RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 21 वस्त्र का व्यक्तित्व से सम्बन्ध

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Rajasthan Board RBSE Class 12 Home Science Chapter 21 वस्त्र का व्यक्तित्व से सम्बन्ध

RBSE Class 12 Home Science Chapter 21 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से सही उत्तर चुनें –
(i) वस्त्र का प्राथमिक कार्य है –
(अ) पहचान
(ब) प्रशंसा
(स) सुरक्षा
(द) विविधता।
उत्तर:
(स) सुरक्षा

(ii) कला का तत्व है –
(अ) दबाव
(ब) अनुरूपता
(स) लय
(द) आकार
उत्तर:
(द) आकार

(iii) समतल रेखा दर्शाती है –
(अ) ऊँचाई
(ब) गहराई
(स) लम्बाई
(द) चौड़ाई।
उत्तर:
(द) चौड़ाई।

(iv) रंग का मुख्य स्रोत है –
(अ) प्रकाश
(ब) सूर्य का प्रकाश
(स) प्रकृति
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) सूर्य का प्रकाश

(v) लय का अर्थ होता है –
(अ) आकार
(ब) रंग
(स) गति
(द) विश्राम।
उत्तर:
(स) गति

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. वस्त्र पर छपाई हेतु………की आवश्यकता होती है।
2. वस्त्र का प्राथमिक कार्य…….एवं…….है।
3. रेखाओं के संयोजन से…….बनता है।
4. बनावट का…….के द्वारा पता लगा सकते हैं।
5. संतुलन दो प्रकार का…….एवं……..होता है।
6. दबाव से तात्पर्य……..पर विशेष बल देता है।
7. वस्त्र व्यक्ति के…….का प्रतिबिंब होता है।

उत्तर:
1. नमूने
2. सुरक्षा एवं आराम
3. आकार
4. स्पर्श
5. औपचारिक, अनौपचारिक
6. केन्द्र – बिन्दु
7. व्यक्तित्व।

प्रश्न 3.
डिजाइन को परिभाषित करें।
उत्तर:
डिजाइन की परिभाषा (Definition of Design):
वस्तु पर रेखा, आकार, प्रकार, रंग तथा बनावट के मिश्रित रूप से जो कलाकृति तैयार की जाती है, उस कलाकृति को ही डिजाइन या नमूना कहते हैं।

प्रश्न 4.
रंग डिजाइन को किस प्रकार प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
रंगों का डिजाइन पर प्रभाव (Effect of colors on Design):
रंग कला का महत्त्वपूर्ण तत्व है, जो डिजाइन को प्रभावित करता है। रंगों के डिजाइन पर प्रभाव को हम निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत देख सकते हैं –

  • रंग डिजाइन को सौन्दर्य तथा आकर्षण प्रदान करते हैं।
  • रंग डिजाइन को ऐसा प्रभाव देते हैं जिससे वस्त्र धारण करने वाले को प्रसन्नता हो।
  • डिजाइन में प्रयुक्त किए गए रंग व्यक्ति की रुचि तथा मानसिकता को प्रभावित करते हैं।
  • डिजाइन में प्रयुक्त हुए रंगों को देखकर ही व्यक्ति अवसरानुकूल वस्त्रों का चयन करता है।
  • विभिन्न आयु-वर्ग के व्यक्तियों के वस्त्रों में प्रयुक्त हुए डिजाइनों में रंगों का चयन भी उसी अनुरूप किया जाता है। जैसे-बच्चों के लिए खिले – खिले रंगों का प्रयोग करते हैं, जबकि वृद्धों के वस्त्रों के डिजाइन में सादा रंगों का प्रयोग किया जाता है।
  • रंगों का प्रयोग डिजाइन को विविधता प्रदान करता है।

