RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 17 विशिष्ट अवस्था में पोषण- धात्रीवस्था

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RBSE Class 12 Home Science Chapter 17 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से सही उत्तर चुनें –
(i) नवजात शिशु केवल माँ के दूध पर पलता है –
(अ) प्रथम 3 माह
(ब) प्रथम 4 माह
(स) प्रथम 6 माह
(द) प्रथम 1 वर्ष
उत्तर:
(अ) प्रथम 3 माह

(ii) एक स्वस्थ महिला प्रारम्भ में दूध स्रावित करती है –
(अ) 750 मिली.
(ब) 900 मिली.
(स) 1000 मिली.
(द) 850 मिली.
उत्तर:
(द) 850 मिली.

(iii) धात्रीवस्था (0 – 6) माह में प्रतिदिन के आहार में ऊर्जा की आवश्यकता बढ़ जाती है –
(अ) 400 कि. कै.
(ब) 500 कि. कै.
(स) 450 कि. कै.
(द) 550 कि. कै.
उत्तर:
(द) 550 कि. कै.

(iv) आजकल धात्री माताएँ पारम्परिक व्यंजनों का उपयोग नहीं करती हैं, क्योंकि वे हो जाएँगी –
(अ) मोटी
(ब) बेडौल
(स) थुलथुल
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. धात्रीवस्था शिशु के जन्म से…………करवाने तक बनी रहती है।
2. धात्रीवस्था में…………लवण की अतिरिक्त आवश्यकता प्रस्तावित नहीं की गई है।
3. पारम्परिक देशी दवाइयों के सेवन से मातृ दुग्ध के…………व…………में वृद्धि होती है।
4. …………को अपने आहार में प्रोटीन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए मिश्रित भोज्य पदार्थ; जैसे – अनाज-दाल / अनाज-दूध / दाल-दूध का उपभोग करना चाहिए।

उत्तर:
1. स्तनपान
2. लौह
3. निर्माण, स्रावण
4. शाकाहारी महिला।

प्रश्न 3.
स्तनपान कराना धात्री माँ के लिये भी लाभप्रद है, समझाइये।
उत्तर:
स्तनपान से धात्री माँ के लिए लाभ (Benefits of Breast Feeding for a Nursing Mother):
स्तनपान कराना न सिर्फ शिशु अपितु धात्री माता के लिए भी लाभप्रद है। धात्री माता को इससे होने वाले लाभ निम्न प्रकार हैं. –

  • स्तनपान प्राकृतिक गर्भ निरोधक का कार्य करता है। जो माताएँ लम्बे समय तक स्तनपान कराती हैं, उन्हें प्रसव के उपरान्त गर्भ देर से ठहरता है।
  • गर्भावस्था के समय जो वसा माता के शरीर में एकत्रित हो जाती है, स्तनपान कराने से उसका उपयोग हो जाता है, जिससे धात्री माता 6-10 माह में ही अपना गर्भावस्था से पूर्व का छरहरा रूप प्राप्त कर लेती है।
  • स्तनपान कराने से माता तथा शिशु दोनों के मध्य भावनात्मक संबंध सुदृढ़ होते हैं।
  • स्तनपान कराने से माता को शान्ति तथा सुख की अनुभूति होती है तथा यह माता एवं शिशु दोनों को ही आनंद प्रदान करता है।
  • स्तनपान के द्वारा माता अपने शिशु को पूर्ण तथा संतुलित आहार प्रदान कर सकती है।
  • स्तनपान कराने से माता को शिशु के आहार हेतु कोई अतिरिक्त व्यय नहीं करना पड़ता।
  • धात्री अवस्था में माता द्वारा स्तनपान कराने से गर्भाशय जल्दी ही अपने पुराने रूप में आ जाता है।
  • स्तनपान कराने से माता को स्तन-कैंसर की आशंका न्यूनतम हो जाती है।

प्रश्न 4.
कम दुग्ध स्रावण के कारणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
कम दुग्ध स्रावण के कारण (Causes of Low Secretion of Breast Milk):

