RBSE Solutions for Class 11 Physical Geography Chapter 6 शैलें

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Rajasthan Board RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 6 शैलें

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 6 पाठ्य पुस्तक के अभ्यास प्रश्न

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 6 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन-सी शैल आग्नेय शैल है?
(अ) नीस
(ब) संगमरमर
(स) हीरा
(द) स्लेट
उत्तर:
(द) स्लेट

प्रश्न 2.
मौलिक शैल है
(अ) आग्नेय
(ब) परतदार
(स) अवसादी
(द) कायान्तरित
उत्तर:
(अ) आग्नेय

प्रश्न 3.
जिन शैलों में जीवावशेष नहीं पाये जाते हैं, वे हैं
(अ) परतदार
(ब) गौण
(स) आग्नेय
(द) कायान्तरित
उत्तर:
(स) आग्नेय

प्रश्न 4.
निम्न में से कौन-सी शैल कायान्तरिक शैल है?
(अ) ग्रेनाइट
(ब) संगमरमर
(स) बेसाल्ट
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) संगमरमर

प्रश्न 5.
निम्न में से कौन-सी शैल परतदार शैल है?
(अ) ग्रेनाईट
(ब) चूना पत्थर
(स) बेसाल्ट
(द) संगमरमर
उत्तर:
(ब) चूना पत्थर

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 6 अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 6.
आग्नेय शैल के कोई दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
आग्नेय शैलों के मुख्यत: ग्रेनाइट एवं ग्रेबो दो प्रमुख उदाहरण हैं।

प्रश्न 7.
शैल किसे कहते हैं?
उत्तर:
वे समस्त पदार्थ जिनसे भूपर्पटी का निर्माण हुआ है चाहे ग्रेनाइट की भाँति कठोर हो अथवा चीका की भाँति मुलायम हो, शैल कहलाती हैं।

प्रश्न 8.
किन्हीं दो अवसादी चट्टानों के कायान्तरित रूप बताइये।
उत्तर:
चूना पत्थर अवसादी चट्टान से संगमरमर का बनना एवं कोयले से ग्रेफाइट एवं हीरा बनना अवसादी चट्टानों के कायान्तरण के रूप हैं।

प्रश्न 9.
शैल को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
साधारण भाषा में शैल शब्द किसी कठोर वस्तु के लिए प्रयोग किया जाता है। भूवैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार वे समस्त पदार्थ जिनसे भूपर्पटी का निर्माण हुआ है, शैल कहलाते हैं।

प्रश्न 10.
परतदार शैल को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
अनाच्छादन की प्रक्रिया से जब शैलें टूटकर उसी स्थान पर या अन्यत्र जमा होती जाती हैं। इन विभिन्न शैलों के द्वारा प्राप्त शैल चूर्ण जीवावशेष व वनस्पतियों के एक के ऊपर एक परत के रूप में जमा होने से निर्मित शैलों को परतदार शैल कहा जाता है।

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 6 लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 11.
आग्नेय शैलों की विशेषताएँ बताइये।
उत्तर:
आग्नेय शैलों की निम्न विशेषताएँ हैं-

  1. आग्नेय शैलों में परतों का अभाव मिलता है।
  2. ये शैलें अरन्ध्री होती हैं।
  3. ये शैलें रवेदार होती हैं।
  4. इन शैलों में जीवावशेष (Fossils) नहीं पाये जाते हैं।
  5. ये शैलें अत्यधिक कठोर होती हैं।
  6. इन शैलों पर रासाययिक अपक्षय की तुलना में भौतिक अपक्षय का प्रभाव अधिक मात्रा में पड़ता है।
  7. इन शैलों में धात्विक खनिज मिलते हैं।

प्रश्न 12.
परतदार शैलों की विशेषताएँ बताइये।
उत्तर:
परतदार शैलों की निम्न विशेषताएँ हैं-

  1. इन शैलों में अनेक परतें पाई जाती हैं।
  2. ये शैलें रंध्र युक्त होती हैं।
  3. शैलों की परतों के मध्य में जीवावशेष मिलते हैं।
  4. इन शैलों को अपरदन अपेक्षाकृत तीव्र गति से होता है।
  5. ये शैलें प्रायः मुलायम होती हैं।

प्रश्न 13.
कायान्तरित शैलों की विशेषताएँ बताइये।
उत्तर:
कायान्तरित शैलों की निम्न विशेषताएँ हैं-

  1. ये गौणं शैलें (Secondary Rocks) होती हैं, क्योकि इनका निर्माण अन्य शैलों के कायान्तरण अथवा रूप परिवर्तन से होता है।
  2. ये मौलिक शैलों की अपेक्षा अधिक संगठित व कठोर होती हैं।
  3. इनमें धात्विक खनिजों की प्रधानता होती है अतः ये शैलें आर्थिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होती हैं।
  4. ये शैलें अरन्ध्रपूर्ण होती हैं।

प्रश्न 14.
परतदार शैलों से बनी कायान्तरित शैलों के नाम बताइये।
उत्तर:
परतदार शैलों से बनी कायान्तरित शैलें निम्न हैं-
परतदार शैल कायान्तरित शैल

  1. बालू पत्थर क्वार्टजाइट
  2. चूना पत्थर संगमरमर
  3. शैल स्लेट
  4. कोयला ग्रेफाइट व हीरा

प्रश्न 15.
आग्नेय शैलों से बनी कायान्तरित शैलों के नाम बताइये।
उत्तर:
आग्नेय शैलों से बनी कायान्तरित शैलें निम्न हैं-
आग्नेय शैल कायान्तरित शैल

  1. ग्रेनाइट नीस
  2. बेसाल्ट एम्फी बोलाइट
  3. ग्रेबो सपेण्टाइन

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 6 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 16.
शैलों को वर्गीकृत कीजिए एवं कायान्तरित शैलों का विस्तृत विवेचन कीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी तल पर मिलने वाली शैलें उत्पत्ति एवं उसकी अवधि तथा संरचना के आधार पर भिन्न-भिन्न भागों में बांटी गयी हैं। शैलों के इस वर्गीकरण को निम्न तालिका के द्वारा स्पष्ट किया गया है-
RBSE Solutions for Class 11 Physical Geography Chapter 6 शैलें 1