प्रश्न 5.
बनावट से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
बनावट (Texture):
बनावट कला का एक महत्त्वपूर्ण तत्व है, जो डिजाइन पर व्यापक प्रभाव डालता है। किसी भी वस्त्र का बाह्य स्वरूप तथा स्पर्श संबंधी गुण बनावट कहलाता है। वस्त्रों की बनावट आँखों से देखकर या स्पर्श करके पहचानी जा सकती है। वस्त्रों की बनावट विविध प्रकार की होती है; जैसे – चिकनी, खुरदरी, मुलायम, चमकीली, रोएदार आदि। नमूने का चयन करते समय हमें इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि बनावट में एकरूपता हो तथा रोए इत्यादि समान दूरी पर हों।

प्रश्न 6.
वस्त्र के द्वितीयक कार्यों को समझाइए।
उत्तर:
वस्त्र के द्वितीयक कार्य (Secondary functions of clothing):
वस्त्र के द्वितीयक कार्य निम्नलिखित हैं –

1. सामाजिक स्तर का प्रतीक (Symbol of social status):
वस्त्र व्यक्ति के सामाजिक स्तर के रूप में देखे जाते हैं। अच्छे वस्त्र व्यक्ति के सामाजिक स्तर को ऊँचा उठाते हैं।

2. संतोष (Satisfaction):
सुंदर, आकर्षक तथा मनपसंद वस्त्रों को धारण करने से व्यक्ति को मानसिक तथा आत्मिक संतोष प्राप्त होता है।

3. आत्मविश्वास (Self-confidence):
यदि व्यक्ति अच्छे वस्त्र धारण करता है तथा अन्य व्यक्ति उन वस्त्रों को सराहते हैं, तो व्यक्ति के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।

4. प्रशंसा (Appreciation):
यदि व्यक्ति फैशन के अनुरूप, सुंदर तथा आकर्षक वस्त्र पहनता है, तो वह उसे प्रशंसा प्रदान करते हैं।

5. पहचान (Identity):
किसी व्यक्ति के वस्त्रों को देखकर उसकी आर्थिक स्थिति, व्यवसाय आदि की जानकारी हो जाती है।

6. विविधता (Variety):
व्यक्ति एक ही प्रकार के वस्त्र पहनते हुए ऊब जाता है। वस्त्र व्यक्ति को विभिन्न अवसरों तथा समारोहों में विविधता प्रदान करते हैं।

प्रश्न 7.
संतुलन नमूने को किस प्रकार प्रभावी बनाता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
संतुलन द्वारा नमूने को प्रभावी बनाना (Making design effective with proper balancing)डिजाइन में उचित संतुलन किसी भी प्रकार के नमूने को विशेष प्रभाव प्रदान करता है। संतुलन डिजाइन का एक प्रमुख सिद्धान्त है। संतुलन से तात्पर्य नमूने के प्रत्येक भाग का व्यवस्थित तथा समान भार का होना है। संतुलन के द्वारा रंग तथा आकृति को केन्द्र-बिन्दु के चारों ओर इस प्रकार समायोजित किया जाता है जो केन्द्र के चारों ओर इस प्रकार का आकर्षण देता है जिससे आरामदायक प्रभाव उत्पन्न होता है। संतुलन दो रूपों में किया जाता है –

  • औपचारिक संतुलन (Formal balance):
    औपचारिक संतुलन में नमूने के सभी भाग समान रूप से संतुलित होते हैं। इस प्रकार के संतुलन को व्यवस्थित रूप से समायोजित किया जाता है।
  • अनौपचारिक संतुलन (Informal balance):
    अनौपचारिक संतुलन में नमूने के भाग केन्द्र से परिधि की ओर तो संतुलित होते हैं, किन्तु सभी भाग आपस में बराबर नहीं होते हैं।

प्रश्न 8.
आकार का निर्माण किस प्रकार होता है? यह कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
आकार का निर्माण (Formation of shape):
आकार कला का दूसरा प्रमुख तत्व है। विभिन्न प्रकार की रेखाएँ परस्पर संयोजन द्वारा किसी-न-किसी आकार का निर्माण करती हैं। वस्त्र पर छपे हुए नमूने विभिन्न प्रकार के आकारों के प्रयोग द्वारा बनते हैं। आकार प्रमुख रूप से चार प्रकार के होते हैं –