  • धात्री अवस्था में माता की पोषणिक आवश्यकताओं में वृद्धि हो जाती है। यदि इन आवश्यकताओं की पूर्ति न की जाए, तो दुग्ध स्रावण की मात्रा में कमी आ जाती है।
  • आजकल की आधुनिक माताएँ स्तनपान को हेय दृष्टि से देखती हैं। अतः शिशु को स्तनपान न कराने से भी दुग्ध स्रावण की मात्रा कम हो जाती है।
  • यदि धात्री माता स्वयं कमजोर तथा दुर्बल काया वाली होगी, तब भी वह उचित मात्रा में दुग्ध स्रावण नहीं कर सकती।
  • कामकाजी महिलाओं को 6 – 7 घण्टे घर से बाहर रहना पड़ता है तथा इतने लम्बे समय तक शिशु को स्तनपान न करा पाने की वजह से भी दुग्ध स्रावण की मात्रा कम हो जाती है।
  • धात्री माता यदि व्रत एवं उपवास के कारण भोजन ग्रहण नहीं करती, तो भी दुग्ध स्रावण की मात्रा में कमी आ जाती है।
  • धात्री माता के उत्तेजित तथा उद्वेलित अवस्था में होने से भी दूध का स्रावण कम हो जाता है।
  • धात्री माता की स्तनपान कराने की अवधि में वृद्धि भी कम दुग्ध स्रावण का कारण है।
  • यदि शिशु का होंठ कटा हो या उसे किसी अन्य प्रकार की तकलीफ होने से यदि शिशु स्तनपान नहीं कर पाता, तब भी दूध के स्रावण की मात्रा कम हो जाती है।
  • धात्री माता के स्तनों के चूचुक (Nipples) यदि अन्दर की ओर घुसे हों, स्तन यदि फट गए हों तो इस स्थिति में भी दूध का स्रावण प्रभावित होता है।
  • दुग्ध निर्माण के लिए उत्तरदायी हॉर्मोन यदि उचित मात्रा में सक्रिय तथा स्रावित न हों, तब भी दूध का स्रावण कम हो जाता है।

प्रश्न 5.
धात्रीवस्था में आहार आयोजन करते समय आप किन बातों को ध्यान में रखेंगी?
उत्तर:
धात्रीवस्था में आहार आयोजन (Meal planning in nursing period):
धात्रीवस्था में आहार आयोजन करते समय निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए –

  • धात्री माता के आहार में तरल भोज्य पदार्थ; जैसे-दूध, छाछ, सूप, फलों का रस व अन्य पेय पदार्थों की अधिकता होनी चाहिए।
  • विटामिन ‘बी’ समूह के तत्वों की पूर्ति हेतु अंकुरित अनाज तथा खमीरीकृत भोज्य पदार्थों को पर्याप्त मात्रा में सम्मिलित करना चाहिए।
  • मिश्रित भोज्य समूह अनाज – दाल / दूध – अनाज / दूध – दाल का प्रयोग प्रोटीन की आपूर्ति तथा गुणवत्ता बढ़ाने के लिए करना चाहिए।
  • सलाद, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, अन्य सब्जियों तथा फलों का प्रयोग भरपूर मात्रा में करना चाहिए जिससे अतिरिक्त विटामिन व खनिज लवणों की आवश्यकता की पूर्ति हो सके। . 5. आहार में शर्करा एवं घी/तेल का सामान्य से कुछ अधिक उपयोग करें लेकिन भोजन तला, भुना व गरिष्ठ न हो।
  • प्रसव के पश्चात् 1 – माह तक देशी दवाओं; जैसे-अजवाइन, हल्दी, सोंठ, गुड़, गोंद, लोध, बत्तीसा तथा सूखे मेवों से बने देशी व्यंजन सुबह-सुबह गुनगुने दूध से देना चाहिए।
  • 1- से 2 माह तक अधिक घी में बना हुआ कम मिर्च-मसालों वाला सुपाच्य भोजन देना चाहिए।
  • धात्री माता को 5-6 बार में थोड़े – थोड़े समय के बाद भोजन देना चाहिए।
  • धात्री माता के भोजन में आहार की मात्रा सामान्य से बढ़ा देनी चाहिए।
  • प्रचुर मात्रा में प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थ दूध, छाछ, अण्डा, मांस, मछली, दालों का प्रयोग करना चाहिए।
  • 1 – से 2 माह पश्चात् भी धात्री माता को अधिक आहार की आवश्यकता होती है; जब तक वह शिशु को स्तनपान कराती है।