कायान्तरित शैलों का विवेचन

कायान्तरित शैलों की परिभाषा – किसी मौलिक शैल में विद्यटन व वियोजन के बिना उसके गुण और संरचना में मूलभूत परिवर्तन से बनी भिन्न प्रकार की शैलें कायान्तरित शैलें कहलाती हैं। कायान्तरण का कारण – मौलिक शैलों को कायान्तरण मुख्यत: जल, ताप व दाब के प्रभाव से होता है। कायान्तरित चट्टानों की विशेषता-कायान्तरित चट्टानें गौण शैलें होती हैं। ये मौलिक शैलों की अपेक्षा अधिक कठोर होती हैं। इन शैलों में छिद्र नहीं मिलते तथा इनमें धात्विक खजिनों की प्रधानता मिलती है। कायान्तरित चट्टानों के रूपान्तरण का विभाजन-कायान्तरित चट्टानों के रूपान्तरण को चार भागों में बांटा गया है – तापीय, रूपान्तरण, गतिक रूपान्तरण, जलीय रूपान्तरण वं ताप-जलीय रूपान्तरण। तापीय रूपान्तरण उच्चताप के कारण, गतिक तापान्तरण सम्पीडन व ताप के कारण, जलीय रूपान्तरण रासायनिक पदार्थों के जलयोजन से व ताप जलीय रूपान्तरण दबाव व जल वाष्प से होता है।

कायान्तरित शैलों का वर्गीकरण
मौलिक शैल जिनके रूपान्तरण से रूपान्तरित शैल बनी उसके आधार पर शैलों को निम्न भागों में बांटा गया है-

मौलिक शैल कायान्तरित/रूपान्तरित शैल

  1. ग्रेनाइट नीस
  2. बेसाल्ट एम्फी बोलाइट
  3. ग्रेबो सपेण्टाइन
  4. बालू पत्थर क्वार्टजाइट
  5. चूना पत्थर, संगमरमर
  6. शेले स्लेट
  7. कोयला ग्रेफाइट व हीरा

कुछ कायान्तरित शैलों का पुनः कायान्तरण भी हुआ है-
यथाकायान्तरित शैल पुनःकायान्तरित शैल

  1. स्लेट शिष्ट
  2. शिष्ट फाइलाइट

प्रश्न 17.
आग्नेय शैलों का वर्गीकरण करते हुए विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आग्नेय शैलें सबसे पहले बनी हुई शैलें हैं। इसी कारण इन्हें प्राथमिक शैल भी कहते हैं। इन शैलों में जीवाश्मों का अभाव पाया जाता है। इन शैलों के खनिजों की रचना, रंग, कणों की बनावट, आकार एवं निर्माण स्थल के आधार पर आग्नेय शैलों को निम्नानुसार वर्गीकृत किया गया है-
RBSE Solutions for Class 11 Physical Geography Chapter 6 शैलें 2

(i) निर्माण स्थल के आधार पर आग्नेय शैलों का वर्गीकरण

(अ) आन्तरिक आग्नेय शैल-जिन शैलों का निर्माण धरातल के नीचे मैग्मा के जमने से होता हैं, उन्हें आन्तरिक आग्नेय शैल कहते हैं। इन शैलों को पुन: दो भागों में बांटा गया है-

(क) पातालीय शैल,
(ख) अधिपातालीय शैल।

(क) पातालीय शैल – पृथ्वी के भीतर बहुत अधिक गहराई पर मैग्मा के ठण्डा होकर जमने से इन शैलों का निर्माण होता है। इसमें बड़े आकार के रवे मिलते हैं। ग्रेनाइट इसका मुख्य उदाहरण है।

(ख) अधिपातालीय शैल – मैग्मा के धरातल के कुछ ही नीचे दरारों व सन्धियों में जम जाने से निर्मित शैलों को अधिपातालीय शैल कहते हैं। इन शैलों के रूप में मिलने वाली शैलों को निम्न चित्र की सहायता से दर्शाया गया है
RBSE Solutions for Class 11 Physical Geography Chapter 6 शैलें 3
(ब) बाहरी शैलें – इस प्रकार की शैलों का निर्माण धरातल के ऊपर निकले लावा के ठण्डा होकर जमने से होता है। इन शैलों में रवों का आकार छोटा होता है।

(ii) रासायनिक संरचना के अनुसार आग्नेय शैलों का वर्गीकरण

(क) अम्लीय शैल – जिन शैलों में सिलिका की मात्रा 65 प्रतिशत से अधिक मिलती है, उन्हें अम्लीय शैलों की श्रेणी में शामिल करते हैं।
(ख) पैठिक शैल – जिन शैलों में सिलिका की मात्रा 45-55 प्रतिशत के मध्य मिलती है। उन्हें पैठिक शैलों की श्रेणी में शामिल करते हैं।
(ग) मध्यवर्ती शैल – इन शैलों में सिलिका की मात्रा अम्लीय व बेसिक शैलों के मध्य होती है।
(घ) अल्ट्रापैठिक शैल – इन शैलों में सिलिका की मात्रा 45 प्रतिशत से कम होती है।

प्रश्न 18.
परतदार शैलों को वर्गीकृत करते हुए उनका विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आग्नेय शैलों के पश्चात परतदार शैलों का निर्माण हुआ है। परतदार शैलों का निर्माण अनेक प्रकार के पदार्थ व अवसादों के जमाव से होता है। ये चट्टानों में विभिन्न शैलों के चूर्ण, जीवावशेष व वनस्पतियों के एक के ऊपर एक परतों के रूप में जमा होने से निर्मित होती हैं। इन शैलों को निम्न भागों में वर्गीकृत किया गया है-
RBSE Solutions for Class 11 Physical Geography Chapter 6 शैलें 4
परतदार शैलों का वर्गीकरण – परतदार शैलों का निर्माण अनेक प्रकार के पदार्थों व अवसादों से होता है। इन शैलों को दो आधारों पर बांटा गया है-

  1. निर्माण में प्रयुक्त अवसाद के अनुसार,
  2. निर्माण में प्रयुक्त साधन के अनुसार।

