DNA की आनुवाँशिक पदार्थ है:-
विधि:–
जीवाणुभोजी जीवाणुओं का भक्षण करता है इसका स्ंदक ।बुनपेपजपवद व्ििपबमतर्धन दो माध्यमों में किया गया।
1:- विकिरण सक्रिय S-35
यह प्रोटीन में पाया जाता है जब जीवाणु भोजी का संकरण जीवाणु पर कराया तथा इसका अनावरण करके अपकेन्द्रण किया तो पाया गया कि जीवाणुभोजी विकिरण सक्रिय रहा अर्थात जीवाणुभोजी ने जीवाणु में जो पदार्थ छोडा वह प्रोटीन था RNA नहीं था।
2:- विकिरण सक्रिय P – 35
यह में पाया जाता है जब जीवाणु भोजी का संकरण जीवाणु पर कराया तथा इसका अनावरण करके अपकेन्द्रण किया तो पाया कि जयाकि जीवाणुभोजी विकिरण सक्रिय नहीं बना तथा जीवाणु विकिरण सक्रिय रहा अर्थात् जीवाणु भोजी ने जीवाणु में जो आनुवाँशिक पदार्थ छोडा वह DNA था।
अतः‘ DNA की आनुवाँशिक पदार्थ है।
प्रायोगिक प्रमाण:- मैथ्यु मे से सतन व फ्रैकलिन स्टाॅल 1958 (सत्यापन)
मेसेलसन व स्टाॅल ने E-coli के DNA का सवंर्धन छ।4 ब्स युक्त माध्यम पर किया प्रारंभ में इसका संवर्धन भारी समसथानिक छ युक्त माध्यम पर किया तथा अगली पीढी प्राप्त करने हेतु उसे हल्के समस्थानिक न्छ युक्त माध्यम में स्थानन्तरित किया ।
DNA की प्रतिकृति:-(कार्य प्रणाली व एन्जाइम):-
लम्बे DNA अणुओं में प्रतिकृति की क्रिया जिस स्थान पर होती है उसे प्रतिकृति स्थल कहते है इस स्थान पर DNA सिकुण्डलित हो जाता है। तथा इसके दोनों रज्जुक पृथक हो जाते है इसे प्रतिकृति विशाख कहते है प्रतिकृति विशाख में जिस टेम्पलेट रज्जुक की ध्रुवता 5 से 3 की ओर होती है उसमें DNA पोलीमरेज एन्जाइम की सहायता से लगातार पूरक रज्जुक का निर्माण होता है इसे सतत् संश्लेषण कहते है मिस टेम्पलेट रज्जुक पर ध्रुवण 3 से 5 की ओर होता है उस पर पूरक रज्जुक का निर्माण छोटे- 2 खण्डों में होता है।
इसे असतत् संश्लेषण कहते है। DNA के ये छोटे खण्ड DNA लाइेज एन्जाइम के द्वारा जुड जाते है।
क्छ। की प्रतिकृति कोशिका विभाजन के दौरान इन्टरफेज की ै अवस्था में होती है।
Remark:
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