द्विबीजपत्री व एकबीजपत्री पादपों की आंतरिक संरचना :
1. द्विबीजपत्री पादप :
- बाह्य त्वचा (Epidermis) : यह मूल की सबसे बाहरी भित्ति है , यह नलिकाकार सजीव कोशिकाओं की एकल परत होती है। इसकी कुछ कोशिकाएं अतिवृद्धि कर एक कोशिकीय मूल रोम बनाती है।
- वल्कुट (Cortex) : यह बाह्य त्वचा के नीचे अनेक कोशिकीय मोटा स्तर होता है। इसकी कोशिकीय पेरेन्काइम प्रकार की होती है , जिनके मध्य अन्तरा कोशिकीय अवकाश पाये जाते है।
- अन्तस्त्वचा (Endodermis) : वल्कुट की अंतिम परत अन्तस्त्वचा कहलाती है। यह नलिकाकार कोशिकाओ की एकल परत होती है। इसकी कोशिकाओं की भित्तियों पर कैस्परी पट्टियाँ पायी जाती है , जिनमे सुबेरिन का अभाव होता है , जिससे यह जल के लिए अपारगम्य होती है।
- परिरम्भ (pericycle) : अन्तस्त्वचा के नीचे एक कोशिकीय मोटा स्तर परिरम्भ कहलाता है , इसकी कोशिकाएं पेरेन्काइम प्रकार की होती है। यह द्वितीयक वृद्धि के दौरान कैम्बियम व पाशर्व मूल बनाती है।
- संवहन पूल (vascular bundle) : परिरम्भ से घिरा हुआ संवहन पूल होता है , ये अरीय होते है तथा ये 2-6 तक होते है। जाइलम फ्लोएम के बीच बीच में उपस्थित उत्तक कंजकटिव (संयोजी उत्तक) होता है।
- मज्जा (Pith) : द्विबीजपत्री जड़ो में मज्जा अनुपस्थित या बहुत छोटी होती है।
2. एकबीजपत्री मूल (monocotyledonous root)
एकबीजपत्री की संरचना , द्विबीजपत्री मूल के लगभग समान होती है , केवल निम्न विशेषताएं भिन्न होती है –
- एकबीजपत्री मूल में जाइलम संवहन बंडल 6 से अधिक (बहु आदि दारुक ) होते है।
- एकबीजपत्री मूल में मज्जा बड़ी व विकसित होती है।
- इसमें कैम्बियम नहीं बनता है इसलिए इसमें द्वितीयक वृद्धि नहीं होती है।
द्विबीजपत्री मूल और एकबीजपत्री मूल में अंतर
लक्षण | द्विबीजपत्री मूल | एकबीजपत्री मूल |
1. परिरम्भ | पाशर्व मूल व कैम्बियम का निर्माण करती है। | केवल पाशर्व मूल का निर्माण करती है। |
2. संवहन पूल | संवहन पूल 2-6 तक होते है। | 6 से अधिक होते है। |
3. कैम्बियम | उपस्थित कैम्बियम | अनुपस्थित कैम्बियम |
4. द्वितीयक वृद्धि | द्वितीयक वृद्धि होती है। | द्वितीयक वृद्धि नहीं होती है। |
5. मज्जा | अनुपस्थित या कम विकसित | बड़ी व विकसित |
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