊंचाई से पृथ्वी तल के समीप गिराए जाते हैं। कौन-सा पहले पृथ्वी पर पहुँचेगा और क्यों ?
उत्तर:
अधातु का सिक्का पृथ्वी तल पर पहले पहुँचेगा क्योंकि धातु के सिक्के में भू-चुम्बकत्व के कारण भैवर धाराएँ उत्पन्न हो जाती हैं। जो इसकी गति का विरोध करती हैं।

प्रश्न 7.
स्वप्रेरण को विद्युत का जड़त्व क्यों कहते हैं ?
(राज. बोर्ड 2017)
उत्तर:
स्वप्रेरण विद्युत परिपथ में धारा की वृद्धि या कमी का विरोध करता है और परिपथ को मूल स्थिति में लाने का प्रयास करता है। अतः इसे विद्युत का जड़त्व कहते हैं।

प्रश्न 8.
किसी परिनालिका का स्वप्रेरण गुणांक किन कारणों पर व किस प्रकार निर्भर करता है ?
उत्तर:
किसी परिनालिका का स्वप्रेरण गुणांक परिनालिका के भीतर भरे माध्यम (क्रोड) की आपेक्षिक चुम्बकशीलता µr, फेरों की संख्या N, परिनालिका की लम्बाई l तथा अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल A पर निर्भर करता है |

प्रश्न 9.
उच्च वोल्टता पर धारा ले जाने वाले तार में धारा प्रारम्भ करते ही तार पर बैठी चिड़ियाँ उड़ जाती हैं, क्यों ?
उत्तर:
तार में उच्च वोल्टता की धारा प्रवाहित होने पर तार पर बैठी चिड़ियाँ के शरीर में प्रेरित धारा प्रवाहित होती हैं जिनके चिड़ियाँ के दोनों पंख परस्पर विपरीत धाराओं के कारण प्रतिकर्षित होकर फैल जाते हैं। अत: चिड़ियाँ उड़ जाती हैं।

प्रश्न 10.
[latex]frac{mathbf{L}}{mathbf{R}}[/latex] का विमीय सूत्र लिखिए जहाँ L स्वप्रेरकत्व तथा R प्रतिरोध है।
उत्तर:
प्रेरित वि. वा. बल ε = [latex]mathrm{L} frac{d mathrm{I}}{d t}[/latex]
ε = dIR
dI.R = [latex]mathrm{L} frac{d mathrm{I}}{d t}[/latex]
[latex]frac{mathrm{L}}{mathrm{R}}[/latex] = dt
अतः [latex]frac{mathrm{L}}{mathrm{R}}[/latex] का विमीय सूत्र [M0L0T1] होगा।

प्रश्न 11.
किसी आयताकार लूप को समांग चुम्बकीय क्षेत्र में नियत वेग से चलाया जाए तो प्रेरित वि. वा. बल का मान कितना होगा ?
उत्तर:
यदि B1 = B2, तब
ε = 0 (शून्य) होगा।

प्रश्न 12.
दो कुण्डलियों को किस प्रकार लपेटा जाए जिससे प्रेरित वि. वा. बल का मान अधिकतम होगा ?
उत्तर:
एक कुण्डली के ऊपर ही दूसरी कुण्डली को लपेटना चाहिए जिससे चुम्बकीय क्षरण नगण्य किया जा सकता है।

प्रश्न 13.
किसी कुण्डली (आयताकार लूप) को चुम्बकीय क्षेत्र में घूर्णन कराने पर उसमें अपन्न प्रेरित वि. वा. बल किन कारकों से प्रभावित होता है ?
उत्तर:
किसी कुण्डली (आयताकार लूप) को चुम्बकीय क्षेत्र में घूर्णन कराने पर उत्पन्न प्रेरित वि. वा. बल ε0 = NBAω फेरों की संख्या (N), कुण्डली के क्षेत्रफल (A), चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता (B) और कोणीय चाल (ω) पर निर्भर होता है।

प्रश्न 14.
एक सीधे और लम्बे चालक तार को उत्तर-दक्षिण दिशा में रखकर गुरुत्वीय क्षेत्र में स्वतन्त्रतापूर्वक गिराने पर तार में वि. वा. बल प्रेरित होगा, क्यों ?
उत्तर:
नहीं, क्योंकि उत्तर-दक्षिण में रखा तार गिरते समय तार की लम्बाई भू-चुम्बकत्व के क्षैतिज घटक के समान्तर तथा वेग, ऊर्ध्व घटक के समान्तर है।

प्रश्न 15.
चल कुण्डली धारामापीं के रुद्वदोल करने के लिए भेवर धाराओं का उपयोग किस प्रकार किया जाता है ?
उत्तर:
रुद्धदौल धारामापी में भंवर धाराओं के कारण चुम्बकीय अवमंदन होता है, जिससे कुण्डली को तुरन्त साम्यावस्था में लाना सम्भव हो पाता है।

RBSE Class 12 Physics Chapter 9 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
विद्युत चुम्बकीय प्रेरण से आप क्या समझते हैं ? फैराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण सम्बन्धी नियम लिखिए तथा प्रेरित वि. वा. बल का मान लिखिए।
उत्तर:
विद्युत चुम्बकीय प्रेरण (Electro-magnetic Induction)
विद्युतधारा अर्थात् गतिशील आवेश से चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। अतः गतिमान चुम्बक से विद्युत धारा उत्पन्न होनी चाहिए। इस धारणा को सार्थक करने के लिए फैराडे ने एक धारामापी जुड़ी कुण्डली तथा चुम्बक के साथ तरह-तरह से प्रयोग किये, लेकिन सफलता नहीं मिली, तब गुस्से में आकर उन्होंने चुम्बक फेंक दिया। संयोग से चुम्बक कुण्डली के अन्दर गिरा तो उन्होंने देखा कि धारामापी में विक्षेप आ गया। यही घटना फैराडे की नई खोज का आधार बनी। इस घटना के सम्बन्ध में कई प्रयोग किए जिनमें से तीन प्रयोग विद्युत चुम्बकीय प्रेरण की घटना को समझने में आधारभूत हैं।

प्रश्न 2.
एक कुण्डली को चुम्बकीय क्षेत्र में
(i) तीव्र गति से
(ii) धीमी गति से हटाया जाता है तो किस स्थिति में प्रेरित वि. वा. बल तथा किया गया कार्य अधिक होगा।
उत्तर:
कुण्डली को चुम्बकीय क्षेत्र में तीव्र गति से हटाने पर प्रेरित वि. वा. बल का मान अधिक होगा क्योंकि तीव्र गति से हटाने पर समयांतराल dt का मान अल्प होगा। जिससे फ्लक्स परिवर्तन की दर [latex]frac{d phi}{d t}[/latex] का मान अधिक बढ़ जायेगा। अर्थात् उत्पन्न प्रेरित वि. वा. बल
ε = [latex]frac{d phi}{d t}[/latex] का मान अधिक होगा।

