RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 2 अर्थशास्त्र की प्रकृति व क्षेत्र

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Rajasthan Board RBSE Class 11 Economics Chapter 2 अर्थशास्त्र की प्रकृति व क्षेत्र

RBSE Class 11 Economics Chapter 2 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर  

RBSE Class 11 Economics Chapter 2 बहुचयनात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
आदर्शात्मक विज्ञान का सम्बन्ध है
(अ) क्या है से
(ब) क्या होना चाहिए से
(स) कहाँ है से
(द) कहाँ था से
उत्तर:
(ब) क्या होना चाहिए से

प्रश्न 2.
वास्तविक विज्ञान का सम्बन्ध निम्नलिखित में से किससे है?
(अ) क्या है।
(ब) कहाँ था
(स) कहाँ है
(द) क्या होना चाहिए।
उत्तर:
(अ) क्या है।

प्रश्न 3.
क्या होना चाहिए, विषय वस्तु है
(अ) वास्तविक विज्ञान की
(ब) आदर्श विज्ञान की
(स) कला की
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) आदर्श विज्ञान की

RBSE Class 11 Economics Chapter 2 बहुचयनात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अर्थशास्त्र की विषय सामग्री को कितने भागों में विभाजित किया जाता है?
उत्तर:
अर्थशास्त्र की विषय सामग्री को पाँच भागों में विभाजित किया जाता है।

प्रश्न 2.
उपभोग क्रिया क्या है?
उत्तर:
उपभोग वह आर्थिक क्रिया है जिसका सम्बन्ध व्यक्तिगत तथा सामूहिक आवश्यकताओं से प्रत्यक्ष सन्तुष्टि के लिए वस्तुओं और सेवाओं की उपयोगिता के उपभोग से है।

प्रश्न 3.
उत्पादन क्रिया क्या है?
उत्तर:
उत्पादन का सम्बन्ध वस्तुओं एवं सेवाओं की उपयोगिता या मूल्य वृद्धि करने से है।

प्रश्न 4.
वितरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
वितरण से आशय उत्पादन के साधनों के बीच आय वितरण से है।

प्रश्न 5.
विनिमय क्या है?
उत्तर:
विनिमय क्रिया का सम्बन्ध किसी वस्तु या साधन के क्रय-विक्रय से अथवा अदला-बदली से है।

प्रश्न 6.
वास्तविक विज्ञान किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह विज्ञान जो कारणों एवं परिणामों के बीच सम्बन्ध बताता है लेकिन अच्छाई या बुराई के बारे में कुछ नहीं कहता उसे वास्तविक विज्ञान कहते हैं।

प्रश्न 7.
आदर्शात्मक विज्ञान क्या हैं?
उत्तर:
आदर्शात्मक विज्ञान नीति सम्बन्धी तथ्यों का विवेचन करता है किसी दी हुई परिस्थिति में क्या करना चाहिए यह बतलाता है।

प्रश्न 8.
कला किसे कहते हैं?
उत्तर:
ज्ञान की वह शाखा जो निश्चित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए एक सर्वश्रेष्ठ तरीका बताती है उसे कला कहते हैं।

प्रश्न 9.
आदर्शात्मक विज्ञान के रूप में अर्थशास्त्र किन प्रश्नों को हल करता है?
उत्तर:
आदर्शात्मक विज्ञान के रूप में अर्थशास्त्र क्या होना चाहिए? तथा किसी दी हुई परिस्थिति में क्या करना चाहिए? प्रश्नों को हल करता है।

RBSE Class 11 Economics Chapter 2 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अर्थशास्त्र की विषय सामग्री के अंगों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अर्थशास्त्र की विषय सामग्री के पाँच अंग हैं जो निम्नलिखित है

  • उपभोग (Consumption) :
    उपभोग वह आर्थिक क्रिया है जिसका सम्बन्ध व्यक्तिगत तथा सामूहिक आवश्यकता से प्रत्यक्ष सन्तुष्टि के लिए वस्तुओं एवं सेवाओं की उपयोगिता के उपभोग से है।
  • उत्पादन (Production) :
    उत्पादन का सम्बन्ध वस्तुओं एवं सेवाओं की उपयोगिता या मूल्य वृद्धि करने से है।
  • विनिमय (Exchange) :
    विनिमय क्रिया का सम्बन्ध किसी वस्तु या साधन के क्रय-विक्रय से है उत्पादित वस्तुओं के उपभोग तथा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए विनिमय की आवश्यकता होती है।
  • वितरण (Distribution) :
    विभिन्न साधनों के सामूहिक प्रयासों का परिणाम उत्पादन है। अत: उत्पादन में से उत्पत्ति के प्रत्येक साधन के पारिश्रमिक का निर्धारण करना अति आवश्यक है, जो साधनों के बीच आय वितरण से सम्बन्धित है।
  • राजस्व (Public Einance) :
    अर्थशास्त्र के इस विभाग के अन्तर्गत सार्वजनिक आय, सार्वजनिक व्यय । सार्वजनिक ऋण, घाटे की वित्त व्यवस्था, प्रशुल्क नीति आदि का अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 2.
अर्थशास्त्र की सीमाएँ बताइए।
उत्तर:
अर्थशास्त्र की निम्नलिखित सीमाएँ हैं

  1. अर्थशास्त्र सामाजिक विज्ञान है। इसमें केवल मानवीय क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। अर्थशास्त्र में पशु-पक्षियों एवं अन्य जीव-जन्तुओं की क्रियाओं का अध्ययन नहीं किया जाता है।
  2. अर्थशास्त्र के अन्तर्गत असामान्य एवं असामाजिक मनुष्यों की क्रियाओं का अध्ययन नहीं किया जाता है।
  3. अर्थशास्त्र के अन्तर्गत केवल आर्थिक क्रियायों का ही अध्ययन किया जाता है। अर्थात इसमें केवल उन्ही क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है जिन्हें मुद्रा में मापा जा सकता है।
  4. अर्थशास्त्र व्यावहारिक समस्याओं को हल करने में सहायक तो है लेकिन यह उनके सन्दर्भ में कोई निश्चित निर्णय नहीं देता है।

प्रश्न 3.
“अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान है” इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वास्तविक विज्ञान के रूप में अर्थशास्त्र कारणों एवं परिणामों के बीच सम्बन्ध बताता है। यह इस बात की व्याख्या करता हैं कि यह क्या होता है? क्यों होता है और कैसे होता है। यह आर्थिक कार्यों की अच्छाई या बुराई, सही या गलत के सम्बन्ध में कुछ भी नहीं कह सकता। यह विवेक पर आधारित है।

प्रश्न 4.
“क्या अर्थशास्त्र विज्ञान है।” इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विज्ञान ज्ञान का वह क्रमबद्ध और सम्पूर्ण अध्ययन है जो कारण और परिणाम के सम्बन्ध की व्याख्या करता है। आर्थिक सिद्धान्तों एवं नियमों के निर्माण के लिए अर्थशास्त्र वैज्ञानिक नीति का प्रयोग करता है। सामान्य नियमों का निर्माण करके अर्थशास्त्र एक सही एवं उचित मात्रा में आर्थिक घटनाओं की व्याख्या करने की शक्ति भी रखता है। अत: यह एक विज्ञान भी है।

प्रश्न 5.
“किसी कार्य को सर्वोत्तम ढंग से करने की क्रिया कला है।” इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
किसी भी लक्ष्य की पूर्ति के लिए कुशलता के साथ कार्य करना ही कला है। यह हमें व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करती है। यह समस्या का मात्र विश्लेषण ही नहीं करती अपितु समाधान भी करती है यह निश्चित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए एक सर्वश्रेष्ठ तरीका बताती है।

RBSE Class 11 Economics Chapter 2 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अर्थशास्त्र विज्ञान है अथवा कला या दोनों। व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
अर्थशास्त्र विज्ञान के रूप में :
विज्ञान ज्ञान का वह क्रमबद्ध और सम्पूर्ण अध्ययन है जो कारण और प्रभाव के सम्बन्ध की व्याख्या करता है। विज्ञान किसी भी घटना का वस्तुगत विश्लेषण करता है, उसका क्रमबद्ध अध्ययन करता है और इस विश्लेषण तथा अध्ययन के आधार पर किसी भी तथ्य का पूर्वानुमान कर भविष्यवाणी करता है। इसी प्रकार आर्थिक घटनाओं के कारण और परिणाम के सम्बन्ध को ज्ञात करने के लिए तथा आर्थिक सिद्धान्तों एवं नियमों के निर्माण के लिए अर्थशास्त्र वैज्ञानिक रीति का प्रयोग करता है। व्यक्तियों अथवा समूहों के व्यवहार के सम्बन्ध में अवलोकन किया जाता है। अर्थात् अर्थशास्त्र में वैज्ञानिक रीति का प्रयोग होता है।

