संघ – मौलस्का | एकाइनोडर्मेटा  | हेमीकार्डेटा लक्षण

संघ – मौलस्का (mollusca in hindi) :

सामान्य लक्षण :
1. यह जंतु जगत का दूसरा सबसे बड़ा संघ है।
2. इसकी लगभग 80 हजार प्रजातियाँ ज्ञात है।
3. इस संघ की स्थापना जोनसटन ने की।
4. ये जलीय या स्थलीय होते है।
5. इनका शरीर कोमल व खण्डहिन होता है।
6. शरीर सिर , पेशीय पाद व अन्तरांग कुकुद में बंटा होता है।
7. इनकी आहारनाल पूर्ण व u आकार की होती है।
8. मुखगुहा में भोजन को पिसने के लिए रेड्युला पाया जाता है।
9. इनमे उत्सर्जन मेटा नेफ्रीडीया , बोजेनस के अंग या केबर के अंग द्वारा होता है।
10. इनका परिसंचरण तंत्र खुला व रक्त रंगविहीन होता है।
11. तंत्रिका तंत्र गुच्छिकाओं के रूप में होता है।
12. सिर पर संवेदी अंग के रूप में नेत्र व स्पर्शक होते है।
13. ये एकलिंगी निषेचन आंतरिक या बाह्य , अण्डज प्राणी होते है।
14. इनके शरीर पर कैल्शियम कार्बोनेट का आवरण पाया जाता है।
15. इनमें परिवर्धन अप्रत्यक्ष प्रकार का होता है।
उदाहरण – पाइला (घोंघा)
पिकटाडा (मुक्त शुक्ति) , गुनियो , सिपिया (कटल फिश) , लोलिंगो (स्किवड) , ओक्टोपस (बेताल मछली , समुद्री प्रेत ) , एप्लेसिया (समुद्री खरगोश ) , डेन्टेलियम (हाथी दांत कवच ) , कीटोप्लयुरा (काईटन )

 संघ एकाइनोडर्मेटा  (echinodermata)

सामान्य लक्षण –

1. इस संघ के सदस्य समुद्रीवासी होते है।

2. इनका शरीर गोल या तारे के समान होता है।

3. ये अरीय सममित प्राणी है , परन्तु लार्वा द्विपाशर्व सममित होता है।

4. ये प्रगुहीय , त्रिकोरिक तथा अंग तंत्र स्तर का शारीरिक संगठन युक्त प्राणी है।

5.  आहारनाल पूर्ण होती है , जिसमें मुख अधर सतह पर तथा गुदा पृष्ठ सतह पर पायी जाती है।

6. इनमे जल संवहन तंत्र उपस्थित होता है जो गमन , भोजन पकड़ने , उत्सर्जन में सहायक होता है।

7. इनमें विशिष्ट उत्सर्जन अंग , श्वशन अंग , संवेदी अंग व तंत्रिका तंत्र अनुपस्थित होता है।

8. इनमे परिसंचरण तंत्र खुला होता है।

9. ये एकलिंगी बाह्य निषेचन तथा अप्रत्यक्ष परिवर्धन करने वाले प्राणी है।

10. इनके लार्वा को बाईपिन्नेरिया कहते है।

11. इनमे कैल्शियम का अन्त: कंकाल पाया जाता है।

अत: इन्हें शूलयुक्त प्राणी कहते है।

उदाहरण – एकाइनस (समुद्री अर्चिन)

एंटीडोन (समुद्री लिली)

कुकुमेरिया (समुद्री कर्कटी)

ऑफीयूरा (भंगूर तारा)

संघ – हेमीकार्डेटा (Hemichordate)

सामान्य लक्षण –

1. पहले हेमीकॉड्रेटा को कशेरुकी संघ में रखा गया था , परन्तु वास्तविक पृष्ठ रज्जु के अभाव में इनको अलग संघ के रूप में रखा गया।

2. इस संघ के सभी सदस्य समुद्रवासी होते है।

3. शरीर कृमि के समान व बेलनाकार होता है।

4. शरीर शुंड , कोलर व वक्ष में विभक्त होता है।

5. ये त्रिकोरिक , द्विपाशर्व सममित , प्रगुहीय तथा अंग तंत्र स्तर का शारीरिक संगठन वाले प्राणी है।

6. परिसंचरण तंत्र बन्द प्रकार का होता है।

7. श्वसन क्लोम द्वारा होता है।

8. उत्सर्जन शुंड ग्रंथि द्वारा होता है।

9. ये एकलिंगी , बाह्य निषेचन प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रकार का परिवर्धन वाले प्राणी है।

10. इनके लार्वा को टोनेरिया कहते है।

उदाहरण – बैलेनोग्लोसस , सैकोग्लोसस , टाइकोड्रेरा

Remark:

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