1. निर्माण में प्रयुक्त अवसाद के अनुसार – शैलों के इस वर्गीकरण में शैलों को चट्टान चूर्ण से निर्मित जैविक तत्त्वों से निर्मित एवं रासायनिक तत्त्व से निर्मित शैलों में बांटा गया है।

  • चट्टान चूर्ण से निर्मित-अपक्षय व अपरदन क्रिया से प्राप्त शैल चूर्ण एक स्थान से दूसरे स्थान पर परतों के रूप में जमा होते रहते हैं। कालान्तर में ये जमाव संगठित होकर अवसादी शैल का रूप धारण कर लेते हैं। यथा-बालुका पत्थर, कांग्लो, चीका मिट्टी आदि।
  • जैविक तत्त्व निर्मित शैलें-जिन शैलों का निर्माण जीव-जन्तुओं एवं वनस्पति के अवशेषों से होता है, उन्हें इसी श्रेणी में शामिल करते हैं। इनमें चूना प्रधान एवं कार्बन प्रधान शैलों को शामिल किया जाता है; येथा-डोलोमाइट एवं कोयला युक्त शैलें।
  • रासायनिक तत्त्व निर्मित शैलें-विभिन्न रासायनिक पदार्थों के घुलकर जमने से जिन शैलों का निर्माण होता है, उन्हें इस श्रेणी में शामिल किया जाता है। ऐसी शैलों में खड़िया मिट्टी, शैल खड़ी वे नमक की शैले मुख्य हैं।

2. निर्माण में प्रयुक्त साधन के आधार पर इस आधार पर परतदार शैलों को तीन भागों में बांटा गया है- जल निर्मित शैलें, वायु शैलें व हिमानी निर्मित शैलें।

  • जल निर्मित शैलें-इन शैलों का निर्माण जलीय भागों में अवसादों के निक्षेपण से होता है। यथा- नदीय शैल, सागरीय शैल आदि।
  • वायु निर्मित शैलें-ऐसी शैलें वायु द्वारा कणों के परिवहन व निक्षेपण से होता है; यथा-लोयस।
  • हिमानी निर्मित शैल-ऐसी चट्टानें हिमानी द्वारा कंकड़, गोलाश्मों के परिवहन व निक्षेपण से बनती हैं, इन्हें हिमोढ़ कहते हैं।

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 6 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 6 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
भूगर्भ के सबसे ऊपरी भाग में किन चट्टानों की प्रधानता होती है?
(अ) आग्नेय
(ब) अवसादी
(स) कायान्तरित
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) आग्नेय

प्रश्न 2.
ग्रेनाइट किस प्रकार की शैल है?
(अ) पातालीय शैल
(ब) उपपातालीय शैल
(स) पैठिक शैल
(द) अल्ट्रापैठिक शैल
उत्तर:
(अ) पातालीय शैल

प्रश्न 3.
बेसाल्ट किस प्रकार की शैल है?
(अ) अम्लीय शैल
(ब) पैठिक शैले
(स) मध्यवर्ती शैल
(द) अल्ट्रापैठिक शैल
उत्तर:
(ब) पैठिक शैले

प्रश्न 4.
अवसादी शैलों का निर्माण होता है-
(अ) अधिक ताप व दाब से।
(ब) गर्म पदार्थों के ठण्डा होने से
(स) अपक्षय व अपरदन क्रियाओं द्वारा
(द) ज्वालामुखी क्रिया से
उत्तर:
(स) अपक्षय व अपरदन क्रियाओं द्वारा

प्रश्न 5.
सम्पूर्ण धरातल के सर्वाधिक भाग पर कौन-सी चट्टान मिलती है?
(अ) आग्नेय
(ब) अवसादी
(स) कायान्तरित
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) अवसादी

प्रश्न 6.
निम्न में से जो चूना प्रधान शैल है-
(अ) ग्रेनाइट
(ब) लोयस
(स) डोलोमाइट
(द) शैल खड़ी
उत्तर:
(स) डोलोमाइट

प्रश्न 7.
ग्रेबो के कायान्तरण से निर्मित शैल है।
(अ) नीस
(ब) स्लेट
(स) शिष्ट
(द) सपॅण्टाईन
उत्तर:
(द) सपॅण्टाईन

प्रश्न 8.
हीरे की निर्माण किसके कायान्तरण से हुआ है।
(अ) बेसाल्ट से
(ब) बालू पत्थर से
(स) कोयले से
(द) ग्रेनाइट
उत्तर:
(स) कोयले से।

प्रश्न 9.
चूना पत्थर के कायान्तरण से किस शैल का निर्माण होता है?
(अ) नीस
(ब) ऐम्फी बोलाईट
(स) क्वार्टजाइट
(द) संगमरमर
उत्तर:
(द) संगमरमर

प्रश्न 10.
वायु निर्मित शैल कौन-सी है?
(अ) लोयस
(ब) खड़िया मिट्टी
(स) हिमोढ़
(द) फाइलाइट
उत्तर:
(अ) लोयस

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 6 सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न

निम्न में स्तम्भ अ को स्तम्भ ब से सुमेलित कीजिए-

(क)स्तम्भ अ (शैल का प्रकार)स्तम्भ ब (निर्माण प्रक्रिया)
1.ग्रेनाइट(अ) चूना प्रधान शैल
2.लोपोलिथ(ब) हिमानी निर्मित शैल
3.ग्रेवो(स) पातालीय शैल
4.पेरिडोडाइट(द) शैल चूर्ण निर्मित
5.चीका(य) उपपातालीय शैल
6.डोलोमाइट(र) अल्ट्रा पैठिक
7.हिमोढ़(ल) पैठिक शैल

उत्तर:
(1) (स) (2) (य) (3) (ल) (4) (र) (5) (द) (6) (अ) (7) (ब)

(ख)स्तम्भ अ  (मुख्य शैल)स्तम्भ ब (कायान्तरित शैल)
1. बेसाल्ट(अ) क्वार्टजाइट
2.शैल(ब) फाइलाइट
3.बालु पत्थर(स) ग्रेफाइट
4.शिष्ट(द) ऐम्फी बोलाईट
5.कोयला(य) स्लेट

उत्तर:
(1) (द) (2)(य) (3)(अ) (4)(ब) (5) (स)