सामान्य नियमों का निर्माण करके अर्थशास्त्र एक सही एवं उचित मात्रा में आर्थिक घटनाओं की व्याख्या करने की शक्ति भी रखता है। क्योंकि अर्थशास्त्र में व्याख्या करने की शक्ति है इसलिए इसमें आर्थिक घटनाओं की भविष्यवाणी करने की शक्ति भी होती है। इसके अतिरिक्त अर्थशास्त्र धन से सम्बन्धित क्रियाओं का क्रमबद्ध अध्ययन किया जाता है, नियमों की क्षमता की जाँच की जाती हैं तथा कारक व परिणाम के मध्य सम्बन्ध स्थापित किया जाता है अतः अर्थशास्त्र विज्ञान है।

अर्थशास्त्र कला के रूप में :
सामान्य अर्थ में किसी लक्ष्य की पूर्ति को कार्य कुशलता के साथ करना ही कला है। कला हमें व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करती हैं। यह समस्या को उचित विश्लेषण ही नहीं करती अपितु समाधान भी करती है। जो समस्याएँ विशुद्ध रूप से आर्थिक प्रकृति की होती है उन पर अन्तिम निर्णय अर्थशास्त्री ही ले सकता है। अर्थशास्त्र का उद्देश्य है कि वह व्यक्ति अथवा समाज के कल्याण को अधिकतम करे। एक निश्चित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अर्थशास्त्री या सरकार द्वारा अपनायी गयी नीतियों को कला कहा जाता है। आर्थिक नियमों तथा सिद्धान्तों का व्यावहारिक प्रयोग ही अर्थशास्त्र को कला बनाता है।

वर्तमान में व्यावहारिक अर्थशास्त्र का महत्त्व निरन्तर बढ़ता जा रहा है। अर्थशास्त्री अपना अधिकतर समय जीवन की वास्तविक समस्याओं; जैसे-कीमत वृद्धि, बेरोजगारी, आर्थिक विकास, मुद्रा स्फीति आदि से सम्बन्धित समस्याओं को सुलझाने में ही लगा रहता है अतएव अर्थशास्त्र को कला मानना उचित है। यदि कला के रूप में अर्थशास्त्र का अध्ययन किया जाता है तो इससे आर्थिक सिद्धान्तों की जाँच करने में भी सहायता मिलेगी तथा सिद्धान्त के सही या गलत होने का भी पता लगाया जा सकता है।

अर्थशास्त्र विज्ञान एवं कला दोनों :
ऊपर किये गए विवेचन से स्पष्ट है कि अर्थशास्त्र विज्ञान के साथ-साथ कला भी है। विज्ञान के रूप में अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान ही नहीं अपितु आदर्श विज्ञान भी है। अर्थशास्त्र विषय के सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक दोनों पक्षों का अध्ययन करता है। सैद्धान्तिक पक्ष इसके वैज्ञानिक स्वरूप से सम्बन्धित हैं जबकि व्यावहारिक पक्ष कला से सम्बन्धित है। सैद्धान्तिक अर्थशास्त्र विज्ञान है व्यावहारिक अर्थशास्त्र कला है। एक अर्थशास्त्री के भी वैज्ञानिक की भांति दो रूप हो सकते हैं एक वैज्ञानिक के रूप में तथा एक अच्छे नागरिक के रूप में सभी नागरिकों की भाँति अर्थशास्त्री को भी यह अधिकार प्राप्त है कि वह राष्ट्र के महत्त्व के विषयों में भाग ले, बहस करे तथा राय के लिए तकनीकी सलाहकार के रूप में कार्य करे। सारांश के रूप में विज्ञान को कला की आवश्यकता है तथा कला को विज्ञान की आवश्यकता है। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।

प्रश्न 2.
अर्थशास्त्र की प्रकृति एवं क्षेत्र की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
वर्तमान में मानव जीवन की आर्थिक क्रियाओं में निरन्तर परिवर्तन होने और अर्थशास्त्र की परस्पर विरोधी परिभाषाओं के कारण अर्थशास्त्रियों में अर्थशास्त्र की प्रकृति एवं क्षेत्र के बारे में अनेक मतभेद पाये जाते हैं। प्रो. कीन्स ने अर्थशास्त्र के क्षेत्र में तीन तत्त्वों का समावेश किया है

  1. अर्थशास्त्र की विषय सामग्री
  2. अर्थशास्त्र की प्रकृति
  3. अर्थशास्त्र का अन्य विज्ञानों से सम्बन्ध।

अर्थशास्त्र की विषय सामग्री को पांच भागों में विभाजित किया गया है :

  1. उपभोग
  2. उत्पादन
  3. विनिमय
  4. वितरण
  5. राजस्व

अर्थशास्त्र की प्रकृति या स्वभाव :
अर्थशास्त्र की प्रकृति या स्वभाव में निम्नलिखित प्रश्नों का अन्तर निहित है :

(1) अर्थशास्त्र की प्रकृति विज्ञान के रूप में :
विज्ञान ज्ञान का वह क्रमबद्ध और सम्पूर्ण अध्ययन है जो कारण और परिणाम के बीच सम्बन्ध की व्याख्या करता है। विज्ञान किसी भी घटना का विश्लेषण करता है। उसका क्रमबद्ध अध्ययन करता है और इस विश्लेषण तथा अध्ययन पर किसी भी तथ्य को पूर्वानुमान कर भविष्यवाणी करता है। इसी प्रकार अर्थशास्त्र में भी आर्थिक घटनाओं के कारण और परिणाम के सम्बन्ध को ज्ञात करने के लिए तथा आर्थिक सिद्धान्तों एवं नियमों के निर्माण के लिए वैज्ञानिक रीति का प्रयोग किया जाता है। विज्ञान की तरह अर्थशास्त्र भी सामान्य नियमों का निर्माण करके एक सही एवं उचित मात्रा में आर्थिक घटनाओं की व्याख्या करता है तथा भविष्याणी करने की शक्ति भी रखता है। अत: अर्थशास्त्र इन सब गुणों के आधार पर विज्ञान है।

(2) अर्थशास्त्र की प्रकृति आदर्शात्मक विज्ञान है या वास्तविक विज्ञान है :
अर्थशास्त्र यदि विज्ञान है तो वह केवल वास्तविक विज्ञान है या आदर्शात्मक विज्ञान भी है। वास्तविक विज्ञान के रूप में अर्थशास्त्र कारणों एवं परिणामों के बीच सम्बन्ध को बताता है। यह इस बात की व्याख्या करता है कि वह क्या होता है? क्यों होता है? और कैसे होता है? यह आर्थिक कार्यों की अच्छाई या बुराई सही या गलत के सम्बन्ध में कुछ भी नहीं कह सकता यह विवेक पर आधारित है। आदर्शात्मक विज्ञान नीति सम्बन्धी तथ्यों का विवेचन करता है। अर्थात् क्या होना चाहिए। किसी दी हुई परिस्थिति में क्या करना चाहिए। आदर्शात्मक विज्ञान के रूप में अर्थशास्त्र आर्थिक घटनाओं एवं कार्यों की अच्छाई तथा बुराई पर प्रकाश डालता है उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि अर्थशास्त्र एक वास्तविक तथा आदर्शात्मक विज्ञान है।

(3) अर्थशास्त्र कला के रूप में :
किसी लक्ष्य की पूर्ति कार्यकुशलता के साथ करना ही कला है। कला हमें व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करती है। यह समस्या का केवल विश्लेषण ही नहीं अपितु समाधान भी करती है जो समस्याएँ विशुद्ध रूप से आर्थिक प्रकृति की होती हैं उन पर अन्तिम निर्णय अर्थशास्त्र ही ले सकता है। अर्थशास्त्री का एक मुख्य उद्देश्य यह है कि वह व्यक्ति तथा समाज के कल्याण को अधिकतम करे। एक निश्चित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अर्थशास्त्र या सरकार द्वारा अपनायी गई नीतियों को कला कहा जाएगा। यदि कला के रूप में अर्थशास्त्र का अध्ययन किया जाता है तो इससे आर्थिक सिद्धान्तों की जाँच करने में भी सहायता मिलेगी तथा सिद्धान्तों के सही या गलत होने का पता भी लगाया जा सकता है जिससे नये सिद्धान्त का प्रतिपादन सम्भव है।

