Bhrantiman Alankar in Hindi

Bhrantiman Alankar in Hindi – भ्रांतिमान अलंकार किसे कहते हैं?

Bhrantiman Alankar in Hindi: हेलो स्टूडेंट्स, आज हम इस आर्टिकल में भ्रांतिमान अलंकार किसे कहते हैं? (Bhrantiman Alankar) के बारे में पढ़ेंगे | यह हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण टॉपिक है जिसे हर एक विद्यार्थी को जानना जरूरी है |

Bhrantiman Alankar in Hindi

अलंकार को काव्य का आभूषण माना गया है। इसके प्रयोग से काव्य में चमत्कार तथा रोचकता उत्पन्न होती है। अलंकार काव्य की शोभा को बढ़ाने का कार्य भी करते हैं।यहाँ हम भ्रांतिमान अलंकार के बारे मे पढेंगे।

भ्रांतिमान अलंकार किसे कहते हैं?

परिभाषा – जब किसी पद में किसी सादृश्य विशेष के कारण उपमेय (जिसकी तुलना की जाए) में उपमान (जिससे तुलना की जाए) का भ्रम उत्पन्न हो जाता है तो वहाँ भ्रांतिमान अलंकार माना जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि जब किसी पदार्थ को देखकर हम उसे उसके समान गुणों या विशेषताओं वाले किसी अन्य पदार्थ (उपमान) के रूप में मान लेते हैं तो वहाँ भ्रांतिमान अलंकार माना जाता है। जब उपमेय को भूल से उपमान समझ लिया जाए।

1.   चंद के भरम होत मोड़ है कुमुदनी।

2. नाक का मोती अधर की कान्ति से,

    बीज दाड़िम का समझकर भ्रान्ति से,

    देखकर सहसा हुआ शुक मौन है,

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    सोचता है, अन्य शुक कौन है।

3.  चाहत चकोर सूर ऒर , दृग छोर करि।

     चकवा की छाती तजि धीर धसकति है।

4.  बादल  काले- काले केशों को देखा निराले।

     नाचा करते हैं हरदम पालतू मोर मतवाले।।

5.  पाँव महावर दें को नाइन बैठी आय।

    पुनि-पुनि जानि महावरी एड़ी भीजत जाय।।

Bhrantiman Alankar Video

Credit: HINDI ACADEMY

आर्टिकल में अपने पढ़ा कि भ्रान्ति मान अलंकार किसे कहते है? हमे उम्मीद है कि ऊपर दी गयी जानकारी आपको आवश्य पसंद आई होगी। इसी तरह की जानकारी अपने दोस्तों के साथ ज़रूर शेयर करे ।

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