विश्व में अत्यधिक जनसंख्या पर निबंध

विश्व में अत्यधिक जनसंख्या पर निबंध – Overpopulation in World Essay in Hindi

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विश्व में अत्यधिक जनसंख्या पर छोटे-बड़े निबंध (Essay on Overpopulation in World in Hindi)

रूपरेखा–

  • प्रस्तावना (जनसंख्या विस्फोट)
  • भारत में जनसंख्या विस्फोट की वर्तमान स्थिति,
  • जनसंख्या विस्फोट/वृद्धि के कारण,
  • जनसंख्या वृद्धि के परिणाम,
  • जनसंख्या वृद्धि नियन्त्रण/निवारण के उपाय,
  • उपसंहार।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना (जनसंख्या विस्फोट)–
भारत प्राकृतिक वैभव सम्पन्न देश है। यहाँ की शस्यश्यामला धरती हर एक को अपनी ओर आकर्षित करती है। देश की स्वतन्त्रता और विभाजन के पश्चात् सन् 1951 में हुई प्रथम जनगणना में हमारी जनसंख्या 36,10,88,400 थी, जो आज बढ़कर 121 करोड़ (2011 की जनगणना के अनुसार) से भी अधिक हो चुकी है। जनसंख्या के इस तीव्र गति से बढ़ने को ही जनसंख्या विस्फोट कहा जाता है। वर्तमान में भारत की बढ़ती जनसंख्या चिन्ता का विषय बनी हुई है।

भारत में जनसंख्या विस्फोट की वर्तमान स्थिति–
आज जनसंख्या की दृष्टि से भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। आधुनिक भारत में जिस तीव्रता के साथ जनसंख्या में वृद्धि हो रही है, आनेवाले समय में यह और भी विस्फोटक हो जाएगी। अनुमान है कि सन् 2026 ई० तक भारत की जनसंख्या बढ़कर लगभग 1.5 अरब हो जाएगी, वर्ष 2030 तक 1.53 तथा वर्ष 2060 तक यह 1.7 अरब हो जाएगी। यह जनसंख्या वृद्धि किसी विस्फोट से कम नहीं है। इसने देश के कर्णधारों को चिन्ता में डाल दिया है। आज जनसंख्या के स्तर पर भारत विश्व में दूसरे स्थान पर आता है, परन्तु सन् 2030 ई० तक इसके चीन को पछाड़कर प्रथम स्थान पर पहुँच जाने की सम्भावना है।

जनसंख्या विस्फोट/वृद्धि के कारण भारत में आज भी बच्चों का जन्म ईश्वर की देन माना जाता है। समाज का पढ़ा–लिखा वर्ग भी इस तथ्य को स्वीकारने के लिए तैयार नहीं होता कि जनसंख्या वृद्धि को हमारे द्वारा रोका जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो लोगों का यह तर्क होता है कि जितने हाथ होंगे, उतना ही काम भी बढ़ेगा, लेकिन वह इस तथ्य को भूल जाते हैं कि दो हाथ के साथ एक पेट भी बढ़ेगा, जिसकी अपनी आवश्यकताएँ होंगी। अन्धविश्वास और अशिक्षा के अतिरिक्त जनसंख्या वृद्धि के अन्य विशेष कारण भी हैं; जैसे—बाल–विवाह, बहुविवाह, दरिद्रता, मनोरंजन के साधनों का अभाव, गर्म जलवायु, रूढ़िवादिता, ग्रामीण क्षेत्रों में सन्तति–निरोध की सुविधाओं का कम प्रचार होना, परिवार नियोजन के नवीनतम साधनों की अनभिज्ञता एवं वंशवृद्धि के लिए पुत्र की अनिवार्यता आदि।

जनसंख्या वृद्धि अथवा विस्फोट के परिणाम–
भारत की वर्तमान आर्थिक, सामाजिक एवं राजनैतिक समस्याओं का मुख्य कारण बढ़ती हुई जनसंख्या है। ‘ऋग्वेद’ में कहा गया है—“जहाँ प्रजा का आधिक्य होगा, वहाँ निश्चय ही दुःख एवं कष्ट की मात्रा अधिक होगी।” यही कारण है कि आज भारत में सर्वत्र अशिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी, भुखमरी, निम्न जीवन–स्तर, सामाजिक कलह, अस्वस्थता एवं खाद्यान्न–संकट आदि अनेकानेक समस्याएँ निरन्तर बढ़ रही हैं। निश्चय ही जनसंख्या का यह विस्फोट भारत के लिए अभिशाप है। यदि यह वृद्धि इसी गति से होती रही तो पाँच–सौ वर्ष पश्चात् मनुष्यों को पृथ्वी पर खड़े होने की जगह भी नहीं मिल पाएगी। इसी बात को प्रसिद्ध हास्कवि काका हाथरसी ने अपनी विनोदपूर्ण शैली में इस प्रकार लिखा है-