(4) अर्थशास्त्र कला व विज्ञान दोनों :
अर्थशास्त्र विज्ञान के साथ-साथ कला भी है। विज्ञान के रूप में अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान ही नहीं अपितु आदर्श विज्ञान भी है। अर्थशास्त्र विषय के सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक दोनों पक्षों का अध्ययन करता है। सैद्धान्तिक पक्ष इसके वैज्ञानिक स्वरूप से सम्बन्धित है जबकि व्यावहारिक पक्ष कला से सम्बन्धित हैं। सैद्धान्तिक अर्थशास्त्र विज्ञान है तथा व्यावहारिक अर्थशास्त्र कला है। एक अर्थशास्त्री के भी वैज्ञानिक की भांति दो रूप हो सकते हैं। एक वैज्ञानिक के रूप में तथा एक अच्छे नागरिक के रूप में। अतः अर्थशास्त्र विज्ञान के साथ-साथ कला भी है।

प्रश्न 3.
विज्ञान का अर्थ क्या है? क्या अर्थशास्त्र एक विज्ञान है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
विज्ञान का अर्थ :
विज्ञान ज्ञान का वह क्रमबद्ध और सम्पूर्ण अध्ययन है जो कारण और परिणाम के सम्बन्ध की व्याख्या करता है। विज्ञान किसी भी घटना का वस्तुगत विश्लेषण करता है, उसका क्रमबद्ध अध्ययन करता है और इस विश्लेषण तथा अध्ययन के आधार पर किसी भी तथ्य का पूर्वानुमान कर भविष्यवाणी करता है। निम्नलिखित तक के आधार पर कहा जा सकता है कि अर्थशास्त्र विज्ञान है :

  • वैज्ञानिक रीति का प्रयोग :
    आर्थिक घटनाओं के कारण और परिणाम के सम्बन्ध को ज्ञात करने के लिए तथा आर्थिक सिद्धान्तों एवं नियमों के निर्माण के लिए अर्थशास्त्र वैज्ञानिक रीति का प्रयोग करता है। इसमें व्यक्तियों अथवा समूहों के व्यवहार के सम्बन्ध में अवलोकन किया जाता है परिकल्पनाएँ बनायी जाती हैं, परिकल्पनाओं की जाँच की जाती है। तंदुपरान्त आर्थिक नियम की रचना की जाती है अर्थात् अर्थशास्त्र में वैज्ञानिक रीति का प्रयोग होता है।
  • व्याख्या करने की शक्ति :
    सामान्य नियमों का निर्माण करके अर्थशास्त्र एक सही एवं उचित मात्रा में आर्थिक घटनाओं की व्याख्या करने की शक्ति भी रखता है।
  • भविष्यवाणी करना:
    क्योंकि अर्थशास्त्र में व्याख्या करने की शक्ति है इसलिए अर्थशास्त्र में आर्थिक घटनाओं की भविष्यवाणी करने की शक्ति भी होती है। वर्तमान में गणितात्मक एंव साख्यिकीय रीतियों और आधुनिक कम्प्यूटरों के प्रयोग तथा अर्थ-नीति के अत्यधिक विकास से अर्थशास्त्र विषय की भविष्यवाणी करने की शक्ति बढ़ गई है।
  • क्रमबद्ध अध्ययन :
    अर्थशास्त्र में केवल एक ही विषय अर्थात् धन से सम्बन्धित परस्पर निर्भर क्रियाओं जैसे-उपभोग, उत्पादन, विनिमय, वितरण, राजस्व आदि का क्रमबद्ध अध्ययन किया जाता है।
  • नियमों की सत्यता :
    प्रत्येक विज्ञान के नियमों की सत्यता की जाँच होती है। अर्थशास्त्र के नियम भी मानवीय प्रकृति पर आधारित हैं जो संसार के सभी देशों के निवासियों पर समान रूप से लागू होते हैं।
  • कारण-परिणाम का सम्बन्ध :
    अर्थशास्त्र के कई नियम ऐसे हैं जो कि कारण व परिणामों को स्पष्ट करते हैं। इस आधार पर अर्थशास्त्र विज्ञान है।

प्रश्न 4.
अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान है या आदर्शात्मक विज्ञान या दोनों? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान है-प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों में प्रो. जे.बी.से, सीनियर तथा आधुनिक अर्थशास्त्रियों में प्रो. राबिन्स ने अर्थशास्त्र को वास्तविक विज्ञान माना है। रॉबिन्स के अनुसार “अर्थशास्त्र जाँचने योग्य तथ्यों का अध्ययन करता है जबकि नीतिशास्त्र मूल्यांकन तथा खोज के तथ्यों का अध्ययन करता है।

  1. अर्थशास्त्र में वास्तविक दृष्टिकोण क्रमबद्ध, तर्कपूर्ण तथा ठीक आर्थिक निष्कर्ष प्रदान कर सकता है। क्योंकि कारण परिणाम सम्बन्ध का आधार तर्क ही है।।
  2. वास्तविक दृष्टिकोण वास्तविक मान्यताओं और वैज्ञानिक विश्लेषण के आधार पर मजबूत आर्थिक सिद्धान्त बना सकता है।
  3. अर्थशास्त्र में केवल आर्थिक क्रियाओं की वास्तविकता को अध्ययन किया जाए तो इससे अर्थशास्त्रियों में मतभेद कम होगा, उनमें अधिक सहमति बनेगी और अर्थशास्त्र की प्रकृति भी तेज होगी।
  4. प्रो. रॉबिन्स ने लिखा है कि साधनों की कमी को देखते हुए मनुष्य को अपनी श्रेष्ठ कार्यकुशलता के अनुसार कार्य करना चाहिए। वही कार्य उसे करना चाहिए जिसमें वह विशिष्टता रखता हो यदि मानव सभी कार्यों को करने लगेगा तो उसका समय तथा धन दोनों का अपव्यय होगा। अतः अर्थशास्त्री को कारण तथा परिणाम तक ही सीमित रहना चाहिए।

अर्थशास्त्र आदर्शात्मक विज्ञान है :
फेजर, हेन्डरसन एंड क्वान्ट आदि अर्थशास्त्री अर्थशास्त्र को आदर्शात्मक विज्ञान मानते हैं, इस सम्बन्ध में निम्नलिखित तर्क दिये गए हैं

  • मानव भावुक एवं तार्किक दोनों :
    मनुष्य तार्किक होने के साथ-साथ भावुक भी होता है अतएव मानव व्यवहारों के दोनों दृष्टिकोणों का अध्ययन आवश्यक होता है अर्थात् अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान के साथ आदर्शात्मक विज्ञान भी है।
  • अधिक उपयोग :
    अर्थशास्त्र वास्तव में सामाजिक कल्याण का वाहक है। अतएव एक आदर्शात्मक विज्ञान के रूप में इसका उपयोग अधिक महत्त्वपूर्ण होगा। अर्थशास्त्री को आर्थिक क्रियाओं के साथ-साथ यह भी विचार करना चाहिए कि उसे अधिक उपयोगी एवं प्रभावशाली कैसे बनाये।
  • श्रम विभाजन को गलत तर्क :
    यह तर्क सही नहीं है कि अर्थशास्त्री किसी विषय का अध्ययन करे, कारण-परिणाम के सम्बन्ध की व्याख्या करे और समाधान खोजने की जिम्मेदारी नीतिशास्त्रियों या राजनेताओं को दे दी जाए।
  • अधिक यथार्थवादी होना :
    अर्थशास्त्र के स्वरूप में निरन्तर परिवर्तन होता जा रहा है। आज अर्थशास्त्र कल्याणकारी अर्थशास्त्र के रूप में तेजी से विकसित हो रहा है। आर्थिक नियोजन तथा सामाजिक सुरक्षा जैसे विषय अर्थशास्त्र के महत्त्वपूर्ण विषय बन गए हैं। ऐसी स्थिति में अर्थशास्त्र के आदर्शात्मक पहलू की अवहेलना नहीं की जा सकती है।
  • समाज के उत्थान में सहायक :
    अर्थशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान भी है अतः वह समाज के उत्थान के लिए कार्य करता है तो उसके आदर्शात्मक पहलू को बुलाया नहीं जा सकता है।

उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि अर्थशास्त्र एक वास्तविक तथा आदर्शात्मक दोनों प्रकार का विज्ञान है। इसे एक विशुद्ध . एवं यथार्थवादी अर्थशास्त्र मान सकते हैं परन्तु व्यापारिक उपभोग के साधन के रूप में कुछ आदर्शात्मक नियमों को भी रखना चाहिए ताकि इससे चारित्रिक महत्ता भी बनी रहती है।

