स्त्रीकेसर | गुरु बीजांड और भ्रुणकोश | बीजाण्ड की संरचना

स्त्रीकेसर, गुरु बीजांड और भ्रुणकोश  बीजाण्ड की संरचना:-

स्त्री केंसर:– पुष्पासन पर सबसे उपर की पर्व संधि पर पाए जाने वाले पुष्पी भाग को जायांण कहते है इसके अवयय को अण्डप कहते है। अण्डप के तीन भाग होते है।

1. वर्तिकाण्ड:-

यह अण्डप का सबसे उपरी भाग होता है। यह गालाकार चपटा, द्वि शाखीत, पंखीय, रोमिल, उत्तल, अवतल चिपचिपा हो सकता है। यह परागकणों को ग्रहण करने का कार्य करता है।

2. वर्तिका:-

अण्डाशय व वर्तिकाग्र को जोडने वाली लम्बी पतली नलिका को वर्तिका कहते है। यह परागनलिका को मार्ग प्रदान करती है तथा वर्तिकाग्र को प्रव्यपित ऊंचाई तक उपर उठाई रखती है जिससे वह परागकणों को आसानी से ग्रहणक र सकें।

3. अण्डाशय:-

यह अण्डप का पुष्पासन से जुडा हुआ फूला हुआ भाग होता है इसकी गहा में बीजाण्डसन/अपस द्वारा जुडे हुये बीजाण्ड पाये जाते है।

बीजाण्ड की संरचना:-

गुरूबीजक जनन:-

इस प्रकार आठ केन्द्रीक्रीय सात कोशिकीय मादा युग्मकोद्भिद (भ्रूणकोश) का निर्माण होता है।

Remark:

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