श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द क्या होता है_

श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द क्या होता है?

हेलो स्टूडेंट, आज हम इस लेख में श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द क्या होता है? के बारे में पढ़ेंगे |

श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द की परिभाषा:

ऐसे शब्द जो पढ़ने और सुनने में लगभग एक-से लगते हैं, परंतु अर्थ की दृष्टि से भिन्न्न होते हैं, श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द कहलाते हैं।

अथवा

कुछ शब्द ऐसे होते हैं जिनमें स्वर, मात्रा अथवा व्यंजन में थोड़ा-सा अन्तर होता है। वे बोलचाल में लगभग एक जैसे लगते हैं, परन्तु उनके अर्थ में भिन्नता होती है। ऐसे शब्द ‘श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द’ कहलाते हैं।

जैसे- घन और धन दोनों के उच्चारण में कोई खास अन्तर महसूस नहीं होता परन्तु अर्थ में भिन्नता है।
घन= बादल
धन= सम्पत्ति

हिंदी भाषा में ऐसे बहुत से शब्द हैं, जिनमें से कुछ की सूची नीचे दी जा रही है :

शब्दअर्थशब्दअर्थ
(1) बहु
बहू
अत्यधिक
पुत्रवधू
(2) गाड़ी
गाढ़ी
यान
गहरी
(3) बहार
बाहर
शोभा
आंगन में
(4) नियत
नीयत
निश्चित
इरादा
(5) खोलना
खौलना
बन्धनमुक्त करना
उबलना
(6) गिरि
गिरी
पर्वत
बीज
(7) कोश
कोष
म्यान
खजाना
(8) वात
बात
हवा
बातचीत
(9) सकल
शकल
पूरा
टुकड़ा
(10) पास
पाश
निकट
बन्धन
(11) आदि
आदी
प्रारम्भ
आदत
(12) तरणि
तरणी
सूर्य
नाव
(13) लक्ष
लक्ष्य
लाख
निशाना
(14) प्रसाद
प्रासाद
कृपा
भवन
(15) कृति
कृती
रचना
पुण्यात्मा
(16) गृह
ग्रह
घर
नौ ग्रह
(17) हाल
हॉल
दशा
बड़ा कमरा
(18) बुरा
बूरा
खराब
शक्कर
(19) चर्म
चरम
चमड़ा
अत्यधिक
(20) इति
ईति
समाप्त
भय
(21) अचार
आचार
खट्टा खाद्य पदार्थ
व्यवहार
(22)अधम
अधर्म
नीच
पाप
(23) बली
बलि
शक्तिशाली
बलिदान
(24) बार
वार
पुनः
दिन
(25) अवधि
अवधी
समय
भाषा
(26) पृष्ट
पृष्ठ
पूछा हुआ
पन्ना
(27) अन्न
अन्य
अनाज
दूसरा
(28) सम
शम
समान
शान्ति
(29) सर
शर
तालाब
बाण
(30) जवान
जबान
युवा
बोली
(31) कुल
कूल
वंश
किनारा
(32) छात्र
क्षात्र
विद्यार्थी
क्षत्रिय
(33) चिर
चीर
देर
वस्त्र
(34) उपकार
अपकार
भलाई
बुराई
(35) अंस
अंश
कन्धा
हिस्सा
(36) भवन
भुवन
घर
संसार
(37) अविराम
अभिराम
लगातार
सुन्दर
(38) क्रम
कर्म
सिलसिला
कार्य
(39) सन
सन्
जूट
साल, वर्ष
(40) सीसा
शीशा
एक धातु
दर्पण
(41) व्रत
वृत्त
उपवास
घेरा
(42)अध्ययन
अध्यापन
पढ़ना
पढ़ाना
(43)अंबर
अंबार
वस्त्र, आकाश
ढेर
(44)अगम
आगम
दुर्गम
शास्त्र
(45)अन्यान्य
अन्याय
दूसरे
न्याय के विरुद्ध
(46)अरि
अरी
शत्रु
संबोधन
(47)अवसान
आसान
समाप्ति
सरल
(48)आयात
आयात
बाहर से आना
लंबा, विस्तृत, विशाल
(49)इंदिरा
इंद्रा
लक्ष्मी
इंद्राणी
(50)कंगाल
कंकाल
गरीब
हड्डी का ढाँचा
(51)कंजर
कुंजर
खानाबदोश या घुमक्कड़ लोग
हाथी
(52)कड़ाई
कढ़ाई
सख्ती
कशीदा, चिकन, जरदोजी
(53)काठ
काट
लकड़ी
काटना
(54)कृपण
कृपाण
कंजूस
कटार
(55)खान
खान
खदान
पठान गुर उपाय
(56)गुर
गुरु
उपाय
भारी, शिक्षक
(57)तनु
तनू
दुबला-पतला शरीर
पुत्र, गाय
(58)दिन
दीन
दिवस
गरीब
(59)देव
दैव
देवता
भाग्य
(60)द्रव
द्रव्य
तरल पदार्थ
धन
(61)निर्वाण
निर्माण
मृत्यु
बनाना
(62)चरम
चर्म
अंतिम
खाल
(63)पका
पक्का
पका हुआ
मजबूत
(64)पथ
पथ्य
रास्ता
रोगी का आहार
(65)पानी
पाणि
जल
हाथ
(66)पुर
पूर
नगर
बाढ़
(67)पवन
पवन
वायु
पवित्र
(68)प्रणय
परिणय
प्रेम
विवाह
(69)बाग
बाघ
बगीचा, उद्यान
व्याघ्र (एक जानवर)
(70)भवन
भुवन
महल
संसार
(71)लक्ष्य
लक्ष
उद्देश्य
लाख
(72)शंकर
संकर
भगवान शिव
मिश्रित
(73)शोक
शौक
दुख
चाव, व्यसन
(74)शम
सम
शांति
बराबर
(75)शूर
सूर
वीर
अंधा
(76)शस्त्र
शास्त्र
हथियार
ग्रंथ
(77)श्रवण
श्रमण
सुनना, कान
बौद्ध संन्यासी
(78)सर्ग
स्वर्ग
अध्याय
एक लोक
(79)साला
शाला
पत्नी का भाई
घर, मकान
(80)हय
हिय
घोड़ा
हृदय