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 6 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पृथ्वी की ऊपरी परत क्या कहलाती है?
उत्तर:
पृथ्वी की ऊपरी परत को भूपटल कहा जाता है।

प्रश्न 2.
शैलें कितनी प्रकार की होती हैं?
उत्तर:
पृथ्वी तल पर शैलों के तीन प्रकार मिलते हैं-आग्नेय शैल, अवसादी शैल एवं कायान्तरित शैल।

प्रश्न 3.
आग्नेय शैल किसे कहते हैं?
अथवा
प्राथमिक शैलों से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
पृथ्वी के निर्माण होने के समय तप्त तरल मैग्मा व लावा के ठण्डा होकर जमने से निर्मित शैलों को आग्नेय शैल कहा जाता हैं। इन्हें प्राथमिक शैल भी कहते हैं।

प्रश्न 4.
आग्नेय शैलों को किन आधारों पर वर्गीकृत किया गया है?
उत्तर:
आग्नेय शैलों को निर्माण स्थल के अनुसार और रासायनिक संरचना के अनुसार विभाजित किया गया है।

प्रश्न 5.
रासायनिक संरचना के आधार पर आग्नेय शैलों को किन-किन भागों में बांटा गया है?
उत्तर:
रासायनिक संरचना के आधार पर आग्नेय शैलों को अम्लीय आग्नेय शैल, मध्यवर्ती आग्नेय शैल, अल्ट्रानिक आग्नेय शैल व पैठिक आग्नेय शैलों के रूप में बांटा गया है।

प्रश्न 6.
आन्तरिक आग्नेय शैल किसे कहते हैं?
उत्तर:
ऐसी शैलें जो धरातल के नीचे मैग्मा के जमने से बनती हैं, उन्हें आन्तरिक आग्नेय शैल कहा जाता है।

प्रश्न 7.
बाहरी आग्नेय शैल किसे कहते हैं?
उत्तर:
ऐसी शैलें जो धरातल के ऊपर लावा के ठण्डा होकर जमने से बनती हैं, उन्हें बाहरी आग्नेय शैल कहा जाता है।

प्रश्न 8.
पातालीय शैल किसे कहते हैं?
उत्तर:
धरातल के आन्तरिक भाग में जब बहुत अधिक गहराई पर मैग्मा ठण्डा होकर जमता है तो इससे निर्मित होने वाली शैलों को पातालीय शैल कहा जाता है।

प्रश्न 9.
उपपातालीय शैलों से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
धरातल के कुछ ही नीचे दरारों व सन्धियों में मैग्मा के जम जाने से निर्मित होने वाली शैलों को उपपातालीय शैल कहा जाता हैं। ये छोटे आकार की शैलें होती हैं।

प्रश्न 10.
अम्लीय शैलों से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
ऐसी शैलें जिनमें सिलिका की मात्रा 65 प्रतिशत से अधिक मिलती हैं, उन्हें अम्लीय शैल कहा जाता है। ये प्रायः कठोर वे मजबूत शैल होती हैं।

प्रश्न 11.
पैठिक शैलों से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
ऐसी शैलें जिनमें सिलिका की मात्रा 45 से 55 प्रतिशत के बीच मिलती है, उन्हें पैठिक शैल कहा जाता है।

प्रश्न 12.
अवसादी शैलों का निर्माण कैसे होता है?
उत्तर:
अवसादी शैलों का निर्माण विभिन्न शैलों के द्वारा शैल चूर्ण, जीवावशेषों एवं वनस्पतियों के एक के ऊपर एक परतों के रूप में जमा होने से होता है।

प्रश्न 13.
अवसादी शैलों को किन आधारों पर वर्गीकृत किया गया है?
उत्तर:
अवसादी शैलों को मुख्यत: प्रयुक्त अवसाद के आधार पर एवं निर्माण में प्रयुक्त साधनों के अनुसार विभाजित किया गया है।

प्रश्न 14.
प्रयुक्त अवसाद के अनुसार परतदार शैलों को किन-किन भागों में बांटा गया है।
उत्तर:
प्रयुक्त अवसाद के अनुसार परतदार शैलों को चट्टान चूर्ण से निर्मित, जैविक तत्त्व से निर्मित व रासायनिक तत्त्वों से निर्मित चट्टानों में बांटा गया है।

प्रश्न 15.
निर्माण में प्रयुक्त साधन के अनुसार अवसादी शैलों को कितने भागों में बांटा गया है?
उत्तर:
निर्माण में प्रयुक्त साधन के अनुसार अवसादी शैलों को जलज शैल, वायूढ़ शैल एवं हिमानीकृत शैलों के रूप में बांटा गया है।

प्रश्न 16.
चूना प्रधान शैलें क्या हैं?
उत्तर:
जिन शैलों का निर्माण चूना प्रधान जीव-जन्तुओं के अवशेषों से होता है, उन्हें चूना प्रधान शैलें कहते हैं।

प्रश्न 17.
जलज शैलें क्या हैं?
उत्तर:
जिन शैलों का निर्माण जलीय प्रक्रिया व उससे होने वाले अवसादों के निक्षेपण से होता है, उन्हें जलज शैलें कहते हैं।

प्रश्न 18.
वायूढ़ शैलों से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जिन शैलों का निर्माण वायु के कणों के परिवहन व निक्षेपण से होता है, उन्हें वायूढ़ शैलें कहा जाता है।

प्रश्न 19.
कायान्तरित शैलें किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी मौलिक शैल में विघटन व वियोजन के बिना उसके गुण और संरचना में मूलभूत परिवर्तन से बनी भिन्न प्रकार की शैले कायान्तरित शैलें कहलाती हैं।

प्रश्न 20.
कायान्तरित शैलों के रूपान्तरण को कितने भागों में बांटा गया है?
उत्तर:
कायान्तरित शैलों के रूपान्तरण को तापीय रूपान्तरण, गतिक यो क्षेत्रीय रूपान्तरण, जलीय रूपान्तरण एवं ताप जलीय रूपान्तरण के रूप में बांटा गया है।