RBSE Class 11 Economics Chapter 2 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 11 Economics Chapter 2 बहुचयनात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री हैं
(अ) एडम स्मिथ
(ब) जे. बी. से
(स) सीनियर
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी

प्रश्न 2.
कल्याणकारी अर्थशास्त्री है
(अ) मार्शल
(ब) पीगू
(स) जे. एस. मिल
(द) अ एवं बे दोनों
उत्तर:
(द) अ एवं बे दोनों

प्रश्न 3.
अर्थशास्त्र की विषय सामग्री को कितने भागों में बाँटा गया है
(अ) एक
(ब) दो।
(स) चार
(द) पाँच
उत्तर:
(द) पाँच

प्रश्न 4.
वह आर्थिक क्रिया जिसका सम्बन्ध व्यक्तिगत तथा सामूहिक आवश्यकता से प्रत्यक्ष सन्तुष्टि के लिए वस्तुओं एवं सेवाओं की उपयोगिता से है, वह है
(अ) उपयोग
(ब) उपयोगिता
(स) वितरण
(द) विनिमय
उत्तर:
(अ) उपयोग

प्रश्न 5.
वह क्रिया जिसका सम्बन्ध किसी वस्तु के या साधन के क्रय-विक्रय से है, कहलाता है
(अ) उपयोगिता
(ब) उत्पादन
(स) विनियम
(द) वितरण
उत्तर:
(द) वितरण

प्रश्न 6.
ज्ञान के क्रमबद्ध और सम्पूर्ण अध्ययन को कहते हैं
(अ) कला
(ब) विज्ञान
(स) सामाजिक विज्ञान
(द) कोई नहीं
उत्तर:
(ब) विज्ञान

प्रश्न 7.
कारण-परिणाम का सम्बन्ध बताता है
(अ) विज्ञान
(ब) कला
(स) सामाजिक विज्ञान
(द) कोई नहीं
उत्तर:
(अ) विज्ञान

प्रश्न 8.
सार्वजनिक आय, सार्वजनिक व्यय, सार्वजनिक ऋण, घाटे की वित्त व्यवस्था, प्रशुल्क नीति आदि का किसके अन्तर्गत अध्ययन किया जाता है?
(अ) वितरण
(ब) विनिमय
(ब) विनिमय
(स) राजस्व
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(स) राजस्व

प्रश्न 9.
जो समस्याएँ विशुद्ध रूप से आर्थिक प्रकृति की हैं उन पर अन्तिम निर्णय कौन ले सकता है?
(अ) वैज्ञानिक
(ब) समाजशास्त्री
(स) अर्थशास्त्री
(द) दर्शनशास्त्री
उत्तर:
(स) अर्थशास्त्री

प्रश्न 10.
एक निश्चित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अर्थशास्त्री या सरकार द्वारा अपनायी गई नीतियों को कहा गया
(अ) विज्ञान
(ब) कला
(स) दोनों
(द) कोई नहीं
उत्तर:
(ब) कला

RBSE Class 11 Economics Chapter 2 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अर्थशास्त्र का आदि व अंन्त किसे कहा जाता है?
उत्तर:
अर्थशास्त्र का आदि व अन्त उपभोग को कहा जाता है।

प्रश्न 2.
उत्पादन के मुख्य साधन कौन से हैं?
उत्तर:
उत्पादन के मुख्य साधन भूमि, श्रम, पूँजी, संगठन व उद्यमी या साहसं हैं।

प्रश्न 3.
अर्थशास्त्र की विषय सामग्री व्यापक कैसे बन गई है?
उत्तर:
आर्थिक क्रियाओं के निरन्तर विभाजन ने अर्थशास्त्र की विषय सामग्री को व्यापक बना दिया है।

प्रश्न 4.
अर्थशास्त्र की विषय सामग्री के पाँच भाग कौन से है?
उत्तर:

  1. उपभोग
  2. उत्पादन
  3. विनिमय
  4. वितरण
  5. राजस्व।

प्रश्न 5.
विनिमय की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर:
उत्पादित वस्तुओं के उपभोग तथा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए विनिमय की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 6.
मार्शल ने भौतिक कल्याण से सम्बन्धित किन क्रियाओं को अर्थशास्त्र की विषय वस्तु माना?
उत्तर:
मार्शल ने भौतिक कल्याण से सम्बन्धित आर्थिक क्रियाओं को अर्थशास्त्र की विषय वस्तु माना है।।

प्रश्न 7.
एडम स्मिथ की धन आधारित परिभाषा में अर्थशास्त्र का सम्बन्ध किससे है?
उत्तर:
एडम स्मिथ की धन आधारित परिभाषा में अर्थशास्त्र का सम्बन्ध धन कमाने और इकट्ठा करने से है।

प्रश्न 8.
उत्पादन, विनिमय, वितरण आदि सभी क्रियाएँ किसके लिए की जाती है?
उत्तर:
उत्पादन, विनिमय, वितरण आदि सभी आर्थिक क्रियाएँ उपभोग के लिए की जाती हैं।

प्रश्न 9.
किस क्रिया का सम्बन्ध किसी वस्तु या साधन के क्रय-विक्रय से है?
उत्तर:
विनिमय क्रिया का सम्बन्ध किसी वस्तु या साधन के क्रय-विक्रय से है।

प्रश्न 10.
कीमत निर्धारण का सिद्धान्त किस पर आधारित है।
उत्तर:
कीमत निर्धारण का सिद्धान्त मुद्रा पर ही आधारित है।

प्रश्न 11.
विभिन्न साधनों के सामूहिक प्रयासों का परिणाम क्या है?
उत्तर:
विभिन्न साधनों के सामूहिक प्रयासों का परिणाम उत्पादन है।

प्रश्न 12.
वर्तमान में राज्य का सर्वोपरि हित क्या हो गया है?
उत्तर:
वर्तमान में राज्य का सर्वोपरि हित जनता का आर्थिक कल्याण करना हो गया है।

प्रश्न 13
राजस्व (Public finance) के अन्तर्गत किसका अध्ययन किया जाता है?
उत्तर:
अर्थशास्त्र के इस विभाग के अन्तर्गत सार्वजनिक आय, सार्वजनिक व्यय, सार्वजनिक ऋण, घाटे की वित्त व्यवस्था आदि का अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 14.
विज्ञान की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
विज्ञान ज्ञान का वह क्रमबद्ध और सम्पूर्ण अध्ययन है जो कारण और प्रभाव के सम्बन्ध की व्याख्या करता है।

प्रश्न 15.
किन अर्थशास्त्रियों ने अर्थशास्त्र को वास्तविक विज्ञान माना है?
उत्तर:
प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों में जे. बी. से, सीनियर तथा आधुनिक अर्थशास्त्रियों में प्रो. रॉबिन्स ने अर्थशास्त्र को वास्तविक विज्ञान माना है।

प्रश्न 16.
किन अर्थशास्त्रियों ने अर्थशास्त्र को आदर्शात्मक विज्ञान माना है?
उत्तर:
फ्रेजर, हेन्डरसन एंड क्वान्ट ने

प्रश्न 17.
कला शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर:
ज्ञान की वह शाखा जो निश्चित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए एक सर्वश्रेष्ठ तरीका बताती है, उसे कला कहते है।

प्रश्न 18.
जो समस्याएँ विशुद्ध रूप से आर्थिक प्रकृति की होती हैं। उन पर अन्तिम निर्णय कौन ले सकता है?
उत्तर:
जो समस्याएँ विशुद्ध रूप से आर्थिक प्रकृति की होती हैं उन पर बेहतर अन्तिम निर्णय अर्थशास्त्री ले सकता है।

प्रश्न 19.
विनिमय दर, बैंक दर आदि समस्याओं के सम्बन्ध में कौन निर्णय लेता है?
उत्तर:
विनियम दर, बैंक दर आदि समस्याओं के सम्बन्ध में अर्थशास्त्री निर्णय लेता है।

प्रश्न 20.
अर्थशास्त्र का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
अर्थशास्त्र का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति अथवा समाज के कल्याण को अधिकतम करना है।

प्रश्न 21.
विश्व के अधिकांश देश आर्थिक समस्याओं का निराकरण किस प्रकार कर रहे हैं?
उत्तर:
विश्व के अधिकांश देश आर्थिक समस्याओं का निराकरण आर्थिक विकास की प्रक्रिया अपनाकर कर रहे हैं।

प्रश्न 22.
अर्थशास्त्र का सैद्धान्तिक पक्ष किससे सम्बन्धित है?
उत्तर:
अर्थशास्त्र का सैद्धान्तिक पक्ष वैज्ञानिक स्वरूप से सम्बन्धित है।

प्रश्न 23.
क्या अर्थशास्त्र में पशु-पक्षियों एवं अन्य जीव-जन्तुओं का अध्ययन किया जाता है?
उत्तर:
नहीं। केवल मानवीय क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 24.
अर्थशास्त्र में कौन सी क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है?
उत्तर:
अर्थशास्त्र में केवल आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 25.
रॉबिन्स ने अर्थशास्त्र को कैसा विज्ञान माना है?
उत्तर:
‘रॉबिन्स ने अर्थशास्त्र को मानवीय विज्ञान माना

प्रश्न 26.
वितरण के अन्तर्गत क्या ज्ञात किया जाता
उत्तर:
वितरण के अन्तर्गत यह ज्ञात किया जाता है कि राष्ट्रीय आय क्या है? इसकी गणना कैसे की जाए?

