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गैल्वेनिक सेल क्या होता है:
गैल्वेनिक सेल एक ऐसा उपकरण है जो रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदल देता है। यह विद्युत रसायन विज्ञान का आम अनुप्रयोग है जिसे बैटरी भी कहा जाता है। इसका आविष्कार लुइगी गैलवानी और एलेसेंड्रो वोल्टा द्वारा किया गया था जिसमें वोल्टेज बनाने की क्षमता है।
इस सेल में एक कंटेनर होता है जिसमें सांद्र कॉपर सल्फेट (सीयूएसओ4) का तरल इसके अंदर रखा जाता है और कॉपर रॉड को तरल CuSO4 के अंदर डाला जाता है जो कि कैथोड की तरह काम करता है। इस कंटेनर के अंदर एक छिद्रयुक्त कंटेनर रखा जाता है|
जिसमें सांद्र सल्फ्यूरिक एसिड (H2SO4) भर दिया जाता है जिसमें जस्ता (जिंक) छड़ी डाली जाती है जो कि एनोड की तरह कार्य करती है। इस प्रकार जब एक तार तांबे की छड़ी और जस्ता (जिंक) छड़ी के माध्यम से जुड़ा होता है तो विद्युत प्रवाह शुरू होता है।
Structure:
इस सेल में दो पात्र होते है , एक पात्र में Zn की छड़ लेकर उसमे ZnSO4 का विलयन भर लेते है। दूसरे पात्र में Cu की छड़ लेकर उसमे CuSO4 का विलयन भर लेते है। दोनों अर्द्ध सैलों के मध्य उत्पन्न विभवांतर को ज्ञात करने के लिए दोनों छड़ को विभवमापी से जोड़ देते है।
दोनों अर्ध सेलों का सम्बन्ध लवण सेतु से कर दिया जाता है। लवण सेतु U आकार की नली है इसमें KCl या अमोनिया क्लोराइड तथा ऐगार ऐगार जैली का पेस्ट भरा होता है।
कार्यप्रणाली :
1. Zn की तुलना में Cu अधिक सक्रीय होता है अतः Zn (ज़िंक) की छड़ से Zn2+ आयन विलयन में जाते है तथा इलेक्ट्रॉन Zn की छड़ पर शेष रह जाते है।
Zn = Zn2+ + 2e–
2. Zn की छड़ का ऑक्सीकरण होता है अतः इसे एनोड कहते है।
3. इलेक्ट्रॉन Zn (जिंक ) की छड़ पर शेष रहने के कारण इसे ऋण पोल (pole) कहते हैं।
4. Zn की छड़ से इलेक्ट्रॉन बाह्य परिपथ से होते हुए Cu की छड़ में जाते है , Cu की छड़ को धन पोल कहते है।
5. Cu की छड़ पर विलयन में उपस्थित Cu2+ आयन Cu में उपचयित हो जाते है। Cu की छड़ पर अपचयन होने के कारण इसे कैथोड कहते है।
Cu2+ 2e– = Cu
6. विद्युत धारा इलेक्ट्रॉन बहने की दिशा के विपरीत दिशा में जाता है अर्थात विधुत धारा Cu की छड़ से Zn की छड़ की ओर प्रभावित होती है।
7. सेल अभिक्रिया निम्न है।
बायां इलेक्ट्रोड: | Zn(s) → Zn2+ + 2e– | ऑक्सीकरण |
दायां इलेक्ट्रोड: | Cu2+ + 2e– → Cu(s) | अपचयन |
Zn(s) + Cu2+ →Zn2+ +Cu (s)
8. दोनों अर्द्ध सेलों के विभव के अंतर को सेल का विधुत वाहक बल कहते है इसे Ecell से व्यक्त करते है। डेनियल सैल का मानक विधुत वाहक बल + 1.10 वोल्ट
E0cell = E0right – E0left
E0cell = E0cathode – E0anode
E0cell = E0Cu2+/Cu – E0Zn2+/Zn
E0cell = +0.34 – (- 0.76)
E0cell = +0.34 + 0.76
E0cell = 1.1 volt
9. डेनियल सैल का सैल आरेख निम्न है।
Zn(S) / ZnSO4(aq)(1M) // CuSO4(aq)(1M) / Cu
एनोड कैथोड
10. यदि सैल को बाह्य विधुत स्रोत से जोड़ दे तो निम्न तीन परिस्थितियाँ सम्बन्ध है।
यदि Eबाह्य < 1.1 वॉल्ट है तो इलेक्ट्रॉन ऐनोड से कैथोड की ओर जाते है तथा सेल में निम्न अभिक्रिया होती है।
Zn(s) → Zn2+ + 2e–
यदि Eबाह्य = 1.1 वॉल्ट है तो सेल में कोई अभिक्रिया नहीं होगी।
यदि Eबाह्य > 1.1 वॉल्ट है तो इलेक्ट्रॉन Cu की छड़ से Zn की छड़ की ओर जाते है तथा सेल अभिक्रिया विपरीत दिशा में होती है।
Zn2++Cu → Zn(s) + Cu2+