RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 4 पादप जनन की विशिष्ट विधियाँ

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Rajasthan Board RBSE Class 12 Biology Chapter 4 पादप जनन की विशिष्ट विधियाँ

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 4 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 4 बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बिना निषेचन के नव पादपों के विकास को कहते हैं –
(अ) अनिषेचन
(ब) अनिषेकजनन
(स) असंगजनन
(द) सूक्ष्मप्रवर्धन

प्रश्न 2.
अण्ड से बिना निषेचन के भ्रूण निर्माण को कहते हैं –
(अ) अणुणित अनिषेकजनन
(ब) द्विगुणित अनिषेकजनन
(स) अपस्थानिक भ्रूणती
(द) बहुभ्रूणता

प्रश्न 3.
एक बीजाण्ड में एक से अधिक भ्रूणकोष निर्माण का उदाहरण है –
(अ) आर्जिमोन
(ब) एरिस्टोलोकिया
(स) कैजुएराइना
(द) कैलोट्रॉपिस

प्रश्न 4.
बहुभ्रूणता सामान्यतः पायी जाती है –
(अ) एकबीजपत्रियों में
(ब) द्विबीजपत्रियों में
(स) आवृतबीजियों में
(द) अनावृतबीजियों में

प्रश्न 5.
परिवर्धनशील भ्रूण (प्राकभ्रूण) या युग्मनज के विभाजन से उत्पन्न बहुभ्रूणता को कहते हैं –
(अ) विदलन बहुभ्रूणता
(ब) सामान्य बहुभ्रूणता
(स) असामान्य बहुभ्रूणता
(द) अनिषेक बहुभ्रूणता
उत्तरमाला
1. (स)
2. (अ)
3. (स)
4. (द)
5. (अ)

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 4 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अपयुग्मन या असंगजनन की परिभाषा कीजिए।
उत्तर
अपयुग्मन या असंगजनन (Apomixis) – हेन्स विन्कलर के अनुसार सामान्य लैंगिक जनन का ऐसी किसी विधि द्वारा प्रतिस्थापन जिसमें अर्धसूत्रण व निषेचन न हो, असंगजनन कहलाता है।

प्रश्न 2.
बहुभ्रूणता को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
बहुभ्रूणता (Polyembryony) – सामान्यतः एक बीज में एक ही भ्रूण (Embryo) पाया जाता है परन्तु कभी-कभी एक ही बीज में एक से अधिक भ्रूणों का पाया जाना बहुभ्रूणता कहलाता है।

प्रश्न 3.
पादपों में जनन की विशिष्ट विधियों के नाम लिखिए।
उत्तर
पादपों में जनन की विशिष्ट विधियाँ निम्नलिखित हैं –

  • असंगजनन (Apomixis)
  • अनिषेकबीजता (Agamospermy)
  • सूक्ष्म प्रवर्धन (Micropagation)
  • कायिक प्रवर्धन (Vegetative propagation)

प्रश्न 4.
असंगजनन के कोई दो महत्व बताइए।
उत्तर
असंगजनन के दो महत्व

  1. असंगजनन द्वारा ऐसी संततियाँ प्राप्त की जा सकती हैं जिनके गुण बिल्कुल मातृ पौधों के समान होते हैं।
  2. इस विधि द्वारा पादपों के लाभदायक लक्षणों को अधिक समय तक संरक्षित किया जा सकता है।

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 4 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अनावर्ती व पुनरावर्ती असंगजनन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
अनावर्ती असंगजनन (Non-recurrent apomixis) – इस प्रकार के असंगजनन में गुरुबीजाणु मातृ कोशिका में सामान्य अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा एक अगुणित भ्रूणकोष का निर्माण होता है। यदि इसके अगुणित अण्ड से निषेचन के बिना अगुणित भ्रूण का निर्माण होता है, तो इसे अगुणित अनिषेकजनन कहते हैं; दूसरी ओर यदि भ्रूण का विकास अण्ड के अतिरिक्त मादा युग्मकोभिद् की किसी दूसरी कोशिका से होता है तो यह अगुणित अपयुग्मन कहलाती है।

पुनरावर्ती असंगजनन (Recurrent apomixis) – इस प्रकार के असंगजनन को युग्मकोभिद् असंगजनन भी कहा जाता है। अर्द्धसूत्री विभाजन के पूर्ण नहीं होने के कारण इस प्रकार के असंगजनन में मादा युग्मकोभिद् में गुणसूत्रों की संख्या मातृ पादप के समान ही द्विगुणित होती है।