प्रश्न 27.
वितरण से क्या सुनिश्चित किया जाता है?
उत्तर:
वितरण से यह सुनिश्चित किया जाता है कि राष्ट्रीय आय का न्यायोचित वितरण हो रहा है या नहीं।

प्रश्न 28.
क्या अर्थशास्त्र विज्ञान है?
उत्तर:
हाँ। अर्थशास्त्र से भी ज्ञान का क्रमबद्ध और सम्पूर्ण अध्ययन किया जाता है जो कारण और परिणाम के बीच सम्बन्ध बताता है।

प्रश्न 29.
अर्थशास्त्र में भविष्यवाणी करने की शक्ति है, कैसे?
उत्तर:
अर्थशास्त्र में व्याख्या करने की शक्ति है। इसलिए अर्थशास्त्र में आर्थिक घटनाओं की भविष्यवाणी करने की शक्ति भी होती है।

प्रश्न 30.
अर्थशास्त्र में दिये गए आँकड़े सरल एवं विश्वसनीय नहीं होते हैं, क्यों?
उत्तर:
अर्थशास्त्र में दिये गए आँकड़े सरल एवं विश्वसनीय नहीं होते हैं क्योंकि इनमें परिवर्तन होता रहता है।

प्रश्न 31.
नीति सम्बन्धी तथ्यों का विवेचन कौन-सा विज्ञान करता है?
उत्तर:
आदर्शात्मक विज्ञान नीति सम्बन्धी तथ्यों की विवेचना करता है।

प्रश्न 32.
साधनों की कमी को देखते हुए मनुष्य को अपनी श्रेष्ठ कार्य कुशलता के अनुसार कार्य करना चाहिए। किसने कहा है?
उत्तर:
यह तथ्य रॉबिन्स ने कहा है।

प्रश्न 33.
आदर्शात्मक विज्ञान के रूप में अर्थशास्त्र किस पर प्रकाश डालता है?
उत्तर:
आदर्शात्मक विज्ञान के रूप में अर्थशास्त्र आर्थिक घटनाओं एवं कार्यों की अच्छाई एवं बुराई पर प्रकाश डालता है।

प्रश्न 34.
अर्थशास्त्र को कला न मानने के पक्ष में एक तर्क दीजिए।
उत्तर:
अर्थशास्त्र का स्वरूप विशुद्ध विज्ञान जैसा है। अतएव इस सम्बन्ध को बनाये रखने के लिए इसे कला मानना ठीक नहीं है।

प्रश्न 35.
अर्थशास्त्र को कला मानने के पक्ष में एक तर्क दीजिए।
उत्तर:
यदि कला के रूप में अर्थशास्त्र का अध्ययन किया जाता है तो इससे आर्थिक सिद्धान्तों की जाँच करने में भी सहायता मिलेगी तथा सिद्धान्त के सही या गलत होने का पता भी लगाया जा सकता है।

प्रश्न 36.
एक अर्थशास्त्री के वैज्ञानिक की भाँति दो रूप कौन से हैं? बताइए।
उत्तर:
एक वैज्ञानिक के रूप में तथा एक अच्छे नागरिक के रूप में।

प्रश्न 37.
अर्थशास्त्र की कोई एक सीमा लिखो।
उत्तर:
अर्थशास्त्र सामाजिक विज्ञान है। इसमें केवल मानवीय क्रियाओं को ही अध्ययन किया जाता है। अर्थशास्त्र में पशु-पक्षियों एवं अन्य जीव-जन्तुओं का अध्ययन नहीं किया जाता है।

RBSE Class 11 Economics Chapter 2 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अर्थशास्त्र की प्रकृति तथा क्षेत्र के बारे में मतभेद क्यों पाया जाता है?
उत्तर:
वर्तमान में मानव जीवन की आर्थिक क्रिया में निरन्तर परिवर्तन होने और अर्थशास्त्र की परस्पर विरोधी परिभाषाओं के कारण अर्थशास्त्रियों में अर्थशास्त्र की प्रकृति तथा क्षेत्र के बारे में अनेक मतभेद पाये जाते हैं। अतः अर्थशास्त्र के क्षेत्र को निश्चित करना कठिन हो गया हो।

प्रश्न 2.
प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों के मत को समझाइए।
उत्तर:
प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों में एडम स्मिथ, जे. बी. से, सीनियर, जे. एस. मिल आदि अर्थशास्त्री आते हैं। एडम स्मिथ की अर्थशास्त्र की धन पर आधारित परिभाषा में अर्थशास्त्र का सम्बन्ध धन कमाने और इकट्ठा करने से हैं। इस विचारधारा के अनुसार धन क्या है? इसका उपयोग कैसे किया जाता है? इसका वितरण कैसे किया जाता है? आदि सभी बातों का अध्ययन अर्थशास्त्र में किया जाता है।

प्रश्न 3.
उपभोग स्पष्ट करें।
उत्तर:
उपभोग वह आर्थिक क्रिया है जिसका सम्बन्ध व्यक्तिगत तथा सामूहिक आवश्यकताओं से प्रत्यक्ष सन्तुष्टि के लिए वस्तुओं एवं सेवाओं की उपयोगिता के उपभोग से है। उपभोग को अर्थशास्त्र का आदि व अन्त दोनों कहा जाता है। क्योंकि उत्पादन, विनिमय, वितरण आदि सभी आर्थिक क्रियाएँ उपभोग के लिए ही की जाती हैं।

प्रश्न 4.
विनियम क्रिया स्पष्ट करें।
उत्तर:
विनिमय क्रिया को सम्बन्ध किसी वस्तु के या साधन के क्रय-विक्रय से है। उत्पादित वस्तुओं के उपभोग तथा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए विनिमय की आवश्यकता होती है। वस्तु विनियम प्रणाली में दोषों के कारण मुद्रा के आविष्कार ने विनिमय का कार्य सरल बना दिया।

प्रश्न 5.
अर्थशास्त्र के वैज्ञानिक पक्ष के चार तर्क दीजिए।
उत्तर:

  • वैज्ञानिक रीति का प्रयोग :
    आर्थिक क्रियाओं के कारण और परिणाम के सम्बन्ध को ज्ञात करने के लिए तथा आर्थिक सिद्धान्तों एवं नियमों के निर्माण के लिए अर्थशास्त्र भी वैज्ञानिक रीति का प्रयोग करता है।
  • व्याख्या करने की शक्ति :
    सामान्य नियमों का निर्माण करके अर्थशास्त्र एक सही एवं उचित मात्रा में आर्थिक घटनाओं की व्याख्या करने की शक्ति भी रखता है।
  • क्रमबद्ध अध्ययन :
    अर्थशास्त्र में केवल एक ही विषय अर्थात् धन से सम्बन्धित परस्पर निर्भर क्रियाओं; जैसे उपभोग, उत्पादन, विनिमय, वितरण आदि का क्रमबद्ध अध्ययन किया जाता है।
  • नियमों की सत्यता :
    प्रत्येक विज्ञान में नियमों की जाँच होती है। अर्थशास्त्र के नियम भी मानवीय प्रकृति पर आधारित हैं जो संसार के सभी देशों के निवासियों पर समान रूप से लागू होते हैं।

प्रश्न 6.
अर्थशास्त्र के कारण-परिणाम सम्बन्ध क्या हैं?
उत्तर:
अर्थशास्त्र के कई नियम जैसे-उपयोगिता ह्वास नियम, सम सीमांत उपयोगिता नियम मांग का नियम आदि ऐसे हैं। जो कि कारण-परिणाम को स्पष्ट करते हैं। इस आधार पर अर्थशास्त्र विज्ञान है।.