1. आयताकार (Rectangle):
इस प्रकार के आकार का निर्माण दो लम्बवत् तथा सामने की दो समतल रेखाओं द्वारा होता है।
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2. वृत्ताकार (Circle):
वृत्ताकार आकृति गोल होती है तथा इस आकृति का प्रयोग नमूने में बहुत अधिक होता है। वृत्ताकार
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3. त्रिभुजाकार (Triangle):
इस प्रकार के आकार का निर्माण एक समतल भाग तथा दो तिरछी रेखाओं द्वारा होता त्रिभुजाकार
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4. वर्गाकार (Square):
वर्गाकार आकार के निर्माण में प्रयुक्त हुई लम्बवत् तथा समतल रेखाएँ नाप में समान होती
वर्गाकार
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प्रश्न 9.
‘डिजाइन निर्माण हेतु किन-किन रेखाओं का उपयोग किया जाता है ? विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर:
डिजाइन निर्माण हेतु रेखाएँ (Lines for Design formation):
आकर्षक तथा सुंदर डिजाइन के निर्माण में रेखाएँ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। विभिन्न रेखाओं को जोड़कर कई प्रकार के नमूने या डिजाइन बनाये जाते हैं। वस्त्रों के डिजाइन का निर्धारण विभिन्न रेखाओं के समायोजन द्वारा किया जाता है। डिजाइन के निर्माण में प्रमुख रूप से चार प्रकार की रेखाओं का प्रयोग किया जाता है –

  1. लम्बवत् रेखा (Vertical line)
  2. समतल रेखा (Horizontal line)
  3. तिरछी रेखा (Diagonal line)
  4. वृत्त रेखा (Curved line)

1 .लम्बवत् रेखा (Vertical line):
लम्बवत् रेखाएँ खड़ी होती हैं। क्रियाशीलता, जोश, प्रसन्नता के भावों को प्रदर्शित करने के साथ ये रेखाएँ लम्बाई में वृद्धि करती हैं। ठिगने व्यक्ति पर इस प्रकार के वस्त्र उपयुक्त लगते हैं, क्योंकि ये रेखाएँ अधिक लम्बाई का आभास कराती हैं।

2.  समतल रेखा (Horizontal line):
समतल रेखाएँ लेटी हुई स्थिति में होती हैं तथा स्थिरता एवं विश्राम के भाव को अभिव्यक्त करती हैं। यदि कोई पतला व्यक्ति समतल रेखा वाले वस्त्र पहने तो उस पर अच्छे लगते हैं, क्योंकि समतल रेखाएँ चौड़ाई का आभास प्रदान करती हैं, अत: इस प्रकार के वस्त्र पतले व्यक्ति पर उपयुक्त लगते हैं।

3. तिरछी रेखा (Diagonal line):
इस प्रकार की रेखाएँ वस्त्रों के सौन्दर्य में वृद्धि करती हैं तथा गतिशीलता, शालीनता एवं नमनीयता के भाव प्रदर्शित करती हैं। इस प्रकार की रेखाएँ सभी प्रकार के वस्त्रों पर अच्छी लगती हैं।

4. वृत्त रेखा.(Curved line):
वृत्ताकार रेखाएँ गोलाकार होती हैं तथा प्रसन्नता, शालीनता, सौन्दर्य तथा समृद्धि की प्रतीक हैं। वस्त्र की सज्जा करने में इन रेखाओं का अधिक प्रयोग किया जाता है। वृत्ताकार रेखा द्वारा वस्त्रों में फूल, पत्ते, अर्द्धवृत्त अथवा अन्य वृत्ताकार नमूने बनाए जाते हैं।