प्रश्न 3.
विद्युत चुम्बकीय प्रेरण सम्बन्धी लेंज का नियम लिखो तथा समझाइए कि लेंज का नियम ऊर्जा संरक्षण के नियम की पालना करता है।
उत्तर:
लेज का नियम (Lenz’sLaw)
फैराडे के नियम से प्रेरित वि. वा. बल का परिमाण ज्ञात होता है। परन्तु प्रेरित वि. वा. बल या प्रेरित धारा की दिशा लेंज के नियम से ज्ञात की जाती है। | लेन्ज के नियमानुसार, “विद्युत चुम्बकीय प्रेरण की प्रत्येक अवस्था में किसी परिपथ में प्रेरित वि. वा. बल एवं प्रेरित विद्युत धारा की दिशा सदैव इस प्रकार होती है कि वह उस कारण का विरोध करती है। जिसके कारण उसकी उत्पत्ति हुई है।”
अत: फैराडे व लेन्ज के नियम से
[latex]varepsilon=-frac{d phi_{mathrm{B}}}{d t}[/latex]
एवं कुण्डली में N फेरे हो तो
[latex]varepsilon=-N frac{d phi_{mathrm{B}}}{d t}[/latex]

अतः स्पष्ट है कि यदि परिपथ में चुम्बकीय फ्लक्स का मान बढ़ता है तो प्रेरित धारा की दिशा इस प्रकार होगी कि उससे उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा मूल क्षेत्र रेखाओं की दिशा के विपरीत होती है। इसी प्रकार यदि परिपथ में चुम्बकीय फ्लक्स का मान घटता है तो प्रेरित धारा की दिशा इस प्रकार होगी कि उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की। दिशा मूल क्षेत्र रेखाओं की दिशा में होती है।

लेज का नियम एवं ऊर्जा संरक्षण (Lenz’s Law andEnergy Conservation)

लेन्ज का नियम ऊर्जा संरक्षण के नियम की अनुपालना करता है। हम यह कल्पना करें कि उत्तरी ध्रुव N को कुण्डली के पास लाने पर कुण्डली में प्रेरित धारा की दिशा इस प्रकार हो कि चुम्बक के सम्मुख कुण्डली का फ्लक्स उत्तरी ध्रुव N न बनकर दक्षिणी ध्रुव S बन जाए। ऐसी स्थिति में कुण्डली प्रतिकर्षित होने के स्थान पर आकर्षित होता है। तथा कुण्डली की ओर त्वरित होता है। चुम्बक की त्वरण बढ़ने के साथ-साथ कुण्डली में धारा भी बढ़ती है जिससे चुम्बक पर बल का मान बढ़ता है। इस कारण चुम्बक की गतिज ऊर्जा बढ़ती है। साथ ही कुण्डली में ऊष्मा की दर IPR भी बढ़ती है।

इस प्रकार हम प्रारम्भ में चुम्बक को कुण्डली की ओर हल्का-सा धक्का देने पर ही हम ऊर्जा में भारी वृद्धि कर सकते थे जो कि ऊर्जा संरक्षण के नियम के विरुद्ध है। अतः यह कल्पना सत्य नहीं है।

विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के प्रयोगों में हमने पाया कि प्रत्येक स्थिति में चुम्बक को गतिशील करने के लिए प्रेरित चुम्बकीय बल के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है। यह यान्त्रिक कार्य विद्युत ऊर्जा के रूप में प्रकट होता है। इस प्रकार निकांय की कुल ऊर्जा सदैव संरक्षित रहती है। बाह्य स्रोत द्वारा किया गया कार्य परिपथ में जूल तापन में व्यय ऊर्जा के तुल्य होता है। इस प्रकार लेंज के नियम से ऊर्जा संरक्षण के नियम का अनुपालन होता है।

प्रश्न 4.
एक समान चुम्बकीय क्षेत्र में रखी धातु की लेट को क्षेत्र से बाहर खींचने या क्षेत्र में प्रवेश कराने पर हमें विरोधी बल का अनुभव क्यों होता है ?
उत्तर:
एक समान चुम्बकीय क्षेत्र में रखी धातु की प्लेट को क्षेत्र से बाहर खींचने या क्षेत्र में प्रवेश कराने पर उसमें प्रेरित वि. वा. बल उत्पन्न होता है जिसके कारण धातु की प्लेट में भंवर धाराएँ उत्पन्न होती हैं। किन्तु लेंज के नियम के अनुसार धातु की प्लैट में उत्पन्न प्रेरित धाराएँ स्थानान्तरण का विरोध करती हैं। इसी कारण हमें विरोधी बल का अनुभव होता है।

प्रश्न 5.
क्या कारण है कि-

  1. प्रतिरोध बॉक्स के अन्दर तार की कुण्डलियों को दोहरा मोड़ा जाता है।
  2. व्हीटस्टोन सेतु में पहले सेल कुंजी तथा बाद में धारामापी कुंजी दवाई जाती है।

उत्तर:

  1. प्रतिरोध बॉक्स के भीतर तार की अनेक कुण्डलियाँ होती हैं जिनके भिन्न-भिन्न प्रतिरोध होते हैं। इन कुण्डलियों को दोहरे तार को लकड़ी के वेलनों पर लपेटकर बनाते हैं। इससे कुण्डलियों में प्रत्येक स्थान पर वैद्युत दो विपरीत दिशाओं में बहती है। अत: कुण्डली में बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स का मान शून्य ही रहता है। इससे कुण्डली में स्वप्रेरण का प्रभाव नगण्य हो जाता है।
  2. व्हीटस्टोन सेतु में पहले सैल कुंजी तथा बाद में धारामापी कुंजी दबाते हैं। यदि धारामापी कुंजी को पहले दवाते हैं तो स्वप्रेरण के कारण उत्पन्न प्रेरित धारा मुख्य धारा को नष्ट कर सकती हैं और पात्यांक में त्रुटि होने की आशंका रहती है।

प्रश्न 6.
प्रेरित धारा की दिशा व्यक्त करने के लिए फ्लेमिंग का दायें हाथ का नियम लिखिए।
उत्तर:
मल्प चुम्बकीय क्षेत्र में पूर्णन कती धातु की चकती में प्रेरित वि. वा. बल (Induced emf in a Metal Dise Rotating in a Uniform Magnetic Field)
चित्र 9.14 में प्रदर्शित r त्रिज्या की एक धातु की चकती समरूप चुम्बकीय क्षेत्र B ω कोणीय वेग से घूर्णन कर रही है। चुम्बकीय क्षेत्र B की दिशा कागज के तल के लम्बवत् अन्दर की ओर है जिसे क्रॉस (×) द्वारा दर्शाया गया है। चकती को अनेकों छड़ों से निर्मित माना जा सकता है। जिनका एक सिरा चकती के केन्द्र O पर तथा दूसरा सिरा परिधि पर

RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण laguta Q 6

हो। ऐसी प्रत्येक छड़ की लम्बाई L चकती की त्रिज्या r के बराबर होगी। प्रत्येक छड़ पर घूर्णन के कारण प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न होगा। चित्र में प्रदर्शित स्थिति में केन्द्र वाला सिरा धन तथा परिधि वाला सिरा ऋण आवेशित होगा। माना इस चकती को आवृत्ति से घूर्णन कराया जाता है तथा इसका क्षेत्रफल A = πr2  है तो स्थिर अवस्था में चकती के क्षेत्रफल से सम्बद्ध फ्लक्स
φ = BA
चकती की समांग चुम्बकीय क्षेत्र में घूर्णन गति के कारण उत्पन्न प्रेरित वि. वा. बल।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण laghu Q 6.1