प्रश्न 7.
प्राकृतिक विज्ञानों की भांति अर्थशास्त्र वस्तुपरक नहीं हो सकता है, क्यों?
उत्तर:
प्राकृतिक विज्ञानों की भांति अर्थशास्त्र वस्तुपरक नहीं हो सकता है क्योंकि अर्थशास्त्र की विषयवस्तु विज्ञान है। अर्थशास्त्र मनुष्यों से जुड़ी आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन करता है, न कि निर्जीव वस्तुओं का। अर्थशास्त्री भी एक मनुष्य है। अतएव इसके दृष्टिकोण तथा मत उसके विश्लेषणों और खोजों को प्रभावित करते हैं। इसलिए अर्थशास्त्र वस्तुपरक विज्ञान नहीं हो सकता।

प्रश्न 8.
अर्थशास्त्र में निश्चित भविष्यवाणियाँ सम्भव नहीं हैं। क्यों?
उत्तर:
अर्थशास्त्र में मानव व्यवहार का अध्ययन किया जाता है, जितने उतार-चढ़ाव मनुष्य के व्यवहार में आते हैं। उतने अन्यत्र नहीं आते हैं। अनिश्चित व्यवहार की स्थिति में निश्चित भविष्यवाणियाँ सम्भव नहीं होतीं। अर्थशास्त्री का विषय सामग्री पर कोई नियन्त्रण नहीं होता है।

प्रश्न 9.
वास्तविक विज्ञान के रूप में अर्थशास्त्र स्पष्ट करें।
उत्तर:
वास्तविक विज्ञान के रूप में अर्थशास्त्र कारणों एवं परिणामों के बीच सम्बन्ध को बताता है। यह इस बात की व्याख्या करता है कि यह क्या होता है? क्यों होता है? और कैसे होता है? यह आर्थिक कार्यों की अच्छाई एवं बुराई, सही या गलत के सम्बन्ध में कुछ भी नहीं कह सकता, यह विवेक पर आधारित है।

प्रश्न 10.
आदर्शात्मक विज्ञान के रूप में अर्थशास्त्र को समझाइए।
उत्तर:
आदर्शात्मक विज्ञान नीति सम्बन्धी तथ्यों का विवेचन करता है अर्थात् क्या होना चाहिए। किसी दी हुई परिस्थिति में क्या करना चाहिए। आदर्शात्मक विज्ञान के रूप में अर्थशास्त्र आर्थिक घटनाओं एवं कार्यों की अच्छाई एवं बुराई पर प्रकाश डालता है।

प्रश्न 11.
अर्थशास्त्र को कला न मानने के पक्ष में दो तर्क दीजिए।
उत्तर:
अर्थशास्त्र को कला न मानने के पक्ष में तर्क

  1. कला किसी विषय की व्यावहारिक जानकारी देती है। सिद्धान्त निर्माण का कार्य विज्ञान करता है जबकि सिद्धान्तों का प्रयोग कला द्वारा किया जाता है। अतएव अर्थशास्त्र को यदि विज्ञान माना जाए तो यह कला नहीं हो सकता।
  2. अर्थशास्त्र का स्वरूप विशुद्ध विज्ञान जैसा है अतएव इसे स्वरूप को बनाए रखने के लिए इसे कला मानना ठीक नहीं है। अत: अर्थशास्त्री को तो एक विशेषज्ञ के रूप में ही कार्य करना चाहिए।

प्रश्न 12.
अर्थशास्त्र को कला मानने के पक्ष में दो तर्क दीजिए।
उत्तर:
अर्थशास्त्र को कला मानने के पक्ष में तर्क :

  1. जो समस्याएँ विशुद्ध रूप से आर्थिक प्रकृति की होती हैं। उन पर अन्तिम निर्णय अर्थशास्त्री ही ले सकता है। उदाहरण के तौर पर विनिमय दर, बैंक दर आदि समस्याएँ अर्थशास्त्र से ही सम्बन्धित हैं अत: समाधान भी अर्थशास्त्री ही दे सकता है।
  2. अर्थशास्त्र का मुख्य उद्देश्य है कि यह व्यक्ति या समाज के कल्याण को अधिकतम करें। एक निश्चित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अर्थशास्त्री या सरकार द्वारा अपनायी गई नीतियों को कला कहा जाता है।

प्रश्न 13.
अर्थशास्त्र कला एवं विज्ञान दोनों है। कैसे?
उत्तर:
अर्थशास्त्र कला के साथ-साथ विज्ञान भी है। विज्ञान के रूप में अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान ही नहीं अपितु आदर्श विज्ञान भी है। अर्थशास्त्र विषय के सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक दोनों पक्षों का अध्ययन करता है। सैद्धान्तिक पक्ष इसके वैज्ञानिक स्वरूप से सम्बन्धित है जबकि व्यावहारिक पक्ष कला से सम्बन्धित है। सैद्धान्तिक अर्थशास्त्र विज्ञान है तथा व्यावहारिक अर्थशास्त्र कला।

एक अर्थशास्त्री के भी वैज्ञानिक की भाँति दो रूप हो सकते हैं। एक वैज्ञानिक के रूप में तथा दूसरा एक अच्छे नागरिक के रूप में। अतः विज्ञान की कला की आवश्यकता है तथा कला को विज्ञान की आवश्यकता है। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।।

प्रश्न 14.
अर्थशास्त्र की दो सीमाएँ लिखिए।
उत्तर:

  1. अर्थशास्त्र के अन्तर्गत असामान्य एवं असामाजिक मनुष्यों की क्रियाओं का अध्ययन नहीं किया जाता है। प्रो.राबिन्स अर्थशास्त्र को सामाजिक विज्ञान नहीं मानव विज्ञान मानते हैं।
  2. अर्थशास्त्र के अन्तर्गत केवल आर्थिक क्रियाओं को ही अध्ययन किया जाता है। अर्थशास्त्र को अर्थशास्त्री विज्ञान एवं कला दोनों रूपों में स्वीकार करते हैं। विज्ञान में केवल वास्तविक विज्ञान ही नहीं अपितु आदर्शात्मक विज्ञान भी मानते हैं। अर्थशास्त्र की दो शाखा हैं जो विशुद्ध अर्थशास्त्र तथा व्यावहारिक अर्थशास्त्र को विज्ञान एवं कला के रूप में मानते हैं।

प्रश्न 15.
अर्थशास्त्र के आदर्शात्मक विज्ञान होने के सम्बन्ध में तक की व्याख्या करो।
उत्तर:
अर्थशास्त्र के आदर्शात्मक विज्ञान होने के सम्बन्ध में तर्क–अर्थशास्त्री फ्रेजर, हेन्डरसन एवं क्वान्ट आदि अर्थशास्त्र को आदर्शात्मक विज्ञान मानते हैं। इस सम्बन्ध में निम्न तर्क दिये जा सकते हैं :

  • मानव भावुक एवं तार्किक दोनों :
    मनुष्य तार्किक होने के साथ भावुक भी होता है। अतएव मानव व्यवहार के दोनों दृष्टिकोण का अध्ययन आवश्यक होता है अर्थात् अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान के साथ आदर्शात्मक
  • अधिक उपयोगी :
    अर्थशास्त्र वास्तव में सामाजिक कल्याण का वाहक है। अतएव एक आदर्शात्मक विज्ञान के रूप में इसका उपयोग अधिक महत्त्वपूर्ण होगा। अर्थशास्त्र की आर्थिक क्रियाओं के अध्ययन के साथ-साथ यह भी विचार करना चाहिए कि इसे अधिक उपयोगी एवं प्रभावशाली कैसे बनाया गया है।
  • श्रम विभाजन का गलत तर्क :
    यह तर्क सही नहीं है कि अर्थशास्त्री किसी विषय का अध्ययन करे, कारण-परिणाम के सम्बन्ध की व्याख्या करें, और समाधान खोजने की जिम्मेदारी नीति शास्त्रियों या राजनेताओं को दे दी जाए। इससे वास्तविक विश्लेषण नीरस तथा प्रेरणा रहित हो जाएगा तथा श्रम एवं शक्ति की बचत नहीं होगी।
  • अधिक यथार्थवादी होना :
    अर्थशास्त्र के स्वरूप में निरन्तर परिवर्तन होता जा रहा है। आज अर्थशास्त्र कल्याणकारी अर्थशास्त्र के रूप में तेजी से विकसित हो रहा है। आर्थिक नियोजन तथा सामाजिक सुरक्षा जैसे विषय अर्थशास्त्र : के महत्त्वपूर्ण विषय बन गये हैं। ऐसे स्थिति में आदर्शात्मक पहलू को अवहेलना नहीं की जा सकती है।

