RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 29 जन्तुओं का वर्गीकरण

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Rajasthan Board RBSE Class 11 Biology Chapter 29 जन्तुओं का वर्गीकरण

RBSE Class 11 Biology Chapter 29 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न

RBSE Class 11 Biology Chapter 29 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
जन्तु विज्ञान की वह शाखा जो वर्गीकरण एवं विकासीय संबंधों पर आधारित है।
(क) कार्यिकी
(ख) औतिकी
(ग) आकारिकी
(घ) वर्गिकी

प्रश्न 2.
जन्तु वर्गीकरण की सबसे छोटी मूल इकाई है।
(क) वंश
(ख) संघ
(ग) जाति
(घ) गण

प्रश्न 3.
‘त्रिपदनाम’ पद्धति में तीन पद क्रमशः किन समूहों के होते हैं।
(क) वंश, जाति व उपजाति
(ख) वंश, गण व वर्ग
(ग) वर्ग, वंश व जाति
(घ) गण, वंश व वर्ग

प्रश्न 4.
आधुनिक वर्गिकी का जनक है।
(क) डी. कोण्डेली
(ख) हुकर
(ग) हचिन्सन
(घ) लिनीयस

प्रश्न 5.
निम्न में से किसमें कम से कम समानता होती है।
(क) वर्ग
(ख) वंश
(ग) जाति
(घ) कुल

उत्तर तालिका
1. (घ)
2. (ग)
3. (क)
4. (घ)
5. (क)

RBSE Class 11 Biology Chapter 29 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कोशिकीय स्तर का संगठन कौनसे संघ में पाया जाता
उत्तर-
कोशिकीय स्तर का संगठन प्रोटोजोआ (Protozoa) संघ में पाया जाता है।

प्रश्न 2.
कॉडेटा प्राणियों में किस प्रकार की सममिति होती है?
उत्तर-
कॉर्डेटा प्राणियों में द्विपार्श्व सममिति पाई जाती है।

प्रश्न 3.
ऐसे प्राणी जिनमें कोरक रन्ध्र से गुदा का निर्माण होता है, वह क्या कहलाते हैं?
उत्तर-
ऐसे प्राणी जिनमें कोरक रन्ध्र से गुदा का निर्माण होता है, वे ड्यूटेरोस्टोमिया (Deuterostomia) कहलाते हैं।

प्रश्न 4.
जन्तुओं में वास्तविक देहगुहा कौनसे संघ से प्रारंभ होती है?
उत्तर-
जन्तुओं की वास्तविक देहगुहा संघ एनेलिडा (Annclida) से प्रारंभ होती है।

प्रश्न 5.
जीव विज्ञान का जनक कौन है?
उत्तर-
अरस्तु जीव विज्ञान के जनक हैं।

प्रश्न 6.
विज्ञान की वह शाखा कौनसी है, जिसमें प्राणियों का अध्ययन किया जाता है?
उत्तर-
विज्ञान की वह शाखा जिसमें प्राणियों का अध्ययन किया जाता है, उसे प्राणी विज्ञान (Zoology) कहते हैं।

प्रश्न 7.
द्विपदनाम पद्धति में दो पद क्रमश: किन समूहों को प्रकट करते हैं?
उत्तर-
प्रथम पद वंश एवं दूसरा पद जाति को प्रकट करते हैं।

प्रश्न 8.
भारतीय कौवे का वैज्ञानिक नाम लिखिए।
उत्तर-
भारतीय कौवे का वैज्ञानिक नाम कोर्वस स्प्लेन्डेन्स स्प्लेन्डेन्स है।

प्रश्न 9.
पंच जगत वर्गीकरण में स्तनधारियों को कौनसे वर्ग में रखा गया है?
उत्तर-
पंच जगत वर्गीकरण में स्तनधारियों को वर्ग एनीमैलिया में रखा गया है।

प्रश्न 10.
सजीवों की आकारिकी संरचना, कोशिकीय परिवर्धन विकास, जीवों के अवशेष एवं सजीवों में विविधता तथा उनमें अंतर्सम्बन्धों का अध्ययन किस विज्ञान में किया जाता है?
उत्तर-
सजीवों की आकारिकी संरचना, कोशिकीय परिवर्धन विकास, जीवो के अवशेष एवं सजीवों में विविधता तथा उनमें अन्तर्सम्बन्ध का अध्ययन वर्गिकी में किया जाता है।

