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एमीन क्या होता है:
जब एल्केन में से एक H के स्थान पर दूसरा -NH2 आता है तो उन्हें एलीफैटिक ऐमिन कहते है।
R-H → R-NH2
जब बेंजीन में से एक H के स्थान पर -NH2 समूह आता है तो उन्हें ऐरोमैटिक ऐमिन कहते है।
C6H6 → C6H5-NH2
ये चार प्रकार के होते है :
- प्राथमिक ऐमिन :
क्रियात्मक समूह -NH2
साधारण नाम – एल्किल ऐमिन
IUPAC नाम – एल्केनेमिन
उदाहरण – CH3-CH2-CH2-NH2 (propan-1-amine)
- द्वितीयक ऐमिन :
क्रियात्मक समूह -NH or =NH
साधारण नाम – डाई एल्किल एमीन
IUPAC नाम – N-एल्केनेमिन
उदाहरण – CH3-CH2-NH-CH2-CH3 (N-मेथिल एथेनेमिन)
- तृतीयक ऐमीन :
क्रियात्मक समूह : ≡N
साधारण नाम – trialkyl amine
IUPAC नाम – N,N -dialkyl alkanamine
- चतुष्य ऐमीन :
साधारण नाम – टेट्रा ऐल्किल ऐमोनियम हैलाइड
सभी ऐमीन क्षारीय प्रकृति के होते हैक्योंकि ये प्रोटोन को ग्रहण करते है।
सभी ऐमीन में नाइट्रोजन का SP3 संकरण होता है इसकी ज्यामिति पिरामिडी होती है।
ऐमीन बनाने की विधि :
- नाइट्रो एल्केन या नाइट्रोबेंजिन के अपचयन से।
इस क्रिया में NO2 समूह -NH2 समूह में परिवर्तित होता है।
R-NO2 6H → R-NH2 + 2H2O
- सायनाइड के अपचयन से :
R-CN + 4H → R-CH2-NH2
हॉफमैन ब्रोमेमाइड निम्नीकरण (Hoffman bromide degradation):
जब ऐमाइड की क्रिया Br2 व NaOH के साथ की जाती है तो 10 ऐमीन बनते है , इस क्रिया में कार्बन की संख्या कम है
अतः इसे अवरोहल भी कहते है।
R-CO-NH2 + Br2 + 4NaOH → R-NH2 + 2NaBr + 2H2O + Na2CO3
गेब्रियल थैलिमाइड अभिक्रिया (Gabriel Thalimide Reaction) :
इस अभिक्रिया से एनेलिन प्राप्त नहीं किया जा सकती , क्योंकि ऐनिलीन बनाने के लिए हैलोबेंजीन की आवश्यकता होती है इसमें अनुनाद के कारण कार्बन के हैलोजन के मध्य द्विबंध आ जाते है जिसे नाभिक स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया नहीं होती।
- हैलो एल्केन की अमोनिया से क्रिया करने पर :
इस क्रिया में 10 , 20 , 30 व चतुष्यक ऐमीन बनते है , इस क्रिया को अमोनी अपघटन कहते है।
- एमाइड के अपघटन से :
CH3-CH2-CO-NH2 + 4H → H2O + CH3-CH2-CH2-NH3