प्रश्न 10.
एक ठिगनी एवं मोटी महिला के लिए साड़ी हेतु किस प्रकार के डिजाइन का चयन करेंगे?
उत्तर:
एक ठिगनी एवं मोटी महिला के लिए लम्बवत् रेखाओं के डिजाइन वाली साड़ी का चयन करेंगे। व्यक्तित्व को उपयुक्त आकार प्रदान करने के लिए लम्बवत् रेखा के डिजाइन वाली साड़ी उसके मोटापे तथा लम्बाई की कमी को ढक देगी, क्योंकि लम्बवत् रेखाएँ लम्बाई में वृद्धि करती हैं जिसके कारण उसका मोटापा थोड़ा कम लगेगा तथा लम्बाई में वृद्धि का आभास देंगी।

प्रश्न 11.
एक लम्बी लड़की के लिए किस प्रकार के डिजाइन का वस्त्र चयन करेंगे?
उत्तर:
एक लम्बी लड़की के लिए समतल रेखाओं के डिजाइन वाले वस्त्रों का चयन करेंगे। समतल रेखाएँ स्थिरता तथा विश्राम को प्रदर्शित करती हैं तथा ये चौड़ाई का आभास कराती हैं। अत: एक लम्बी लड़की के लिए समतल रेखा वाले वस्त्रों का चयन करेंगे।

RBSE Class 12 Home Science Chapter 21 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 12 Home Science Chapter 21 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
वस्त्रों का द्वितीयक कार्य है –
(अ) सामाजिक
(ब) मनोवैज्ञानिक
(स) शारीरिक
(द) ये तीनों ही
उत्तर:
(द) ये तीनों ही

प्रश्न 2.
कला के तत्व होते हैं –
(अ) 2
(ब) 3
(स) 4
(द) 5
उत्तर:
(स) 4

प्रश्न 3.
……………लम्बवत् रेखा दर्शाती हैं –
(अ) लम्बाई
(ब) चौड़ाई
(स) ऊँचाई
(द) गहराई
उत्तर:
(अ) लम्बाई

प्रश्न 4.
किस डिजाइन में आमने-सामने की लम्बवत और समतल रेखाएँ बराबर होती हैं?
(अ) त्रिभुजाकार
(ब) आयताकार
(स) वृत्ताकार
(द) वर्गाकार
उत्तर:
(ब) आयताकार

प्रश्न 5.
व्यक्ति पर नीले रंग का प्रभाव होता है –
(अ) शान्ति
(ब) खुशी
(स) शोक
(द) स्वच्छ
उत्तर:
(अ) शान्ति

प्रश्न 6.
डिजाइन का सबसे महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त है –
(अ) अनुपात
(ब) सन्तुलन
(स) लय
(द) अनुरूपता
उत्तर:
(अ) अनुपात

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
(अ) मानव की दैनिक आवश्यकताओं में………..की आवश्यकता महत्त्वपूर्ण है।
(ब) वस्त्र का अति महत्त्वपूर्ण कार्य शरीर को………..है।
(स) समयोचित सुन्दर वस्त्र परिधान व्यक्ति के जीवन में…………और विविधताएँ लाते हैं।
(द) वस्त्रों पर नमूनों और…………की विविधता के लिए विभिन्न रेखाओं का प्रयोग किया जाता है।
(य) समतल रेखा वाले वस्त्र…………लोगों को नहीं पहनने चाहिए।
(र) रंगों की वजह से ही वस्त्र जीवन्त और…………लगते हैं।

उत्तर:
(अ) वस्त्र
(ब) ढकना
(स) परिवर्तन
(द) डिजाइन
(य) मोटे
(र) डिजाइन।

RBSE Class 12 Home Science Chapter 21 अति लघूत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
उचित तथा आकर्षक डिजाइन का निर्माण किस प्रकार किया जा सकता है?
उत्तर:
कला के तत्व एवं डिजाइन के सिद्धान्तों के आधार पर उचित तथा आकर्षक डिजाइन का निर्माण किया जा सकता है।