प्रश्न 11.
त्रिस्तरीय जन्तुओं का ऐसा संघ जिसमें देहगुहा का अभाव होता है।
उत्तर-
त्रिस्तरीय जन्तुओं का ऐसा संघ जिसमें देहगुहा का अभाव होता है वह है, संघ प्लेटीहैल्मीन्थीज।।

प्रश्न 12.
जन्तुओं के शरीर में पायी जाने वाली तीन जनन स्तरों का नाम लिखिए।
उत्तर-

  • एक्टोडर्म
  • मीसोडर्म
  • एण्डोडर्म

RBSE Class 11 Biology Chapter 29 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जाति की आधुनिक परिभाषा लिखिए।
उत्तर-
वर्गीकरण में सबसे छोटी मूल इकाई जाति होती है। जॉन रे (John Ray) ने सबसे पहले जाति की परिभाषा दी। रे के अनुसार एक ही प्रकार के जनक से उत्पन्न जीव एक ही जाति के होते हैं। लीनियस (Linnaeus) व अन्य वैज्ञानिकों ने जातियों का निर्धारण केवल संरचना के आधार पर किया। मेयर (Mayr) के अनुसार लैंगिक प्रजनन या अंतरा-प्रजनन (interbreeding) द्वारा संतानोत्पत्ति करने वाले जीव जाति एक ही होती है। किसी जाति विशेष के सदस्यों में निम्न होते हैं

  • इनमें आकारिकी समानताएँ होती हैं।
  • ये आपस में जनन करके सन्तान उत्पन्न करते हैं एवं इनकी सन्तति में भी संतान उत्पन्न करने की क्षमता होती है।
  • ऐसे सभी जीवों की उत्पत्ति समान पूर्वजों से होती है।

प्रश्न 2.
वर्गीकरण विज्ञान को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
वर्गीकरण विज्ञान-सजीवों को उनकी समानता एवं भिन्नता के आधार पर विभिन्न समूहों एवं वर्गों में रखने की विधि को वर्गीकरण तथा जीव विज्ञान की इस शाखा को वर्गीकरण विज्ञान कहते हैं।

प्रश्न 3.
जीवों के द्विजगत वर्गीकरण को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
द्विजगत वर्गीकरण कैरोलस लिनियस ने प्रस्तुत किया । इन्होंने जीव जगत को दो मुख्य जगतों में विभाजित किया।
इन्हें (क) पादप जगत एवं (ख) जन्तु जगत कहते हैं।

  • पादप जगत – इसमें हरे पौधे तथा बहुकोशिकीय समुद्री घास, कवक रंगहीन एककोशिकीय जीव तथा जीवाणु रखे गए। इसमें हर पादपों द्वारा प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया की जाती है।
  • जन्तु जगत-इसमें जीवों द्वारा भोजन का निर्माण नहीं किया जाता है। इसमें बहुकोशिकीय जन्तु एवं एककोशिकीय प्रोटोजोआ जन्तु रखे गए।

प्रश्न 4.
जीवों के जगत प्रोटिस्टा के कोई दो विशेष लक्षण लिखिए।
उत्तर-
जगत प्रोटिस्टा के लक्षण

  • इस जगत के जीव स्वयंपोषी एवं विषमपोषी दो प्रकार के होते
  • इनकी कोशिका में केंद्रक, माइटोकोन्ड्रिया अंतप्रद्रव्यी जालिका, लवक व कशाभ आदि कोशिकांग उपस्थित होते हैं।

प्रश्न 5.
वर्गीकरण के पदानुक्रमों को उदाहरण के साथ व्यवस्थित क्रम में लिखिए।
उत्तर-
मानव के वर्गीकरण को निम्न पदानुक्रमित तरीके से लिखा
गया –
संघ – काटा
वर्ग – मैमेलिया
गण – प्राइमेट्स
कुल – होमोनिडी
वंश – होमो
जाति – सेपियन्स।