प्रश्न 6.
प्रथम 12 माह में धात्री माँ को आहार में दी जाने वाली पारम्परिक देशी दवाओं के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
धात्रीवस्था में प्रथम 1- माह में महिलाओं को उच्च ऊर्जा एवं उच्च प्रोटीन युक्त संतुलित भोजन की आवश्यकता होती है। इस दौरान धात्री महिला को देशी दवाइयाँ जैसे-अजवाइन, सोंठ, लोद, कमरकस, गोंद, सुपारी, हल्दी बत्तीसा आदि से बने मीठे व्यंजन विशेष पथ्य के रूप में खाने के लिये दिये जाते हैं। ये व्यंजन अत्यधिक गुड़, घी, शक्कर तथा सूखे मेवे; जैस – काजू, किशमिश, बादाम अखरोट, पिस्ता, मखाने आदि से मिलाकर बनाये जाते हैं। ये व्यंजन उच्च शर्करा, प्रोटीन, वसा एवं खनिज लवण युक्त होते हैं जो महिला को दुग्ध स्रावण हेतु अतिरिक्त ऊर्जा, प्रोटीन एवं अन्य पौष्टिक तत्व तो प्रदान करते ही हैं साथ – ही – साथ में दवा के रूप में भी उपयोगी होते हैं।

इन देशी दवाओं के उपयोग से मात दुग्ध निर्माण व स्रावण में वृद्धि होती है। धात्री महिला की शारीरिक दुर्बलता दूर करने में, रोग प्रतिरोधी शक्ति बनाये रखने में, शरीर के तापमान नियंत्रण में ये दवाएँ उपयोगी होती हैं। इनके उपभोग करने से धात्री महिला के हाथ पैरों, कमर व पैर के दर्द एवं ऐंठन में आराम मिलता है। इन दवाओं की गर्मी से गर्भाशय से होने वाले रक्तस्राव पर नियंत्रण, गर्भाशय को पुन: सिकोड़ने तथा सफाई की क्रिया में वृद्धि होती है तथा महिलाएँ स्वयं को स्वस्थ्य महसूस करने लगती हैं।

इन दवायुक्त व्यंजनों को सुबह व रात्रि को गर्म दूध के साथ दिया जाना चाहिए जो उसे विशेष पोषण भी प्रदान करती है। अजवाइन व बत्तीसे का पानी उबाल कर देने से धात्रीवस्था में महिला की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ जाती है। बत्तीसा में बत्तीस जड़ी बूटियाँ होती हैं। धात्रीवस्था के लिये महत्वपूर्ण विशेष औषधि गुणयुक्त एवं गुणकारी होती है।

RBSE Class 12 Home Science Chapter 17 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
शिशु को कितने माह तक स्तनपान कराना चाहिए?
(अ) 8 माह
(ब) 6 माह
(स) 1 वर्ष
(द) 9 माह
उत्तर:
(ब) 6 माह

प्रश्न 2.
एक स्वस्थ भारतीय महिला प्रतिदिन कितना दूध स्रावित करती है?
(अ) 750 मिली
(ब) 500 मिली
(स) 850 मिली
(द) 950 मिली
उत्तर:
(स) 850 मिली

प्रश्न 3.
धात्रीवस्था में रोग प्रतिरोधक क्षमता का बढ़ाने के लिये किसका पानी उबालकर दिया जाता है?
(अ) मेथी का
(ब) धनिये का
(स) सोंठ का
(द) अजवाइन का
उत्तर:
(द) अजवाइन का

प्रश्न 4.
धात्री महिला के लिये दैनिक संतुलित आहार में दूध की कितनी अतिरिक्त मात्र दी जानी चाहिए?
(अ) 300 मिली
(ब) 200 मिली
(स) 400 मिली
(द) 500 मिली
उत्तर:
(ब) 200 मिली