(1) असन- भोजन- संतुलित असन स्वास्थ्यकर होता है।
आसन-बैठने की वस्तु-मेरे गुरु महाराज आसन पर बैठ गये।
आसत्र-निकट-‘मैंने देखा है’- आसत्रभूत का उदाहरण है।

(2) अवधि-समय सीमा- अल्पावधि (कम समय में) में ही मेरा छोटा भाई अंग्रेजी सीख गया।
अवधि-भाषा विशेष- ‘रामचरितमानस’ की भाषा अवधी है।

(3) अवमर्ष-स्पर्श, संपर्क- भाग्यशालियों को संतों का अवमर्श प्राप्त होता है।
अवमर्ष-विचार-विमर्श, आलोचना- कोई निर्णय लेने से पहले बुद्धिमानों से अवमर्ष आवश्यक है।

(4) अंस-कंधा- मेरे अंसों पर पूरे परिवार का भार है।
अंश-हिस्सा- सबको अपना-अपना अंश मिलना चाहिए।

(5) अलि-भौंरा- फूलों पर बहुत-से अलि मँडरा रहे है।
अली-सखी- राधा की एक अली का नाम शांता था।

(6) अपेक्षा-आकांक्षा, इच्छा- मैं आपसे अच्छे व्यवहार की अपेक्षा करता हूँ।
उपेक्षा-निरादर- किसी की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।

(7) अनिष्ट-बुराई- अच्छे लोग दूसरों का अनिष्ट नहीं करते।
अनिष्ठ-निष्ठारहित- अनिष्ठ समाज में सम्मानित नहीं होते।

(8) अयस-लोहा- अयस से अस्त्र-शस्त्र निर्मित होते है।
अयश-अपयश- अयश से बचना चाहिए।

(9)द्रव-रस, पिघला हुआ- जल द्रव है।
द्रव-धन, पदार्थ- द्रव्य दिन-प्रतिदिन महँगे होते जा रहे है।

(10) द्विप-हाथी- द्विप विशालकाय होते है।
द्वीप-टापू- श्रीलंका एक द्वीप है।

(11) नीर-पानी- भाषा बहता हुआ नीर होती है।
नीड़-घोंसला- रात में पंछी अपने-अपने नीड़ों में विश्राम करते हैं।

(12) प्रकार-रीति- इस बाग में विभिन्न प्रकार के फूल खिले हैं।
प्राकार-किले का अंग- प्राकार ध्वस्त हो रहा है

(13) वसन-वस्त्र- उसके वसन पुराने किन्तु स्वच्छ थे।
व्यसन-आदत- जुए का व्यसन बहुत खराब होता है।

(14) परुष-कठोर- प्रस्तर (पत्थर) परुष होता है।
पुरुष-व्यक्ति- आज के पुरुषों में पुरुषत्व नहीं रह गया है।