प्रश्न 2.
वस्त्र की बनावट का पता किस प्रकार लगाया जा सकता है?
उत्तर:
आँखों से देखकर या स्पर्श द्वारा।

प्रश्न 3.
कला के मुख्य तत्व कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
कला के चार मुख्य तत्व हैं-रेखा, रंग, आकार एवं बनावट।

प्रश्न 4.
लम्बवत रेखा का डिजाइन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
ये रेखाएँ डिजाइन में लम्बाई में वृद्धि करती हैं।

प्रश्न 5.
अधिक लम्बे तथा पतले व्यक्ति को किस प्रकार के वस्त्र पहनने चाहिए?
उत्तर:
समतल रेखा वाले।

प्रश्न 6.
वृत्त रेखा किसका परिचायक है?
उत्तर:
वृत्त रेखा प्रसन्नता शालीनता, सौन्दर्य एवं समृद्धि का परिचायक है।

प्रश्न 7.
रंग का मुख्य स्रोत कौन-सा है?
उत्तर:
रंग का मुख्य स्रोत प्रकाश है।

प्रश्न 8.
डिजाइन के प्रमुख सिद्धान्त कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
डिजाइन के प्रमुख सिद्धान्त हैं – संतुलन, लय, अनुपात, दबाव, अनुरूपता।

प्रश्न 9.
संतुलन कितने प्रकार का होता है?
उत्तर:
संतुलन निम्नलिखित दो प्रकार का होता है –

  • औपचारिक संतुलन
  • अनौपचारिक संतुलन।

प्रश्न 10.
औपचारिक सन्तुलन किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिस नमूने के सभी भाग बराबर होते हैं, उसे औपचारिक सन्तुलन कहते हैं।

प्रश्न 11.
अनौपचारिक सन्तुलन क्या है ?
उत्तर:
जिस नमूने के सभी भाग बराबर नहीं होते, उसे अनौपचारिक सन्तुलन कहते हैं।

प्रश्न 12.
डिजाइन में लय से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
लय से तात्पर्य है-गति।

प्रश्न 13.
किसी एक बिन्दु पर बल देकर आकर्षण उत्पन्न करना क्या कहलाता है?
उत्तर:
दबाव (Emphasis) का सिद्धान्त।

प्रश्न 14.
एक ठिगने व्यक्ति को कैसे वस्त्र पहनने चाहिए?
उत्तर:
ठिगने व्यक्ति को लम्बवत् रेखा वाले वस्त्र पहनने चाहिए।

प्रश्न 15.
नमूना बनाते समय किस बात का ध्यान रखना चाहिए।
उत्तर:
नमूना बनाते समय वस्त्र की बनावट का ध्यान रखना चाहिए।

RBSE Class 12 Home Science Chapter 21 लघूत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वस्त्र व्यक्ति के जीवन में किस प्रकार विविधता प्रदान करते हैं?
उत्तर:
व्यक्ति के जीवन में परिवर्तन तथा विविधता प्रदान करने में वस्त्रों का विशेष महत्त्व है। पूरे सप्ताह भर विद्यालय का गणवेश पहनते-पहनते विद्यार्थी भी उक्ता जाते हैं तथा परिवर्तन की आवश्यकता महसूस करते हैं। विद्यालय में आयोजित किये जाने वाले उत्सवों; जैसे-सालाना जलसा, विदाई उत्सव आदि में विद्यार्थी अपनी इस परिवर्तन की आवश्यकता को विविध परिधान पहनकर पूर्ण करते हैं। वस्त्रों का व्यक्ति के विचारों पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है तथा व्यक्ति जिस प्रकार के वस्त्र धारण करता है, उसके मन में वैसे ही विचार उत्पन्न होते हैं।

