ज्वीटर आयन | एम्फोलाइट क्या है | परिभाषा | सूत्र | समविभव बिन्दु

ज्वीटर आयन / एम्फोलाइट :  एमीनो अम्ल लवण के समान व्यवहार करते है , क्योंकि इनमे अम्लीय एवं क्षारीय दोनों समूह उपस्थित होते है।

जलीय विलयन में -COOH समूह H+ त्यागकर एवं NH2 समूह H+ ग्रहण करके द्विध्रुवीय आयन का निर्माण करते है , जिसे ज्विटर आयन उदासीन स्पीशीज होता है परन्तु इसमें धनावेश व ऋणावेश दोनों आवेश उपस्थित होते है।

ज़्वीटर आयन के रूप में एमिनो अम्ल उभयधर्मी व्यवहार दर्शाते है।

अम्लीय विलयन में कार्बोक्सिलेट ऋणायन एक प्रोटॉन ग्रहण कर COOH समूह में परिवर्तित हो जाता है जिससे धनायनिक स्पीशीज का निर्माण होता है , फलस्वरूप विद्युत क्षेत्र की उपस्थिति में धनायन कैथोड की ओर गति करते है।

क्षारीय माध्यम में अमोनियम समूह +NH3 , H+ त्यागकर NH2 समूह में परिवर्तित हो जाता है , जिससे ऋणायनिक स्पीशीज का निर्माण जो विद्युत क्षेत्र की उपस्थिति में एनोड की ओर गति करता है।

समविभव बिन्दु (isoelectric point)

विलयन की अम्लीयता या क्षारीयता का वह pH मान जिस पर अमीनो अम्ल का अणु विद्युत क्षेत्र की उपस्थिति में एनोड या कैथोड किसी भी इलेक्ट्रोड की ओर गमन नहीं करता अर्थात विद्युत क्षेत्र से अप्रभावित रहता है , समविभव बिन्दु कहलाता है।समविभव बिन्दु किसी एमीनो अम्ल का अभिलाक्षणिक गुण होता है –

1. उदासीन अमीनो अम्लों के लिए समविभव बिन्दु का मान pH S.S = 6.3 होता है।

2. अम्लीय अमीनों अम्लों के लिए समविभव बिन्दु तीन होता है।

3. क्षारीय एमीनो अम्लों के लिए समविभव बिन्दु 10 होता है।

समविभव बिन्दु पर अमीनो अम्ल के जलीय विलयन में ज्वीटर आयन , धनायन एवं ऋणायन साम्य अवस्था में रहते है।

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