प्रश्न 7.
अन्योन्य प्रेरण गुणांक की परिभाषा दीजिए तथा इसका मात्रक और विमीय सूत्र लिखो।
उत्तर:
अन्योन्य प्रेरण (Mutual Induction)
“जब एक चक्र (cycle) में धारा बदलने से उसके पास स्थित किसी दूसरे विद्युत चक्र में प्रेरण होता है तो इस घटना को अन्योन्य प्रेरण कहते हैं। जिस परिपथ में धारा बदलती है, उसे प्राथमिक परिपथ (Primary circuit) और जिसमें प्रेरण होता है, उसे द्वितीयक परिपथ (Secondary circuit) कहते हैं।”
चित्र (9.27) में प्राथमिक परिपथ को P से एवं द्वितीयक परिपथ को S | से व्यक्त किया गया है। प्राथमिक परिपथ में एक कुण्डली, एक कुंजी K, बैटरी B एवं एक धारा नियन्त्रक जुड़े हैं, जबकि द्वितीयक परिपथ में एक कुण्डली के सिरों के मध्य एक धारामापी G जुड़ा है।प्राथमिक परिपथ में धारा प्रवाहित करने पर अग्रलिखित घटनाएँ। घटित होती हैं-
(i) जब प्राथमिक परिपथ में कुंजी को बन्द किया जाता है तो द्वितीयक परिपथ में धारामापी में क्षणिक विक्षेप (momentary deflection) उत्पन्न होता है।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण lag Q 7
चित्र 9.27 अन्योन्य प्रेरण का प्रदर्शन
(ii) जब तक प्राथमिक परिपथ में अचर धारा (constant current) बहती है, धारामापी में कोई विक्षेप नहीं आता है।
(iii) यदि प्राथमिक धारा में परिवर्तन किया जाये तो द्वितीयक के धारामापी में उतने समय तक विक्षेप रहता है जब तक धारा के मान में परिवर्तन होता रहता है। धारा परिवर्तन की दर जितनी अधिक होती है, विक्षेप उतना ही अधिक होता है।
(iv) जब कुंजी खोलकर प्राथमिक धारा रोक दी जाती है तो द्वितीयक के धारामापी में पुनः क्षणिक विक्षेप उत्पन्न हो जाता है।
(v) प्राथमिक धारा को प्रारम्भ करते या बढ़ाते समय विक्षेप एक दिशा में और धारा को समाप्त करते या घटाते समय विक्षेप विपरीत दिशा में रहता है।
(vi) यदि दोनों कुण्डलियाँ नर्म लोहे के क्रोड पर लिपटी हों तो द्वितीयक के धारामापी में विक्षेप बहुत बढ़ जाता है।
उक्त प्रेक्षणों के निम्नलिखित कारण हैं-

प्राथमिक परिपथ में जब धारा प्रवाहित होती है तो उसके कारण जो चुम्बकीय फ्लक्स उत्पन्न होता है वह द्वितीयक परिपथ से होकर गुजरता है। प्राथमिक परिपथ में धारा बदलने से फ्लक्स में परिवर्तन होता है।
द्वितीयक कुण्डली से गुजरने वाले चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होने के | कारण उसमें विद्युत वाहक बल प्रेरित होता है। विद्युत चुम्बकीय प्रेरण की इस घटना को अन्योन्य प्रेरण कहते हैं।

फैराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के नियमों के अनुसार प्रेरित विद्युत वाहक बल का मान फ्लक्स परिवर्तन की दर के अनुक्रमानुपाती होता है, अतः प्राथमिक धारा का परिवर्तन तीव्र गति से होने के कारण विद्युत वाहक बल अधिक उत्पन्न होता है। लेन्ज के नियम से प्रेरित विद्युत वाहक बल फ्लक्स परिवर्तन का विरोध करता है, अत: फ्लक्स परिवर्तन की दिशा बदल जाने से प्रेरित विद्युत वाहक बल की दिशा भी बदल जाती है | चित्र 9.27 (b)]। इसका अर्थ यह हुआ कि जब प्राथमिक परिपथ में धारा बढ़ती (Increase) है तो द्वितीयक में विपरीत धारा (reverse current) बहती है और जब प्राथमिक परिपथ में धारा घटती है तो द्वितीयक में समान धारा बहती है। इस प्रयोग में यह उल्लेखनीय है कि प्राथमिक के कारण द्वितीयक में प्रेरण होता है और साथ ही साथ द्वितीयक के कारण प्राथमिक में भी प्रेरण होता है। इसीलिए इस घटना को अन्योन्य प्रेरण (mutual induction) कहते हैं। जिस प्रकार प्राथमिक परिपथ में धारा बदलने से द्वितीयक परिपथ में प्रेरण होता है, उसी प्रकार द्वितीयक परिपथ में धारा | बदलने से प्राथमिक परिपथ में प्रेरण होता है।

प्रश्न 8.
एक चालक तार उत्तर दक्षिण दिशा में है, इसे स्वतन्त्रतापूर्वक पृथ्वी की ओर छोड़ा जाता है। क्या इसके सिरों के मध्य वि. वा. बल प्रेरित होगा ? क्यों ?
उत्तर:
नहीं, चूंकि उत्तर-दक्षिण दिशा में रखा तार गिरते समय सार की लम्बाई शैतिज घटक के समान्तर तथा वेग ऊर्ध्व घटक के समान्तर है।

प्रश्न 9.
L लम्बाई की चालक छड़ चुम्बकीय क्षेत्र B में समान कोणीय वेग ω से इस प्रकार घूम रही है कि छड़ के घूमने का तल चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् है तो छड़ के सिरों के मध्य प्रेरित वि. वा. वल ज्ञात करो।
उत्तर:

मल्प चुम्बकीय क्षेत्र में पूर्णन कती धातु की चकती में प्रेरित वि. वा. बल (Induced emf in a Metal Dise Rotating in a Uniform Magnetic Field)
चित्र 9.14 में प्रदर्शित r त्रिज्या की एक धातु की चकती समरूप चुम्बकीय क्षेत्र B ω कोणीय वेग से घूर्णन कर रही है। चुम्बकीय क्षेत्र B की दिशा कागज के तल के लम्बवत् अन्दर की ओर है जिसे क्रॉस (×) द्वारा दर्शाया गया है। चकती को अनेकों छड़ों से निर्मित माना जा सकता है। जिनका एक सिरा चकती के केन्द्र O पर तथा दूसरा सिरा परिधि पर

RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण laguta Q 6

हो। ऐसी प्रत्येक छड़ की लम्बाई L चकती की त्रिज्या r के बराबर होगी। प्रत्येक छड़ पर घूर्णन के कारण प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न होगा। चित्र में प्रदर्शित स्थिति में केन्द्र वाला सिरा धन तथा परिधि वाला सिरा ऋण आवेशित होगा। माना इस चकती को आवृत्ति से घूर्णन कराया जाता है तथा इसका क्षेत्रफल A = πr2  है तो स्थिर अवस्था में चकती के क्षेत्रफल से सम्बद्ध फ्लक्स
φ = BA
चकती की समांग चुम्बकीय क्षेत्र में घूर्णन गति के कारण उत्पन्न प्रेरित वि. वा. बल।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण laghu Q 6.1

प्रश्न 10.
दो कुण्डलियाँ A और B एक दूसरे के लम्बवत् चित्रानुसार रखी हैं। यदि किसी एक कुण्डली में धारा में परिवर्तन किया जाए तो क्या दूसरी कुण्डली में धारा प्रेरित होगी ? क्यों ?
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण short Q 10
उत्तर:
किसी एक कुण्डली में धारा प्रवाहित करने पर उसके द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय फ्लक्स को दिशा दूसरी कुण्डली के तल के समान्तर होगी। इस स्थिति में एक कुण्डली से अपन्न चुम्बकीय फ्लक्स दूसरी कुण्डली में से होकर नहीं गुजरेगा। अर्थात् एक कुण्डली में विद्युत धारा परिवर्तित करने पर भी दूसरी कुण्डली का चुम्बकीय फ्लक्स परिवर्तित नहीं होता और उसमें प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न नहीं होगा।