प्रश्न 16.
अर्थशास्त्र के वास्तविक विज्ञान होने के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर:
अर्थशास्त्र के वास्तविक विज्ञान होने के पक्ष में तर्क-प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों में प्रो. जे. बी. से, सीनियर तथा आधुनिक अर्थशास्त्रियों में प्रो. राबिन्स ने अर्थशास्त्र को वास्तविक विज्ञान माना है :

  1. अर्थशास्त्र में वास्तविक दृष्टिकोण क्रमबद्ध, तर्कपूर्ण तथा ठीक आर्थिक निष्कर्ष प्रदान कर सकते हैं क्योंकि कारण–परिणाम के सम्बन्ध का आधार तर्क ही है।
  2. वास्तविक दृष्टिकोण वास्तविक मान्यताओं और वैज्ञानिक विश्लेषण के आधार पर मजबूत आर्थिक सिद्धान्त बना सकता है।
  3. अर्थशास्त्र में यदि केवल आर्थिक क्रियाओं की वास्तविकता का अध्ययन किया जाएगा तो इससे अर्थशास्त्रियों में मतभेद कम होगा, उनमें अधिक सहमति बनेगी और अर्थशास्त्र की प्रकृति भी तेज होगी।
  4. प्रो. राबिन्स ने लिखा है कि साधनों की कमी को देखते हुए मनुष्य को अपनी श्रेष्ठ कार्यकुशलता के अनुसार कार्य करना चाहिए। वही कार्य उसे करना चाहिए जिसमें वह विशिष्टता रखता हो। यदि मानव सीपी कार्यों को करने लगेगा तो उसका समय तथा धन दोनों का अपव्यय होगा। अतः अर्थशास्त्रियों को कारण तथा परिणाम तक सीमित रहना चाहिए। क्या करना चाहिए, क्या नहीं इस पर अर्थशास्त्रियों को ध्यान नहीं देना चाहिए।

प्रश्न 17.
अर्थशास्त्र की विषय सामग्री के सम्बन्ध में रॉबिन्स के विचार बताइए।
उत्तर:
रॉबिन्स की दुर्लभता पर आधारित परिभाषा ने अर्थशास्त्र के क्षेत्र को और विस्तारित कर दिया है। राबिन्स ने अर्थशास्त्र को मानवीय विज्ञान मानते हुए असीमित आवश्यकताओं तथा सीमित साधनों के मध्य आर्थिक चुनाव के पहलू को अर्थशास्त्रियों की विषय सामग्री माना है।

प्रश्न 18.
अर्थशास्त्र की विषय सामग्री के रूप में राजस्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
राजस्व (Public Finance) : अर्थशास्त्र के इस विभाग के अन्तगर्त सार्वजनिक आय सार्वजनिक व्यय, सार्वजनिक ऋण, घाटे के वित्त व्यवस्था, प्रशुल्क नीति आदि का अध्ययन किया जाता है। समय के साथ-साथ अर्थशास्त्र की विषय सामग्री का विस्तार हो रहा है।।

प्रश्न 19.
अर्थशास्त्र के विज्ञान ही के पक्ष में दो तर्क दीजिए।
उत्तर :

  • वैज्ञानिक रीति का प्रयोग :
    आर्थिक घटनाओं के कारण और परिभाषा के सम्बन्ध को ज्ञात करने के लिए तथा आर्थिक सिद्धान्तों एवं नियमों के निर्माण के लिए अर्थशास्त्र वैज्ञानिक रीति का प्रयोग करता है।
  • क्रमबद्ध अध्ययन :
    अर्थशास्त्र में केवल एक ही विषय अर्थात धन से सम्बन्धित परस्पर निर्भर कियाओं जैसे उपयोग, उत्पादन, विनिमय वितरण आदि का क्रमबद्ध अध्ययन किया जाता है। अतः अर्थशास्त्र भी एक विज्ञान है।

प्रश्न 20.
अर्थशास्त्र के विज्ञान होने के विपक्ष में दो तर्क दीजिए।
उत्तर:

  • एकरूपता का अभाव :
    किसी विशेष व घटना के रूप में अर्थशास्त्र में एकरूपता नहीं पायी जाती है । अर्थात किसी एक घटना का विश्लेषण अलग-अलग माध्यम के द्वारा करने से परिणाम अलग-अलग आ सकते हैं क्योंकि अर्थशास्त्री एक ही घटना का अध्ययन विभिन्न माध्यमों से करते हैं।
  • मत-विभेद :
    यह भी कहा जाता है कि एक ही विषय पर अर्थशास्त्रियों में बहुत अधिक मत-विभेद पाये जाते हैं। अतः विद्वानों के अनुसार अर्थशास्त्र को विज्ञान नहीं माना जा सकता है।

RBSE Class 11 Economics Chapter 2 निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
क्या अर्थशास्त्र विज्ञान है? इसके पक्ष तथा विपक्ष में तर्क दें।
उत्तर:
विज्ञान-विज्ञान ज्ञान का वह क्रमबद्ध और सम्पूर्ण अध्ययन है जो कारण और परिणाम के सम्बन्ध की व्याख्या करता है। विज्ञान किसी भी घटना को वस्तुगत विश्लेषण करता है। उसका क्रमबद्ध अध्ययन करता है और इस विश्लेषण तथा अध्ययन के आधार पर किसी भी तथ्य को पूर्वानुमान कर भविष्यवाणी करता है।

अर्थशास्त्र विज्ञान है के पक्ष में तर्क-निम्न तर्कों के आधार पर कहा जा सकता है कि अर्थशास्त्र विज्ञान है :

  • वैज्ञानिक रीति का प्रयोग :
    आर्थिक घटनाओं के कारण और परिणाम के सम्बन्ध को ज्ञात करने के लिए तथा आर्थिक सिद्धान्तों एवं नियमों के निर्माण के लिए अर्थशास्त्र वैज्ञानिक रीति का प्रयोग करता है। व्यक्तियों अथवा समूहों के व्यवहार के सम्बन्ध में अवलोकन किया जाता है। परिकल्पनाएँ बनाई जाती हैं, परिकल्पनाओं की जाँच की जाती है। तदुपरान्त आर्थिक नियम की रचना की जाती है, अर्थात् अर्थशास्त्र में वैज्ञानिक रीति का प्रयोग होता है।
  • व्याख्या करने की शक्ति :
    सामान्य नियमों का निर्माण करके अर्थशास्त्र एक सही एवं उचित मात्रा में आर्थिक घटनाओं की व्याख्या करने की शक्ति भी रखता है।
  • भविष्यवाणी करना :
    क्योंकि अर्थशास्त्र में व्याख्या करने की शक्ति है। इसलिए अर्थशास्त्र में आर्थिक क्रियाओं की भविष्यवाणी करने की शक्ति भी होती है। वर्तमान में गणितात्मक एवं सांख्यिकीय रीतियों और आधुनिक कम्प्यूटरों के. प्रयोग तथा अर्थ-नीति के अत्यधिक विकास से अर्थशास्त्र विषय की भविष्यवाणी करने की शक्ति और बढ़ गई है।
  • क्रमबद्ध अध्ययन :
    अर्थशास्त्र में केवल एक ही विषय अर्थात् धन से सम्बन्धित परस्पर निर्भर क्रियाओं; जैसे उपभोग, उत्पादन, विनिमय, वितरण आदि का क्रमबद्ध अध्ययन किया जाता है।
  • नियमों की सत्यता :
    प्रत्येक विज्ञान में नियमों की सत्यता की जाँच होती है। अर्थशास्त्र के नियम भी मानवीय प्रकृति पर आधारित हैं जो संसार के सभी देशों के निवासियों पर समान रूप से लागू होते हैं।
  • कारण-परिणाम का सम्बन्ध-अर्थशास्त्र के कई नियम (जैसे :
    उपयोगिता ह्रास नियम, सम सीमांत उपयोगिता नियम, माँग का नियम आदि) ऐसे हैं जो कि कारण–परिणामों को स्पष्ट करते हैं। इस आधार पर अर्थशास्त्र विज्ञान है।

अर्थशास्त्र के विज्ञान होने के विपक्ष में तर्क :