प्रश्न 6.
जीवों को जिन पंच जगतों में बांटा गया है, उनके नाम लिखिए।
उत्तर-
जीवों को निम्न पाँच जगतों में बाँटा गया है

  • जगत मोनेरा (Monera),
  • जगत प्रोटिस्टा (Protista),
  • जगत पादप या प्लान्टी (Plantae)
  • जगत कवक (Fungi),
  • जगत एनीमैलिया (Animalia)

प्रश्न 7.
कुटगुहा वाले एवं अगुहीय जन्तुओं में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-
कुटगुहा एवं अगुहीय जन्तुओं में अन्तर

कुटगुहा जन्तुअगुहीय जन्तु
1. इन जन्तुओं में मिथ्या देहगुहा पाई जाती है।इन जन्तुओं में देहगुहा (Coelom) नहीं पाई जाती है।
2. ये अंगुहिक या स्यूडोसीलोमेट (Pseudocoelomate) कहलाते हैं।ये कुटगुहिक या (सिलोमेट) (Acoelomate) कहलाते हैं।
3. उदाहरण-एस्कैल्मेन्थीज जैसे एस्केरिसउदाहरण-प्लेटीहैल्मिन्थीज, जैसे-फेसियोला व टेनिया आंग

प्रश्न 8.
देहगुहा के आधार पर वर्गीकृत संघों के नाम लिखिए।
उत्तर-
देहगुहा के आधार पर वर्गीकृत संघों के नाम निम्न हैं

  • प्लेटीहैल्मिन्थीस-इनमें सीलोम नहीं पाई जाती है। अतः एसीलामेट कहते हैं।
  • निमेटोफैल्मिन्थीस-इनमें कुटगुहा पाई जाती है। अतः ये कुटगुहिक या स्यूडोसिलोमेट कहलाते हैं।
  • एनेलिडा, आर्थोपोडा, मोलस्का, इकाइनोडर्मेटा एवं कॉर्डटा-इनमें देहगुहा मीसोडर्म के विपाटन से बनती है। अत: देहगुहा की उपस्थिति के कारण गुहिक या सीलोमेट कहलाते हैं।

RBSE Class 11 Biology Chapter 29 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
द्विपदनाम पद्धति से आप क्या समझते हैं? उदाहरण द्वारा स्पष्ट करें।
उत्तर-
द्विपदनाम पद्धति (Bionominal Nomenclature)-
सर्वप्रथम कैरोलस लिनियस (Carolus Linnaeus) ने जीवों का । वैज्ञानिक नामकरण करने के लिए द्विपद नाम (Bionomial nomenclature) पद्धति दी। इसके अन्तर्गत प्रथम पद वंश या जीनस (genus) तथा दूसरा पद उसकी जाति (Species) का होता है। द्विपद नाम पद्धति के अनुसार शेर, बाघ एवं तेन्दुआ को क्रमश: पेन्थरा लियो, पेन्थरा टाइग्रीस तथा पेन्थरा पारड्स कहते हैं।

साधारण नामजन्तु का वैज्ञानिक नामप्रथम नाम वंशदूसरा नाम जाति
1. मेढ़कराना टिग्रीना रानाटिग्रिना
2. हाथीएलीफास इण्डिकसएलीफासइण्डिकस

प्रश्न 2.
जीवों के नामकरण पद्धति हेतु अन्तर्राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा मान्य नियम बताइए।
उत्तर-
अन्तर्राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा मान्य प्रमुख नियम निम्न हैं