प्रश्न 11.
दो कुण्डलियों के मध्य अन्योन्य प्रेरकत्व किन-किन कारकों पर निर्भर करता हैं ?
उत्तर:
दो कुण्डलियों के मध्य अन्योन्य प्रेरकत्व निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है-

  1. कुण्डलियों में फेरों की संख्या पर
  2. कुण्डलियों के अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल पर
  3. कुण्डलियों के मध्य उपस्थित क्रोड के माध्यम की चुम्बकीय पारगम्यता पर
  4. कुण्डली की लम्बाई पर।

प्रश्न 12.
किसी कुण्डली स्वप्रेरकत्व 1H है। इससे आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
किसी कुण्ढ़ल से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स का मान 1 वेबर परिवर्तित होने पर कुण्डली में । ऐम्पियर की धारा प्रेरित हो तो कुण्डली का स्वप्रेरकत्व 1 हेनरी होता है।

प्रश्न 13.
सिद्ध करो कि जब किसी कुण्डली से सम्बद्ध फ्लक्स में परिवर्तन φ1 से φ2 होता है तो प्रेरित आवेश का मान q = [latex]frac{N}{R}left(phi_{1}-phi_{2}right)[/latex] होता है। यहाँ N कुण्डली में फेरों की संख्या तथा R कुण्डली का प्रतिरोध है।
उत्तर:
फैराड़े तथा लेंज के नियम से प्रेरित वि. वा. बल
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण Sh Q 13
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण Sh Q 13.1

प्रश्न 14.
सिद्ध करो कि एक आयताकार कुण्डली के असमान चुम्बकीय क्षेत्र में उसके लम्बवत् नियत वेग से गति करने पर ऊर्जा संरक्षण नियम की अनुपालना होती है।
उत्तर:
असमान चुम्बकीय क्षेत्र में नियत वेग से गति की कारण आयताकर लूप में प्रेरित विद्युत वाहक बल एवं धाय (Induced e.m.f. and Current in a Rectangular Loop Moving in a Non-uniform Magnetic Field)
चित्र 9.11 में एक आयताकार चालक कुण्डली PQRS एक असमान चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् रखी है। कुण्डली की लम्बाई l तथा चौड़ाई b है। कुण्डली की भुजा PQ पर B1 तथा RS भुजा पर B1 चुम्बकीय क्षेत्र, कुण्डली के लम्बवत् कार्य करता है। चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् कुण्डली को वेग से इस प्रकार चलाया जाता है कि वेग v की दिशा भुजा PQ व RS के लम्बवत् हैं।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण Short Q 14
चित्र 9.11
अतः अल्प समय ∆t में कुण्डली द्वारा तय की गई दूरी
∆x = l∆t
भुजा PQ या RS द्वारा पार किया गया क्षेत्रफल
∆A = l∆s = lv∆t
इन अल्प क्षेत्रफलों में चुम्बकीय क्षेत्रों के मान क्रमश: B1, एवं B2 हैं। चित्र 9.11 से स्पष्ट है कि जितना क्षेत्रफल बायीं ओर से चुम्बकीय क्षेत्र B1 से बाहर निकलता है उतना ही क्षेत्रफल दार्थी ओर से चुम्बकीय क्षेत्र B2, में प्रवेश करता है। बार्यी ओर से कुण्डली में से पार होने वाले फ्लक्स में कमी
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण Short Q 14.1
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण Short Q 14.2

RBSE Class 12 Physics Chapter 9 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
समरुप चुम्बकीय क्षेत्र में एक समान वेग से गतिशील चालक छड़ के कारण प्रेरित वि. वा. बल का मान ज्ञात करो। इस प्रेरित वि, वा, बल की दिशा किस प्रकार ज्ञात करोगे ?
उत्तर:
समरूप चुम्बकीय क्षेत्र में चालक छड़ की गति के कारण प्रेरित विद्युत वाहक बल (Induced emf in a Conducting Rod Moving in a Uniform Magnetic Field)
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण lon Q 1
चित्र 9.10
चित्र 9.10 में समरूप चुम्बकीय क्षेत्र [latex]overrightarrow{mathrm{B}}[/latex] को बिन्दुओं द्वारा दर्शाया गया है जिसकी दिशा कागज के तल के लम्बवत् ऊपर की ओर है। चुम्बकीय क्षेत्र में / लम्बाई की एक चालक छड़ PQ चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् रखी है। इस चालक छड़ को लम्बाई l तथा चुम्बकीय क्षेत्र [latex]overrightarrow{mathrm{B}}[/latex] दोनों के लम्बवत् [latex]overrightarrow{mathrm{v}}[/latex] से गति कराया जाता है।
चालक छड़ में उपस्थित मुक्त इलेक्ट्रॉन भी चालक के साथ [latex]overrightarrow{mathrm{v}}[/latex] वेग से चुम्बकीय क्षेत्र में गति करते हैं अत: इन गतिशील मुक्त इलेक्ट्रॉनों पर आरोपित चुम्बकीय बल
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण lon Q 1.1
जहाँ q इलेक्ट्रॉन को आवेश है। इलेक्ट्रॉनों की अपवाह गति के कारण P सिरे पर इलेक्ट्रॉनों की अधिकता तथा Q सिरे पर इलेक्ट्रॉनों की कमी होने से, P सिरे पर ऋणावेश तथा Q सिरे पर धनावेश की अधिकता हो जाती है।
विपरीत आवेशों के छड़ के दोनों सिरों पर एकत्रित होने से चालक छड़ के दोनों सिरों के मध्य स्थिर विद्युत क्षेत्र उत्पन्न होता है। चालक की गति से अपवहन क्रिया तब तक चलती रहती है जब तक कि विद्युत क्षेत्र के कारण इलेक्ट्रॉनों पर बल चुम्बकीय क्षेत्र के कारण इलेक्ट्रॉनों पर बल चुम्बकीय क्षेत्र के कारण इलेक्ट्रॉनों पर लगे बल को सन्तुलित नहीं कर देता। यदि विद्युत क्षेत्र [latex]overrightarrow{mathrm{E}}[/latex] हो तो q आवेश के इलेक्ट्रॉन पर आरोपित बल
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण lonQ 1.2
अर्थात् विद्युत क्षेत्र [latex]overrightarrow{mathrm{E}}[/latex] की दिशा [latex]overrightarrow{mathrm{v}}[/latex] × [latex]overrightarrow{mathrm{B}}[/latex] की दिशा के विपरीत या चालक में Q से P सिरे की ओर होगी।
विद्युत क्षेत्र का परिमाण E
चालक के दोनों सिरों के मध्य विभवान्तर या प्रेरित वि. वा. बल एकांक धन आवेश का एक सिरे से दूसरे सिरे तक विस्थापन में क्षेत्र के विरुद्ध किया गया कार्य होगा।
ε = El
अतः ε = vBl … (5)
यहाँ l की दिशा ऋण आवेश वाले सिरे से धनावेश वाले सिरे की ओर होती है यदि चालक छड़ चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं से θ कोण बनाते हुए गति करता है तो प्रेरित विभवान्तर ।
ε = Bvl sin θ
यदि चालक की गति चुम्बकीय क्षेत्र के अनुदिश हो तो गतिशील चालक के सिरों के मध्य कोई वि. वा. बल प्रेरित नहीं होगा।
अर्थात्
ε = Bvl sin θ°
ε = 0
अतः स्पष्ट है कि जब कोई सीधा चालक समचुम्बकीय क्षेत्र में क्षेत्र की फ्लक्स रेखाओं को काटते हुए गति करता है तो चालक के सिरों के बीच एक प्रेरित वि. वा. बल उत्पन्न होता है। जिसे गतिक विद्युत वाहक बल कहते हैं।

