हमें सबसे पहले यह समझना होगा कि राधा और कृष्ण हैं कौन? यदि वह परमेश्वर(दोनों) हैं,तो इस धरातल पर क्यों आऐ ? इन सब बातों को जानने के लिऐ हम गर्गसंहिता तथा ब्रह्मवैवर्त पुराण का अध्ययन करते हैं।

श्रीकृष्ण ही मूल परमेश्वर हैं और उनकी शक्ति राधा जी हैं,वह दोनों स्वरुपतः एक हैं,शास्त्रों में कहा गया है कि उनमें न तो कोई बडा़ है और न कोई छोटा ,वह एक दूसरे से अभिन्न हैं जिस प्रकार से आग में ऊष्णता,जल में शीतलता और पृथ्वी में गंध व्याप्त है।
राधाकृष्ण परमधाम(गोलोक ) के रहवासी हैं। राधाकृष्ण की ही संतान महाविराट पुरुष है जो कारणवारि में शयन करते हैं जिनके आधीन अनन्त कोटि संसार हैं।श्रीकृष्ण ही विष्णु ,शिव आदि परादेवता हैं अर्थात यह सब श्री भगवान के ही स्वरुप हैं और श्रीराधा ही महालक्ष्मी,शिवा आदि शक्तियां हैं
एक बार गोलोक में श्रीकृष्ण अपनी शक्ति विरजा देवी के समीप थे।राधा को यह ठीक नहीं लगा।राधा जी सखियों के साथ वहां जाने लगी।तब श्रीदामा ने उन्हें रोका।
इस पर श्रीराधा ने उसे असुर होने का श्राप दे दिया।इसके बदले सेवक श्रीदामा ने भी राधा को मानव योनी में जन्म लेने का श्राप दे दिया और कहा कि गोकुल में ही श्रीहरि के अंश रायाण नामक गोप होगें,उनके साथ आपका छाया रुप रहेगा।अतः मूढ़ लोग आपको रायाण वैश्य की पत्नी समझेंगे,श्रीहरि के साथ आपका कुछ काल तक विछोह रहेगा।
इससे दोनों को ही क्षोभ हुआ।तब अतंर्यामी भगवान ने श्रीदामा को संतावना देकर कहा कि तुम धरती पर शंखचूर्ण नामक असुर होओगे तथा श्रीशंकर के हाथों मृत्यु को प्राप्त होओगे।
अब राधा जी को बडे़ प्रेम से गले लगाकर कहा-प्रिये चिंता मत करो ,वाराहकल्प में मै भी आपके साथ पृथ्वी पर जाउंगा ,मेरे रहते तुम्हें क्या चिंता।
उधर विरजा देवी नदी हो गयी और उनके श्रीकृष्ण द्वारा सात पुत्र हुऐ जो धरती पर सात समुद्र हो गये
इसी कारण से श्रीहरि और श्रीराधा जी धरती पर अवतरित हुऐ।यह परमेश्वर की लीलामात्र है।
श्रीराधा जी का विवाह साक्षात ब्रह्मा जी ने श्रीकृष्ण के साथ भाण्डीर वन में करवाया था।सारे देवी देवताओं ने पुष्प वर्षा की थी। प्रमाण-ब्रह्मवैवर्त पुराण (कृष्णजन्म खण्ड भाग में अध्याय -१५ ) तथा गर्ग संहिता -(गोलोक खण्ड का १६वां अध्याय).
,यशोदा,नन्दबाबा ,बृषभानु और कलावती(राधा जी के माता-पिता) इन सबको राधा- कृष्ण का सारा वृतांत महात्मा गर्ग जी ने बता दिया था।
यह सभी जानते थे कि श्रीराधा जी भगवान श्रीकृष्ण की प्राणवल्लभा हैं,सनातन और अविनाशी परमात्मा हैं।
Remark:
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