Anyokti Alankar in Hindi: हेलो स्टूडेंट्स, आज हम इस आर्टिकल में अन्योक्ति अलंकार क्या होता है? (Anyokti Alankar) के बारे में पढ़ेंगे | यह हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण टॉपिक है जिसे हर एक विद्यार्थी को जानना जरूरी है |
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Anyokti Alankar in Hindi
परिभाषा – जब किसी अप्रस्तुत माध्यम से किसी प्रस्तुत (सच्चाई) का बोध कराया जाता है, तब वहाँ ‘अन्योक्ति अलंकार’ होता है।
नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहीं बिकास यहि काल ।
अली कली ही तें बँध्यो, आगे कौन हवाल।।
– इन पंक्तियों के माध्यम से कवि बिहारी ने भौंरे पर निशाना साधकर महाराज जयसिंह को उनकी यथार्थ स्थिति का आभास कराया। महाराज जयसिंह अपनी छोटी रानी के प्रेम में इतने व्यस्त हो गए कि उन्होंने अपने राजकाज का ध्यान रखना तक छोड़ दिया।
अन्योक्ति अलंकार के उदाहरण
(1) फूलों के आसपास रहते हैं।
फिर भी काँटे उदास रहते हैं।
स्पष्टीकरण-इसमें ‘फूल’ सुख-सुविधा या प्रेमिका का प्रतीक है, ‘काँटे’ दुखी प्राणियों के प्रतीक हैं। अतः यहाँ सुख से घिरे दुखी प्राणियों को संबोधित किया गया है ।
(2) नहि पराग नहिं मधुर मधु नहिं विकास इहिं काल।
अली कली ही सौं बँध्यौ, आगे कौन हवाल।।
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स्पष्टीकरण-इसमें कली और भँवरे के माध्यम से नव-विवाहित राजा जयसिंह को कर्तव्यनिष्ठा की प्रेरणा दी गई है।
(3) जिन दिन देखे वे कुसुम, गई सु बीति बहार।
अब, अलि रही गुलाब में, अपत कॅटीली डार ।।
स्पष्टीकरण-यहाँ गुलाब के सूखने के माध्यम से आश्रयदाता के उजड़ने की व्यथा कही गई है।
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