प्रश्न 2.
एक आयताकार लूप असमान चुम्बकीय क्षेत्र में उसके लम्बवतु नियत वेग से गति करे तो प्रेरित वि. वा. बल तथा घारा का व्यंजक ज्ञात करो तथा सिद्ध करो कि ऊर्जा संरक्षण के नियम की अनुपालना होती है।
उत्तर:
असमान चुम्बकीय त्र में नियत वेग से गति की कारण आयताकार लूप में प्रेरित विद्युत वाहक बल एवं धय (Induced e.m.f. and Current in a Rectangular Loop Moving in a Non-uniform Magnetic Field)
चित्र 9.11 में एक आयताकार चालक कुण्डली PQRS एक असमान चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् रखी है। कुण्डली की लम्बाई l तथा चौड़ाई b है। कुण्डली की भुजा PQ पर B1 तथा RS भुजा पर B1, चुम्बकीय क्षेत्र, कुण्डली के लम्बवत् कार्य करता है। चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् कुण्डली को v वेग से इस प्रकार चलाया जाता है कि वेग v की दिशा भुजा PQ व RS के लम्बवत् हैं।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण lon Q 2
चित्र 9.11
अतः अल्प समय ∆t में कुण्डली द्वारा तय की गई दूरी
∆x = l∆t
भुजा PQ या RS द्वारा पार किया गया क्षेत्रफल
∆A = l∆s = lv∆t
इन अल्प क्षेत्रफलों में चुम्बकीय क्षेत्रों के मान क्रमश: B1 एवं 2 हैं। चित्र 9.11 से स्पष्ट है कि जितना क्षेत्रफल बायीं ओर से चुम्बकीय क्षेत्र B1 से बाहर निकलता है उतना ही क्षेत्रफल दायीं ओर से चुम्बकीय क्षेत्र B2 में प्रवेश करता है। बायीं ओर से कुण्डली में से पार होने वाले फ्लक्स में कमी
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण lon Q 2.1
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण lon Q 2.2

प्रश्न 3.
फेरों तथा A क्षेत्रफल वाली एक आयताकार कुण्डली (लूप) समरूप चुम्बकीय क्षेत्र में एक समान वेग ω से घूर्णन कर रही है। तो सिद्ध करो कि कुण्डली में प्रेरित वि. वा. बल NBω sinωt होता है।
उत्तर:
समरूप चुम्बकीय त्र में आयताकार कुण्डली की घूर्णन गति के कारण उत्पन प्रेरित वि. वा. बल (Induced emf due to Rotation of Rectangular
Coil in Uniform Magnetic Field)
एक समान चुम्बकीय क्षेत्र B में एक आयताकार कुण्डली PQRS चित्र 9.15 में दर्शायी है। कुण्डली इस प्रकार रखी है कि उसकी घूर्णन अक्ष चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् है। इस कुण्डली को ω कोणीय वेग से घुमाया जाता है। जिससे कुण्डली के तल और चुम्बकीय क्षेत्र के मध्य कोण सतत रूप से परिवर्तित होता है। जिससे कुण्डली से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है और कुण्डली में प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न होता है।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण long A Q 3
चित्र 9.15
माना किसी क्षण t पर क्षेत्रफल A चुम्बकीय क्षेत्र B के साथ θ कोण अंतरित करता है। तो कुण्डली से पार होने वाला चुम्बकीय फ्लक्स
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण long Q 3.1
यदि प्रेरित वि. वा. बल है और समय के मध्य ग्राफ खींचा जाए तो फ निम्न होगा-
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण long Q 3.2
चित्र 9.16
समी. (1) वे समी. (2) से स्पष्ट है कि जब कुण्डली से पारित फ्लक्स अधिकतम है तो प्रेरित वि. क. बल शून्य (न्यूनतम) है तथा जब कुण्डली से पारित चुम्बकीय फ्लक्स न्यूनतम है तो प्रेरित वि. वा. बेल अधिकतम है। यदि परिपथ में प्रतिरोध R हो तो परिपथ में प्रवाहित धारा
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण long Q 3.3
समी. (2) व समी. (3) में व्यक्त वि. वा. बल को प्रत्यावर्ती वोल्टता और धारा प्रत्यावर्ती धारा कहते हैं। यही प्रत्यावर्ती धारा जनित्र का सिद्धान्त है।

प्रश्न 4.
स्वप्रेरण किसे कहते हैं ? प्रयोग द्वारा स्वप्रेरण की घटना समझाओं तथा परिनालिका में स्वप्रेरकत्व का मान ज्ञात करो।
उत्तर:
स्वप्रेरण या आत्म-प्रेरण (Self Induction)
स्वप्रेरण की घटना की खोज अमेरिकी वैज्ञानिक ‘जोसेफ हेनरी’ ने सन् 1832 में की थी। “किसी चक्र में धारा परिवर्तन (change in current in any eycle) के कारण उसी चक्र में प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न होने की घटना स्वप्रेरण कहलाती है।” किसी चक्र के इस गुण की तुलना जड़त्व (inertia) से की जा सकती है। जब किसी कुण्डली युक्त चक्र में धारा बढ़ने पर कुण्डली के चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता बढ़ती है, अत: कुण्डली से गुजरने वाली क्षेत्र रेखाओं की संख्या में वृद्धि होती है। ऐसा होने पर कुण्डली में एक प्रतिकूल विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है जो प्रधान धारा (main current) का विरोध करता है। इसलिए प्रधान धारा अपने उच्चतम मान को ग्रहण करने के लिये कुछ समय लेती है (यद्यपि यह नगण्य होता है)। जैसे ही प्रधान धारा अधिकतम मान को प्राप्त कर लेती है, फ्लक्स परिवर्तन समाप्त हो जाता है जिससे प्रेरित विद्युत वाहक बल शून्य हो जाता है। इसी प्रकार परिपथ तोड़ते समय (breaking of circuit) चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की संख्या घटती (decrease) है अतः समान दिशा में प्रेरित धारा उत्पन्न हो जाती है जो प्रधान धारा को एकदम शून्य नहीं होने देती है।