प्रश्न 2.
वृत्त रेखा का वस्त्र सज्जा में क्या स्थान है?
उत्तर:
वृत्त रेखा का वस्त्र सज्जा में स्थान:
वृत्त रेखाएँ गोलाकार होती हैं तथा प्रसन्नता, सौंदर्य, समृद्धि, शालीनता की द्योतक हैं। वस्त्र सज्जा करते समय वृत्त रेखाओं का प्रयोग पुष्प, पत्तियाँ, वृत्ताकार आलेखों को उभारने में किया जाता है। छोटे बच्चों के वस्त्रों पर वृत्ताकार रेखाओं के डिजाइन बहुत सुंदर लगते हैं।

प्रश्न 3.
अनुरूपता से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
अनुरूपता (Harmony):
साधारण भाषा से अनुरूपता का अर्थ एकरूपता के भाव से होता है। वस्त्र पर किसी डिजाइन का निर्माण करते समय रेखा, आकार, रंग तथा बनावट के उपयोग में एकरूपता लायी जाती है। वस्त्र सज्जा करते समय सभी भागों की शैली, आकार, रंग एवं बनावट एक-दूसरे से सम्बन्धित होने चाहिए।

प्रश्न 4.
संतुलन से आप क्या समझते हैं तथा यह कितने प्रकार का होता है ?
उत्तर:
संतुलन का अर्थ (Meaning of Balance):
यदि किसी डिजाइन का प्रत्येक भाग व्यवस्थित तथा समान भार का है, तो वह नमूना संतुलित माना जाता है। वस्त्र के डिजाइन के सौन्दर्य तथा आकर्षण हेतु संतुलन परमावश्यक है। संतुलन करते समय रंग तथा आकृतियों को केन्द्र-बिन्दु के चारों ओर इस प्रकार व्यवस्थित किया जाता है जिससे सभी ओर समान रूप से आकर्षण रहे। संतुलन दो प्रकार से किया जाता है

  • अनौपचारिक संतुलन:
    इस प्रकार के संतुलन में डिजाइन के सभी भाग बराबर नहीं होते, किन्तु डिजाइन केन्द्र से परिधि की ओर संतुलित होता है।
  • औपचारिक संतुलन:
    औपचारिक संतुलन में डिजाइन के सभी भागों को समान रखा जाता है।

प्रश्न 5.
अनुपात से आप क्या समझते हैं? समझाइए।
उत्तर:
अनुपात (Proportion):
अनुपात को डिजाइन का एक महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त माना गया है। प्रकृति की प्रत्येक वस्तु जैसे – पहाड़, नदी, पेड़-पौधे आदि विशेष अनुपात के कारण ही सुन्दर और आकर्षक दिखाई देते हैं। ठीक इसी प्रकार यदि वस्त्र में डिजाइन अधिक लम्बा या बहुत छोटा बना दिया जाय तो अनुपात में नहीं लगता है। इस सिद्धान्त के अन्तर्गत आकार, रंग एवं नमूने में व्यापक सम्बन्ध होता है, जिसका आधार संख्यात्मक एवं गुणात्मक दोनों ही हो सकते हैं। वस्त्रों में आकर्षण तभी उत्पन्न होगा जब एक समूह में बना डिजाइन अनुपात में हो।

प्रश्न 6.
डिजाइन के निर्धारण में दबाव का क्या महत्त्व है ?
उत्तर:
दबाव (Emphasis):
दबाव डिजाइन का एक महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त है। इसके अन्तर्गत नमूने के किसी एक विशेष बिन्दु पर इस प्रकार बल दिया जाता है जिससे डिजाइन के आकर्षण में वृद्धि की जा सके। यदि वस्त्र पर बिना सोचे-समझे ढेर सारे डिजाइन बना दिये जाएँ तो उसके आकर्षण में वृद्धि होने के स्थान पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 7.
विभिन्न प्रकार के रंग किस प्रकार के भावों को व्यक्त करते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
रंगों का मानव जीवन से गहरा सम्बन्ध है। ये व्यक्ति के व्यक्तित्व एवं स्वभाव के प्रतीक बन जाते हैं। विशेष अवसरों पर विशेष प्रकार के रंगों के वस्त्र ही धारण किये जाते हैं। रंग व्यक्ति के सौन्दर्य एवं भावों को प्रभावित करता है। कौन-कौन से रंग किस प्रकार के भाव प्रकट करते हैं इसे निम्नलिखित तालिका द्वारा समझा जा सकता है –
RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 21 वस्त्र का व्यक्तित्व से सम्बन्ध-5

