RBSE Solutions for Class 10 Physical Education Chapter 8 वर्तमान जीवन शैली का स्वास्थ्य पर प्रभाव

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Rajasthan Board RBSE Class 10 Physical Education Chapter 8 वर्तमान जीवन शैली का स्वास्थ्य पर प्रभाव

RBSE Class 10 Physical Education Chapter 8 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

RBSE Class 10 Physical Education Chapter 8 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जीवन शैली किसे कहते हैं ?
उत्तर:
मनुष्य के प्रतिदिन सुबह से लेकर शाम और शाम से लेकर सुबह तक के जीवन जीने के ढंग, कार्य करने के व्यवहार को हम जीवन-शैली कहते हैं।

प्रश्न 2.
परम्परागत जीवन शैली से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
वैदिक, पौराणिक या प्राकृतिक जीवन शैली को परम्परागत जीवन शैली कहते हैं।

प्रश्न 3.
फास्ट फूड एवं जंक फूड का स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
फास्ट फूड एवं जंक फूड का स्वास्थ्य पर बहुत गलत प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 4.
मादक पदार्थ मानव के स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव डालते हैं ?
उत्तर:
मादक पदार्थ मानव के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालते हैं। इनके उपयोग से कई प्रकार की मानसिक व शारीरिक विकृतियाँ आ जाती हैं, नपुंसकता एवं बांझपन की बीमारी भी बढ़ती है।

RBSE Class 10 Physical Education Chapter 8 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
वर्तमान जीवन शैली का स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है ? विस्तार से समझाइये।
उत्तर:
वर्तमान जीवन शैली को स्वास्थ्य पर प्रभाव – मनुष्य की वर्तमान जीवन शैली का उसके रहन-सहन,खान-पान बोलचाल, परिधान का प्रभाव उसके आध्यात्मिक जीवन, मानव मूल्यों, संस्कार, प्राकृतिक व्यवहार, नैतिक व्यवहार आदि पर पड़ता है। आधुनिक जीवनशैली का स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव है।

  1. वर्तमान जीवन शैली को बहुत अधिक तीव्र बना लिया है।
  2. मनुष्य ने अपनी कार्यक्षमताओं में बढ़ोतरी कर ली।
  3. विकास के क्षेत्र में नये आयाम स्थापित किये हैं।
  4. प्रत्येक क्षेत्र में नवीन तकनीकों का आविष्कार किया
  5. विज्ञान के क्षेत्र में अत्यधिक तरक्की की है।
  6. आर्थिक रूप से अपने आप को पहले से अधिक सम्पन्न बनाया है।
  7. विश्व की दूरियाँ कम कर ली हैं।

वर्तमान जीवन शैली का स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव जहाँ व्यक्ति के जीवन में वर्तमान जीवन शैली को अपनाने से अनेक फायदे हुए हैं, वहीं नुकसान भी अधिक हुए हैं जो निम्नलिखित हैं|

(1) फास्ट फूड व जंक फूड का स्वास्थ्य पर प्रभावफास्ट फूड व जंक फूड आज की दिनचर्या का महत्त्वपूर्ण अंग है। व्यक्ति डिब्बा बन्द व बाजार में मिलने वाले पैकेट बंद खाना बहुत पसन्द करता है जिसका स्वास्थ्य पर बहुत ही गलत प्रभाव पड़ता है। विभिन्न प्रकार के गुटके व खैनी का सेवन। बाजार में विभिन्न प्रकार के प्रचार-प्रसार से प्रभावित होकर युवा पीढ़ी में गुटके व सुपारी युक्त चबाने वाले कैमिकल्स (रसायन) युक्त गुटकों का प्रचलन बढ़ रहा है तथा इनका सेवन कर आदमी अपने आपको बहुत एडवांस दिखाने की कोशिश करता है। गुटके व विभिन्न प्रकार के तम्बाकू युक्त पदार्थों के सेवन से दाँतों के, गले के व मुँह के कैन्सर की सम्भावना बढ़ जाती है, जबड़े जाम हो जाते हैं मुँह से दुर्गन्ध आती है तथा दाँत जल्दी ही गिर जाते हैं आदि रोग हो जाते हैं।