प्रश्न 21.
तापीय रूपान्तरण क्या है?
उत्तर:
ज्वालामुखी क्रिया के समय जब शैलों का मैग्मा से सम्पर्क होता है, तब ज्वालामुखी नली के आसपास की शैलों में उच्च ताप के कारण कायान्तरण होता है तो इसे तापीय या संस्पर्शीय रूपान्तरण कहते हैं।

प्रश्न 22.
जलीय रूपान्तरण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जब जल के साथ रासायनिक पदार्थों के मिलने से घोल के रूप में शैल के खनिज में परिवर्तन आ जाता है तो उसे जलीय रूपान्तरण कहते हैं।

प्रश्न 23.
ताप जलीय रूपान्तरण क्या है?
उत्तर:
जब शैलों के ऊपर गर्म जल होता है तब दबाव व जल वाष्प से शैलों में इस प्रकार का रूपान्तरण होता है।

प्रश्न 24.
पुनः कायान्तरित शैलें कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
स्लेट से शिष्ट व शिष्ट से फाइलाइट नामक चट्टानों का पुनः कायान्तरण हुआ है।

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 6 लघूतात्मक प्रश्न Type I

प्रश्न 1.
पृथ्वी की बाहरी परत क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर:
पृथ्वी की बाहरी परत बहुत महत्त्वपूर्ण होती है क्योंकि इसमें अनेक प्रकार के मूल्यवान तत्त्व पाये जाते हैं। इन तत्त्वों में ऑक्सीजन, सिलिकॉन, एल्यूमिनियम, लोहा, कैल्शियम, सोडियम, पौटेशियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, सल्फर आदि मिलते हैं। ये तत्त्व प्राय: अलग-अलग नहीं मिलते बल्कि सामान्यत: ये दूसरे तत्त्वों के साथ मिलकर विभिन्न पदार्थों का निर्माण करते हैं। इन पदार्थों में खनिज सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हैं।

प्रश्न 2.
आग्नेय शैलों को प्राथमिक शैल क्यों कहते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी के निर्माण होने के समय तप्त तरल मैग्मा व लावा के ठण्डा होकर जमने से निर्मित शैल को आग्नेय शैल कहा जाता है। इन शैलों का निर्माण सबसे पहले हुआ है। इसी कारण इन्हें प्राथमिक शैल कहा जाता है। इन चट्टानों के पश्चात ही दूसरी चट्टानों का निर्माण हुआ है।

प्रश्न 3.
आन्तरिक व बाहरी आग्नेय शैलों में क्या अन्तर मिलता है?
अथवा
आन्तरिक व बाहरी आग्नेय शैलों में मिलने वाले अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आन्तरिक व बाहरी आग्नेय शैलों में निम्नलिखित अन्तर मिलते हैं

तुलना के आधार परआन्तरिक आग्नेय शैलबाहरी आग्नेय शैल
निर्माण का स्थान1.  ये शैलें धरातल के नीचे मैग्मा के जमने से बनती हैं।1. ये शैलें धरातल के ऊपर लावा के ठण्डा होकर जमने से बनती हैं।
ठण्डा होने का समय2.  इन शैलों का निर्माण मैग्मा के धीरे-धीरे ठण्डा होने से होता है।2. इन शैलों का निर्माण लावा के जल्दी ठण्डा होकर जमने से होता है।
रवों का प्रकार3.  इन शैलों में बड़े आकार के रवे बनते हैं।3. इन शैलों में रवों का आकार छोटा होता है।

प्रश्न 4.
अम्लीय शैलों एवं पैठिक शैलों में क्या अन्तर है?
उत्तर:
अम्लीय शैलों व पैठिक शैलों में निम्न अन्तर मिलते हैं-

अम्लीय शैलपैठिक शैल
1. इन शैलों में सिलिका की मात्रा अधिक मिलती है।1. इन शैलों में सिलिका की मात्रा कम मिलती है।
2. इन शैलों में 65 प्रतिशत से अधिक सिलिका मिलती है।2. इन शैलों में सिलिका की मात्रा 55 प्रतिशत से कम मिलती है।
3. ये कठोर व मजबूत शैलें होती हैं।3. ये शैलें अम्लीय शैलों की तुलना में कम कठोर व कम मजबूत होती हैं।

प्रश्न 5.
फैकोलिथ व लोपोलिथ में क्या अन्तर है?
अथवा
फैकोलिथ व लोपोलिथ से क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
फैकोलिथ वे लोपोलिथ में निम्न अन्तर मिलते हैं-
फैकोलिथ – ज्वालामुखी उद्गार के समय मोड़दार पर्वतों की अपनति तथा अभिनति में मैग्मा का जमाव हो जाता है। इस प्रकार बनी आग्नेय शैल रूपी आकृति को ही फैकोलिथ कहते हैं।

लोपोलिथ – यह जर्मन भाषा में लोपास शब्द से बना है जिसका अर्थ होता है एक छिछली बेसिन। इस प्रकार की स्थलाकृति में मैग्मा का जमाव तश्तरीनुमा आकार में होता है। ऐसे आकार वाली आकृति को ही लोपोलिथ कहते हैं।

प्रश्न 6.
सिल एवं डाइक में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
अथवा
सिल एवं डाइक को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सिल – जब पृथ्वी के आन्तरिक भाग में मिलने वाले मैग्मा का रूपान्तरण अथवा परतदार शैलों के बीच में क्षैतिज रूप से जमाव होता है तो परतदार रूप में जमे हुए मैग्मा का यह जमाव सिल कहलाता है। सिल के रूप में मिलने वाला यह जमाव मोटाई में होता है।

डाइक – पृथ्वी के आन्तरिक भाग में लम्बवत् रूप से चट्टानों या उनकी दीवारों में मैग्मा के जमाव को डाइक कहा जाता है। डाइक का यह जमाव लम्बे व पतले रूप में मिलता है। यह दीवार की तरह आग्नेय शैल को आन्तरिक रूप होता है। डाइक का संगठन कहीं कठोर तो कहीं मुलायम देखने को मिलता है।

