पादप वृद्धि एवं परिवर्धन | गुण | वृद्धि दर क्या है | परिभाषा |विभेदन | निर्वीभेदन तथा पुनर्विभेदन

पादप वृद्धि एवं परिवर्धन:-

वृद्धि : सजीवो के परिमाण में स्थायी व अनुत्क्रमणीय परिवर्तन को वृद्धि कहते है | वृद्धि सभी सजीवो का लाक्षणिक गुण है , वृद्धि के दौरान आयतन तथा शुष्क भार दोनों में बढ़ोतरी (वृद्धि) होती है |वृद्धि उपापचयी प्रक्रियाओं से सम्बंधित है जो ऊर्जा के व्यय पर आधारित है | जैसे – पत्ती की विस्तार , पौधे की लम्बाई व आकार का बढ़ना |

वृद्धि के लाक्षणिक गुण

  • पादप वृद्धि प्राय: अपरिमित है : पौधे जीवन भर असीमित वृद्धि करते है क्योंकि पौधे के विशेष भागों में विभज्योत्तक उत्तक उपस्थित होती है , जिनकी कोशिकाएं निरन्तर विभाजित होकर नयी कोशिकाएं बनाती है |
  • वृद्धि माप योग्य है : पादप में वृद्धि दर का मापन उसके अंगो का आकार , क्षेत्रफल अथवा भार में वृद्धि के रूप में किया जा सकता है | वृद्धि को मापने की अनेक विधियाँ है

जैसे –

  1. कोशिकाओं की बढ़ी हुई संख्या द्वारा
  2. कोशिका उत्तकों अथवा अंगो के आकार में वृद्धि द्वारा
  3. शुष्क भार में वृद्धि द्वारा
  4. रेखीय माप द्वारा |

मक्का के मूल शिखाग्र विभज्योत्तक में प्रति घंटे 17500 से अधिक कोशिकाएँ निर्मित हो सकती है जबकि तरबूज में कोशिकाओं के आकार में वृद्धि 3 लाख गुना तक हो सकती है |

  1. वृद्धि तीन चरणों में होती है –
  1. विभज्योत्तकी (कोशिका विभाजन) : विशिष्ट क्षेत्रो में उपस्थित विभज्योत्तक कोशिकाएँ विभाजन द्वारा नई कोशिकाओं का निर्माण करती है | इन विभाजन शील कोशिकाओ का केन्द्रक बड़ा , जीवद्रव्य सघन व कोशिका भित्ति पतली होती है |
  2. दीर्घीकरण (कोशिका विवर्धन) : विभ्ज्योत्तक में विभाजन के परिणाम स्वरूप बनी कोशिकाओं के आकार में अनुत्क्रमणीय बढ़ोत्तरी होती है , इस प्रावस्था में कोशिकाओं में केन्द्रक तथा कोशिका द्रव्य परिधीय हिस्से में उपस्थित रहते है |
  3. परिपक्वता (कोशिका विभेदन) : कोशिकाओं के आकार में वृद्धि के बाद उनमे विभेदन होता है , जिससे वे आकार वृद्धि के बाद स्थायी उत्तकों में परिवर्तित हो जाती है इसे कोशिका परिपक्वता कहते है | ये कोशिकाएं इनके द्वारा सम्पन्न किये जाने वाले विशिष्ट कार्यो के अनुरूप विभेदित होती है जैसे – यांत्रिक उत्तकों की कोशिका भित्तियां विशेष रूप से मोटी हो जाती है , इसी प्रकार कुछ कोशिकाएँ विभेदित होकर जाइलम व फ्लोएम बनाती है |

वृद्धि दर : प्रति इकाई समय में हुई वृद्धि को वृद्धि दर कहते है , वृद्धि दर को गणितीय रूप से व्यक्त किया जा सकता है |

  1. अंक गणितीय वृद्धि : अंक गणितीय वृद्धि में समसूत्री विभाजन के बाद केवल एक पुत्री कोशिका लगातार विभाजित होती है , जब दूसरी कोशिका विभेदित व परिपक्व होती रहती है | अंक गणितीय वृद्धि को निम्न समीकरण द्वारा व्यक्त कर सकते है –

Lt = Lo + rt

यहाँ Lt = समय t के दौरान हुई वृद्धि

Lo = प्रारंभिक समय की वृद्धि

r = प्रति इकाई समय में वृद्धि दर दिर्घिकरण

t = समय

अंक गणितीय वृद्धि को प्रदर्शित करने के लिए पौधे की लम्बाई व समय के बीच आरेख आलेखित किया जाए टो यह सीधी रेखा के रूप में प्राप्त होता है |