(2) संचार क्रांति का स्वास्थ्य पर प्रभावे – आज मोबाइल एवं कम्प्यूटर बेशक वर्तमान जीवन शैली में व्यक्ति की रोजमर्रा की जिन्दगी के विभिन्न अंग बन गये हैं, लेकिन मोबाइल, कम्प्यूटर व अन्य इलेक्ट्रोनिक मशीनों से निकलने वाली किरणों का मानव शरीर एवं स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है। इसके अत्यधिक प्रयोग से आँखों की रोशनी जाने का खतरा रहता है, बहुत अधिक प्रयोग से कानों की बीमारी होने के खतरे रहते हैं तथा मोबाइल व कम्प्यूटर मशीनों के प्रयोग से कई प्रकार की मानसिक बीमारियों के होने का खतरा रहता है। व्यक्ति का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है, कई प्रकार की सूचनाएँ प्राप्त कर व्यक्ति का दिमाग आवश्यकता से अधिक सोचने का कार्य करता है। जिससे कई प्रकार की मानसिक बीमारियों का खतरा रहता है। हम विभिन्न प्रकार की किरणों के बीच हमेशा बने रहते हैं। जिससे हमारे शरीर में कई प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं।

(3) माँसाहार व स्वास्थ्य – वर्तमान जीवन शैली में घटते हुए सामाजिक मूल्यों, संस्कारों की वजह से व्यक्ति का खानपान बदलता जा रहा है, माँसाहार से शरीर को बहुत हानियाँ होती

(4) मादक पदार्थों का सेवन व स्वास्थ्य पर प्रभाव आज की युवा पीढ़ी अपने आप को स्फूर्तिवान व चुस्त-दुरुस्त तथा ताकतवर दिखाने के नाम पर कई प्रकार के ड्रग्स का सेवन करती है तथा ऐसा करके वो अपने आपको बहुत श्रेष्ठ आदमी दिखाने की कोशिश भी करते हैं। परिणाम स्वरूप उनकी लत लग जाने की वजह से व्यक्ति अपना जीवन समाप्त कर लेता है, जिन्दा भी रहता है तो अपने आप को एक जिन्दा लाश की तरह बना लेता है नशे की आदत से कई प्रकार की मानसिक व शारीरिक विकृतियाँ आ जाती हैं, नपुंसकता व बांझपन की बीमारी भी बढ़ती है।

(5) बाहर का भोजन व स्वास्थ्य-वर्तमान जीवन शैली में एक महत्त्वपूर्ण प्रचलन बढ़ता जा रहा है। व्यक्ति बाहर की मिठाई तथा होटल का खाना पसंद करता है। वह जो भोजन ले रहा है वह कैमिकल युक्त पदार्थों का बना होता है। यहाँ तक कि सब्जियाँ भी इनसे युक्त होती हैं। दूध, मिठाइयाँ, घी, तेल आदि भी कैमिकल के बने होते हैं जिनके सेवन से व्यक्ति को पेट सम्बन्धी बीमारियाँ घेर लेती हैं।

(6) प्रकृति के साथ छेड़छाड़ व स्वास्थ्य-भौतिकवाद की अंधी दौड़ में व्यक्ति ने अपने जीवन को सुखमय बनाने के नाम पर अनेक प्रकार से प्रकृति के साथ छेड़छाड़ की है जिसके दुष्परिणाम हमारे सामने हैं जिससे व्यक्ति के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ता है। पेड़ों की कटाई, अनावश्यक भूमि की खुदाई, कल कारखानों का विकास, परिणाम स्वरूप प्रकृति में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो रही है, बरसात कम हो रही है। वायु प्रदूषण व जल प्रदूषण बढ़ रहा है, ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा है। ओजोन परत प्रभावित हो रही है।

(7) पाश्चात्य संस्कृति व स्वास्थ्य-हमारी आज की वर्तमान जीवन शैली पर पाश्चात्य संस्कृति का असर देखने को मिल रहा है जिसके परिणामस्वरूप भारतीय सामाजिक मूल्यों का हास हो रही है, परिवार टूट रहे हैं, जिसकी वजह से रिश्ते खत्म होते जा रहे हैं, बच्चों में संस्कार नहीं आ रहे व्यक्ति की सामाजिक सुरक्षा खतरे में है। कई सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कम उम्र के बच्चों में मैथुन की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है जिसकी वजह से उनका शारीरिक व मानसिक विकास प्रभावित हो रहा है। सामाजिक अपराध में बाल अपचारियों की संख्या बढ़ रही है। नैतिक पतन हो रहा है।

पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित होकर युवा पीढ़ी अपनी मनमर्जी पर उतारू है उनके अन्दर घर के बड़े बुजुर्गों की आज्ञापालन के भाव में कमी आ रही है। आध्यात्मिकता के भाव में कमी आने की वजह से मंदिर मस्जिद की जगह युवा पीढ़ी रात्रि क्लबों में जा रही है, रात-रात भर नशे में चूर तेज आवाजों के संगीत पर नृत्य करते हैं। दिन भर थके हारे पड़े रहते हैं तथा जल्दी ही किसी बीमारी का शिकार हो जाते हैं।