प्रश्न 7.
परतदार शैलों के निर्माण हेतु उत्तरदायी प्रक्रिया को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी के अस्तित्व में आने के साथ ही उस पर अनाच्छादन की शक्तियाँ प्रारम्भ हो गयी थीं। इसमें अपक्षय व अपरदन के द्वारा शैलें टूटकर उसी स्थान पर या अन्यत्र जमा होती जाती हैं। इन विभिन्न शैलों के द्वारा प्राप्त शैल चूर्ण, जीवावशेष एवं वनस्पतियों के एक के ऊपर एक परतों के रूप में निर्मित शैल परतदार शैलों के रूप में सामने आती हैं। इन शैलों का निर्माण अनेक प्रकार के पदार्थों से व अवसादों से होता है। इनके निर्माण में अनेक प्रक्रम भाग लेते हैं।

प्रश्न 8.
कायान्तरित शैलों की उत्पत्ति को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
कायान्तरित शैलों के निर्माण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
किसी मौलिक शैल में विघटन वे वियोजन के बिना उसके गुण और संरचना में मूलभूत परिवर्तन से बनी भिन्न प्रकार की शैलें कायान्तरित होती हैं। ये मौलिक शैलें, आग्नेय, अवसादी या कायान्तरित भी हो सकती हैं। यह कायान्तरण जल, ताप व दाब अथवा तीनों के प्रभाव से हो सकता है। कायान्तरण परतदार तथा आग्नेय शैलों का होता है परन्तु कभी रूपान्तरित शैलें पुनः रूपान्तरित हो जाती हैं। इस रूपान्तरण में चट्टानों को पूर्ण आकार बदलने के साथ-साथ खनिज का रूप बदल सकता है। पुराने खनिजों का पुनः नवीन रूप हो सकता हैं, नये खनिज बन सकते हैं, चट्टानें दूसरा रूप धारण कर लेती हैं, चट्टानें रवेदार हो सकती हैं।

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 6 लघूतात्मक प्रश्न Type II

प्रश्न 1.
आग्नेय शैलों के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
आग्नेय शैलों की उपयोगिता स्पष्ट कीजिए।
अथवा
आग्नेय शैलों के आर्थिक महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आग्नेय शैलों का निर्माण पृथ्वी पटल पर सबसे पहले हुआ है। इसके कारण इनका विशेष महत्त्व है। इन चट्टानों के इस महत्त्व को निम्न बिन्दुओं के माध्यम से दर्शाया गया है

  1. आग्नेय शैलों में खनिजों के पर्याप्त भण्डार मिलते हैं। इन शैलों में सोना, चाँदी, जस्ता, अभ्रक, ताँबा, गंधक, मैग्नेसाइट आदि खनिज मिलते हैं।
  2. ये शैलें प्राथमिक शैलें होती हैं। अतः अन्य शैलों का निर्माण इन्हीं से हुआ है।
  3. इन शैलों पर अपरदन व अपक्षय की क्रियाओं का प्रभाव पड़ा है। इसी कारण इनसे काली मिट्टी का निर्माण हुआ है।
  4. इन शैलों से मिलने वाले चट्टानों/पत्थरों का प्रयोग भवन निर्माण कार्यों हेतु सहायक सिद्ध हुआ है।
  5. इन शैलों से निर्मित मिट्टियों के उपजाऊ होने के कारण ये कृषि के दृष्टिकोण से लाभदायक होती हैं।
  6. धरातलीय जल इन चट्टानों से छनकर अन्दर जाता है। इस प्रकार ये जलीय शुद्धता की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं।

प्रश्न 2.
पातालीय एवं उपपातालीय चट्टानों को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
पातालीय एवं उपपातालीय चट्टानों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
अथवा
पातालीय चट्टानें उपपातालीय चट्टानों से किस प्रकार भिन्न हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पातालीय चट्टानें उपपातालीय चट्टानों में निम्न भिन्नताएँ देखने को मिलती है-

पातालीय चट्टानउपपातालीय चट्टान
1. ये चट्टानें पृथ्वी के भीतर अत्यधिक गहराई पर निर्मित हुई हैं।1. ये चट्टानें पृथ्वी के नीचे कुछ ही गहराई पर निर्मित होती हैं।
2. इन चट्टानों का निर्माण पृथ्वी के भीतर मैग्मा के जमने से होता है।2. इस प्रकार की चट्टानों का निर्माण दरारों व संधियों में मैग्मा के जमने  से हुआ है।
3. इन चट्टानों के निर्माण में मैग्मा के ठण्डा होने की धीमी प्रक्रिया का मुख्य योगदान रहता है।3. इन चट्टानों का निर्माण मैग्मा के जल्दी ठंडा हो जाने व कम समय लगने की परिणाम है।
4. इस प्रकार की चट्टानों में रवे बड़े-बड़े आकार  के बनते हैं।4. इस प्रकार की चट्टानों में रवे छोटे आकार के होते हैं।
5. इस प्रकार की चट्टानें मुख्यत: कठोर स्वरूप को दर्शाती हैं।5. इस प्रकार की चट्टानों में थोड़ा मुलायमपन देखने को मिलता है।

प्रश्न 3.
शैल चूर्ण निर्मित चट्टानों व रासायनिक तत्व निर्मित चट्टानों के स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
शैल चूर्ण निर्मित शैलों व रासायनिक तत्त्व निर्मित शैलों में अन्तर बताइये।
उत्तर:
शैल चूर्ण निर्मित शैलें – अपक्षय व अपरदन क्रिया से प्राप्त शैल चूर्ण एक स्थान से दूसरे स्थान पर पश्तों के रूप में ज़मा होते रहते हैं। कालान्तर में ये जमाव संगठित होकर अवसादी शैल का रूप धारण कर लेते हैं। बालुका पत्थर, कांग्लो, चीका मिट्टी व लोयस इसके उदाहरण हैं।

रासायनिक तत्त्वों से निर्मित अवसादी चट्टानें – बहता जल अपने मार्ग में घुलनशील पदार्थों को घोलकर अपने साथ परिवहित करके ले जाता है एवं इनका जमाव अन्यत्र करता जाता है जिससे इन शैलों का निर्माण होता है। खड़िया मिट्टी, शैल खड़ी एवं नमक की शैलें इस प्रकार की शैलों के प्रमुख उदाहरण हैं। इस प्रकार की शैलों में घुलनशील पदार्थ घुलते हुए जल के साथ मिल जाते हैं। बाद में दबाव कम हो जाने पर जल के वाष्प में परिणत हो जाने पर अथवा जले की प्रवाह गति में कमी आने के कारण ये धुले हुए पदार्थ नीचे बैठने लगते हैं जिससे इन चट्टानों का निर्माण होता है।