  • एकरूपता का अभाव :
    किसी विशेष घटना के सम्बन्ध में अर्थशास्त्र में एकरूपता नहीं पायी जाती अर्थात् किसी घटना का विश्लेषण किसी एक माध्यम के द्वारा नहीं किया जाता। दी गई घटना का अध्ययन विभिन्न अर्थशास्त्री विभिन्न माध्यमों से करते हैं।
  • मत-विभेद :
    यह भी कहा जाता है कि अर्थशास्त्रियों में बहुत मत-विभेद पाये जाते हैं। मत-विभेद की स्थिति में विद्वान अर्थशास्त्र को विज्ञान की श्रेणी में नहीं मानते।
  • वस्तुपरक नहीं :
    प्राकृतिक विज्ञानों की भाँति अर्थशास्त्र वस्तुपरक नहीं हो सकता क्योंकि अर्थशास्त्र की विषयवस्तु मनुष्य है। अर्थशास्त्र मनुष्यों से जुड़ी आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन करता है न कि निर्जीव वस्तुओं का। अर्थशास्त्री भी एक मनुष्य है अतएव उसके दृष्टिकोण तथा मत, विश्लेषण और खोजों को प्रभावित करते हैं। अतएव अर्थशास्त्र वस्तुपरक विज्ञान नहीं हो सकता है।

प्रश्न 2.
अर्थशास्त्र की विषय सामग्री को कितने भागों में बांटा जा सकता है? उनका विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अर्थशास्त्र की विषय सामग्री के निम्नांकित पांच भागों में विभाजित किया जा सकता है :

  • उपभोग (Consumption) :
    उपभोग वह आर्थिक क्रिया है जिसका सम्बन्ध व्यक्तिगत तथा सामूहिक आवश्यकताओं से प्रत्यक्ष सन्तुष्टि के लिए वस्तुओं एवं सेवाओं की उपयोगिता के उपभोग से है। उपभोग को अर्थशास्त्र का आदि एवं अन्त दोनों कहा जाता है। क्योंकि उत्पादन, विनिमय, वितरण आदि सभी आर्थिक क्रियाएँ उपभोग के लिए ही की जाती है। अतः यह अर्थशास्त्र की महत्त्वपूर्ण विषय सामग्री है।।
  • उत्पादन (Production) :
    उत्पादन का सम्बन्ध वस्तुओं एवं सेवाओं की उपयोगिता या मूल्य में वृद्धि करने से है। उत्पादन के मुख्य साधन-भूमि, श्रम, पूंजी, संगठन व उद्यमी है। इन साधनों के प्रयोग द्वारा ही वस्तु एवं सेवाओं का उत्पादन किया जाता है।
  • विनिमय (Exchange) :
    विनिमय क्रिया का सम्बन्ध किसी वस्तु या साधन के क्रय-विक्रय अथवा अदला-बदली से है। उत्पादित वसतुओं कके उपभोग तथा आवश्कताओं की पूर्ति के लिए विनिमय की आवश्यकता होती है। वस्तु विनिमय प्रणाली में दोषों के कारण मुद्रा के आविष्कार ने विनिमय का कार्य सरल बना दिया है। अब सभी वस्तुओं एवं साधनों का क्रय-विक्रय मुद्रा में सरलतापूर्वक किया जा सकता है।
  • वितरण (Distribution) :
    विभिन्न साधनों के सामूहिक प्रयासों का परिणाम उत्पादन है। अतः उत्पादन में से उत्पत्ति के प्रत्येक साधन के पारिश्रमिक का निर्धारण करना अति आवश्यक है, जो साधनों के बीच आय वितरण से सम्बन्धित है। इसके अन्तर्गत यह ज्ञात किया जाता है कि राष्ट्रीय आये क्या है? इसकी गणना कैसे की जाय, ब्याज, लगान, मजदूरी, लाभ का निर्धारण किस प्रकार हो। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि राष्ट्रीय आय का न्यायोचित वितरण हो रहा है। अथवा नहीं। वर्तमान में राज्य का सर्वोपरि हित जनता का आर्थिक कल्याण करना हो गया है अतएव राज्य का हस्तक्षेप आर्थिक क्षेत्र में निरन्तर बढ़ता जा रहा है।
  • राजस्व (Public Finance) :
    अर्थशास्त्र के इस विभाग के अन्तर्गत सार्वजनिक आय, सार्वजनिक व्यय, सार्वजनिक ऋण, घाटे की वित्त व्यवस्था प्रशुल्क नीति आदि का अध्ययन किया जाता है। समय के साथ-साथ अर्थशास्त्र की
    विषय सामग्री में भी विस्तार होता जा रहा है।

प्रश्न 3.
अर्थशास्त्र के आदर्शात्मक विज्ञान तथा वास्तविक विज्ञान होने के सम्बन्ध में तर्को की व्याख्या करो।
उत्तर:
अर्थशास्त्र के आदर्शात्मक विज्ञान होने के सम्बन्ध में तर्क–अर्थशास्त्री फ्रेजर, हेन्डरसन एवं क्वान्ट आदि अर्थशास्त्री अर्थशास्त्र को आदर्शात्मक विज्ञान मानते हैं। इस सम्बन्ध में निम्नलिखित तर्क दिये जा सकते हैं :

  • मानव भावुक एवं तार्किक दोनों :
    मनुष्य तार्किक होने के साथ भावुक भी होता है। अतएव मानव व्यवहार के दोनों दृष्टिकोण का अध्ययन आवश्यक होता है अर्थात् अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान के साथ आदर्शात्मक विज्ञान भी है।
  • अधिक उपयोगी :
    अर्थशास्त्र वास्तव में सामाजिक कल्याण का वाहक है। अतएव एक आदर्शात्मक विज्ञान के रूप में इसका उपयोग अधिक महत्त्वपूर्ण होगा। अर्थशास्त्र की आर्थिक क्रियाओं के अध्ययन के साथ-साथ यह भी विचार करना चाहिए कि इसे अधिक उपयोगी, प्रभावशाली कैसे बनाया जाए।
  • श्रम विभाजन का गलत तर्क :
    यह तर्क सही नहीं है कि अर्थशास्त्री किसी विषय का अध्ययन करें, कारण–परिणाम के सम्बन्ध की व्याख्या करें, और समाधान खोजने की जिम्मेदारी नीति शास्त्रियों या राजनेताओं को दे दी
    जाये। इससे वास्तविक विश्लेषण नीरस तथा प्रेरणा रहित हो जाएगा तथा श्रम एवं शक्ति की बचत नहीं होगी।
  • अधिक यथार्थवादी होना :
    अर्थशास्त्र के स्वरूप में निरन्तर परिवर्तन होता जा रहा है। आज अर्थशास्त्र कल्याणकारी अर्थशास्त्र के रूप में तेजी से विकसित हो रहा है। आर्थिक नियोजन तथा सामाजिक सुरक्षा जैसे विषय अर्थशास्त्र के महत्त्वपूर्ण विषय बन गए हैं। ऐसी स्थिति में आदर्शात्मक पहलू की अवहेलना नहीं की जा सकती है। अधिक यथार्थवादी स्थिति तब कही जाएगी। जब अर्थशास्त्री आर्थिक विकास की गति तेज करने, अर्थव्यवस्था में रोजगार का स्तर बढ़ाने, अधिक स्थायित्व जैसे विषयों पर ठोस उपाय सुझावें।

अर्थशास्त्र के वास्तविक विज्ञान में होने के पक्ष में तर्क :
प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों में प्रो. जे. वी. से, सीनियर तथा आधुनिक अर्थशास्त्रियों में प्रो. राबिन्स ने अर्थशास्त्र को वास्तविक विज्ञान माना है :

  1. अर्थशास्त्र में वास्तविक दृष्टिकोण क्रमबद्ध, तर्कपूर्ण तथा ठीक आर्थिक निष्कर्ष प्रदान कर सकते हैं क्योंकि कारण-परिणाम का सम्बन्ध का आधार तर्क ही है।
  2. वास्तविक दृष्टिकोण वास्तविक मान्यताओं और वैज्ञानिक विश्लेषण के आधार पर मजबूत आर्थिक सिद्धान्त बन सकता है।
  3. अर्थशास्त्र में यदि केवल आर्थिक क्रियाओं की वास्तविकता का अध्ययन किया जाएगा तो इससे अर्थशास्त्रियों में मतभेद कम होगा, उनमें अधिक सहमति बनेगी और अर्थशास्त्र की प्रवृत्ति भी तेज होगी।
  4. प्रो. रोबिन्स ने लिखा है कि साधनों की कमी को देखते हुए मनुष्य को अपनी श्रेष्ठ कार्य-कुशलता के अनुसार कार्य करना चाहिए। वही कार्य उसे करना चाहिए जिसमें वह विशिष्टता रखता हो। यदि मानव सभी कार्यों को करने लगेगा तो उसके समय तथा धनं दोनों का अपव्यय होगा। अत: अर्थशास्त्रियों को कारण तथा परिणाम तक सीमित रहना चाहिए। क्या करना चाहिए, क्या नहीं, इस पर अर्थशास्त्रियों को ध्यान नहीं देना चाहिए।

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