प्रश्न 2.
आधुनिक जीवन शैली को प्रभावित करने वाले तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आधुनिक जीवन शैली को प्रभावित करने वाले तत्त्व-आधुनिक जीवन शैली को प्रभावित करने वाले तत्त्व निम्नलिखित हैं –

  1. व्यक्ति की नई-नई खोजें। (विज्ञान के क्षेत्र में)
  2. विश्व ग्लोबलाइजेशन।
  3. चलचित्र व संचार के साधन।
  4. शिक्षा एवं साहित्य।
  5. शासन व्यवस्था
  6. विदेशी यात्राएँ।
  7. व्यक्ति का आध्यात्म से दूरी बनाना आदि।
  8. व्यक्ति की आवश्यकताओं की वृद्धि।

RBSE Class 10 Physical Education Chapter 8 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 10 Physical Education Chapter 8 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जीवन शैलियों के प्रकार लिखिए।
उत्तर:
जीवन शैलियाँ दो प्रकार की हैं –

  1. भारतीय जीवन शैली
  2. आधुनिक या वर्तमान जीवन शैली।

प्रश्न 2.
आधुनिक जीवन शैली युग की शुरुआत कहाँ से हुई ?
उत्तर:
भारतीय या परम्परागत जीवन शैली को जहाँ से पाश्चात्य जीवन शैली ने प्रभावित करना शुरू किया है वहीं से आधुनिक जीवन शैली युग की शुरुआत हुई है।

प्रश्न 3.
गुटका और तम्बाकू युक्त पदार्थों के उपयोग से होने वाले प्रभाव बताइये।
उत्तर:
गुटका एवं विभिन्न प्रकार के तम्बाकू युक्त पदार्थों के सेवन से दाँतों के, गले के व मुँह के कैन्सर की सम्भावना बढ़ जाती है, जबड़े जाम हो जाते हैं, मुँह से दुर्गन्ध आती है तथा दाँत जल्दी ही गिर जाते हैं।

RBSE Class 10 Physical Education Chapter 8 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जीवन शैली के अन्तर्गत मनुष्य के नैतिक व्यवहार लिखिए।
उत्तर:
जीवन शैली के अन्तर्गत मनुष्य के नैतिक व्यवहार अग्रलिखित हैं –

  1. मनुष्य की प्रतिदिन की दिनचर्या।
  2. मनुष्य का सामाजिक व्यवहार।
  3. मनुष्य का प्राकृतिक व्यवहार।
  4. मनुष्य का आध्यात्मिक व्यवहार।

प्रश्न 2.
परम्परागत जीवन शैली की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
परम्परागत जीवन शैली में निम्नलिखित विशेषताएँ आती हैं – मनुष्य प्रकृति की गोद में पलता-बढ़ता था। प्रकृति के बीच रहता या उसको खान-पान शुद्ध होता था, जीवन की आवश्यकता कम होती थी, शुद्ध हवा पानी, भोजन प्राप्त करता था, अध्ययन भी प्रकृति के बीच रहकर करता था, जीवन आध्यात्मिकता से परिपूर्ण होता था, संयुक्त परिवार के बीच रहकर वैदिक संस्कृति का निर्वहन करता था, जीवन के चारों आश्रम व्यवस्थाओं का पूर्णतः पालन करता था तथा स्वास्थ्य एवं खेलकूद की गतिविधियों में पूर्ण रूप से भाग लेता था।

प्रश्न 3.
संचार क्रान्ति का स्वास्थ्य पर प्रभाव को समझाइये।
उत्तर:
संचार क्रान्ति का स्वास्थ्य पर प्रभाव – आज मोबाइल एवं कम्प्यूटर वर्तमान जीवन शैली में व्यक्ति की रोजमर्रा की जिन्दगी के अभिन्न अंग बन गये हैं, लेकिन मोबाइल कम्प्यूटर व अन्य इलेक्ट्रॉनिक मशीनों से निकलने वाली किरणों का मानव शरीर एवं स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके अत्यधिक प्रयोग से आँखों की रोशनी जाने का खतरा रहता है, बहुत अधिक प्रयोग से कानों की बीमारी होने के खतरे रहते हैं तथा मोबाइल व कम्प्यूटर मशीनों के प्रयोग से कई प्रकार की मानसिक बीमारियों के होने का खतरा रहता है। व्यक्ति का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है। कई प्रकार की सूचनाएँ प्राप्त कर व्यक्ति का दिमाग आवश्यकता से अधिक सोचने का कार्य करता है। हम विभिन्न प्रकार की किरणों के बीच हमेशा बने रहते हैं जिससे हमारे शरीर |में कई प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं।

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