प्रश्न 4.
आग्नेय (प्राथमिक) एवं अवसादी (द्वितीयक) शैलों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आग्नेय एवं अवसादी शैलों में निम्नलिखित अन्तर मिलते हैं-
RBSE Solutions for Class 11 Physical Geography Chapter 6 शैलें 5

प्रश्न 5.
अवसादी एवं कायान्तरित शैलों के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
परतदार और रूपान्तरित शैलों की उपयोगिता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अवसादी/परतदार शैलों का महत्त्व-अवसादी शैलों का मानवीय प्रयोग की दृष्टि से विशेष महत्त्व हैं। इन शैलों में खनिज पदार्थ और शक्ति-संसाधन मिलते हैं लोहा, खनिज तेल, कोयला, प्राकृतिक गैस आदि अवसादी शैलों में ही मिलते हैं। कठोर बलुआ पत्थरों का उपयोग भवन निर्माण में किया जाता है। परतदार चट्टानों में ही कृषि की प्रक्रिया अधिक सार्थक सिद्ध हुई है। चूना पत्थर इन शैलों में ही मिलता है जो लौह इस्पात उद्योग में काम आता है।

कायान्तरित शैलों का महत्त्व – कायान्तरित शैलें मानव के लिए विशेष स्थान रखती हैं। इन शैलों में कुछ बहुत महत्त्वपूर्ण खनिज; यथा-सोना, चाँदी, हीरा आदि मिलते हैं। कायान्तरण के पश्चात् संगमरमर, ग्रेफाइट, चुम्बकीय लोहा आदि महत्त्वपूर्ण शैलें मिलती हैं। इस सभी शैलों का विविध उपयोग हेतु प्रयोग किया जाता है। इन शैलों में ही गंधक मिश्रित जल स्रोत मिलते हैं जिसमें स्नान करने से अनेक प्रकार की बीमारियाँ दूर हो जाती हैं।

प्रश्न 6.
निर्माण में प्रयुक्त साधन के आधार पर अवसादी शैलों के वर्गीकरण को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
परतदार शैलों के निर्माण में प्रयुक्त सामग्री के आधार पर उनका वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
शैलों का निर्माण विविध प्रकार की सामग्री के कारण हुआ है। परतदार शैल के जमाव के लिए विभिन्न प्रकार के अवसादों : की आवश्यकता पड़ती है। यह अवसाद विभिन्न माध्यमों से प्राप्त होता है। इस जमाव के आधार पर अवसादी शैलों को निम्न भागों में बांटा गया है-

  1. जलीय या जलज शैल,
  2. वायूढ़ शैल,
  3. हिमानी निर्मित शैल।

1. जलीय या जलज शैल – इन शैलों का निर्माण नदियों द्वारा एक जगह से दूसरे जगह बहाकर लाये गए अवसादों के जमने से होता है। जलीय भाग में जमाव होने के कारण ही उन्हें जलज शैल कहते हैं। ऐसी चट्टानें मुख्यतः सागरीय शैलों, झीलकृत शैलों व नदीकृत शैलों के रूप में मिलती हैं।
2. वायूढ़ शैल – ऐसी शैलें जो गर्म एवं शुष्क प्रदेशों में भौतिक अपक्षय के कारण चट्टानों के टूटने-फूटने से निर्मित चूर्ण के वायु द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर जमा कर देने से बनती हैं, वायूढ़ शैल कहलाती हैं। वायु कणों के आपसी टकराव व रगड़ से कण बारीक होकर जम जाते हैं जिनसे इनका निर्माण हुआ है; यथा-लोयस।
3. हिमानीकृत शैल – ये शैलें हिमानी द्वारा कंकड़, गोलाश्मों के परिवहन व निक्षेपण से बनती हैं। इन पदार्थों को संयुक्त रूप से ग्लेसियल ड्रिफ्ट कहते हैं।

प्रश्न 7.
अवसादी (द्वितीयक) और कायान्तरित चट्टानों (तृतीयक) में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अवसादी और कायान्तरित शैलों में निम्नलिखित अन्तर हैं-

क्र.सं.अन्तर का आधारअवसादी (द्वितीयक) चट्टानकायान्तरित (तृतीयक) चट्टान
1.निर्माणअवसादी शैलों का निर्माण उन प्राचीन चट्टानों एवं खनिजों के टुकड़ों से होता है जो कि पूरी तरह संगठित हो जाते हैं और परतों में जम जाते हैं।कायान्तरित शैलों का निर्माण दाबे, आयतन एवं तापमान में परिवर्तन की प्रक्रिया के फलस्वरूप होता है।
2.निर्माण का कारणइनका निर्माण संघनन एवं संयोजन की प्रक्रियाओं द्वारा होता हैं।इनका निर्माण आग्नेय व अवसादी शैलों के दूसरे रूप में बदलने से होता है।
3.संरचनाये शैलें मुलायम होती हैं।ये शैलें. मौलिक शैलों की अपेक्षा अधिक संगठित व कठोर होती हैं।
4.खनिजइन शैलों में मुख्यत: कार्बनिक खजिन पाये जाते हैं।इन शैलों में मुख्यत: धात्विक खनिज पाए जाते हैं।
5.रंध्रताये शैलें रन्ध्रयुक्त होती हैं।ये शैलें अरन्ध्र होती हैं।
6.परतेंइन शैलों में परतें पायी जाती हैं।इन शैलों में परतें नहीं पायी जाती हैं।
7.जीवावशेषइन शैलों की परतों में जीवावशेष पाए जाते हैं।इन शैलों की परतों में जीवावशेष का अभाव पाया जाती है।
8.निर्माण स्थलइन शैलों का निर्माण धरातल पर होता है।इन शैलों का निर्माण धुरातल के नीचे होता है।