चित्र 9.24 में उक्त दोनों स्थितियाँ प्रदर्शित की गई हैं। स्पष्ट है कि स्वप्रेरण के कारण ही किसी कुण्डली में धारा न तो एकदम अधिकतम से पाती है ओर न ही एकदम शून्य हो पाती है। जिस स्थान पर परिपथ टूटता (break) है, उस स्थान पर दोनों बिन्दुओं के मध्य यह प्रेरित धारा विभवान्तर उत्पन्न कर देती है जो इतना अधिक हो सकता है कि दोनों बिन्दुओं के मध्य विद्युत प्रवाह को हवा का पृथक्कारी गुण न रोक सके और धारा वास्तव में प्रवाहित हो जाये। इस धारा प्रवाह से उत्पन्न ऊष्मा चिनगारी (spark) के रूप में देखी जा सकती है। इस प्रकार स्वप्रेरण के कारण मुख्य धारा की वृद्धि (growth) और पतन (decay) दोनों का समय बढ़ जाता है, लेकिन समय की यह वृद्धि परिपथ
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण long Q 4
को तोड़ने की अपेक्षा जोड़ने के समय अधिक होती है क्योंकि तोड़ने की स्थिति (breaking the circuit) में प्रेरित धारा को विद्युत चक्र पूर्ण नहीं मिलता है।
प्रायोगिक प्रदर्शन – स्वप्रेरण की घटना का प्रदर्शन चित्र 9.25 में दिखाये गये परिपथ की सहायता से किया जा सकता है। कुंजी दबाने पर बल्ब जलना कोई विशेष बात नहीं है, लेकिन कुंजी को खोलने (open) पर बल्ब एकदम चमकना बन्द न करके कुछ देर तक चमकता रहता (lit for long time) है अर्थात् धीरे से बन्द होता है; यह विशेष बात है। उक्त व्यवहार स्वप्रेरण के कारण होता है। कुंजी को खोलते समय स्वप्रेरण के कारण समान दिशा (same direction) में धारा उत्पन्न हो जाती है जो प्रधान धारा के घटने का विरोध करती है और वह यकायक शून्य नहीं हो पाती है। इसीलिए कुंजी खोलने (open) के बाद भी बल्ब कुछ समय के लिए चमकता रहता है।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण long Q 4.1
चित्र 9.25 स्व प्रेरण का प्रदर्शन

प्रश्न 5.
भँवर धाराएँ किसे कहते हैं ? इनके कोई दो उपयोग लिखो तथा ट्रांसफार्मर में अवांछनीय भंवर धाराओं को कम करने हेतु क्या किया जाता हैं ?
उत्तर:
भँवर धराएँ (Eddy Currents)
जब किसी बन्द परिपथ से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है तो परिपथ में एक विद्युत वाहक बल उत्पन्न होता है जिससे परिपथ में प्रेरित धारा (induced current) बहने लगती है। सन् 1895 में वैज्ञानिक फोको (Focault) ने यह ज्ञात किया कि प्रेरण की घटना तब भी घटित होती है जब किसी भी आकृति के चालक से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है। उन्होंने देखा कि जब किसी भी आकृति अथवा आकार के चालक को किसी चुम्बकीय क्षेत्र में चलाया जाता है। अथवा उसे परिवर्ती चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो चालक से बद्ध (link) चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होने से चालक के सम्पूर्ण आयतन में प्रेरित धाराएँ उत्पन्न हो जाती हैं जो चालक की गति का विरोध करती हैं। ये प्रेरित धाराएँ जल में उत्पन्न भँवर के समान चक्करदार होती हैं, अत: इन्हें भँवर धाराएँ’ कहते हैं। आविष्कारक के नाम पर इन्हें ‘फोको धाराएँ’ भी कहते हैं।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण long Q 5
चित्र 9.17 भँवर धाराओं का प्रदर्शन।
इस प्रकार, “जब किसी चालक से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन किया जाता है तो उस चालक में चक्करदार प्रेरित धाराएँ उत्पन्न हो जाती हैं, जिन्हें भँवर धाराएँ कहते हैं।”

भँवर धाराओं को मान चालक के प्रतिरोध पर निर्भर करता है। यदि चालक का प्रतिरोध अधिक है तो भंवर धाराओं का मान कम होता है। इसके विपरीत यदि चालक का प्रतिरोध कम है तो भंवर धाराओं का मान अधिक होता है। इन धाराओं की प्रबलता (strength) इतनी अधिक हो सकती है कि चालक गर्म होकर रक्त-तप्त हो सकता है।

चित्र 9.17 में चालक पदार्थ की एक समतले चादर P को एक असमान चुम्बकीय क्षेत्र B में क्षेत्र की दिशा के लम्बवत् रखकर उसे क्षेत्र से बाहर खींचते हैं, तो एक विरोधी बल का अनुभव होता है। इसका कारण यह है कि चादर को क्षेत्र से बाहर खींचने पर चुम्बकीय क्षेत्र के अन्दर चादर का क्षेत्रफल घटती है जिससे चादर से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स (φB = BA) का मान घटता है और फलस्वरूप चादर के तल (in the plane of sheet) में भँवर धाराएँ उत्पन्न होने लगती हैं। इन भँवर धाराओं की दिशा इस प्रकार होती है कि इनके कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र मूल चुम्बकीय क्षेत्र की ही दिशा में होता है जिससे भँवर धाराएँ फ्लक्स के घटने का विरोध करती हैं। इसी प्रकार चादर को यदि चुम्बकीय क्षेत्र में प्रवेश करायें तो भँवर धाराओं के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र मूल क्षेत्र (original region) की विपरीत दिशा में होगा। फलतः | भँवर धाराएँ चादर से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स के बढ़ने का विरोध (oppose) करेंगी।

भँवर धाराओं का प्रायोगिक प्रदर्शन (Experimental Demonstration of Eddy Currents)
भँवर धाराओं का प्रायोगिक प्रदर्शन चित्र (9.18) में प्रदर्शित प्रयोग द्वारा कर सकते हैं। इसमें एक ताँबे की आयताकार प्लेट P छिद्र O से जाने वाली क्षैतिज अक्ष पर विद्युत चुम्बक के ध्रुव खण्डों (pole pieces) के मध्य स्वतन्त्रतापूर्वक गति कर सकती है। जब विद्युत चुम्बक (electro magnet)
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण long Q 5.1
चित्र 9.18 भँवर धाराओं का प्रायोगिक प्रदर्शन
में कोई धारा प्रवाहित नहीं की जाती है तो प्लेट स्वतन्त्रतापूर्वक ध्रुव खण्डों के मध्य ऊर्ध्वाधर लटकी होती है। अब प्लेट को घूर्णन गति करा दें तो प्लेट घूर्णन दोलन करने लगेगी। इसी समय यदि विद्युत चुम्बक में धारा प्रवाहित कर दें तो प्लेट के दोलन तुरन्त रुक जाते हैं। इसका कारण है कि चुम्बकीय क्षेत्र में गति करते समय प्लेट से सम्बद्ध फ्लक्स में परिवर्तन होने के कारण प्लेट के तल में भँवर धाराएँ उत्पन्न हो जाती हैं जो प्लेट की गति का विरोध करती हैं। फलस्वरूप प्लेट रुक जाती है।

भँवर धाराओं से हानि और उन्हें कम करने के उपाय-अनेक विद्युत उपकरणों, जैसे-ट्रान्सफॉर्मर, डायनमो, प्रेरण कुण्डली आदि में नर्म लोहे की क्रोड (core of soft iron) का प्रयोग होता है। इन उपकरणों में प्रत्यावर्ती धारा बहने से क्रोड से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है और उसमें भंवर धाराएँ उत्पन्न होने से क्रोड गर्म हो जाती है। इस प्रकार विद्युत ऊर्जा ऊष्मीय ऊर्जा के रूप में क्षय होने लगती है जो कि अवांछनीय (unwanted) है। भंवर धाराओं के प्रभाव को कम करने के लिए क्रोड को अकेले टुकड़े के रूप में न लेकर पटलित (laminated) रूप में लेते हैं और पट्टियाँ पृथक्कृत वार्निश द्वारा विद्युततः पृथक्कृत कर दी जाती हैं। इन पत्तियों को चुम्बकीय क्षेत्र के अनुदिश रखते हैं जिससे मैंवर धाराएँ पत्ती की मोटाई (जो कि बहुत कम होती है) में उत्पन्न होती हैं। इस प्रकार पटलित लौह क्रोड द्वारा भँवर धाराओं का दुष्प्रभाव कम हो जाता है।

