कर्तृवाच्य और कर्मवाच्य में क्या अंतर है?

कर्तृवाच्य और कर्मवाच्य में अंतर:

कर्तृवाच्यकर्मवाच्य
(a) कर्तृवाच्य में कर्ता की प्रधानता होती है।(a) कर्मवाच्य में कर्म प्रधान और कर्त्ता गौण रहता है।
(b) कर्तृवाच्य की क्रिया सदैव कर्त्ता के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार होती है।(b) कर्मवाच्य की क्रिया का रूप कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार होता है।
(c) कर्तृवाच्य की क्रिया अकर्मक, सकर्मक दोनों होती हैं।
जैसे- सीता भात खाती है। माँ हँस रही थी।
(c) कर्मवाच्य की क्रिया सिर्फ सकर्मक होती है।
जैसे- सीता से भात खाया जाता है।

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