पादपों में श्वसन , क्या पादप सांस लेते है , श्वसन के प्रकार , किण्वन क्या है

पादपों में श्वसन : सभी सजीवो को अपनी जैविक क्रियाएँ पूरी करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है , जटिल कार्बनिक पदार्थ ऑक्सीजन की उपस्थिति में विघटित होकर CO2 व जल के साथ साथ ऊर्जा मुक्त करते है जो सजीवों की जैविक क्रियाओं में काम आती है |

श्वसन सजीव कोशिकाओ में संपन्न होने वाली वह प्रक्रिया है जिसमें उच्च ऊर्जा वाले जटिल कार्बनिक पदार्थ विघटित होकर सरल व निम्न ऊर्जा वाले अणुओं का निर्माण करते है तथा ऊर्जा मुक्त होती है |

यह क्रिया निम्न प्रकार से सम्पन्न होती है –

श्वसन के क्रियाधार:

श्वसन में ऑक्सीकृत होने वाले उच्च ऊर्जा वाले अणु श्वसन क्रियाधार कहलाते है | ये क्रियाधार कार्बोहाइड्रेट , प्रोटीन व वसा के अणु होते है , श्वसन में सबसे पहले उपयोग लिया जाने वाला क्रियाधार कार्बोहाइड्रेट होता है |

क्या पादप सांस लेते है ?

हाँ , पादप भी साँस लेते है , ये ऑक्सीजन ग्रहण करते है तथा CO2 मुक्त करते है | पादपो में गैसों का आदान प्रदान रन्ध्रो द्वारा होता है |

श्वसन के प्रकार :-

ऑक्सीजन की उपस्थिति के आधार पर श्वसन दो प्रकार का होता है |

  • अनॉक्सी श्वसन : इस प्रकार का श्वसन ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है , इसमें कार्बोहाइड्रेट का अपूर्ण ऑक्सीकरण होता है जिससे कम मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है तथा एल्कोहल अथवा कार्बोनिल अम्ल व CO2 का निर्माण होता है |
  • ऑक्सी श्वसन : इस प्रकार का श्वसन ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है , इसमें कार्बोहाइड्रेट का पूर्ण ऑक्सीकरण होता है जिससे co2 , जल , व ऊर्जा मुक्त होती है , इसमें मुक्त होने वाली ऊर्जा की मात्रा अधिक होती है |

ट्राइकर्बोक्सिलिक अम्ल चक्र / क्रेब चक्र

माइटोकोंड्रिया में होने वाली इस अभिक्रिया को सर्वप्रथम एच.ए.क्रेब ने 1937 में समझाया था | क्रेब चक्र का प्रारम्भ सिट्रिक अम्ल के बनने से होता है | अत: इसे सिट्रिक अम्ल चक्र भी कहते है , इस सम्पूर्ण चक्र में 6-कार्बन वाले सिट्रिक अम्ल में से 2-कार्बन परमाणु co2 के रूप में मुक्त होते है तथा ऑक्सेलोएसिटिक अम्ल का निर्माण होता है जो क्रेब चक्र का अन्तिम उत्पाद होता है | यह एसिटाइल co.A से मिलकर चक्र की निरन्तरता बनाये रखता है |

ऑक्सीश्वसन में कुल 36 ATP अणु बनाते है , क्रेब चक्र में ATP अणुओं का निर्माण होता है | जिनका उपयोग विभिन्न कार्यो को करने के लिए ऊर्जा के रूप में होता है | इस चक्र में कई ऐसे मध्यवर्ती यौगिकों का निर्माण होता है जिनका अन्य जैव अणुओं के संश्लेषण में उपयोग होता है |

इलेक्ट्रोन परिवहन तंत्र (electrone transport system):

उपापचयी पथ जिसके द्वारा इलेक्ट्रान एक वाहक से अन्य वाहक की और गुजरता है , इलेक्ट्रोन परिवहन तंत्र कहलाता है |

यह माइटोकोंड्रिया की भीतरी झिल्ली में सम्पन्न होता है | इस प्रक्रिया में इलेक्ट्रान व् हाइड्रोजन आयन कई मध्यस्थ वाहको के द्वारा जुड़कर जल का निर्माण करते है तथा ATP का निर्माण होता है | इलेक्ट्रान परिवहन तन्त्र में NADH2 व FADH2 से इलेक्ट्रान का ऑक्सीकरण एक निश्चित क्रम में होता है |

  • माइटोकोंड्रिया की मेट्रिक्स में बनने वाले NADH2 का NAD में ऑक्सीकरण होता है | इस क्रिया में मुक्त होने वाले इलेक्ट्रान माइटोकोंड्रिया की आन्तरिक झिल्ली में उपस्थित यूबीक्वीनॉन ऑक्सीडोरिडक्टेज (UQ) – संकुल –I द्वारा ग्रहण कर लिए जाते है जिसमें प्लेविन मोनो न्युक्लियोटाइड (FMN) भी होता है |

सक्सीनेट यूबीक्वीनॉन ऑक्सीडोरिडक्टेज –संकुल – II द्वारा FADH2 से प्राप्त इलेक्ट्रान ग्रहण करता है |