यदि ताँबे की पट्टिका में चित्रानुसार आयताकार खाँचे बनाये जाते हैं तो भंवर धाराओं के प्रवाह के लिए क्षेत्रफल कम हो जाता है। इस प्रकार लोलक पट्टिका में छिद्र अथवा खाँचे विद्युत चुम्बकीय अवमंदन को कम कर देते हैं तथा पट्टिका अधिक स्वतन्त्रतापूर्वक दोलन करती है।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण long Q 5.2.1
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण long Q 5.2.2
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण long Q 5.2.3

भँवर धाराओं के उपयोग (Applications of Eddy Currents)
एक ओर भंवर धाराएँ अवांछनीय हैं जहाँ इनकी आवश्यकता नहीं है। दूसरा पहलू इनकी उपयोगिता का भी है। ये निम्न रूपों में उपयोगी हैं-

(i) प्रेरण भट्टी (induction furnance) में इनका उपयोग होता है। इसमें धातु को प्रबल परिवर्ती चुम्बकीय क्षेत्र में रख दिया जाता है जिससे धातु में प्रबल भँवर धाराएँ (strong eddy currents) उत्पन्न होकर इतनी ऊष्मा उत्पन्न करती हैं कि धातु पिघल जाती है।

(ii) धारामापी को रुद्ध दोलन (ballistic) बनाने में इनका उपयोग होता है। धारामापी की कुण्डली ताँबे के विद्युतरोधी तार को ऐलुमिनियम के फ्रेम पर लपेटकर बनाई जाती है। जब कुण्डली विक्षेपित होती है तो फ्रेम में भंवर धाराएँ उत्पन्न हो जाती हैं जो कुण्डली की गति का विरोध करती हैं। अतः कुण्डली विक्षेपित होकर शीघ्र ही उपयुक्त स्थिति में रुक जाती है। यह घटना विद्युत-चुम्बकीय अवमन्दन (electromagnetic damping) कहलाती है।

(iii) विद्युत ट्रेनों को रोकने के लिए भँवर धाराओं का उपयोग विद्युत ब्रेक के रूप में किया जाता है। पहिए की धुरी (rim) के साथ-साथ धातु का ड्रम (metal drum) लगा होता है जो पहिए के साथ-साथ घूमता है। जब ट्रेन को रोकना होता है तो डूम के पास प्रबल चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न कर दिया जाता है जिससे ड्रम में भँवर धाराएँ प्रेरित हो जाती हैं, जो ड्रम की गति का विरोध करती हैं और ट्रेन रुक जाती है।

(iv) वाहनों के गतिमापी (speedometer) भंवर धाराओं के सिद्धान्त पर ही कार्य करते हैं। मोटर गाड़ियों में एक चुम्बक गेयर द्वारा पहिए की धुरी से जुड़ा होता है। यह चुम्बक धातु के ड्रम से घिरा होता है। पहिए के साथ-साथ डुम भी घूमता है जिससे डुम में भंवर धाराएँ उत्पन्न हो जाती हैं जो घूमते हुए पहिए और डूम के बीच आपेक्षिक गति का विरोध करती हैं, अतः डुम भी घूमने लगता है। डूम का घुमाव गाड़ी की चाल के अनुक्रमानुपाती होता है, अतः डुम में संकेतक (pointer) लगाकर एक पैमाने द्वारा गाड़ी की चाल मापी जा सकती है।

RBSE Class 12 Physics Chapter 9 आंकिक प्रश्न

प्रश्न 1.
एक दीवार में जो कि चुम्बकीय याम्योत्तर के समान्तर है धातु के फ्रेम वाली खिड़की (120 cm × 50 cm) लगी है, का कुल प्रतिरोध 0,01[latex]Omega[/latex] है। खिड़की को 90° से खोलने पर फ्रेम में प्रवाहित आवेश का मान ज्ञात करो।
हल :
दिया है : खिड़की का क्षेत्रफल A = 120 cm × 50 cm
= 6 = 103 cm2 = 6 × 10-1m2
प्रतिरोध R = 0.01[latex]Omega[/latex]
चुम्बकीय याम्योत्तर के सामान्तर दीवार है। अतः खिड़की को 90° से खोलने पर चुम्बकीय क्षेत्र में परिवर्तन
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण Numeric Q 1

प्रश्न 2.
एक 50 फेरों वाली कुण्डली में पारित फ्लक्स का मान | निम्न है-
φB = 0.02 cos 100πtωb ज्ञात करो
(a) अधिकतम प्रेरित वोल्टता
(b) t = 0.01s पर प्रेरित वि. वा. बल
(c) t = 0.005s पर प्रेरित विद्युत धारा (यदि बाह्य प्रतिरोध 100[latex]Omega[/latex])
हल :
कुण्डली में फेरे = 50
चुम्बकीय फ्लक्स φB = 0.02 cos 100 πtωb
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण Numeric Q 2
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण Numeric Q 2.1

प्रश्न 3.
एक 50 फेरों वाली कुण्डली 0.6 टेसला चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् रखी है। इस कुण्डली का क्षेत्रफल 0.2 तथा कुण्डली के परिपथ का प्रतिरोध 10[latex]Omega[/latex] हो तो प्रेरित आवेश का मान ज्ञात करो जब
(a) कुण्डली को 180° से घुमा दिया जाए
(b) कुण्डली को चुम्बकीय क्षेत्र से बाहर निकाल दें।
हल :
दिया हैं :
कुण्डली में फेरे N = 50
चुम्बकीय क्षेत्र B = 0.6T
क्षेत्रफल A =0.2m2
तथा प्रतिरोध R = 10[latex]Omega[/latex]
अत: प्रारम्भिक अवस्था में कुण्डली से गुजरने वाला चुम्बकीय फ्लक्स
φ1 = BA cos θ = BA cos 0°
=0.6 × 0.2 × 1=0.12 ωb
(a) कुण्डली को 180° घुमाने पर कुण्डली में से गुजरने वाला चुम्बकीय फ्लक्स
φ2 = BA cos 180°= 0.6 × 0.2 × (-1)
φ2 = -0.12 ωb
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण Numeric Q 3

प्रश्न 4.
एक – 3[latex]hat{boldsymbol{k}}[/latex] मीटर लम्बा चालक [latex]hat{boldsymbol{i}}[/latex] + 2[latex]hat{boldsymbol{j}}[/latex] + 3[latex]hat{boldsymbol{k}}[/latex] m/s के वेग से [latex]hat{boldsymbol{i}}[/latex]+ 3[latex]hat{boldsymbol{j}}[/latex] + [latex]hat{boldsymbol{k}}[/latex] T चुम्बकीय क्षेत्र में गतिशील है। चालक के सिरों के मध्य विभवान्तर ज्ञात करो।
हल :
दिया है- चालक की लम्बाई l = 3[latex]hat{boldsymbol{k}}[/latex] मी.
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण Numeric Q 4

प्रश्न 5.
1000 फेरोंको तथा 0.2 × 0.1m2 आकार की एक आयताकार कण्ड़ली 0.2T के चुम्बकीय क्षेत्र में 4200 चक्कर प्रति मिनट लगा रही है। काली में प्रेरित वि. वा. बल का अधिकतम मान ज्ञात करो।
हल :
आयताकार कुण्डली में फेरों की संख्या N = 1000
कुण्डली का क्षेत्रफल A = 0.2 × 0.1 m2
चुम्बकीय क्षेत्र B = 02 T
घूर्णन आवृत्ति f = 4200 चक्कर प्रति मिनट
= [latex]frac{4200}{60}[/latex] = 70 चक्कर प्रति मिनट
∴ कोणीय आवृत्ति ω = 2πf = 2 × 3.14 × 70
ω = 439.60 रेडियन/से.
∴ अधिकतम प्रेरित वि. वा. बल
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण Numeric Q 5