प्रश्न 2.
जनन अपबीजाणुता तथा कायिक अपबीजाणुता में विभेद कीजिए।
उत्तर
जनन अपबीजाणुता तथा कायिक अपबीजाणुता में विभेद (Difference between generative apospory and somatic apospory)

जनन अपबीजाणुता
(Generative apospory)
कायिक अपबीजाणुता
(Somatic apospory)
इस प्रकार के असंगजनन में भ्रूणकोष का विकास प्रपसूतक (Archesporium) की द्विगुणित कोशिकाओं से होता है तथा भ्रूणकोष की द्विगुणित कोशिकाओं से द्विगुणित भ्रूण का निर्माण होता है।इस प्रकार के असंगजनन में बीजाण्डकाय अथवा अध्यावरण की द्विगुणित कोशिकाओं से द्विगुणित ध्रुणकोष एवं इस द्विगुणित भ्रूणकोष की कोशिकाओं से द्विगुणित भ्रूण का विकास होता है।

प्रश्न 3.
बहुभ्रूणता के दो कारण लिखिए।
उत्तर
बहुभ्रूणता के कारण

  1. युग्मनज अथवा प्राक्भ्रूण में विदलन (Cleavage in zygote or Proembryo) – इस प्रकार की बहुभ्रूणता में युग्मनज अथवा प्राण में विदलन होने से बीज में एक से अधिक भ्रूणों का विकास हो जाता है।
  2. अण्डकोशिका के अतिरक्ति भ्रूणकोष की अन्य कोशिकाओं से भ्रूण का निर्माण (Development of embryo from cells of embryo sac other than egg cell) – इस प्रकार की बहुभ्रूणता में निषेचित अथवा अनिषेचित सहायक कोशिकाओं से भ्रूणों का विकास होता है।

प्रश्न 4.
विदलन बहुभ्रूणता को समझाइए।
उत्तर
विदलन बहुभूणता (Cleavage polyembryony) – इस प्रकार की बहुभ्रूणता में युग्मनज अथवा प्राक्भ्रूण (Zygote or pr0embryo) में विदलन होने से बीज में एक से अधिक अणों का विकास हो जाता है। उदाहरण– यूलोफिया नामक आर्किड़ में तीन प्रकार की विदलन बहुभ्रूणता पायी जाती है –

  1. युग्मनज में अनियमित विभाजनों द्वारा कोशिकाओं के एक पिण्ड का निर्माण होता है जिसकी निभाग की ओर स्थित कोशिकाओं की वृद्धि से अनेक भ्रूणों का निर्माण होता है।
  2. प्राक्भ्रूण से कलिकाएँ अथवा अतिवृद्धियाँ निकलती हैं जिनसे भ्रूणों का निर्माण होता है।
  3. तन्तुमय भ्रूण-इस प्रकार की बहुभ्रूणता में प्राक्भ्रूण शाखित हो जाता है तथा प्रत्येक शाखा से भ्रूण का निर्माण होता है।

प्रश्न 5.
सूक्ष्म प्रवर्धन का महत्व बताइए।
उत्तर
सूक्ष्म प्रवर्धन का महत्व (Importance of Micropropagation)

  1. सूक्ष्म प्रवर्धन द्वारा कम समय में व सीमित स्थान में एक साथ असंख्य पादपों को विकसित किया जा सकता है।
  2. इस तकनीकी पर बाह्य वातावरण का प्रभाव नहीं पड़ता है। अतः किसी भी मौसम में पादप तैयार किए जा सकते हैं।
  3. इस विधि के द्वारा रोगमुक्त व आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण पादपों को उगाया जा सकता है।
  4. इस विधि से प्राप्त पौधे मातृ पौधों के समान गुणों वाले होते हैं।

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 4 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
असंगजनन पर एक सारगर्भित लेख लिखिए।
उत्तर
असंगजनन (Apomixis) – अनेक पादपों में लैंगिक जनन की सामान्य विधि को अलैंगिक विधियों द्वारा प्रतिस्थापित (Replace) कर दिया जाता है अर्थात् युग्मकों के संलयन के बिना ही इनसे नई संतति का विकास हो जाता है। इस क्रिया को असंगजनन (Apomixis) कहते हैं। विंकलर (Winkler, 1908) के अनुसार लैंगिक जनन का एक ऐसी किसी विधि द्वारा प्रतिस्थापन जिसमें अर्धसूत्रण व युग्मक संलयन न हो एपोमिक्सिस (Apomixis = away from mixing) कहलाता है। ये जातियाँ एपोमिक्टिक (Apomictic) कहलाती हैं। भौणिकीवेत्ताओं (Embryologists) ने कायिक प्रवर्धन एवं अनिषेकबीजता (Agamospermy) को भी असंगजनन के अन्तर्गत रखा है।
असंगजनन के प्रकार – मान्य असंगजनन सामान्यतः दो प्रकार का होता है –