RBSE Class 12 Home Science Chapter 21 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
डिजाइन को परिभाषित कीजिए। डिजाइन को प्रभावित करने वाले मुख्य तत्वों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
डिजाइन को परिभाषित कीजएि। डिजाइन के चार सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
डिजाइन की परिभाषा (Definition of Design):
वस्त्रों में आकर्षण उत्पन्न करने हेतु रँगाई के साथ छपाई भी की जाती है। वस्त्रों की छपाई के लिए हमें सुन्दर तथा आकर्षक डिजाइनों की आवश्यकता होती है, जो वस्त्रों को सुन्दरता तथा आकर्षण प्रदान कर सके। वस्त्रों की छपाई के लिए डिजाइन का चयन करते समय डिजाइन का नमूना, आकृति तथा रंग इस प्रकार का हो, जिससे वस्त्रों की सुन्दरता तथा आकर्षण में वृद्धि हो। डिजाइन पर विभिन्न तत्वों का प्रभाव पड़ता है तथा डिजाइन के चयन एवं निर्धारण में कला के तत्वों का विशेष महत्त्व है।

डिजाइन को प्रभावित करने वाले कला के मुख्य तत्त्व (Main Components of Art – effecting Designs):
1. रेखा (Lines):
वस्त्रों को सौन्दर्य तथा आकर्षण प्रदान करने में रेखाएँ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। डिजाइन में मुख्य रूप से चार प्रकार की रेखाओं

  • लम्बवत् रेखा
  • समतल रेखा
  • तिरछी रेखा
  • वृत्त रेखा का प्रयोग किया जाता है।

2. रंग (Colour):
रंगों का भी डिजाइन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। रंग हमारे व्यक्तित्व के साथ-साथ संवेगों को भी प्रभावित करते हैं।

3. बनावट (Texture):
किसी वस्त्र के डिजाइन का बाह्य स्वरूप तथा स्पर्श संबंधी गुण बनावट कहलाता है। नेत्रों से देखकर तथा हाथों के स्पर्श द्वारा वस्त्रों की बनावट का पता चल जाता है; जैसे-खुरदरा, मुलायम, रोंएदार आदि।

4. आकार (Shape):
विभिन्न रेखाओं का परस्पर संयोजन कोई-न-कोई आकार प्रदान करता है। वस्त्रों पर बने डिजाइन मुख्यतः चार प्रकार के वर्गाकार, आयताकार, त्रिभुजाकार तथा वृत्ताकार होते हैं।

डिजाइन के सिद्धान्त (Principles of Design):
1. संतुलन (Balance):
किसी भी डिजाइन का प्रत्येक भाग व्यवस्थित तथा समान भार का होना चाहिए। संतुलन दो प्रकार से किया जाता है –

  • औपचारिक संतुलन
  • अनौपचारिक संतुलन।

2. लय (Rythm):
डिजाइन में लय के लिए रेखाओं, आकार तथा रंगों में इस प्रकार का समायोजन होना चाहिए जो नेत्रों को गति प्रदान करे।

3. अनुपात (Proportion):
वस्त्रों के आकार, रंग तथा नमूने में संख्यात्मक तथा गुणात्मक अनुरूपता ही अनुपात कहलाती है।

4. अनुरूपता (Harmony):
वस्त्र सज्जा में शैली, आकार, रंग तथा बनावट के परस्पर उचित समायोजन को अनुरूपता कहते हैं।

5. दबाव (Emphasis):
डिजाइन में आकर्षण उत्पन्न करने हेतु किसी विशेष बिन्दु पर बल देना दबाव कहलाता है।

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