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अधिशोषण किसे कहते है – adhishoshan ki paribhasha:
जल वाष्प से भरे पात्र में सिलिका जैल लटकाने पर उसकी सतह पर जल वाष्प संचित हो जाती है इसे अधिशोषण कहते है। अतः ठोस या द्रव की सतह पर दूसरे पदार्थ का संचित होना अधिशोषण कहलाता है।
विशेष: वह पदार्थ जो ठोस या द्रव की सतह पर संचित होता है उसे अधिशोष्य कहते है तथा जिस पदार्थ पर अधिशोषण की घटना होती है उसे अधिशोषक कहते है।
अधिशोषण के प्रकार:
अधिशोषण दो प्रकार के होते ह
- भौतिक अधिशोषण
- रासायनिक अधिशोषण
भौतिक अधिशोषण:
अधिशोषण की वह प्रक्रिया जिसमे अधिशोश्य तथा अधिशोषक के अणुओ के मध्य एक दुर्बल बल होता है अर्थात वंडर वाल्स बल द्वारा जुणए होते है |
जैसे: अवरक की सतह पर नाइट्रोजणन का अधिशोषण भौतिक अधिशोषण कहलाता है
रासायनिक अधिशोषण:
अधिशोषण की वह प्रक्रिया जिसमे अधिशोष्य तथा अधिशोषण के मध्य रासायनिक बंधा अर्थात सहसंयोजक बंध होता है उसे हम रासायनिक अधिशोषण कहते है
जैसे: निकिल की सतह पर हैड्रोजन का अधिशोषण होना
भौतिक अधिशोषण तथा रासायनिक अधिशोषण में अंतर:
रशायानिक अधिशोषण | भौतिक अधिशोषण |
| विशेष नहीं होती है | दुर्बल वन्दर्वल्स बल होता है | उष्मा परिवर्तन बहुत कम होता न के बराबर होता है| 20-40किलोकैलोरी./मोले यह गैसे के क्रांतिक ताप पर निर्भर होती है | ताप बढ़ने से भौतिक अधिशोषण की दर घटती है | पृष्ठ क्षेत्रफल बढ़ने से भौतिक अधिसोषण की दर बढ़ती है | |
अवशोषण किसे कहते है – avshoshan ki paribhasha:
जब अधिशोष्य ,अधिशोषक में समान रूप से वितरित हो जाता है तो उसे अवशोषण कहते है।
जब अधिशोष्य ,अधिशोषक में समान रूप से वितरित हो जाता है तो उसे अवशोषण कहते है।
उदाहरण :
- स्पंज के टुकड़े को जल के संपर्क में रखने पर
- कागज़ के टुकड़े को जल के सम्पर्क में रखने पर
- NH3गैस को जल के संपर्क में रखने पर
NH3 + H2O = NH4OH
- निर्जल CaCl2 को जल वाष्प के सम्पर्क में रखने पर।
अधिशोषण तथा अवशोसण में अंतर:
1.अधिशोषण एक पृष्ठीय घटना है जबकि अवशोसण एक आतंरिक घटना है |
2.अधिशोषण में अधिशोस्य का घनत्व न्यूनतम होता है जबकि अवशोषण में अवशोस्य का घनत्व पृष्ठ पर न्यूनतम होता है
3.अधिशोषण भौतिक तथा रासायनिक दोनों प्रक्रिया के द्वारा होता है जबकि अवशोषण केवल भौतिक प्रक्रिया द्वारा होता है |
4.अधिशोषण में अधिशोस्य तथा अधिशोषक के मध्य रासायनिक बाँध बनता है इसलिए इस प्रक्रिया में उष्मा परिवर्तन होता है जबकि अवशोषण में केवल आणु केवल अवशोषक केअंतराकाशी स्थानों में समां जाते है इसलिए इस प्रक्रिया में उष्मा का कोई परिवर्तन नहीं होता है |
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