प्रश्न 6.
एक मीटर लम्बी चालक छड़ एक सिरे के सापेक्ष 0.001T के चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् तल में 50 चक्कर प्रति सेकण्ड के कोणीय वेग से घूर्णन कर रही है। छड़ के सिरों के मध्य प्रेरित वि. वा. बल का मान ज्ञात करो।
हल :
प्रश्नानुासर, चालक छड़ की लम्बाई L= 1 मीटर
छड़ के घूर्णन की आवृत्ति f= 50 चक्कर/सेकण्ड
चुम्बकीय क्षेत्र B = 0.001T
छड़ के सिरों के बीच प्रेरित वि. वा. बल
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण Numeric Q 6

प्रश्न 7.
0.05m व्यास एवं 500 फेरे/cm वाली परिनालिका की लम्बाई 1m है। जब इसमें 3A की धारा प्रवाहित की जाती है तो चुम्बकीय फ्लक्स का मान ज्ञात करो।
हल :
प्रश्नानुसार,
परिनालिका का व्यास = 0.05 m
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण Numeric Q 7

प्रश्न 8.
एक 2 cm त्रिज्या तथा 100 फेरों वाली परिनालिका की लम्बाई 50 cm है। यदि परिनालिका के अन्दर निवांत हो तो परिनालिका का स्वप्रेरकत्व ज्ञात करो।
हल :
दिया है : परिनालिका की त्रिज्या = 2 m = 2 × 10-2m
फेरों की संख्या N = 100
परिनालिका की लम्बाई l = 50 cm = 50 × 10-2m
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण Numeric Q 8
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण Numeric Q 8.1

प्रश्न 9.
दो कुण्डलियाँ लोहे की क्रोड पर लिपटी हैं जिसका अन्योन्य प्रेरकत्व 0.5H है। यदि एक कुण्डली में 10-2s में धारा का मान 2 से 3A कर दिया जाए तो दूसरी कुण्डली में प्रेरित वि. वा. बल का मान ज्ञात करो।
हल :
दिया है । अन्योन्य प्रेरकत्व M = 0.5H
समय dt = 10-2s
प्रारंभिक धारा I1 = 2A
अन्तिम धारा I2 = 3A
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण Numeric Q 9

प्रश्न 10.
0.1 m लम्बी तथा 0.01m त्रिज्या की नर्म लोहे की छड़ पर तार लपेटकर एक कुण्डली बनाई गई है। यदि नर्म लोहे की आपेक्षिक चुम्बकशीलता 1200 है तो कुण्डली में फेरों की संख्या ज्ञात करो।
(कुण्डली का स्वप्रेरकत्व 0.25 H है)
हल :
प्रश्नानुसार,
कुण्डली की लम्बाई l = 0.1 m
कुण्डली की त्रिज्या R =0.01 m
नरम लोहे की आपेक्षिक चुम्बकशीलता µr = 1200
कुण्डली का स्वप्रेरकत्व L = 0.25H
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण Numeric Q 10

प्रश्न 11.
एक धात्विक चकती का व्यास 15 cm है, यह [latex]frac{100}{3}[/latex] चक्कर प्रति मिनट की दर से क्षैतिज तल में घूमती है। यदि चुम्बकीय क्षेत्र के ऊर्ध्व घटक का मान 0.01 Wb/m2 हो तो चकती के केन्द्र तथा परिधि के मध्य प्रेरित वि. वा. बल का मान ज्ञात करो।
हल :
दिया है, धात्विक चकती का व्यास = 15 cm
चकती की त्रिज्या r = [latex]frac{15}{2}[/latex] =7.5 cm = 7.5 × 10-2m
घूर्णन आवृत्ति f = [latex]frac{100}{3}[/latex] चक्कर/मिनट
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण Numeric Q 11
चुम्बकीय क्षेत्र का ऊर्ध्व घटक Bv = 0.01 Wb/m2
अत: चकती के केन्द्र तथा परिधि के मध्य प्रेरित वि. वा. बल
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण Numeric Q 11.1

प्रश्न 12.
एक 20 cm लम्बाई का एक चालक तार 5 × 10-4 Wb/m2 के चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् रखा है तथा यह चुम्बकीय क्षेत्र
और तार की लम्बाई के लम्बवत् गतिशील है। यदि चालक तार 1 m दूरी 4 s में तय करता हैं तो चालक तार के सिरों पर उत्पन्न प्रेरित वि, वा. बल ज्ञात करो।
हल :
प्रश्नानुसार, चालक तार की लम्बाई l = 20 cm = 0.2 m
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण Numeric Q 12

प्रश्न 13.
2m लम्बी एक धात्विक छड़ को (i) ऊपर (ii) क्षैतिज रखकर 15 km/h की चाल से पश्चिम से पूर्व की ओर ले जाया जाता है। यदि पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक 0.5 × 10-5 Wb/m2 है तो प्रत्येक स्थिति में छड़ के सिरों के मध्य उत्पन्न प्रेरित वि. वा. बल ज्ञात करो।
हल :
प्रश्नानुसार, धात्विक छड़ की लम्बाई l = 2m
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण Numeric Q 13
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण Numeric Q 13.1

प्रश्न 14.
यदि प्राथमिक कुण्डली में बहने वाली 5A धारा को 2ms में शून्य कर दिया जाए तो द्वितीयक कुण्डली में उत्पन्न प्रेरित वि. वा. बल का मान 25kV होता है। इन कुण्डलियों का अन्योन्य प्रेरकत्व ज्ञात करो।
हल :
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण Numeric Q 14

प्रश्न 15.
एक कुण्डली का प्रेरकत्व 2H है, इसमें प्रवाहित धारा का समय के साथ परिवर्तन निम्न ग्राफ में प्रदर्शित है। समय के साथ प्रेरित वि. वा. बल का परिबर्तन आलेखित करो।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण Numeric Q 15
हल :
(i) प्रथम दो सेकण्ड में वक्र में धारा शून्य से 6 ऐम्पियर तक बढ़ती है, अतः धारा परिवर्तन की दर [latex]frac{d mathrm{l}}{d t}=frac{6}{2}[/latex] = 3 ऐमम्पियर/सेकण्ड
अत: प्रथम दो सेकण्ड में प्रेरित वि. वा. बल
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण Numeric Q 15.1
(ii) 2 सेकण्ड से 5 सेकण्ड के मध्य धारा नियत रहती है अर्थात् dI = 0
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण Numeric Q 15.2
(iii) 5 सेकण्ड से 6 सैकड़ के मध्य धारा 6 ऐम्पियर से शून्य तक घटती है। अत: धारा परिवर्तन की दर [latex]frac{d mathrm{I}}{d t}=frac{0-6}{1}[/latex] = -6 ऐम्पियर/सेकण्ड
इस दौरान कुण्डली में प्रेरित वि. वा. बल
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण Numeric Q 15.3
या
शून्य से 6 सेकण्ड के मध्य प्रेरित विद्युत वाहक बल को ग्राफ में दर्शाया है-
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण Numeric Q 15.4

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