1. बीजाणुभिद् असंगजनन (Sporophytic apomixis) – इसे अपस्थानिक भ्रूणता (Adventive embryony) भी कहते हैं। इस प्रकार के असंगजनन में भ्रूण का निर्माण बीजाण्डकाय अथवा अध्यावरण आदि की किसी भी द्विगुणित कोशिका से होता है। इस दौरान अर्धसूत्रण व निषेचन नहीं होता है।
2. यग्मकोदभिद असंगजनन (Gametophytic apomixis) – इस प्रकार के असंगजनन में भ्रूण का परिवर्धन अगुणित भ्रूणकोष (Embryogac) की किसी कोशिका से होता है। यह दो प्रकार की होती है –
(i) जब भ्रूण का निर्माण अनिषेचित अण्ड कोशिका (Unfertilized egg cell) से होता है तब यह प्रक्रिया अनिषेकजनन (Parthenogenesis) कहलाती है।

(ii) जब भ्रूण का निर्माण भ्रूणकोष की किसी अन्य अगुणित कोशिका जैसे-सहायक कोशिका या प्रतिध्रुवी कोशिका से होता है तो यह क्रिया अपयुग्मन (Apogamy) कहलाती है।
प्रो० पंचानन माहेश्वरी (1950) ने पुष्पीय पादपों में असंगजनन या अपसंयोजन को दो प्रमुख प्रकारों जैसे–अनावर्ती असंगजनन तथा आवर्ती असंगजनन में विभेदित किया। इन्हें पुन: कई प्रकारों में बाँटा गया है। अध्ययन में संक्षिप्तता की दृष्टि से यहाँ निम्न चार प्रकारों का विवरण दिया गया है –

  1. अनावर्ती असंगजनन (Non-recurrent apomixis) – इस प्रकार के असंगजनन में गुरुबीजाणु मातृ कोशिका में अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा एक अगुणित भ्रूणकोष का निर्माण होता है। यदि इसके अगुणित अण्ड से किस निषेचन के अगुणित भ्रूण का निर्माण होता है, तब इसे अगुणित असंगजनन कहते हैं।
  2. पुनरावर्ती असंगजनन (Recurrent apomixis) – इस प्रकार के असंगजनन को युग्मकोभिद् असंगजनन भी कहते हैं। अर्द्धसूत्री विभाजन के पूर्ण नहीं होने के कारण इस प्रकार के असंगजनन में मादा युग्मकोभिद् में गुणसूत्रों की संख्या मातृ पादप के समान ही द्विगुणित होती है।
  3. अपस्थानिक भूणता (Adventive embryony) – भ्रूण जनन की वह प्रक्रिया जिसमें भ्रूण का निर्माण भ्रूणकोष के बाहर स्थित बीजाण्ड की किसी भी द्विगुणित कोशिका जैसे-बीजाण्डकाय या अध्यावरण की कोशिका से होता है।
  4. कायिक असंगजनन (Somatic apomixis) – इस प्रकार के असंगजनन में पादपों में पुष्पों के स्थान पर पत्र प्रकलिकाएँ (Bulbile) व कायिक प्रवर्ध (Propagules) का निर्माण होता है। ये पादप पर रहते हुए ही अंकुरित हो जाते हैं।

प्रश्न 2.
बहुभ्रूणता पर विस्तृत निबन्ध लिखिए।
उत्तर
बहुभूणता (Polyembryony) – अण्डकोशिका (Egg cell) के निषेचन के बाद एक बीजाण्ड (Ovule) में प्रायः एक ही भ्रूण (Embryo) बनता है, कभी-कभी अनेक कारणों से एक बीजाण्ड/बीज में एक से अधिक भ्रूण भी बन जाते हैं। यह क्रिया बहुभ्रूणता (Polyembryony) कहलाती है। अनेक आवृतबीजी पादपों (Gymnosperms) में बहुभ्रूणता एक सामान्य प्रक्रिया है। किन्तु आवृतबीजी पादपों में यह अपेक्षाकृत कम पायी जाती है। पादपों के साथ यह कुछ जन्तुओं में भी पायी जाती है।