प्रश्न 5.
धात्रीवस्था के लिये दैनिक प्रस्तावित कैल्शियम की मात्रा होती है
(अ) 1800 मिग्रा
(ब) 1500 मिग्रा
(स) 800 मिग्रा
(द) 10,000 मिग्रा
उत्तर:
(अ) 1800 मिग्रा

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1.  स्तनपान से माँ व शिशु में…………सम्बन्ध कायम होते हैं।
2. स्तनपान करने से माँ को स्तन…………होने की संभावना कम हो जाती है।
3. धात्रीवस्था में तले हुए व मिर्च मसाले युक्त आहार से…………सम्बन्धी परेशानियाँ हो जाती हैं।
4. स्तन दुग्ध निर्माण व…………के लिये माँ को पर्याप्त मात्रा में जल व तरल भोज्य पदार्थ देने चाहिए।
5. धात्री माँ को आहार दिन में 3-4 बार की अपेक्षा…………बार में थोड़े-थोड़े अन्तराल पर देना चाहिए।
6. धात्री अवस्था में दाल की अतिरिक्त मात्रा की पूर्ति…………से की जा सकती है।

उत्तर:
1. भावनात्मक
2. कैंसर
3. पाचन
4. स्रावण
5. 5-6
6. मेवों

RBSE Class 12 Home Science Chapter 17 अति लघूत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
धात्री अवस्था किसे कहते हैं?
उत्तर:
धात्री अवस्था या स्तनपान अवस्था वह अवस्था होती है जिसमें कि स्त्री अपने स्तनों से ताजी निकला हुआ दूध अपने नवजात शिशु को पिलाती है।

प्रश्न 2.
धात्री अवस्था की अवधि कितनी होती है?
उत्तर:
धात्रीवस्था की अवधि शिशु के जन्म से लेकर स्तनपान करने तक की होती है।

प्रश्न 3.
एक स्वस्थ भारतीय महिला प्रारम्भ में कितना दूध प्रतिदिन सावित करती है?
उत्तर:
एक स्वस्थ भारतीय महिला 850 मिली दूध प्रतिदिन स्रावित करती है।

प्रश्न 4.
धात्री अवस्था में स्तन दूध निर्माण एवं स्रावण किस पर निर्भर करता है?
उत्तर:
धात्री अवस्था में स्तन दूध निर्माण, स्रावण दर एवं दुग्ध का संगठन माता के पोषण-स्तर पर निर्भर करता है।

प्रश्न 5.
धात्री अवस्था में माता को कैसा भोजन ग्रहण करना चाहिए?
उत्तर:
धात्री अवस्था में स्तन दुग्ध निर्माण व स्रावण के लिए माता को पौष्टिक तत्वों के साथ-साथ पर्याप्त मात्रा में जल और तरल भोज्य पदार्थ ग्रहण करना चाहिए।

प्रश्न 6.
माता के स्तनों में कम दुग्ध स्रावण के कोई दो कारण लिखिए।
उत्तर:

  • धात्री अवस्था में पोषणिक आवश्यकताओं की पूर्ति न होना।
  • दुग्ध निर्माण के लिए उत्तरदायी हॉर्मोन का सक्रिय व स्रावित न होना।

प्रश्न 7.
धात्रीवस्था में अतिरिक्त लौह तत्व की मात्रा प्रस्तावित क्यों नहीं की गई है?
उत्तर:
मातृ दुग्ध में लौह तत्व बहुत कम मात्रा में होता है तथा इस अवस्था में मासिक स्राव न होने से लौह तत्व की हानि नहीं होती।

प्रश्न 8.
दुग्धपान कराने वाली माता को अतिरिक्त पौष्टिक तत्वों की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर:
दुग्धपान कराने वाली माता पर न सिर्फ स्वयं के बल्कि शिशु के पोषण की भी जिम्मेदारी होती है।