  1. ज्यामितीय वृद्धि : ज्यामितीय वृद्धि में अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा कोशिकाओं की संख्या दुगुनी हो जाती है , इस वृद्धि में प्रारम्भिक वृद्धि धीमी होती है , इसके बाद तीव्र अर्थात चर घातांकी रूप में बढती है इसके बाद पुन: मंद हो जाती है और अंत में स्थिर हो जाती है | ज्यामितिय वृद्धि को निम्न समीकरण से व्यक्त करते है |

W1 = W0 ert

यहाँ W1 = अन्तिम आकार

W0 = प्रथम आकार प्रारंभिक समय में

r = वृद्धि दर

t = समय

e = लघुगणक का आधार

ज्यामीतीय वृद्धि के अंतर्गत पौधे के आकार में वृद्धि व समय के मध्य ग्राफ आलेखित किया जाए तो s-आकृति का प्राप्त होता है जिसे सिग्माँइड वक्र कहते है |

जीवित प्राणी की वृद्धि के बीच मात्रात्मक तुलना भी दो तरीको से की जा सकती है |

  1. मापन और प्रति इकाई समय में वृद्धि जिसे परमवृद्धि दर करते है |
  2. दी गई प्रणाली की वृद्धि प्रति इकाई समय में सामान्य आधार पर प्रकट होती है | प्रति इकाई प्रारम्भिक वृद्धि को सापेक्षिक वृद्धि दर कहते है | निम्न दो स्थितियों में दिए गए समय में उनके सम्पूर्ण क्षेत्रफल में वृद्धि समान है | लेकिन फिर भी उनमें पहली स्थिति की सापेक्ष वृद्धि अधिक है क्योंकि प्रारंभिक वृद्धि दर तेजी से होती है जबकि बाद में तुलनात्मक रूप से मंद हो जाती है |

वृद्धि के लिए दशाएँ

पादप की वृद्धि को निम्न घटक प्रभावित करते है –

  • जल : वृद्धि के लिए जल अतिआवश्यक घटक है , पादप की वृद्धि व उसका परिवर्धन जल की उपलब्धता पर निर्भर करता है | वृद्धि के लिए आवश्यक एन्जाइमो की क्रियाशीलता के लिए जल एक माध्यम उपलब्ध कराता है |
  • ऑक्सीजन (O2) : ऑक्सीजन उपापचयी ऊर्जा मुक्त करने में सहायक है जो वृद्धि के लिए आवश्यक है |
  • पोषक तत्व : सूक्षम व वृहत पोषक तत्व जीवद्रव्य के संश्लेषण तथा ऊर्जा के स्रोत के रूप में आवश्यक होते है |
  • ताप : पादपों की वृद्धि के लिए ईष्टतम ताप परिसर होता है |
  • पर्यावरणीय संकेत : प्रकाश व गुरुत्वाकर्षण भी विद्धि की अवस्थाओं व चरणों को प्रभावित करते है |

विभेदन , निर्वीभेदन तथा पुनर्विभेदन

  • विभेदन : मूल शिखाग्र विभज्योत्तक तथा प्ररोह शिखाग्र विभज्योत्तक की कोशिकाओं के विभाजन से उत्पन्न नवीन कोशिकाएँ विशिष्ट कार्यो को करने के लिए परिपक्व होकर विशिष्ट हो जाती है , कोशिकाओ का परिपक्वता की ओर अग्रसर होने वाली क्रिया विभेदन कहलाती है |
  • निर्वीभेदन : जीवित विभेदित कोशिकाएँ कुछ विशेष परिस्थितियों में विभाजन की क्षमता पुन: प्राप्त कर सकती है , विभाजन की क्षमता पुन: प्राप्त करना निर्वीभेदन कहलाता है |
  • पुनर्विभेदन : निर्वीभेदन कोशिकाओं के द्वारा उत्पादित कोशिकाएँ बाद में पुन: विभाजन की क्षमता खो देती है ताकि विशिष्ट कार्य कर सके , इस क्रिया को पुनर्विभेदन कहते है |

पौधों में वृद्धि उन्मुक्त होती है अत: पादपों में विभेदन भी उन्मुक्त होता है क्योंकि उसी विभज्योत्तक से उत्पन्न कोशिकाएँ परिपक्व होकर भिन्न संरचनाएं बनाती है |

Remark:

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