हेलो स्टूडेंट्स, आज हम इस लेख में हेनरी का नियम क्या है | सूत्र | अनुप्रयोग के बारे में पढ़ेंगे |
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हेनरी का नियम क्या है – henry ka niyam samjhaiye:
गैस की विलायक में विलेयता तथा दाब मे बीच मात्रात्मक संबंध सर्वप्रथम अंग्रेज रसायनशास्त्री हेनरी ने बतलाया। हेनरी द्वारा बतलाये गये संबंध को हेनरी का नियम कहते हैं।
हेनरी के नियम के अनुसार स्थिर ताप पर किसी गैस की द्रव में विलेयता गैस के दाब के समानुपाती होती है।
विशेष:
- अक्रिय गैसों के लिए हेनरी नियतांक का मान अधिक होता है अतः अक्रिय गैस कम घुलती है।
- ताप बढ़ाने से हेनरी नियतांक बढ़ता है , k का मान बढ़ने से गैसों की द्रव में विलेयता कम हो जाती है। अतः जलीय जन्तु गर्म जल की तुलना में ठन्डे जल में अधिक सुविधा जनक स्थिति में रहते है , क्यूँकि ठन्डे जल में ऑक्सीजन अधिक घुलती है।
यदि विलयन में गैस के मोल अंश को उसकी विलेयता का माप मानें तो यह कहा जा सकता है कि किसी विलयन में गैस का मोल अंश उस विलयन के ऊपर उपस्थित गैस के आंशिक दाब के समानुपाती होता है।
अत: सामान्य रूप से हेनरी के नियम के अनुसार किसी गैस का वाष्प अवस्था में आंशिक दाब (p), उस विलयन में गैस के मोल अंश (xx) के समानुपाती होता है।
अथवा p=KHxp=KHx – – – – – – – (i)
यहाँ KHKH हेनरी स्थिरांक है तथा pp आंशिक दाब एवं xx मोल अंश है।
समीकरण (i) के अनुसार दिए गये दाब पर KHKH का मान जितना अधिक होगा, द्रव में गैस की विलेयता उतनी ही कम होगी।
गैस के आंशिक दाब तथा विलयन में गैस के मोल अंश के बीच ग्राफ (आलेख)
सामान्य ताप पर विभिन्न गैसों के लिए KHKH का मान भिन्न भिन्न होता है, अर्थात KHKH का मान गैस की प्रकृति पर निर्भर करता है।
हेनरी के नियम के अनुप्रयोग:
1. उच्च पहाड़ी स्थानों पर वायु में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है जिससे वायु दाब भी कम होता है जिससे रक्त में ऑक्सीजन गैस कम मात्रा में विलेय होती है , शरीर कमज़ोर होने लगता है , स्पष्ट सोचने की क्षमता कम होने लगती है इस लक्षण को एनोक्सिया कहते है।
2. चूँकि दाब बढ़ने पर द्रव में गैस की विलेयता बढ़ती है इसलिए सोडा जल तथा शीतल पेय में CO2 की विलेयता बढ़ाने के लिए बोतल को अधिक दाब पर बंद किया जाता है।
3. सोडा वाटर या शीतल पेय पदार्थो में कार्बन डाई ऑक्साइड की विलेयता को बढ़ाने के लिए उच्च ताप पर कार्बन डाई ऑक्साइड गैस प्रवाहित करते है।
4. जब समुद्री गोताखोर गहरे समुद्र में जाते है तो उन्हें उच्च दाब का सामना करना पड़ता है जिससे वायु में उपस्थित ऑक्सीजन और नाइट्रोजन की रक्त में विलेयता बढ़ जाती है जब गोताखोर समुद्र की सतह पर आते है तो दाब धीरे धीरे कम होने लगता है , दाब कम होने पर रक्त में घुली ऑक्सीजन और नाइट्रोजन गैस बुलबुलों के रूप में रुधिर कोशिकाओं में एकत्रित होने लगती है जिससे रक्त के प्रवाह में रुकावट आती है यह स्थिति घातक होती है इसे बेंटस कहते है , इससे बचने के लिए वायु में काम घुलनशील गैसे जैसे हीलियम और निऑन मिलायी जाती है।