  • यूबीक्वीनॉन इलेक्ट्रान का स्थानान्तरण साइटोक्रोम b व c संकुल – III द्वारा साइटोक्रोम c को करता है | साइटोक्रोम c इन इलेक्ट्रानो को साइटोक्रोम A व A3 संकुल-IV को स्थानांतरित करता है |
  • संकुल-IV से ये इलेक्ट्रोन संकुल-IV (ATP सिन्थेटेज संकुल) से जुड़कर ATP व IP द्वारा ATP का निर्माण करते है |
  • इस प्रक्रिया में बनने वाले ATP अणुओं की संख्या इलेक्ट्रोन दाता की प्रकृति पर निर्भर करती है |
  • ऑक्सीजन इस क्रिया में अन्तिम हाइड्रोजन ग्राही का कार्य करता है |
  • ADP का फास्फोरिलीकरण ऑक्सीजन की उपस्थिति में होने के कारण इस प्रक्रिया को ऑक्सीकीय फास्फोरिलीकरण कहा जाता है |

किण्वन (fermentation) :

किण्वन अधिकांश जीवाणु , कबको , यीस्ट व मांशपेशियों में ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होने वाली क्रिया है जिसमे ग्लूकोज के अणु का अपूर्ण ऑक्सीकरण होता है | जिसमे एल्कोहल अथवा कर्बोक्सिलिक अम्ल का निर्माण होता है तथा CO2 मुक्त होती है | किण्वन क्रिया में बनने वाले उत्पाद के आधार पर किण्वन दो प्रकार का होता है –

  • एल्कोहलीय किण्वन
  • लेक्टिक अम्ल किण्वन
  • एल्कोहलीय किण्वन : यह क्रिया यीस्ट , उच्च पादपों व कवको में होती है | इस क्रिया के फलस्वरूप एथेनोल व co2 का निर्माण होता है |
  • लेक्टिक अम्ल किण्वन : यह क्रिया कुछ जीवाणुओं व मांशपेशियों में होती है , इस क्रिया में लेक्टिक अम्ल व co2 का निर्माण होता है | किण्वन क्रिया में ग्लूकोज के एक अणु से केवल 2 ATP ऊर्जा ही प्राप्त होती है |

ऑक्सी श्वसन व किण्वन में अंतर

किण्वनऑक्सीश्वसन
१.       इसमें ग्लूकोज का आंशिक विघटन होता है |इसमें ग्लुकोज का पूर्ण विघटन होता है
२.       ग्लुकोज के एक अणु से 2 ATP प्राप्त होते हैग्लूकोज के एक अणु से 36 ATP प्राप्त होते है
३.       इसमें NADH2 का ऑक्सीकरण मंद गति से होता हैइसमें NADH2 का ऑक्सीकरण तीव्र गति से होता है |

एन्फिबोलिक पथ : श्वसन के लिए ग्लुकोज अनुकूल क्रियाधार है , सभी कार्बोहाइड्रेट श्वसन में उपयोग लाने से पहले ग्लूकोज में बदले जाते है |

  • वसा पहले ग्लिस्रोल व वसीय अम्लों में टूटती है , वसीय अम्ल एसिटाइल COA में बदल कर ऑक्सी श्वसन में प्रवेश करता है , जबकि ग्लिस्रोल डाइहाइड्रोक्सी एसीटोन फास्फेट में बदलकर PGA के रूप में ग्लाइकोलाइसिस में प्रवेश करता है |
  • प्रोटीन पहले अमीनो अम्लों में विघटित होती है , जो पाइरुबिक अम्ल के रूप में ऑक्सीश्वसन में भाग लेती है |

श्वसन गुणांक (R.Q) (respiration quanant) (RQ) : श्वसन में मुक्त होने वाले co2 व उपयोग होने वाली o2 के आयतन का अनुपात श्वसन गुणांक कहलाता है |

श्वसनीय संतुलन चार्ट

प्रत्येक ग्लुकोज के अणु से बनने वाले प्राप्त शुद्ध ATP की गणना कुछ निश्चित कल्पनाओं के आधार पर की जा सकती है |

  • यह एक कृमिक क्रियात्मक व सुव्यवस्थित पथ है जिसमें एक क्रियाधार से दूसरे क्रियाधार का निर्माण होता है , यह प्रक्रिया प्रक्रिया ग्लाइकोलाइसिस से प्रारम्भ होकर क्रेब चक्र व इलेक्ट्रान परिवहन तंत्र तक चलती है |
  • ग्लाइकोलाइसिस से प्राप्त NADH2 माइटोकोंड्रिया में आकार फास्फोरिलिकृत होते है |
  • पथ का कोई भी मध्यवर्ती उत्पाद दूसरे यौगिक का निर्माण नहीं करता है |
  • श्वसन में केवल ग्लूकोज का ही उपयोग किया जाता है , कोई दूसरा वैकल्पिक क्रियाधार पथ के किसी भी मध्यवर्ती चरण में प्रवेश नहीं करता है |
  • ऑक्सी श्वसन के दौरान ग्लुकोज के एक अणु से 36 ATP अणुओं की शुद्ध प्राप्ति होती है |

Remark:

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