अग्निसार क्रिया – Agnisar Kriya

Agnisar Kriya: आज के लेख के माध्यम से हम जानेंगे अग्निसार क्रिया किसे कहते है? और अग्निसार क्रिया की विधि, फायदे, भी देखेंगे।

अग्निसार क्रिया प्राणायाम का एक प्रकार है। “अग्निसार क्रिया” से शरीर के अन्दर अग्नि उत्पन होती है, जो कि शरीर के अन्दर के रोगाणु को भस्म कर देती है।

अग्निसार क्रिया – Agnisar Kriya

अग्निसार क्रिया क्या है?

अग्निसार क्रिया को वह्निसार क्रिया भी कहा जाता है. Agni और Vahni दोनों का अर्थ अग्नि (Fire) होता है. वहीं सार का मतलब मूलतत्व होता है. यही मूलतत्व (अग्निसार) ही हमारे पाचन क्रिया के लिए जिम्मेदार होते है.

यदि पाचन अग्नि मन्द पड़ जाती है. तो अग्निसार क्रिया ही उसे पुनः प्रज्वलित करें में सहायता करती है. यह पाचन तंत्र (Digestive System) और उससे सम्बद्ध अंगों को शुद्ध करने का कार्य करती है.अग्निसार क्रिया अंगों को भोजन से अधिकतम पोषक तत्व ग्रहण करने की क्षमता प्रदान करती है।

अग्निसार क्रिया की विधि

  • वज्रासन में बैठ कर हाथों को घुटनों पर रखें । सामने देखें ।
  • श्वास बाहर निकालकर पेट को आगे पीछे चलायें । पेट को चलाते वक्त श्वास बाहर ही रोक रखें । जब आप पेट चलाते हैं तब कन्धों को न हिलायें ।
  • एक बार जब तक श्वास बाहर रोकी रहती है तब तक पेट चलाते रहें ।
  • एक बार श्वास छोड, कर करीब २० से ४० बार पेट को अंदर बाहर करें, फिर पेट चलाना बंद करें और लंबी गहरी श्वास लेना छोडना शुरू करें ।
  • चार पाँच बार लंबी गहरी श्वास लेने छोडने के बाद फिर से श्वास बाहर छोड कर पेट को चलाने की इस क्रिया को ४-५ बार दोहरायें ।

अग्निसार क्रिया के फायदे :

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1. बार-बार पेशाब : इस क्रिया  से पेशाब में जलन कम हो जाती है । बार-बार पेशाब को आना या बहुमूत्र का होना इस क्रिया से बंद हो जाता है ।

2. अग्निसार से पाचन में सुधार: इस क्रिया प्राणायाम का नियमित रूप में अभ्यास करने से सही मात्रा में पेट में एंजाइम्स का स्राव होने लगता है जो पाचन क्रिया को मजबूत बनाता है। यह आपके पेट के मांसपेशियों को भी मजबूत बनाता है।

3. अग्निसार डायबिटीज के लिए: इस क्रिया प्राणायाम का अभ्यास करने से पैंक्रियाज ठीक तरह से इन्सुलिन का उत्पादन करने लगता है जो खून में शुगर की मात्रा को कम करने के लिए बड़ी भूमिका निभाता है।

4. अग्निसार प्राणायाम कब्ज के लिए: यह भोजन के पचाने में मदद करता है और कब्ज की शिकायत को दूर करने में सहायता करता है।

5. अग्निसार एसिडिटी के लिए: चूंकि इस क्रिया के नियमित अभ्यास से एंजाइम्स का स्राव सही मात्रा में होने लगता है। अनपच और कब्ज जैसी शिकायत को दूर करने में बहुत मदद करता है।

6. शरीर को सक्रिय बनाना: यह हमारे जीवनशैली को सक्रिय बनाता है तथा शरीर के अंग, उत्तक, एवं कोशिकाएं अच्छी तरह से काम करने लगता है।

7. लिवर को सक्रिय बनाना: यह लिवर के साथ साथ आंत, किडनी एवं पैंक्रियाज को सक्रिय बनाता है और भोजन को पचाते हुए अवशोषण में मदद करता है।

8. शरीर ऊर्जा को बढ़ाना: यह शरीर में ऊर्जा बढ़ाने में मदद करता है तथा सुस्ती को दूर करता है।

9. विषैले पदार्थ को बहार निकालना: यह एक ऐसी योग क्रिया है जो शरीर से हानिकारक पदार्थ को निकालने में मदद करता है और शरीर को साफ सुथरा रखते हुए आपके अंदर हमेशा तरोताज़गी बनाये रखता है।

10. अग्निसार पेट के रोग के लिए: अग्निसार पेट के समस्त रोगों के लिए रामबाण है। इसका नियमित अभ्यास से आप पेट दर्द, कब्ज, एसिडिटी, जलन इत्यादि से हमेशा हमेशा के लिए छुटकारा पा सकते हैं।

इस आर्टिकल में अपने पढ़ा कि,अग्निसार  क्रिया क्या हैं? हमे उम्मीद है कि उपर दी गयी जानकारी आपको आवश्य पसंद आई होगी। इसी तरह की जानकारी अपने दोस्तों के साथ ज़रूर शेयर करे

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