प्रत्यावर्ती धारा तथा प्रत्यावर्ती विद्युत वाहक बल की परिभाषा क्या है

प्रत्यावर्ती धारा तथा प्रत्यावर्ती विद्युत वाहक बल : ऐसी धारा जिसका परिमाण तथा दिशा दोनों समय के साथ बदलते रहते है तथा एक निश्चित अन्तराल बाद उसी परिमाण से अपना चक्कर शुरू करते है व उसी दिशा में आरम्भ करते है अर्थात एक निश्चित समय बाद अपना पूरा चक्कर करने के बाद दूसरा चक्कर शुरू कर देते है इस धारा को प्रत्यावर्ती धारा कहते है।

प्रत्यावर्ती धारा को आसानी से तथा कम खर्च में उत्पन्न किया जा सकता है।

प्रत्यावर्ती धारा का नियंत्रण प्रतिरोध (R) , प्रेरकत्व (L) तथा धारिता (C) का उपयोग परिपथ में करके किया जा सकता है। यही कारण होता है की जब हम प्रत्यावर्ती धारा पर कार्य करने वाले उपकरणों को खोलकर देखते है तो हमें सामान्यत: R , L , C देखने को मिल जाते है।

ठीक इसी प्रकार

ऐसा विद्युत वाहक बल जिसका परिमाण तथा दिशा दोनों समय के साथ बदलते रहते है तथा एक निश्चित अन्तराल बाद उसी परिमाण से अपना चक्कर शुरू करते है व उसी दिशा में आरम्भ करते है जिस दिशा में पहले कर रहे थे अर्थात एक निश्चित समय में अपना पूरा चक्कर करने के बाद दूसरा चक्कर शुरू कर देते है इस प्रकार के विद्युत वाहक बल को ही प्रत्यावर्ती वि.वा.बल कहा जाता है।

प्रत्यावर्ती विद्युत वाहक बल के तात्क्षणिक वेग को निम्न सूत्र द्वारा लिखा जाता है

E = E0Sin(wt)

यहाँ E = प्रत्यावर्ती वि.वा.बल

E= प्रत्यावर्ती वि.वा.बल का अधिकतम या शिखर मान

w = घूर्णन का कोणीय वेग

हम सूत्र में स्पष्ट रूप से देख सकते है की प्रत्यावर्ती विद्युत वाहक बल का मान समय (t) पर निर्भर करता है।

Remark:

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