(15) कर्म-कार्य- कर्म का फल अवश्य मिलता है।
क्रम-सिलसिला- क्रम में छात्र आते गये और अपना-अपना पुरस्कार लेते गये।

(16) मास-महीना- साल में बारह मास होते है।
मांस-गोश्त- उस भिखारी के शरीर पर मांस नहीं था।

(17) मद्य-शराब- मद्यपान से स्वास्थ्य खराब होता है।
मध्य-बीच- नौका नदी के मध्य डूब गई।

(18) कुल-वंश- जयंत के कुल में जगदीश ऐसा कोई पुत्र नहीं हुआ।
कूल-किनारा- नौका कूल पर लग गई।

(19) बात-वचन- उसकी बात में सच्चाई है।
वात-हवा- वात धीरे-धीरे बह रहा है।

(20) श्रवण-कान- श्रवणों में नुकीली चीज कभी नहीं डालनी चाहिए।
स्त्रवन-बहना- उसकी आँखों से आँसू स्त्रवित होने लगे।

(21) सूची-अनुक्रमणिका, विवरणिका- सामानों की सूची लिख लीजिये।
शुचि-पवित्र- पूजा-पाठ में शुचिता पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
सूची-सूई- सूची और सूत्र (धागा) का अन्योन्याश्रित संबंध होता है।

(22) शौर्य-शूरता- राणा प्रताप शौर्य के प्रतीक थे।
सौर्य/सौर-सूर्य से संबद्ध- सौर्य तेज से ही हम जीवित है।/सौर-मंडल में अनेक ग्रह है।

(23) स्रोत-सोता- भयंकर गर्मी के कारण पानी के सभी स्रोत सूख गये है।
श्रोत-वेद- श्रोत चार है- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद।

(24) स्वक्ष-सुंदर आँख- उसके स्वक्षों में जादू है।
स्वच्छ-साफ- स्वच्छ पानी पीना चाहिए।

(25) शर्व-शिव- शर्व को महादेव भी कहते हैं।
सर्व-सब- सर्व प्राणियों में आत्मा का निवास होता है।

(26)सुत-बेटा- राम दशरथ के बड़े सुत थे।
सूत-सारथि/धागा- कृष्ण अर्जुन के सुत (सारथि, रथ हाँकनेवाले) थे।/ महीन सूत से बना कपड़ा टिकाऊ होता है।

(27) शुक-सुग्गा- शुक डाल पर बैठा अमरुद खा रहा है।
शूक- जौ की बाल/पौधे के कड़े रोयें- शूक में महीन और लंबे-लंबे रोयें होते हैं।

(28) लक्ष्य-उद्देश्य- मेरे जीवन का लक्ष्य सुयोग्य डॉक्टर बनना है।
लक्ष-लाख- राजा ने मंत्री को दो लक्ष मुद्रायें दीं।

(29) मूल-जड़- सुनील सारी झंझटों का मूल है।
मूल्य-दाम- मूल्यवृद्धि से उपभोक्ता परेशान है।

(30) विजन-मनुष्य रहित स्थान- वह भटकता हुआ विजन में पहुँच गया था।
व्यजन-पंखा- गर्मी में व्यजन से राहत मिलती है।
व्यंजन-सब्जी, तरकारी- कल दीदी ने स्वादिष्ट व्यंजन बनायी थी।

इन्हे भी पढ़े:

श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द Video

Credit: Learn Easy

FAQs

  • श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द क्या होता है?

    ये शब्द चार शब्दों से मिलकर बना है ,श्रुति+सम +भिन्न +अर्थ , इसका अर्थ है . सुनने में समान लगने वाले किन्तु भिन्न अर्थ वाले दो शब्द अर्थात वे शब्द जो सुनने और उच्चारण करने में समान प्रतीत हों, किन्तु उनके अर्थ भिन्न -भिन्न हों , वे श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द कहलाते हैं .

  • चरम और चर्म का श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द क्या होगा ?

    चरम का अर्थ – अन्तिम

    भारत में चर्म उद्योग का व्यापार फल फूल रहा है। अब तुम्हारी ज्यादती चरम पर पहुंच चुकी है।

  • अन्न शब्द का समोच्चारित भिन्नार्थक शब्द क्या होगा ?

    अन्न और अन्य में क्या अंतर है – समोच्चरित भिन्नार्थक शब्द युग्म पुरानी कहावत है – जैसे खाओगे अन्न, वैसा होगा मन।

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