प्रकाश रसायन के नियम | प्रथम नियम | ग्रोथस डेपर | स्टार्क आइन्स्टीन | प्रकाश रासायनिक तुल्यता | क्वांटम सक्रियता

प्रकाश रसायन के नियम :

प्रकाश रसायन में मुख्य रूप से उन अभिक्रियाओं के वेग एवं क्रिया विधि का अध्ययन किया जाता है , प्रकाश विकिरणों के अवशोषण से सम्पन्न हो जाती है।  ये अभिक्रियायें मुख्य रूप से दो नियमों द्वारा निर्देशित होती है , जिन्हें प्रकाश रसायन के नियम कहते है।


1. प्रकाश रसायन का प्रथम नियम / ग्रोथस डेपर नियम

इस नियम के अनुसार जब किसी पदार्थ पर प्रकाश विकिरणों को डालते है तो आपतित विकिरणों का कुछ भाग ही अवशोषित होता है जो पदार्थ के रासायनिक परिवर्तन के लिए उत्तरदायी होता है।  प्रकाश विकिरणों का शेष भाग जो पारगत या परावर्तित हो जाता है , उसका प्रकाश रासायनिक अभिक्रिया में कोई योगदान नहीं होता है।
अवशोषित प्रकाश विकिरणों से कोई रासायनिक परिवर्तन होगा या नहीं इसके लिए यह जानना आवश्यक है की कितने परिमाण में फोटोन का अवशोषण होता है।
लैम्बर्ट बीयर नियम द्वारा अवशोषित प्रकाश विकिरणों के परिमाण को निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जा सकता है –
Ia= I0

(1 – e-ktc)
यहाँ Ia = अवशोषित प्रकाश विकिरणों की तीव्रता या परिमाण
I0 = आपतित प्रकाश विकिरणों की तीव्रता
सीमाएं :
यह नियम केवल गुणात्मक जानकारी देता है इसके द्वारा इस बात की जानकारी नहीं मिलती कि तंत्र द्वारा कितने विकिरणों का अवशोषण हुआ एवं अवशोषित विकिरणों से कितने अणुओं का उत्तेजन हुआ।
सामान्यत: यह माना जाता है की यह नियम प्राथमिक प्रकाश प्रक्रम नियमों पर लागु होता है।
यह द्वितीय प्रक्रमों पर आंशिक रूप से अथवा पूर्णतया असफल रहता है।
2. स्टार्क आइन्स्टीन का नियम / प्रकाश रासायनिक तुल्यता का नियम /क्वांटम सक्रियता का नियम : स्टार्क एवं आइंस्टीन ने ऊर्जा की क्वाण्टम अवधारणा को अणुओं की प्रकाश रासायनिक अभिक्रिया पर लागू किया एवं एक नियम दिया जिसे स्टार्क आइन्स्टीन नियम कहते है।
इसके अनुसार एक अणु द्वारा अवशोषित विकिरणों का प्रत्येक फोटोन प्रकाश रासायनिक अभिक्रिया के प्राथमिक पद में एक अणु को सक्रियता करता है।
or
प्रकाश रासायनिक अभिक्रिया में 1 अणु , 1 फोटोन का अवशोषण कर सक्रीय होता है।
अर्थात
one molecule = one photon
ऊर्जा के एक क्वांटम या फोटोन का अर्थ है – hv उर्जा
यहाँ h = प्लांक नियतांक
v = प्रकाश विकिरणों की आवृति
चूँकि अभिकारक का एक अणु एक फोटोन के अवशोषण से उत्तेजित होता है अर्थात
A + hv = A*
अत: 1 अणु के संक्रियण के लिए आवश्यक ऊर्जा
E = hv = hc/λ
अत: ऊर्जा के जितने क्वान्टम या फोटोन अवशोषित होंगे उतने ही अभिकारक अणु सक्रियण होंगे।
एक मोल अभिकारक अणुओं के सक्रियण के लिए आवश्यक ऊर्जा –
E = NAhv = NAhc/ λ1 mol = NA =
6.02 x 1023

ऊर्जा के इस मान को एक आइन्स्टीन कहते है जिसका मान निम्न होता है –

E = (1.197 x 10-4/ λ ) kg.mol-1

E ∝ 1/ λ

अत: पदार्थ के प्रतिमोल द्वारा अवशोषित ऊर्जा का मान तरंगदैधर्य बढ़ने के साथ कम हो जाता है।  अत: उच्च ऊर्जा वाली पराबैंगनी एवं दृश्य विकिरण प्रकाश रासायनिक अभिक्रिया के लिए प्रभावी विकिरण होते है। 

इस नियम की वैधता निम्न कारणों से है –

इन प्रक्रमो में प्रयुक्त प्रकाश की तीव्रता इतनी कम होती है की दूसरे फोटोन को अवशोषित करने की संभावना नहीं होती।

Remark:

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