यदि यही रहा क्रम बच्चों के उत्पादन का,
तो कुछ सवाल आगे आएँगे बड़े–बड़े।
सोने को किंचित् जगह धरा पर मिले नहीं,
मजबूरन हम तुम सब सोएँगे खड़े–खड़े।

हमारे देशवासी जनसंख्या की वृद्धि से होनेवाली हानियों के प्रति आज भी लापरवाह हैं। निश्चित ही जनसंख्या की वृद्धि का यदि यही क्रम रहा तो मानव–जीवन अत्यधिक संघर्षपूर्ण एवं अशान्त हो जाएगा।

भूतपूर्व प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गांधी ने जनसंख्या विस्फोट से होनेवाली हानि पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा था—“जनसंख्या के तीव्रगति से बढ़ते रहने पर योजनाबद्ध विकास करना, बहुत–कुछ ऐसी भूमि पर मकान खड़ा करने के समान है, जिसे बाढ़ का पानी बराबर बहाए ले जा रहा है।”

जनसंख्या आज अति संवेदनशील मुद्दा बन चुका है। निरन्तर जनसंख्या–वृद्धि से मानव की आवश्यकताओं और संसाधनों की पूर्ति करना असम्भव होता जा रहा है। निरन्तर जीवन–मूल्यों में गिरावट आती जा रही है। अमीर और अमीर तथा गरीब और गरीब होते जा रहे हैं। अमीर–गरीब के बीच की खाई बढ़ती जा रही है। पर्यावरण विषाक्त होने में एक मुख्य कारण जनसंख्या विस्फोट भी है। इसलिए जनसंख्या वृद्धि को नियन्त्रित करना अत्यन्त आवश्यक हो गया है।

जनसंख्या वृद्धि नियन्त्रण/निवारण के उपाय–जनसंख्या विस्फोट को रोकने के लिए भारत सरकार पूर्णतया गम्भीर है तथा अनेक प्रभावी कार्यक्रम चला रही है। यह कार्य अनेक सरकारी संस्थाओं, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा किया जा रहा है। परिवार कल्याण कार्यक्रमों तथा संचार माध्यमों द्वारा लोगों को जनसंख्या वृद्धि के प्रति सचेत किया जा रहा है। प्रतिवर्ष 11 जुलाई को ‘विश्व जनसंख्या दिवस’ मनाया जाता है, जो जनसंख्या को नियन्त्रित रखने के लिए लोगों को शिक्षित और जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है।

जनसंख्या–विस्फोट रोकने के कुछ उपाय निम्नलिखित हैं–––

  1. दो बच्चों के मापदण्डों को अपनाना।
  2. लड़के–लड़कियों को देर से विवाह के लिए प्रोत्साहित करना।
  3. परिवार नियोजन कार्यक्रमों एवं साधनों का व्यापक प्रचार–प्रसार करना व अपनाना।
  4. अधिक बच्चों को जन्म देनेवाले माता–पिता को हतोत्साहित करना तथा उन्हें विभिन्न शासकीय सुविधाओं से वंचित रखने का प्रावधान करना, चाहे वह किसी भी वर्ग–जाति के क्यों न हों।
  5. बाल–विवाह एवं बहुविवाह जैसी कुप्रथाओं पर रोक लगाना इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सम्बन्धी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए प्रधानमन्त्री की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग नियुक्त करने का भी प्रावधान है, जिससे जनसंख्या–विस्फोट पर रोक लगाई जा सकेगी।
  6. आज यह सन्तोष का विषय है कि भारत सरकार इस दिशा में पर्याप्त सकारात्मक कदम उठा रही है।

उपसंहार–
आज भारतवर्ष में जनसंख्या–विस्फोट को रोकने के लिए नित्य नए अभियान चलाए जा रहे हैं बाल–विवाह जैसी कुप्रथा अब लगभग समाप्त हो गई है। चिकित्सा–क्षेत्र में नवीन पद्धतियाँ आ गई हैं, जनता गर्भ–निरोध के साधनों के प्रति जागरूक व भयरहित हुई है।

यदि भारतवासी समझदारी से काम लेकर जनसंख्या वृद्धि रोकने में सहायक रहे और सरकार इस विषय में प्रयत्नशील रहे तो निश्चित ही एक दिन जनसंख्या–विस्फोट को रोका जा सकेगा तथा हमारा देश पुनः वैभव सम्पन्न और शस्य–श्यामलावाली अनुभूति से युक्त होगा।

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