  • जातियों के नामकरण के लिए द्विपद या त्रिपद नाम की व्यवस्था होनी चाहिए।
  • प्रत्येक जाति के नाम में वंश का नाम बड़े अक्षर (Capital letter) से तथा जाति का छोटे अक्षर (Small letter) से शुरू किया जाना चाहिए।
  • ये वैज्ञानिक नाम सदैव तिरछे अक्षरों (italics) में प्रिन्ट होने चाहिए तथा हाथ से लिखी लिपी में लिखे नाम सदैव रेखांकित (underlined) होने चाहिए।
  • जन्तु जगत में दो वंशों के अन्तर्गत एक जाति तथा एक वंश के अन्तर्गत दो जातियों के नाम समान नहीं होने चाहिए।
  • वंश एवं जाति के नामकरण में ग्रीक या लेटिन भाषा का प्रयोग करना चाहिए तथा यदि इन भाषाओं का उपयोग नहीं किया गया है तो ऐसे शब्दों का अन्त लेटिन स्वरूप करना चाहिए।
  • यदि किसी वंश या जाति का नाम यदि भिन्न-भिन्न वैज्ञानिक भिन्न रख दें तो सर्वप्रथम प्रकाशित नाम ही मान्य होगा।
  • जन्तु के नाम के बाद उस जाति के खोजकर्ता अथवा प्रथम नामकर्ता वैज्ञानिक का नाम संक्षेप में लिखा जाना चाहिए। उदाहरण के लिए कुछ वैज्ञानिक नाम यहाँ दिए गए हैं
साधारण नाम वैज्ञानिक नाम
1. मनुष्य (Man)होमो सेपियन्स (Homo sapiens)
2. शेर (Tiger)पेन्थेरा टिग्रीस (Panthera tigris)
3. खरगोश (Rabbit)ऑरिक्टोलेगस कुनिकुलस (Oryctolagus cunniculus)
4. कुत्ता (Dog)केनिस फेमिलिएरिस (Canis familiars)
5. मोर (Peacock)पेवो क्रिस्टेटस (Pavo cristatus)
6. कोबरा (Cobra)नाजा नाजा (Naja naja)
7. मेढक (Frog)राना टिग्रीना (Rana tigrina)
8. चूहा (Rat)रेट्स रेट्स (Rattus rattus)
9. गाय (Cow)बोस इन्डीक (Bos indicus)
10. काले मुँह वाला लंगूर (Monkey)प्रेसबाईटस ऐन्टेलस (Presbytes entellus)
11. भूरे मुँह को बन्दर (Man)मकाका मुलाटा (Macaca mulatta)

प्रश्न 3.
नामांकित चित्र द्वारा देहगुहा निर्माण की प्रक्रिया को समझाइए।
उत्तर-
देहगुहा (सीलोम) (Coelom)-
सीलोम वह स्थान है, जो देह भित्ति (body wall) तथा आहारनाल (alimentary canal) के बीच स्थित होती है, जो द्रव से भरी होती है। इसमें सभी आन्तरिक अंग (visceral organs) स्थित होते हैं। सीलोम भ्रूणीय परिवर्धन के समय मीसोडर्म (Mesoderm) के विपाटन (splitting) से बनती है।
सीलोम के आधार पर जन्तुओं को तीन श्रेणियों में बांटा गया।

  • एसीलोमेट स (Acoelomates)-
    गैस्ट्र लेशन (gastrulation) के समय कुछ जन्तुओं में ब्लास्टोसील । सिकुड़कर समाप्त हो जाती है और एक्टोडर्म एवं एण्डोडर्म स्तर पास आ जाते हैं। इन दोनों स्तरों के बीच मीसोरलीया (Mesogloea) भर जाने के कारण शरीर में गुहा नहीं पाई जाती है। ऐसे जन्तुओं को अगुहीय अथवा । एसीलोमेटस (Acoelomates) जन्तु कहते हैं । उदाहरण-चपटे कृमि (प्लेटी है ल्मिन्थीज), जैसे फेशियोला, टीनिया आदि ।
  • कू टगुहिक (Pseudocoelmate)-
    वे जन्तु जिनमें देहगुहा मीसोडर्म (Mesodem) से आस्तरित नहीं होती है। ऐसे जन्तुओं को कूटगुहिक अथवा स्यूडोसीलोमेट प्राणी कहते हैं। अर्थात् इन जन्तुओं में मिथ्या देहगुहा या स्यूडोसीलोम पाई जाती है। उदाहरण-एस्कैल्मिन्थीज (Aschelminthes) जैसेएस्केरिस।
  • प्रगुही या सीलोमेट (Coelomate)-
    ऐसे जन्तु जिनमें देहगुहा मीसोडर्म से आस्तरित होती है। ऐसे प्राणियों को प्रगुही यां सीलोमेट (Coelomate) जन्तु कहते

RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 29 जन्तुओं का वर्गीकरण img-1
देहगुहा के परिवर्धन के आधार पर यह दो प्रकार की होती है-

(अ) शाइजोसीलोमेट्स (Schizocoelomates)-
इसमें आद्यान्त्र बनने के बाद एण्डोडर्म से दो कोशिकाएँ उभित होती हैं, जिन्हें टीलोब्लास्ट या 4d कोशिकाएँ कहते हैं। इसकी वृद्धि द्वारा पट्टिका का निर्माण होता है। यह पट्टिका भविष्य की मीसोडर्म का निर्माण करती है। इस पट्टी के विपाटन (splitting) से मध्य में एक गुहा का निर्माण होता है। इस गुहा को दीर्णगुहा या शाइजोसील (Schizocoel) कहते हैं। इस प्रकार के जन्तुओं को शाइजोसीलोमेट्स कहते हैं। उदाहरणएनेलिडा, आर्थोपोडा, मोलस्का।
RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 29 जन्तुओं का वर्गीकरण img-2
(ब) एन्टेरोसीलोमेट्स (Enterocoelomates)-
इसमें आद्यान्त्र से दो पाश्र्व कोष्ठ उभार के रूप में उद्गमित होते हैं। यह कोष्ठ भविष्य की मीसोडर्म का निर्माण करते हैं। कोष्ठ वृद्धि करने के बाद पृथक् होकर सीलोम का निर्माण करते हैं। इसे एन्टेरोसीलोम (Enterocoelom) कहते हैं। इस प्रकार के जन्तुओं को एन्टेरोसीलोमेट्स कहा जाता है। उदाहरण-इकाइनोडर्मेटा, हेमीकाऊँटा व काटा।

प्रश्न 4.
जन्तुओं के वर्गीकरण में सममिति किस प्रकार सहायक हैं, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
सममिति (Symmetry)-
जन्तुओं की बाह्य आकृति के आधार पर सममिति को तीन भागों में बांटा गया है।

  • असममिति (Symmetry)-
    कुछ जन्तुओं के शरीर की आकृति इस प्रकार की हो सकती है कि उसे किसी भी हिस्से से दो भागों में क्यों ना बांट लिया जाए उसके दोनों भाग एक-दूसरे से आकृति में समान नहीं होंगे। इस तरह के जन्तु असममित (Asymmetrical) कहलाते हैं और इस प्रकार की सममिति को असममिति कहते हैं।
    अमीबा व बहुत से स्पंज इस तरह की बनावट लिए हुए होते हैं।
  • अरीय सममिति (Radial symmetry)-
    कुछ जन्तुओं जैसे नाइडेरिया, टीनोफोरा व इकाइनोडर्मेटा में एक छाते (umbrella), घण्टी या तश्तरी की तरह अरीय सममिति (radial symmetry) मिलती है। अरीय सममित जन्तुओं में देह की एक सतह पर मुख मिलता है, जिसे मुखीय तल (oral surface) कहते हैं। इसका विपरीत तल अपमुखीय तल (aboral surface) कहलाता है।
    इन जन्तुओं को सिर्फ एक ही तल या दो अक्षों में केंद्र से गुजरने वाली कांटों से दो बराबर भागों में बांटा जा सकता है।
    RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 29 जन्तुओं का वर्गीकरण img-3
  • दिपावं सममिति (Bilateral symmetry)-
    कुछ अन्य जन्तुओं में ‘अधर व पृष्ठ तल तो पाए जाते हैं, साथ ही इनमें अग्र व पश्च सिरों का अंतर भी स्पष्ट होता है। ऐसे जीवों को सिर्फ एक ही तल या अक्ष से दो बराबर भागों में बांटा जा सकता है। ऐसी कीट जन्तु को दाएं व बाएं भाग में बांट देती है। ऐसी सममिति द्विपाश्र्व सममिति कहलाती है।
    हैल्मिन्थ, आर्थोपोड, मॉलस्का व काडेंट इस प्रकार की सममिति वाले जन्तु हैं।

प्रश्न 5.
जन्तुओं के वर्गीकरण के प्रमुख आधारों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर-
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