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 6 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पृथ्वी के आन्तरिक भाग में बनने वाली उपपातालीय शैलों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा
पृथ्वी के आन्तरिक भाग में मैग्मा से निर्मित होने वाली स्थलाकृतियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी के आन्तरिक भाग अर्थात् धरातल के नीचे मैग्मा के द्वारा अनेक स्थलाकृतिक स्वरूपों का निर्माण होता है। ये सभी शैले उपपातालीय शैलें कहलाती हैं। इन उपपातालीय शैलों का संक्षिप्त विवरण निम्नानुसार है-

(i) बैथोलिथ – इसे अधः शैल के नाम से भी जाना जाता है। यह सैकड़ों किमी लम्बी अनियमित किन्तु बहुत दूरी तक फैली हुई आग्नेय चट्टान होती है। ये शैलें गुम्बद के आकार की होती हैं। इनके किनारे खड़े ढाल वाले होते हैं तथा आधार तल अधिक गहराई में होता है। इनका ऊपरी भाग अत्यधिक उत्खात होता है। मोड़दार पर्वतों के निर्माण के समय संस्पर्शी चट्टानों के विखण्डन से प्राप्त टुकड़े इसके निर्माण में सहायक होते हैं।

(ii) लैकोलिथ-इसे छत्रक या कुंकुच्छेल भी कहा जाता है। यह यूनानी शब्द लेकोश से बना है जिसका अर्थ पानी का भण्डार होता है। यह मैग्मा निर्मित एक वृहद् आकार होता है जिसका रूप उत्तल ढाल के रूप में होता है। इसका आकार प्रायः धनुषाकार एवं आधार चपटा होता है। इसका निर्माण केवल परतदार चट्टानों में ही होता है।

(iii) फैकोलिथ-इसे मसूर शैल भी कहा जा सकता है। यह एक लम्बी लैंस के आकार की बड़ी शैल होती है। ज्वालामुखी उद्गार के समय निकले मैग्मा के मोड़दार पर्वतों की अपनति एवं अभिनतियों में जमने से इसका निर्माण होता है।

(iv) लोपोलिथ-इसे न्युडुब्ज शैल के नाम से भी जाना जाता है। यह मैग्मा का एक विस्तृत रूप है। जब धरातल के नीचे अवतल आकार वाली छिछली बेसिन का निर्माण होता है तो तश्तरीनुमा आकार का जो जमाव बनता है वही लोपोलिथ कहलाता है।

(v) सिल-इसे रालपट्ट भी कहा जाता है। मैग्मा के पृथ्वी के आन्तरिक भाग में पूर्व निर्मित चट्टानीय दरारों में सीधी पड़ी दशा में ठण्डे होकर जमने से इसका निर्माण होता है। सिल रूप मैग्मा की यह परत समानान्तर रूप से जमती है।

(vi) डाइक-इसे राल भित्ति के नाम से जाना जाता है। जब चट्टानों की दरारों में मैग्मा लम्बवत् रूप से जमता है तो उसे डाइक कहते हैं। डाइक कुछ सेमी से लेकर सैकड़ों मीटर तक फैली हुई मिल सकती हैं। डाइक प्रायः कठोर होती हैं।

(vii) शीट-जब चट्टानों की दरारों में मैग्मा का जमाव क्षैतिज रूप में लम्बे व पतले स्वरूप में होता है तो वह शीट कहलाती है। भूगर्भ के आन्तरिक भागों में मिलने वाली इन स्थालाकृतियों को निम्न चित्र की सहायता से दर्शाया गया है-
RBSE Solutions for Class 11 Physical Geography Chapter 6 शैलें 6

प्रश्न 2.
कायान्तरित चट्टानों के रूपान्तरण के प्रकारों को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
रूपान्तरण के प्रकारों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कायान्तरित चट्टानों के रूपान्तरण की प्रक्रिया मुख्यतः चार भागों में बांटी गयी है-

  1. तापीय रूपान्तरण,
  2. गतिक या क्षेत्रीय रूपान्तरण,
  3. जलीय रूपान्तरण,
  4. ताप जलीय रूपान्तरण।

1. तापीय रूपान्तरण – ज्वालामुखी क्रिया के समय जब शैलों का मैग्मा से सम्पर्क होता है, तब ज्वालामुखी नली के आसपास की शैलों में उच्चताप के कारण कायान्तरण होता है तो इसे तापीय रूपान्तरण कहते हैं। कभी-कभी मैग्मा के साथ जल भी मिला रहता है, जिस कारण शैल में रासायनिक परिवर्तन भी हो जाते हैं। इस तरह का रूपान्तरण सीमित क्षेत्र में होता है। अतः
इसका भौगोलिक महत्त्व बहुत कम है।

2. गतिक या क्षेत्रीय रूपान्तरण – इस प्रकार के रूपान्तरण की क्रिया एक विस्तृत क्षेत्र में घटित होती है। इनमें सम्पीडन व ताप दोनों का प्रभाव होता है। इस प्रकार का रूपान्तरण प्रायः मोड़दार पर्वतीय क्षेत्रों में होता है। इस तरह के रूपान्तरित शैल रवेदार हो जाती हैं। यदि मौलिक शैल पहले से ही रवेदार होती हैं तो उसमें रवों का पुनः निर्माण नये ढंग से होता है।

3. जलीय रूपान्तरण – ऐसे रूपान्तरणों में जल के साथ रासायनिक पदार्थों के मिलने से घोल के रूप में शैल खनिज में परिवर्तन आ जाता है। अत्यधिक जल की गहराई से भी भार तथा दबाव बढ़ता जाता है। इस प्रक्रिया के कारण चट्टानों में रूपान्तरण होता है।

4. ताप जलीय रूपान्तरण – जब शैलों के ऊपर गर्म जल होता है तब दबाव व जलवाष्प से शैलों में इस प्रकार का रूपान्तरण होता है। इस तरह के रूपान्तरण का भौगोलिक दृष्टि से महत्त्व नहीं होता है।

रूपान्तरण के इन प्रारूपों को निम्न चित्र की सहायता से दर्शाया गया है-
RBSE Solutions for Class 11 Physical Geography Chapter 6 शैलें 7

All Chapter RBSE Solutions For Class 11 Geography Hindi Medium

All Subject RBSE Solutions For Class 11 Hindi Medium

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