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विद्युत धारा की परिभाषा :
जिस प्रकार जल उच्च तल से निम्न तल की ओर गति करता है , ठीक उसी प्रकार आवेश भी उच्च विद्युत तल (उच्च विद्युत विभव ) से निम्न विद्युत तल (निम्न विभव ) की और गति करता है , आवेश के इस प्रवाह को ही विद्युत धारा कहते है।
परिभाषा :
किसी अनुप्रस्थ काट से प्रति एकांक समय में प्रवाहित होने वाले आवेश के मान को विद्युत धारा कहलाती है , माना Q आवेश अनुप्रस्थ काट से t समय में गुजरता है तो परिभाषा से
विद्युत धारा = Q /t
चूँकि हम यहाँ आवेश प्रवाह की बात कर रहे है अतः आवेश धनात्मक तथा ऋणात्मक आवेशित होगा , अतः हम कह सकते है की धारा के प्रवाह में धनात्मक तथा ऋणात्मक आवेश योगदान करते है।
विद्युत धारा की दिशा:
धन आवेश का प्रवाह उच्च विभव से निम्न विभव की ओर होता है तथा धारा का प्रवाह भी उच्च विभव से निम्न विभव की ओर होता है अतः हम कह सकते है की धन आवेश तथा धारा की दिशा एक ही होती है।
ऋण आवेश का प्रवाह निम्न विभव से उच्च विभव की ओर होता है तथा धारा की दिशा उच्च विभव से निम्न विभव की ओर होती है अतः कह सकते है की ऋण आवेश (इलेक्ट्रॉन ) का प्रवाह धारा की दिशा के विपरीत होता है।
धारा एक अदिश राशि है पर क्यों ?
हमने ऊपर धारा का सूत्र (Q/t ) पढ़ा , इस सूत्र में हम स्पष्ट रूप से देख सकते है की यहाँ दो राशियाँ आ रही है 1. आवेश , 2. समय , और दोनों राशियाँ ही अदिश राशियाँ है अतः विद्युत धारा भी अदिश राशि है।
विद्युत धारा का मात्रक तथा विमा:
SI (Système international) अंतर्राष्ट्रीय पद्धति में धारा को मूल राशि माना गया है।
धारा का मात्रक = कुलाम /समय = Cs-1
चूँकि अंतर्राष्ट्रीय पद्धति में इसे मूल राशि माना है इसे अंतर्राष्ट्रीय पद्धति में ऐम्पियर कहा है।
अतः धारा का मात्रक ऐम्पियर है। धारा की विमा = चूँकि यह मूल राशि है इसलिए इसकी विमा A1 होती है।
Remark:
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