प्रश्न 9.
आधुनिकता के विचारों से ओत-प्रोत महिलाएँ देशी दवाओं के व्यंजनों का उपयोग क्यों नहीं करती हैं?
उत्तर:
आधुनिकता के विचारों से ओत – प्रोत कामकाजी महिलाओं का मानना है कि देशी दवाओं के व्यंजनों के उपभोग से उनका शरीर मोटा, बेडौल व थुलथुल हो जाएगा।

प्रश्न 10.
धात्री अवस्था में प्रथम छः माह तक कितना अतिरिक्त प्रोटीन की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
धात्री अवस्था में प्रथम छ: माह तक 25 ग्राम प्रतिदिन अतिरिक्त प्रोटीन की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 11.
दूध को सम्पूर्ण आहार क्यों माना जाता
उत्तर:
दूध एक सम्पूर्ण आहार है, क्योंकि दूध में वे सभी पौष्टिक तत्व विद्यमान होते हैं जो शरीर के लिए अत्यन्त आवश्यक होते हैं।

RBSE Class 12 Home Science Chapter 17 लघूत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
धात्री माता का स्वस्थ एवं तन्दुरुस्त होना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
जन्म के पश्चात् अबोध शिशु का प्रथम और अनिवार्य भोजन माँ का दूध ही होता है तथा नवजात शिशु 6 माह तक केवल माँ के दूध पर पलता एवं पोषित होता है। माँ के कमजोर एवं रुग्णता की अवस्था में शिशु को पूर्ण पोषण प्राप्त नहीं होगा और शिशु का विकास बाधित होगा। अत: माँ का स्वस्थ एवं तंदुरुस्त होना अति आवश्यक है।

प्रश्न 2.
धात्री माता की पोषणिक आवश्यकताओं पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
उत्तर:
धात्री माता पर न सिर्फ स्वयं के अपितु अपने शिशु के पोषण की भी जिम्मेदारी होती है। धात्री अवस्था में माता की समस्त पोषक तत्त्वों की आवश्यकता में वृद्धि हो जाती है। स्तनों में उचित मात्रा में दुग्ध निर्माण तथा स्रावण के लिए उचित मात्रा में पौष्टिक तत्त्वों की आवश्यकता होती है। इस अवस्था में लौह तत्व की अधिक आवश्यकता नहीं होती है। धात्री अवस्था में माता को विशेष रूप से तरल भोज्य पदार्थों; जैसे-दूध, छाछ, सूप, फलों का रस का प्रचुर मात्रा में सेवन करना चाहिए।

प्रश्न 3.
प्रसव के उपरान्त पहले डेढ़ माह तक धात्री महिला की किस प्रकार की देखभाल करनी आवश्यक है? समझाइये।
उत्तर:
प्रसव के उपरांत पहले डेढ़ माह तक धात्री महिला की विशेष देखभाल की जाती है जिसमें तेल की मालिश, गर्म जल से स्नान व आराम सम्मिलित है। इस दौरान अजवाइन, सोंठ, लोद, बत्तीसा, कमरकस, गोंद, सुपारी, हल्दी इत्यादि से बने मीठे व्यंजन विशेष पथ्य के रूप में खाने के लिए दिये जाते हैं। व्यंजन शक्कर, गुड़ इससे धात्री महिला का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।

इन पदार्थों से घी एवं सूखे मेवे मिलाकर बनाये जाते हैं। ये व्यंजन उच्च शर्करा, वसा एवं खनिज लवण युक्त होते हैं जो महिला को दुग्ध स्रावण हेतु अतिरिक्त ऊर्जा व अन्य पौष्टिक तत्व प्रदान तो करते ही हैं साथ ही ये दवा के रूप में भी उपयोगी होते हैं।

इन व्यंजनों के उपभोग से मातृ दुग्ध निर्माण व स्रावण में वृद्धि होती है धात्री महिला के गर्भाशय से होने वाले रक्त स्राव व सफाई की प्रक्रिया में भी वृद्धि होती है। धात्री महिला को ये दवायें सुबह-सुबह दूध के साथ दी जाती हैं। इन दवाओं के साथ-साथ पूरे डेढ़ माह तक धात्री महिला को देशी घी युक्त हल्के, कम मसाले वाले, सुपाच्य व्यंजन जैसे-दलिया, मूंग की दाल, पालक, लौकी, तोरई की सब्जी, घी व अजवायन की मोटी रोटी आदि दिये जाते हैं।