सर्वप्रथम एण्टोनी वॉन ल्यूवेनहॉक ने सन् 1719 में सन्तरे के बीजों में बहुभ्रूणता का पता लगाया था। सन्तरे तथा नींबू कुल के अन्य पादपों में अतिरिक्त भ्रूणों की उत्पत्ति बीजाण्डकाय (Nucellus) में अबीजाणुता के द्वारा, किन्तु अन्य में युग्मनज (Zygote) के विदलन (Cleavage), भ्रूण में बढ़ते समय अतिवृद्धि (Out growth) बनने अथवा भ्रूण के परिवर्धन के समय शाखित होने के द्वारा भी बहुभ्रूणता पायी जाती है जैसे- यूलोफिया (Eulophia), सिम्बोडियम (Cynabidium) आदि में। एरिस्टोलोकिया (Aristolochia) में तो प्रतिध्रुवीय या प्रतिमुखी (Antipodal cells) कोशिकाओं से भी भ्रूण बनते देखे गए हैं।
अतिरिक्त भ्रूण के बनने की विधि तथा कोशिका, जिससे यह विकसित हो रहा है, के आधार पर बहुभ्रूणता को निम्नलिखित प्रकारों में बाँटा गया है –

  1. सरल बहुभ्रूणता (Simple polyembryony) – जब बीजाण्ड में किन्हीं कारणों से एक से अधिक भ्रूणकोष होते हैं तथा निषेचन के बाद प्रत्येक की अण्डकोशिका से एक भ्रूण बन जाता है। जैसे- ब्रेसिका (Brassica) की जातियों में।
  2. मिश्रित बहुभ्रूणता (Mixed polyembryony) – जब अण्डकोशिका के अतिरिक्त उसी भ्रूणकोष की अन्य कोशिकाएँ भी निषेचित होकर भ्रूण बना लेती हैं तो इसे मिश्रित बहुभ्रूणता कहते हैं; जैसे-एलियम (Alium) की जातियों में। श्नार्फ (Schnarf) ने इसे वास्तविक बहुभ्रूणता माना है।
  3. अपस्थानिक बहुभ्रूणता (Adventive polyembryony) – जब अतिरिक्त भ्रूण बीजाण्ड की अन्य कोशिकाओं से निर्मित होते हैं तो इसे अपस्थानिक बहुभ्रूणता कहते हैं; जैसे-नींबू, सन्तरा, आम आदि।
  4. विदलने बहुभ्रूणता (Cleavage polyembryony) – जब युग्मनज (Zygote) या भ्रूणीय कोशिका (Embryonal cell) के विभाजन के समय एक से अधिक भ्रूण निर्मित हो जाते हैं तब इसे विदलन बहुभ्रूणता कहते हैं। उदाहरण- कुमुदिनी (Nymphea), क्रोटोलेरिया (Crotolaria) आदि की जातियों में ऐसी बहुभ्रूणता पायी जाती है।

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 4 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 4 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
हेन्स विन्कलर ने असंगजनन को किस प्रकार परिभाषित किया हैं?
उत्तर
हेन्स विन्कलर के अनुसार “सामान्य लैंगिक जनन का ऐसी किसी विधि द्वारा प्रतिस्थापन जिसमें अर्द्धसूत्रण व निषेचन न हो असंगजनन कहलाता है।”

प्रश्न 2.
असंगजनन के दो मुख्य प्रकारों का नाम लिखिए।
उत्तर

  1. बीजाणुभिदी असंगजनन तथा
  2. युग्मकोभिदी असंगजनन।

प्रश्न 3.
बीजाणुभिदी तथा युग्मकोभिदी असंगजनन की गुणिता बताइए।
उत्तर
बीजाणुभिदी असंगजनन द्विगुणित (2n) होता है तथा युग्मकोभिदी असंगजनन अगुणित (n) होता है।

प्रश्न 4.
अनिषेक जनन किसे कहते हैं ?
उत्तर
जब भ्रूण का निर्माण अनिषेचित अण्ड कोशिका से होता है तब यह प्रक्रिया अनिषेक जनन (Parthenogenesis) कहलाती है।

प्रश्न 5.
अपयुग्मन किसे कहते हैं?
उत्तर
जब भ्रूण का निर्माण भ्रूणकोष की किसी अन्य अगुणित कोशिका जैसे- सहायक या प्रतिध्रुवी कोशिका से होता है तो यह प्रक्रिया अपयुग्मन कहलाती है।

प्रश्न 6.
अनिषेक जनन का अध्ययन सर्वप्रथम किसने किया?
उत्तर
अनिषेक जनन का अध्ययन सर्वप्रथम जोर जेन्सन (Jorgenson) ने 1928 में किया था।

प्रश्न 7.
प्याज और अगेव में किस प्रकार का असंगजनन पाया जाता हैं?
उत्तर
कायिक असंगजनन्।

