फ्यूरेन | फ्युरेन की संरचना एवं एरोमैटिकता | अणुकक्षक संरचना | अभिक्रिया | उदाहरण 

फ्यूरेन : IUPAC name = ऑक्सोल


बनाने की विधियाँ :
1. म्यूसिक अम्ल
: म्युसिक अम्ल के शुष्क आसवन से फ्यूराइक अम्ल बनता है जिसे Cu चूर्ण के साथ गर्म करने पर फ्युरेन बनता है।
2. एल्डोपेन्टोज द्वारा
3. पॉल नॉर संश्लेषण
4. फीस्ट बैनरी संश्लेषण : α क्लोरो कीटोन की अभिक्रिया β कीटो एस्टर के साथ पिरिडीन की उपस्थिति में कराने पर फ्यूरेन व्युत्पन्न बनता है , इसे फीस्ट बैनरी संश्लेषण कहते हैं।
5. एथिल ऐसीटो एसीटेट द्वारा।

फ्यूरेन की संरचना एवं एरोमैटिकता

1. अणुसूत्र – C4H4O

2. चक्रीय तथा समतलीय

3. फ्यूरेन हकल नियम (4n + 2)π इलेक्ट्रॉन का पालन करता हैं।

4. फ्यूरेन में चक्रीय अनुनाद पाया जाता है जिसे निम्न प्रकार दर्शाते है –

5. फ्यूरैन योगात्मक अभिक्रिया की अपेक्षा इलेक्ट्रॉन स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया देता है जो एरोमेटिक यौगिक का मुख्य गुण हैं।

फ्यूरैन की एरोमैटिकता की अणुकक्षक संरचना के आधार भी समझा जा सकता है –

 1. फ्युरेन वलय में प्रत्येक C , O परमाणु का संकरण SP2 होता हैं।

2. प्रत्येक C तीन σ बंध बनाता हैं एवं ऑक्सीजन दो  σ बन्ध बनाता है। इस कारण c एवं ऑक्सीजन के पास असंकरित Pz कक्षक रहता हैं।

3. प्रत्येक C के असंकरित Pz कक्षक में एक π e और ऑक्सीजन के 2πe होते हैं।

अतः फ्यूरेन वलय में 6πe होते है जो चक्रीय अनुनाद के कारण वलय में विस्थानिकृत होते रहते हैं।

फ्यूरेन की e स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया

फ्यूरेन वलय में 6π e उपस्थित होने से एरोमैटिक e-स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया दर्शाते है।

फ्युरेन की इलेक्ट्रॉन स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया के प्रति क्रियाशीलता पिरोल की अपेक्षा कम होती है।

कारण :  फ्यूरेन वलय में उपस्थित ऑक्सीजन परमाणु की विद्युत ऋणता पिरॉल के नाइट्रोजन परमाणु की अपेक्षा अधिक होती है , जिससे ऑक्सीजन परमाणु के धनावेश धारण करने की क्षमता कम होती है , फलस्वरूप ऑक्सीजन का +m /+R प्रभाव N की अपेक्षा कम हो जाती है , इस कारण इसकी क्रियाशीलता पिरोल से कम होती है।

अभिविन्यास : फ्यूरेन में एरोमेटिक इलेक्ट्रोफिलिक प्रतिस्थापन अभिक्रिया स्थिति 2 पर सम्पन्न होती है।

स्थिति 2 या 5 पर इलेक्ट्रोफिलिक प्रतिस्थापन अभिक्रिया सम्पन्न होने का कारण यह होता है की इन स्थितियों पर इलेक्ट्रोफिलिक के आक्रमण से बनने वाले मध्यवर्ती कार्बधनायन (σ संकुल ) की तीन अनुनादी संरचनाएँ बनती है , जिससे यह अधिक स्थायी होता है , स्थिति 3 पर आक्रमण से बनने वाले σ संकुल की 2 ही अनुनादी संरचनाएं बनती है इस कारण यह कम स्थायी होती है।

फ्यूरेन की इलेक्ट्रॉन स्नेही /e-फिलिक प्रतिस्थापन अभिक्रिया के उदाहरण

1. नाइट्रीकरण : फ्यूरेन का नाइट्रीकरण सांद्र HNO3
+ H2SO4 के मिश्रण से नहीं करते क्योंकि इस अम्ल मिश्रण की उपस्थिति में फ्युरेन का बहुलीकरण हो जाता है।

2. हैलोजनीकरण : फ्यूरेन हैलोजन अम्लों के साथ साथ सामान्य ताप पर शीघ्रता से अभिक्रिया कर हैलोजन अम्ल बनता है।

जिससे फ्यूरेन के हैलोजनीकरण के लिए अप्रत्यक्ष विधि काम में ली जाती है , जिससे फ्यूरेन वलय पर (-I) समूह जुड़ा रहता है।

3. सल्फोनीकरण

4. एसिटिलीकरण

5. गाटरमान अभिक्रिया (फॉर्मिलीकरण ) : फ्यूरेन की अभिक्रिया HCN व HCl मिश्रण के साथ कराने पर प्राप्त उत्पाद का जल अपघटन करने पर 2-फॉर्मिल फ्यूरेन बनता है।

6. मैनिक अभिक्रिया : फ्यूरेन की एल्डिहाइड एवं 2 डिग्री एमीन के साथ अभिक्रिया कराने से मैनिक क्षार बनता है , इसे मैनिक अभिक्रिया कहते है।

नाभिक स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ

1. गोम्बर्ग अभिक्रिया : जब फ्यूरेन की क्षार की उपस्थिति में एरिल डाई एजोनियम लवण के साथ अभिक्रिया करायी जाती है इसे गोम्बर्ग अभिक्रिया कहते है।

2. N -ब्यूटिल -Li के साथ अभिक्रिया

3. अमोनिया के साथ अभिक्रिया : फ्यूरेन को अमोनिया के साथ गर्म करने पर पिरोल बनता है।

Remark:

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