RBSE Class 12 Home Science Chapter 17 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
धात्री अवस्था में दैनिक प्रस्तावित आहारिक मात्राओं की तालिका बनाइये।
उत्तर:
धात्री अवस्था में दैनिक प्रस्तावित आहारिक मात्रा तालिका क्रियाशीलता
RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 17 विशिष्ट अवस्था में पोषण- धात्रीवस्था - 1

प्रश्न 2.
धात्री महिला के लिये दैनिक संतुलित आहार की तालिका बनाइये।
उत्तर:
धात्री महिला के लिये दैनिक संतुलित आहार की तालिका
RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 17 विशिष्ट अवस्था में पोषण- धात्रीवस्था - 2
नोट: माँसाहारी महिला 30 ग्राम दाल के स्थान पर 50 ग्राम अण्डा/मांस/मछली आदि का उपभोग कर सकती है।

RBSE Class 12 Home Science Chapter 17 प्रयोगात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
धात्री अवस्था में संतुलित आहार भोज्य इकाइयों की तालिका का निर्माण कीजिए।
उत्तर:
जन्म से 6 माह तक तथा 6-12 माह तक शिशु अपने पोषण के लिए क्रमश: पूर्ण व आंशिक रूप से मातृ दुग्ध पर ही निर्भर रहता है। माँ के स्तनों से पर्याप्त दुग्ध का स्रावण होता रहे इसके लिए आवश्यक है कि माँ अपने स्वयं के लिए तथा साथ – ही – साथ शिशु के लिए दुग्ध निर्माण व स्रावण हेतु पूर्ण संतुलित आहार तालिका के अनुरूप ग्रहण करे। धात्री अवस्था में संतुलित आहार भोज्य इकाई तालिका
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नोट:

  • माँसाहारी धात्री महिलाएं दाल की इकाई (30 ग्राम) के बदले अण्डा / मांस / मछली की एक इकाई (50 ग्राम) का उपभोग कर सकती हैं।
  • धात्रीवस्था में दाल की अतिरिक्त इकाई की आपूर्ति सूखे मूवों से पूरी की जा सकती है।
  • 6 -12 माह की धात्री अवस्था के दौरान माँ को धीरे-धीरे अपने आहार को कम करते हुए सामान्य अवस्था के अनुसार कर लेना चाहिए। उक्त तालिका के आधार पर एक साधारण श्रम करने वाली धात्री महिला की 2 – 6 माह की स्तनपान की अवस्था तथा मध्यम श्रम करने वाली महिला की 6 -12 माह की स्तनपान की अवस्था के लिए एक दिन का आहार आयोजन किया गया है।

प्रश्न 2.
कम श्रम करने वाली धात्री महिला का (2 – 6 माह) के लिये एक दिन की आहार आयोजन की तालिका बनाइये।
उत्तर:
कम श्रम करने वाली महिला का (2 – 6 माह) के लिए एक दिन का आहार आयोजन की तालिका
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प्रश्न 3.
दिन भर के भोजन में भोज्य इकाइयों का विभाजन एवं कुल योग से सम्बन्धित तालिका का निर्माण कीजिए।
उत्तर:
दिन भर के भोजन में भोज्य इकाइयों का विभाजन एवं कुल योग की तालिका
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प्रश्न 4.
मध्यम श्रम करने वाली महिला (6 -12 माह) के लिये एक दिन की आहार-आयोजन की तालिका बनाइये।
उत्तर:
मध्यम श्रम करने वाली धात्री महिला (6 – 12 माह) के लिए एक दिन का आहार-आयोजन की तालिका
RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 17 विशिष्ट अवस्था में पोषण- धात्रीवस्था - 6

प्रश्न 5.
मध्यम श्रम करने वाली गर्भवती महिला के दिन भर के भोजन की भोज्य इकाइयों का विभाजन एवं कुल योग की तालिका बनाइये।
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 17 विशिष्ट अवस्था में पोषण- धात्रीवस्था - 7

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