प्रश्न 8.
अनिषेकबीजता किसे कहते हैं?
उत्तर
जब बीज का निर्माण बीजाण्ड की किसी भी 2n कोशिका से अथवा असामान्य द्विगुणित भ्रूणपोष की किसी कोशिका से बिना निषेचन के होता है तो इसे अनिषेकबीजता कहते हैं।

प्रश्न 9.
ग्लेडियोलस एवं गुलदाउदी में व्यापारिक स्तर पर प्रजनन की आधुनिक विधि बताइए।
उत्तर
सूक्ष्म प्रवर्धन (Micropropagation)।

प्रश्न 10.
किसने सर्वप्रथम बहुभ्रूणता का पता लगाया था?
उत्तर
एन्टॉनी वॉन ल्यूवेनहॉक ने।

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 4 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जनन अपबीजाणुता तथा कायिक अपबीजाणुता को समझाइए।
उत्तर

  • जनन अपबीजाणुता (Generative apospory) – असंगजनन का प्रकार जिसमें भ्रूणकोष का विकास प्रपसूतक (Archesporium) की द्विगुणित कोशिकाओं से होता है तथा भ्रूणकोष की द्विगुणित कोशिकाओं से द्विगुणित भ्रूण का निर्माण होता है, जनन अपबीजाणुता कहलाता है।
  • कायिक अपबीजाणुता (Somatic apospory) – असंगजनन का वह प्रकार जिसमें बीजाण्डकाय अथवा अध्यावरण की द्विगुणित कोशिकाओं से द्विगुणित भ्रूणकोष एवं इस द्विगुणित भ्रूणकोष की कोशिकाओं से द्विगुणित भ्रूण का विकास होता है, कायिक अपबीजाणुता कहलाता है।

प्रश्न 2.
असंगजनन का महत्व लिखिए।
उत्तर
असंगजनन का महत्व

  1. असंगजनन की प्रक्रिया में अर्द्धसूत्री विभाजन नहीं होता है। अतः गुणसूत्रों का पृथक्करण एवं पुनर्योजन भी नहीं होता है। अतः इस प्रकार के जनन से बनने वाले पादप सभी लक्षणों में मातृ पादप के समान होते हैं। अत: क्लोन बनाने में इनका उपयोग किया जा सकता है।
  2. असंगजनन की प्रक्रिया में बीज अलैंगिक जनन द्वारा बनते हैं जिससे मातृ पादप के समान क्लोनीय संततियों का निर्माण किया जा सकता है।
  3. फसली पादपों में इस प्रकार के जनन से उसके लाभदायक लक्षणों को अधिक समय तक संरक्षित किया जा सकता है।
  4. इस प्रकार के जनन से संकर बीजों का उत्पादन आसानी से किया जा सकता है क्योंकि असंगजनन संकर पादपों के विशिष्ट लक्षणों के ह्रास को रोकता है।

प्रश्न 3.
आवृतबीजी पादपों में बहुभ्रूणता के कारण बताइए।
उत्तर
आवृतबीजी पादपों में बहुभ्रूणता के कारण –

  1. प्राक्भ्रूण का विदलन होना।
  2. भ्रूणकोष में अण्डकोशिका के साथ-साथ किसी अन्य कोशिका से भी भ्रूण का विकास होना।
  3. एक ही बीजाण्ड में एक से अधिक भ्रूणकोषों का विकास होना।
  4. बीजाणु की बीजाणुभिद् कोशिकाओं को सक्रिय होना।

प्रश्न 4.
बहुभ्रूणता की सार्थकता समझाइए।
उत्तर
बहुभ्रूणता की सार्थकता (Significance of polyembryony)
उद्यान विज्ञान, कोशिका विज्ञान, आनुवंशिकी तथा पादप प्रजनन के क्षेत्र में बहुभ्रूणता निम्न प्रकार उपयोगी है –

  1. बीजाण्डकाय से विकसित होने वाले अपस्थानिक भ्रूण मातृपादप के समरूप होते हैं।
  2. बीजाण्डकाय से विकसित भ्रूणों से प्राप्त पादप ओज (Vigour) से भरपूर होते हैं।
  3. बीजाण्डकाय से विकसित भ्रूण रोग रहित होते हैं। अतः नींबू की किस्मों के विषाणु रहित क्लोन बीजाण्डकाय संवर्धन से प्राप्त किए जा सकते हैं।
  4. अगुणित भ्रूणों का कोशिका विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपयोग है।
  5. इन अगुणित भ्रूणों को कोल्चिसीन द्वारा उपचारित कर समयुग्मकी वंशावली को विकसित किया जा सकता है, जिनकी पादप प्रजनन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका है।

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